विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

गणमान्य व्यक्तियों ने एसटीआई के साथ कोविड के बाद की दुनिया में उदीयमान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को रेखांकित किया

Posted On: 27 MAY 2021 5:37PM by PIB Delhi

महामारी का दूसरा पक्ष... एक विज्ञान नीति से संपर्क शीर्षक पर आधारित ऑनलाइन संवाद के दौरान गणमान्य लोगों ने कोविड के बाद की दुनिया में भावी वृद्धि और विकास के लिए उदीयमान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि सिर्फ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ही ऐसा करने में सक्षम होंगे।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने लोगों से उपयुक्त कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन और अपना टीकाकरण कराने का अनुरोध करते हुए कहा, कोविड-19 ने सामान्य जीवन को खत्म और आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर दिया है, लेकिन यह बेहतर भविष्य के लिए उम्मीद, बदलाव और भरोसे का एक बड़ा अवसर भी है। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी से ही हासिल किया जा सकता है, जो भविष्य के लिए अहम होगा- चाहे यह दूरस्थ स्वास्थ्य देखभाल या सुदूर चिकित्सा या दूरदराज के गांवों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं हों या ऑनलाइन शिक्षा या कुछ और हो।

उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में जीनोम अनुक्रमण जैसे विज्ञान के क्षेत्र काफी अहम हैं और ये कोविड-19 महामारी सहित कई समस्याओं के समाधान उपलब्ध कराएंगे। 5जी तकनीक त्वरित संवाद के लिए तकनीक की दुनिया और मोबाइल तकनीक में तेजी से बदलाव करेगी। इसी प्रकार, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में भारत के विकास को गति देने की क्षमताएं हैं।

श्री अमिताभ कांत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद और विज्ञान प्रसार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित डीएसटी गोल्डन जुबली डिसकोर्स सीरीज प्रोग्राम को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने पिछले 50 साल के दौरान डीएसटी के प्रयासों के बारे और विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान पिछले एक साल में किए गए गए कार्यों पर बात की, जिनसे देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी अवसंरचना को मजबूत बनाने में मदद मिली। उन्होंने आगामी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति 2021 (एसटीआईपी), लचीली भू-स्थानिक डाटा नीति और आगामी वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) सहित चार नीतियों पर जोर दिया, जिन पर डीएसटी ने काम किया है। इनसे समाज सशक्त बनेगा। उन्होंने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में डीएसटी के योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लैंगिक अंतर से निपटने की डीएसटी की पहल के बारे में बताया और कहा कि 25 हब और उद्योग, शिक्षा, स्टार्टअप्स के साइबर-फिजिकल सिस्टम (सीपीएस) के साथ मिलकर काम करने का सभी- शिक्षा से अर्थव्यवस्था के फैसले लेने तक- पर असर पड़ेगा।

डीएसटी सचिव प्रोफेसर शर्मा ने कोविड-19 2.0 पर बात करते हुए कहा, भविष्य में कोविड-19 का म्यूटेशन जारी रहेगा और हम म्यूटेशन व गति और विस्तार के साथ स्वास्थ्य पर उनके असर का विश्लेषण करते रहेंगे। साथ ही, हम उपयुक्त कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन के माध्यम से वायरस को फैलने का मौका नहीं देकर ही वायरस के संचरण को काबू में कर सकते हैं।

उन्होंने नई पहल निधि4कोविड2.0 के बारे में विस्तार से बताया कि देश में कोविड 2.0 की दूसरी लहर की मौजूदा चुनौती से निपटने के लिए स्टार्टअप आधारित समाधानों के समर्थन से त्वरित प्रतिक्रिया के रूप में इसका शुभारम्भ किया था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, भारतीय स्टार्टअप्स और कंपनियों को ऐसी नई तकनीकों और नवीन उत्पादों के विकास के लिए आमंत्रित किया गया था, जो इस संकट से निपटने में भारत को सशक्त बना सकते हों।

डीएसटी सचिव ने बताया, पहली कोविड-19 लहर के दौरान, हमें महामारी से लड़ाई में 3-4 महीनों में 100 स्टार्टअप्स से नतीजे मिल रहे थे, वहीं इस नई पहल के तहत हमने कंपनियों की पहचान की और एक महीने के भीतर सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं। अपनी तकनीक के सात हम काफी कुछ कर सकते हैं। हम दो-तिहाई कीमत पर वैश्विक गुणवत्ता वाले ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर विकसित कर सकते हैं। इससे कई प्रमुख उपकरणों के विकास और विनिर्माण के लिए बड़े अवसर पैदा हो सकते हैं, जो अभी आयात किए जा रहे हैं। इनमें विशेष वाल्व, जिओलाइट मैटेरियल, तेल रहित और शोर रहित मिनिएचुराइज्ड कम्प्रेसर, गैस सेंसर आदि शामिल हैं, जिनका विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक इस्तेमाल है।

 

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