श्रम और रोजगार मंत्रालय

सेंट्रल बोर्ड ने वर्ष 2020-21 के लिए अपने ग्राहकों को 8.50 प्रतिशत ब्याज दर की सिफारिश की

Posted On: 04 MAR 2021 2:51PM by PIB Delhi

ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 228वीं बैठक आज जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में श्रम और रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में हुई। बैठक में उपाध्यक्ष श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव (श्रम और रोजगार) तथा सदस्य सचिव श्री सुनील बर्थवाल, केंद्रीय भविष्यनिधि आयुक्त उपस्थित थे। सेंट्रल बोर्ड ने वित्त वर्ष 2021 के लिए अपने ग्राहकों के संचित ईपीएफ पर 8.50 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने की सिफारिश की। ब्याज दर अधिकारिक रूप से सरकारी गजट में अधिसूचित होने के बाद ईपीएफओ ग्राहकों के खाते में ब्याज दर जमा करेगा।

ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2014 से लगातार 8.50 प्रतिशत का लाभ दिया है। योगिकीकरण के साथ ऊंची ईपीएफ ब्याज दर ग्राहकों के लिए काफी महत्व रखती है। इस तथ्य के बावजूद कि ईपीएफओ ने निवेश के प्रति अपना दृष्टिकोण अनुदार रखा है, सबसे अधिक बल पहले मूल धन की रक्षा और संरक्षण पर दिया है। ईपीएफओ की जोखिम प्रवृत्ति काफी कम रही है, क्योंकि इसमें गरीब आदमी के अवकाशप्राप्ति के बाद की बचत शामिल है।

ईपीएफओ कई वर्षों से अपने सदस्यों को न्यूनतम ऋण जोखिम के साथ विभिन्न आर्थिक चक्रों के माध्यम से अधिक आय प्रदान कर रहा है। ईपीएफओ निवेश के अधिक ऋण प्रोफाइल पर विचार करते हुए, ईपीएफओ की ब्याज दर उपभोक्ताओं को अन्य उपलब्ध निवेश अवसरों की तुलना में अधिक है।

2015-16 की अवधि के दौरान ईपीएफओ ने एनएसई 50 तथा डीएसई 30 सूचकांकों में एक्सचेंज ट्रेड फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश करना प्रारंभ किया। वित्त वर्ष 2015 में इक्विटी में पांच प्रतिशत निवेश प्रारंभ हुआ, जबकि बाद में यह निवेश धीरे-धीरे बढ़ने वाले पोर्टफोलियो में 15 प्रतिशत तक हो गया।

वित्तवर्ष 2021 के लिए ईपीएफओ ने निवेश समाप्त का निर्णय लिया और अनुसंशित ब्याज दर ऋण निवेश से प्राप्त ब्याज आय और इक्विटी निवेश से प्राप्त आय के मिश्रण का परिणाम हैं। इससे ईपीएफओ अपने ग्राहकों को अधिक लाभ देने में सक्षम हुआ है और भविष्य में भी अधिक लाभ देने के लिए सुरक्षित धन है। इस आय वितरण के कारण ईपीएफओ ने जमा से अधिक राशि कभी नहीं निकाली।

ईपीएफओ का आश्वस्त निश्चित लाभ की घोषणा सीबीटी द्वारा कर छूट के साथ प्रत्येक वर्ष की जाती है। इससे निवेशकों को आकर्षक पसंद मिलता है। उन्हें भविष्यनिधि, पेंशन तथा बीमा योजनाओं के रूप में मजबूत सामाजिक सुरक्षा मिलती है।

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