विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा-2020: सीएसआईआर, एम/ओ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

Posted On: 18 JAN 2021 9:52AM by PIB Delhi

प्रमुख विशेषताएं:

एनडीआरएफ की 8वीं बटालियन सेंटर, गाजियाबाद में 10-बेड का अस्थायी अस्पताल का उद्घाटन किया गया

एनडीआरएफ की 8वीं बटालियन सेंटर, गाजियाबाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन (एसएंडटी, ईएस एंड एच एंड एफडब्ल्यू) द्वारा आधुनिक, टिकाऊ, पोर्टेबल, तेजी से स्थापित करने योग्य, सुरक्षित और अलग-अलग मौसम के अनुकूल 10-बेड का अस्थायी अस्पताल का एक उद्घाटन किया गया। इस अस्थायी अस्पताल की स्थापना सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), गृह मंत्रालय के साथ मिलकर प्रदर्शन और एनडीआरएफ के उपयोग के लिए बनाया है। इस अस्पताल बनाने का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में सुधार या लंबी महामारी में सेवा मुहैया करना है।

एनडीआरएफ की चौथी बटालियन सेंटर, चेन्नई में 10-बेड का अस्थायी अस्पताल और पृथकवास  केंद्र का उद्घाटन किया गया

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिये चौथी बटालियन सेंटर, चेन्नई में सीएसआईआर-एसईआरसी द्वारा स्थापित 10-बेड का अस्थायी अस्पताल और पृथकवास केंद्र का उद्घाटन किया।

चौथी बटालियन सेंटर, एनडीआरएफ, चेन्नई में अस्थायी अस्पताल में नई सुविधा मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा और आरमदायक वातावरण में 20 साल तक सेवा देना है। यह एक आधुनिक और तेजी से अमल में आने वाला प्रौद्योगिकी है जो आपदा के साथ-साथ लंबी महामारी या आपातकालीन स्थिति के लिए उपयोगी है। सीएसआईआर-एसईआरसी प्रयोगशाला ने एक मुड़ने वाली  और फ्रेमयुक्त स्टील संरचना पेश की जिसे एक अकेला व्यक्ति अपने कंधे पर कई फ्रेम को लेकर जा सकता है और इसे किसी भी साइट पर बिना अधिक समय गावाएं असेम्बल कर सकता है।

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए मारीकर ग्रीन अर्थ प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर और कृषि अपशिष्ट का उपयोग कर बायोडिग्रेडेबल प्लेटों के लिए विनिर्माण संयंत्र की स्थापना

सीएसआईआर-राष्ट्रीय अंतर्विषयी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईआईएसटी) ने सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प पेश किया है। एनआईआईएसटी के वैज्ञानिकों ने कृषि अपशिष्टों और उत्पादों से प्लेट्स, कटलरी और कप सहित बायोडिग्रेडेबल टेबलवेयर के निर्माण के लिए नई तकनीक विकसित किया है। पिछले सप्ताह मारीकर ग्रीन अर्थ प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस दिया गया था।

 

सिल्वर नैनोवायर के लगातार बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए पायलट प्लांट का उद्घाटन

सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (एनसीएल) ने बड़े पैमाने पर सटीक सिल्वर नैनोवायर के लगातार बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए दुनिया की सबसे सस्ती तकनीक विकसित की है। यह प्रौद्योगिकी विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी (एएमटी) पहल के तहत किया गया था। सीएसआईआर-एनसीएल द्वारा विकसित इस तकनीक की बदौलत भारतीय उद्योग प्रीसीजन मेटेरियल का निर्माण करने में सक्षम हो पाएगा। प्रौद्योगिकी पर दावा करने लिए पेटेंट दायर किए गए हैं और उत्पाद को विभिन्न रूपों में संचालन सहित विभिन्न एप्पलीकेशन के लिए परीक्षण किया गया है।

 

3डी-प्रिंटेड रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण विकसित किए गए

