स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

डॉ. हर्षवर्धन और उनकी पत्नी श्रीमती नूतन गोयल ने कोविड 19 टीके की दूसरी खुराक लगवाई


‘पहली खुराक लेने के बाद अभी तक हमें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई’

जब तक हर व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तब तक हम में से कोई भी सुरक्षित नहीं है: डॉ. हर्षवर्धन ने सभी से उचित कोविड व्यवहार का पालन करने और परिवार में टीका लगाने के लिए उपयुक्त माने जाने वाले हर व्यक्ति को टीका लगवाने का अनुरोध किया

Posted On: 30 MAR 2021 3:21PM by PIB Delhi

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और उनकी पत्नी श्रीमती नूतन गोयल को आज दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीटयूट, नई  दिल्ली में कोविड-19 टीके-वैक्सीन (कोवैक्सिन) की दूसरी खुराक इंजेक्शन के रूप में दी गई। इन दोनों को 28 दिन पहले 02 मार्च, 2021 को इस वैक्सीन की पहली खुराक दी  गई थी।

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हाल में ही 45 वर्ष से अधिक आयु के हर व्यक्ति को टीका लगाने के लिए किए गए निर्णय  के सन्दर्भ में उन्होंने हर उपयुक्त पात्र व्यक्ति से इस टीके को लगवाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ‘पहली खुराक लेने के बाद से हमें अभी तक इससे ज़रा सी परेशानी नहीं हुई।’ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस अवसर पर टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) की निगरानी के लिए निर्धारित प्रक्रिया के प्रावधानों का विस्तृत विवरण भी दिया और कहा कि टीका लगवाने वाले लाभार्थियों एईएफआई के दुष्प्रभावों का  अनुपात लगभग  नगण्य है। उन्होंने दृढ़ता पूर्वक कहा कि ‘’सभी टीके (वैक्सीन) सुरक्षित, संक्रमण से मुक्त और प्रभावकारी हैं।” उन्होंने कुछ मामलों में टीकाकरण के बाद कोरोना से संक्रमित होने के बारे में पत्रकारों की चिंताओं का निराकरण करते हुए कहा कि “ऐसे मामले लगभग नगण्य और दुर्लभ हैं। शरीर में रोग प्रतिरक्षण के लिए एंटीबॉडीज का निर्माण होने में टीकों की दूसरी खुराक लेने के  बाद दो सप्ताह का समय लगता है। ऐसे में इस अवधि में सक्रमण होने की सम्भावना बनी रहती है। हमने इसी को देखते हुए सभी से उचित कोविड व्यवहार का कड़ाई से पालन करने का परामर्श दिया था और इसका टीकाकरण की प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है।“ उन्होंने आगे कहा कि कोविड वैक्सीन ले चुके व्यक्तियों में संक्रमण का स्तर बहुत ही हल्का होता है और यह आगे विकसित नहीं हो पाएगा। सोशल मीडिया पर टीके –वैक्सीन के बारे में चल रही अफवाहों और दुष्प्रचार को स्वास्थ्य मंत्री महोदय ने समाज के लिए कष्टकारी कहा; उन्होंने लोगों से व्हाट्सएप की बजाय विज्ञान पर भरोसा करने के लिए कहा।

देशभर में कोविड संक्रमण को दूसरी लहर आने की सूचना के बारे में उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार इस सब पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि “यह स्थिति लोगों द्वारा कोविड उचित व्यवहार का पालन करने में बरती गई असावधानी और लापरवाही को दर्शाती है। टीकाकरण के साथ- साथ इन मानकों का पालन करना ही कोविड  के विरुद्ध हमारे जन आन्दोलन का मजबूत स्तम्भ है।” उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण से गंभीर रूप से ग्रस्त रोगियों के उपचार के साथ-साथ “जांच करना, पता लगाना और उपचार करना- टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट” की रणनीति अपनाना ही इस रोग के प्रसार को कम करने के लिए आवश्यक है और यही इसका सर्वोत्तम तरीका है। डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड की स्थिति की सर्वोच्च स्तर पर निगरानी के लिए प्रधानमंत्री की राज्यों के मुख्मन्त्रियों के साथ हो रही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और इसके साथ ही केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में अपने समकक्ष सहयोगियों के साथ नियमित रूप से हो रही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का भी उल्लेख किया। उन्होंने याद दिलाया कि भारत में इस संक्रमण से होने वाली मौतों की दर मात्र 1.34 प्रतिशत ही है जबकि  भारत की इस संक्रमण से उबर कर ठीक होने वालों की दर विश्व में सबसे अधिक है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अभी केवल 46 जिलों से  ही इस संक्रमण की सूचना आई है जबकि लगभग 400 जिले इस  कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। पिछले 07 दिनों में 187 जिलों, 84 जिलों से पिछले 14 दिनों, 20 जिलों से 21 दिनों में और 139 जिलों से पिछले 28 दिनों से किसी नए संक्रमण की सूचना नहीं मिली है।

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मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि भारत ने अभी तक विश्व के 84 देशों को वैक्सीन की 06 करोड़ खुराकें भेजी है जबकि 07 और वैक्सीनों का चिकिसकीय परीक्षण चल रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “जब तक हर व्यक्ति सुरक्षित नहीं है तब तक हम में से कोई भी सुरक्षित नहीं है” और यही वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम का मूल है जो हर व्यक्ति के अपने निकट सम्बन्धियों पर भी लागू होता है। उन्होंने यह बताते हुए अपनी बात खत्म की कि 07 लाख प्रशिक्षित टीकाकरण करने वाले कर्मियों, कोविन – CoWIN  पोर्टल पर 10 लाख से अधिक टीकाकरण सत्रों  के लिए निरंतर पजीकरण, टीकाकरण के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों की सुविधाएं ही इस टीकाकारण अभियान को सफल बना रही हैं।

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