सीएसआईआर-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) ने कई मानव शरीर के अंगों के लिए रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण बनाने की एक तकनीक विकसित की है। प्रौद्योगिकी को हाल ही में उत्पाद के व्यावसायिक उत्पादन और विपणन के लिए उद्योग को स्थानांतरित किया गया है। विशेष रूप से लक्षित रोगियों के लिए आघात, कैंसर, फंगल संक्रमण या अन्य पुनर्निर्माण सर्जरी जैसे रोगों में रोगी-विशिष्ट प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। मानव शरीर के विशिष्ट अंगों के लिए प्रत्यारोपण की अनुपलब्धता के मामले में रोगी के विशिष्ट प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता होती है या जब उपलब्ध प्रत्यारोपण एक मरीज की शारीरिक आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं। दुनिया भर के शोधकर्ता रोगी-विशिष्ट प्रत्यारोपण बनाने की दौड़ में हैं। सीएसआईआर-सीएसआईओ के वैज्ञानिकों ने इस जटिल समस्या को सुलझाने में कंप्यूटर एडेड डिजाइन (सीएडी) की मदद से हल करने का प्रयास किया है, इसके बाद बायोक्मपटेबल धातुओं की 3डी प्रिंटिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में रोगी के सीटी-स्कैन/एमआरआई डेटा का उपयोग रोगियों के प्रत्यारोपण डिजाइन करने के लिए किया जाता है।

 

ग्लास-लाइन माइक्रो-रिएक्टरों के लिए लाइसेंसिंग अनुबंध पर हस्ताक्षर

सीएसआईआर-एनसीएल ने अपनी तरह का पहला छोटे कांच के प्रवाह वाले रिएक्टरों को विकसित किया है, जहां कांच को धातु पर लेपित किया जाता है, जिससे इसके प्रदर्शन पर समझौता किए बिना रिएक्टरों की रासायनिक संगतता बढ़ जाती है। ये माइक्रो-रिएक्टर मौजूदा माइक्रोरिएक्टरों के बीच अपनी तरह का पहला धातु, पॉलिमर, ग्लास और सिरेमिक में उपलब्ध हैं। उम्मीद की जाती है कि ये रासायनिक निर्माण में शीर्ष स्थान पर काबिज होंगे और प्रौद्योगिकी के सफल कार्यान्वयन के विकास के लिए टीम जीएमएम प्यूफ्यूडलर लिमिटेड के साथ मिलकर काम करेगी।

 

कोविड-19 की गंभीरता कम करने वाला तकनीकों का सीएसआईआर संकलन जारी किया गया

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर द्वारा विकसित कोविड-19 प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का एक संग्रह जारी किया। संकलन में कई तकनीकों और उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें डायग्नोस्टिक्स से ड्रग्स से लेकर वेंटिलेटर और पीपीई तक 100 से अधिक प्रौद्योगिकियां, 93 उद्योग साझेदार सूचीबद्ध हैं और इनमें से 60 से अधिक प्रौद्योगिकियों को उद्योग में स्थानांतरित किया गया है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कम समय में विकसित प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का पोर्टफोलियो सीएसआईआर वैज्ञानिकों की क्षमताओं के लिए एक वसीयतनामा है और वे परिस्थितियों के सबसे कठिन में काम कर सकते हैं"। उन्होंने सीएसआईआर के वैज्ञानिकों, छात्रों और कर्मचारियों के इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इन तकनीकों और उत्पादों को इतने कम समय में विकसित करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि "सीएसआईआर द्वारा एक ही स्थान पर प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को लगाया गया संग्रह उन उद्योगों और अन्य एजेंसियों की मदद कर सकता है जो उन्हें आसानी से एक्सेस करने के लिए कोविड -19 के समाधान की मांग कर रहे हैं।"


दवाओं की खोज के लिए हैकथॉन

सीएसआईआर और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने कोविड-19 महामारी के दवा की खोज के लिए एक हैकथॉन (कार्यक्रम) शुरू किया। हैकाथॉन से निकलने वाले विचारों को सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप्स और किसी अन्य इच्छुक संगठन द्वारा विकसित किया जाएगा। प्रतियोगिता में भारतीय छात्र और दुनिया भर के शोधार्थी भाग ले सकते हैं।

सीएसआईआर द्वारा तैयार सार्वजनिक परिवहन के लिए दिशानिर्देश

सीएसआईआर-सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर-सीआरआरआई) ने सार्वजनिक परिवहन और फीडर मोड के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जो सोशल डिस्टेंसिंग मानदंड को फॉलो करते हुए सार्वजनिक परिवहन के प्रत्येक मोड के लिए सुरक्षा उपायों का विवरण देता है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा दिशानिर्देश जारी किए गए। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद समाज में एक न्यू नॉर्मल का विकास हो जो बेहतर तरीके से जीने के लिए नए मानदंड को स्थापित करेगा। वह एक वैज्ञानिक तरीका हा जो अंततः गुड हेल्थ नॉर्म्स बन जाएगा।

 

पेप्टाइड ने गठिया से लड़ने में प्रभावी की खोज की

सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने हाल ही में बताया कि प्रोटीन का एक विशिष्ट टुकड़ा गठिया के इलाज में मदद कर सकता है। यह जोड़ों में सूजन को कम करने के अलावा, ज्वाइंट हड्डियों को टूटने से भी रोकता है। यह प्रोटीन शरीर की संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित नहीं करता है बल्कि गठिया के मामले में चुनिंदा रूप से ज्वाइंट हड्डियों को सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रोटीन को लिवर फ्लूक या परजीवी कृमि द्वारा फसीकोला कहा जाता है जो परजीवी को मारने के लिए एक रक्षात्मक रणनीति बनाने और भड़काऊ हमले को कम करके मेजबान प्रतिरक्षा प्रणाली से अपनी पहचान छुपाने में मदद करता है। इस प्रोटीन को फासिओला हेल्मिंथ डिफेंस मोलेक्यूल -1 (एफएचएचडीएम-1) कहा जाता है और यह मानव प्रोटीन के समान है जो उत्तेजक प्रतिक्रियाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी समानता ने सीएसआईआर-सीडीआरआई शोधकर्ताओं को प्रोटीन की जांच करने और गठिया के इलाज में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। सीडीआरआई शोधकर्ता गठिया के उपचार में इस अध्ययन को एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में मान रहे हैं। हालांकि, क्लिनिकल उपयोग के लिए इस पेप्टाइड को विकसित करने के लिए भविष्य के अध्ययन आवश्यक हैं।

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सीएसआईआर ने क्लिनिकल परीक्षण में भागीगारी के लिए कोविड-19(क्यूरेड) पोर्टल को लॉन्च किया

 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक वेबसाइट का उद्घाटन किया जो कई कोविड-19 क्लिनिकल परीक्षणों के बारे में व्यापक जानकारी देगा। सीएसआईआर, उद्योग, अन्य सरकारी विभागों और मंत्रालयों के साथ साझेदारी में परीक्षण कर रहा है।

क्यूआरआरईडी या सीएसआईआर उशेरेड रिपोज्ड ड्रग्स कहा जाता है। वेबसाइट ड्रग्स, डायग्नोस्टिक्स और उपकरणों के बारे में जानकारी प्रदान करती है जिसमें परीक्षणों के वर्तमान चरण, संस्थानों की भागीदारी और परीक्षणों में उनकी भूमिका और अन्य विवरण शामिल हैं। साइट https://www.iiim.res.in/cured/ या http://db.iiim.res.in/ct/index.php पर खोला जा सकता है।

मंत्री ने सीएसआईआर द्वारा कोविड-19 के खिलाफ चल रही लड़ाई में सबसे आगे रहने और क्लिनिकल परीक्षणों को प्राथमिकता देने, उनकी नियामक मंजूरी के लिए डेटा तैयार करने और बाजार में लॉन्च दवाओं और निदान में मदद करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने नई प्रक्रियाओं के माध्यम से कोविड-19 दवाओं को संकलन करने और उद्योग में स्थानांतरित करने के दृष्टिकोण की सराहना की।

सीएसआईआर ने कोविड-19 के संभावित उपचार की दवा ढूढ़ने के लिए एंट्री-वायरल के साथ बहुत सारे क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है। सीएसआईआर आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर आयुष दवाओं के क्लिनिकल परीक्षण के लिए भी काम कर रहा है। साथ ही व्यक्तिगत प्लांट-आधारित कम्पाउंड  का  परीक्षण किया है। पांच क्लिनिकल परीक्षण, विथानियासोमनिफेरा, टिनोसोपरकोर्डिफोलिया + पाइपर लोंगम (संयोजन में), ग्लाइसीर्रिझाग्लबरा, टीनोस्पोराकोर्डिफ़ोलिया और अधतोडाविका (व्यक्तिगत रूप से और संयोजन में) और आयुष-64 सूत्रीकरण से जुड़े सुरक्षा परीक्षणों से गुजर रहे हैं।

 

प्रवासी भारतीय शैक्षणिक और वैज्ञानिक संपर्क (प्रभाष) पोर्टल लॉन्च

प्रधान मंत्री के दिशानिर्देशों के तहत, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने एक डेटाबेस और एक आभासी मंच विकसित करने के प्रयासों की शुरुआत की जिसका उद्देश्य भारतीय सामाजिक चुनौतियों/समस्याओं को ध्यान दिलाना और ग्लोबल इंडियन एसएंडटी कम्युनिटी को बोर्ड पर लाना है।

आभासी मंच, पोर्टल, का नाम ‘प्रभाष’ है जिसका अर्थ है प्रकाश की एक किरण, और संक्षिप्त रूप "प्रवासी भारतीय शैक्षणिक और वैज्ञानिक संपर्क-मातृ भूमि के साथ भारतीय प्रवासी को एकीकृत करना" है। ‘प्रभाष’ को सभी प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालयों/विभागों और भारत के विदेश मंत्रालय के सहयोगात्मक प्रयासों के साथ निम्नलिखित विजन और उद्देश्यों के साथ विकसित किया जा रहा है:

पोर्टल का लक्ष्य राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा देना, भारतीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए ग्लोबल इंडियन एसएंडटी समुदाय के साथ प्रभावी रूप से काम करना है।

नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का सतत प्रसंस्करण: ‘अपशिष्ट से धन

सीएसआईआर-सीएमईआरई द्वारा विकसित म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी ने न केवल ठोस अपशिष्टों के विकेंद्रीकृत विघटन को प्राप्त करने में मदद की है, बल्कि सूखे पत्तों, सूखी घास जैसे बहुतायत से उपलब्ध निरर्थक सामानों से मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने में भी मदद की है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), भारत सरकार द्वारा निर्धारित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों (एसडब्ल्यूएम) 2016 के बाद वैज्ञानिक तरीके से ठोस कचरे के निपटान के लिए एमएसडब्ल्यू प्रसंस्करण सुविधा विकसित की गई है। सीएसआईआर-सीएमईआरई का प्राथमिक जोर उन्नत सेग्रगेशन तकनीक के माध्यम से आम परिवारों को सेग्रगेशन की जिम्मेदारियों से दूर करना है। मैकेनाइज्ड सेग्रिगेशन सिस्टम सॉलिड वेस्ट को मेटेलिक वेस्ट (मेटल बॉडी, मेटल कंटेनर आदि), बायोडिग्रेडेबल वेस्ट (खाद्य पदार्थ, सब्जियां, फल, घास आदि), नॉन-बायोडिग्रेडेबल (प्लास्टिक, पैकेजिंग मटीरियल, पाउच, बोतलें आदि) और  कांच, पत्थर आदि अपशिष्ट से अलग करता है। कचरे का जैव-अपघटनीय घटक जैव-गैसीकरण के रूप में जाना जाने वाले अवायवीय वातावरण में विघटित हो जाता है। इस प्रक्रिया में जैविक पदार्थों के रूपांतरण के माध्यम से बायोगैस को मुक्त किया जाता है। खाना पकाने के उद्देश्य के लिए बायोगैस का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है। बिजली के उत्पादन के लिए गैस का उपयोग गैस इंजन में भी किया जा सकता है। बायोगैस संयंत्र से अवशिष्ट घोल को एक प्राकृतिक प्रक्रिया में खाद के रूप में परिवर्तित किया जाता है जिसे वर्मी-कम्पोस्टिंग के रूप में जाना जाता है जो केंचुओं को पेश करता है। जैविक खेती में वर्मी-कम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है।

 

पर्यावरण के अनुकूल, कुशल और डीएमई दहनअदिति उर्जा सांचइकाई का शुभारंभ

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने डीएमई-एलपीजी मिश्रित ईंधन सिलेंडर के साथ डीएमई दहन “अदिति उर्जा सांच” इकाई का उद्घाटन किया और उन्हें आम जनता और सीएसआईआर-एनसीएल (राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला) के लिए सौंप दिया। सीएसआईआर-एनसीएल परिसर में परीक्षण के आधार पर कैंटीन का उपयोग वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाता है।

डायमिथाइल ईथर (डीएमई) एक अल्ट्रा-क्लीन फ्यूल है। सीएसआईआर-एनसीएल ने 20-24किलो/ दिन क्षमता के साथ देश का पहला डीएमई पायलट प्लांट विकसित किया है। पारंपरिक एलपीजी बर्नर डीएमई दहन के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि डीएमई घनत्व एलपीजी से अलग है। इस समस्या को हल करने के लिए, सीएसआईआर-एनसीएल का दहन “अदिति उर्जा सांच” एक उपयोगी, अभिनव सेटअप के साथ आया है। नया बर्नर पूरी तरह से डीएमसीई, डीएमई-एलपीजी मिश्रित मिश्रण और एलपीजी दहन के लिए एनसीएल द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है।

नया डिजाइन किया गया स्टोव एलपीजी के साथ मिश्रित 30% डीएमई या ईंधन के रूप में 100% डीएमई के साथ जल सकता है। सर्वश्रेष्ठ दहन और थर्मल प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए डीएमई मिश्रित ईंधन के लिए हवा से ईंधन अनुपात अलग है। कम अवसंरचना परिवर्तन के साथ एलपीजी के साथ 20% डीएमई सम्मिश्रण करने से सालाना पर्याप्त बचत होने की उम्मीद है। सीएसआईआर-एनसीएल द्वारा विकसित मेथनॉल प्रक्रिया से डीएमई 20 से 24 किलोग्राम / दिन का उत्पादन कर रहा है। सीएसआईआर-एफटीसी परियोजना के माध्यम से इस किफायती, लागत प्रभावी प्रक्रिया को प्रति दिन 0.5 टन तक बढ़ाया जाएगा। सीएसआईआर-एनसीएल की योजना “अदिति उर्जा सांच”  के तहत कम उत्सर्जन के लिए भविष्य के औद्योगिक बर्नर में लॉन्च करने के लिए है, डीएमई / डीएमई ने ऑटोमोबाइल और स्टेशनरी पावर के लिए ईंधन मिश्रित किया।

सीएसआईआर का स्थापना दिवस मनाया गया

सीएसआईआर ने अपना 79वां स्थापना दिवस 26 सितंबर 2020 को मनाया। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और उपाध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने इस आयोजन की अध्यक्षता की। जबकि, डॉ. शेखर, सी मंडे, डीजी, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग) और प्रमुख, एचआरडीजी श्री ए. चक्रवर्ती, इस अवसर पर उपस्थित थे। सभी सीएसआईआर लैब और कई अन्य लोग विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से इस आयोजन में शामिल हुए।

सीएसआईआर स्थापना दिवस के अवसर पर, पद्मभूषण डॉ. ए. वी. रामाराव द्वारा स्थापित एक प्रमुख दवा कंपनी, अवारा लेबोरेट्रीज ने घोषणा कि सीएसआईआर में तीन शोध विंग की स्थापना किया जाएगा ताकि अनुसंधान के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्यों का समर्थन और पहचान की जा सके। यह मंच, वैज्ञानिकों को उनके प्रयासों को पहचानने और आगे बढ़ाने के लिए तीन साल की फेलोशिप प्रदान करेगी। डॉ. एस. चंद्रशेखर, निदेशक, सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी और डॉ. अमोल ए. कुलकर्णी, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी को 2020-2023 की अवधि के लिए फेलोशिप से सम्मानित किया गया है।

निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), हिमाचल प्रदेश में एक अस्थायी अस्पताल की स्थापना और एक करोड़ से अधिक की लागत से लद्दाख में एक सीओवीआईडी परीक्षण केंद्र के लिए धन सहायता का विस्तार करने के लिए सहमत हुआ है।

वर्ष 2019 के लिए प्रतिष्ठित सीएसआईआर डायमंड जुबली टेक्नोलॉजी अवार्ड, टाटा केमिकल्स लिमिटेड (टीसीएल), पुणे में 'फ्रुक्टो-ऑलिगोसेकेराइड्स' (एफओएस) के उत्पादन में तकनीकी प्रगति के लिए प्रदान किया गया है, जिसे एफओएसएसईएनसीई के रूप में भी जाना जाता है जो 100/0  घुलनशील आहार फाइबर और जीवन शैली के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बढ़ते आधार को पूरा करता है।

 

सीएसआईआर और माइलान ने कोविड- 19 के अग्रिम चिकित्सीय विकल्पों की पहचान करने के लिए साझेदारी की घोषणा की

 

सीएसआईआर और माइलान लेबोरेट्रीज लिमिटेड, भारत की अग्रणी वैश्विक फार्मास्युटिकल कंपनी माइलान की सहायक कंपनी ने कोविड-19 महामारी के बीच मरीज की जरूरतों को पूरा करने के लिए साझेदारी की। साझेदारी के तहत, सीएसआईआर की घटक प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर-आईआईसीटी), और माइलान सीओवीआईडी -19 के लिए संभावित उपचारों की पहचान करने के लिए सहयोग करेगी।

इस साझेदारी के तहत भारत में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन करने के लिए नए और नवीन परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। क्लिनिकल ट्रायल के लिए सबसे पहले एक मल्टीपल आर्म फेज 3 का अध्ययन किया जाता है, जो वयस्क रोगियों में हल्के से मध्यम कोविड-19 के साथ जटिलताओं के जोखिम में आयोजित किया जाएगा।

उच्च प्रवाह दर फ्लोराइड और लौह निष्कासन द्वारा सामुदायिक स्तर के जल शोधन प्रणाली का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण

 

सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने दुर्गापुर (डब्ल्यूबी) में अपनी उच्च प्रवाह दर फ्लोराइड और आयरन रिमूवल तकनीक को मैसूर के एक्वांस प्राइवेट लिमिटेड, हावड़ा, पश्चिम बंगाल को हस्तांतरित कर दिया है। इस सामुदायिक स्तर की जल शोधन प्रणाली में 10,000 लीटर/ घंटा की फ्लो-रेट क्षमता है और आमतौर पर उपलब्ध कच्चे माल जैसे रेत, बजरी और सोश लेने वाला सामग्री का उपयोग करता है। इसमें एक तीन-चरण की शुद्धि प्रक्रिया शामिल है, जो उचित सीमा (क्रमशः फ्लोराइड और आयरन के लिए 1.5 पीपीएम और 0.3 पीपीएम) के भीतर पानी को शुद्ध करता है। प्रौद्योगिकी एक किफायती पैकेज में ऑक्सीकरण, गुरुत्वाकर्षण निपटान और रसायनकरण प्रक्रिया के संयोजन का उपयोग करती है। प्रौद्योगिकी के एकीकृत बैकवाशिंग प्रोफाइल संसाधन युक्त तरीके से निस्पंदन मीडिया के शेल्फ-जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।

 

सीएसआईआर-एसईआरसी, चेन्नई विद्युत लाइनों के लिए स्वदेशी आपातकालीन रिट्रीवल सिस्टम (ईआरएस) विकसित करता है

ट्रांसमिशन लाइन टावरों की विफलता की स्थिति में त्वरित समाधान के लिए सीएसआईआर-एसईआरसी ने एक स्वदेशी तकनीक, इमरजेंसी रिट्रीवल सिस्टम (ईआरएस) विकसित किया है। सीएसआईआर-एसईआरसी ने मेसर्स अद्वैत इंफ्राटेक, अहमदाबाद के साथ ईआरएस प्रौद्योगिकी के लाइसेंस के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। वर्तमान में, ईआरएस सिस्टम आयात किए जाते हैं। दुनिया भर में बहुत कम निर्माता हैं और लागत अपेक्षाकृत अधिक है। यह तकनीकी विकास भारत में पहली बार विनिर्माण में सक्षम करेगा, जो आयात का विकल्प होगा और इसमें आयातित प्रणालियों का लगभग 40% के बराबर खर्च होगा। ईआरएस का भारत के साथ-साथ सार्क और अफ्रीकी देशों में भी बड़ा बाजार है। इसलिए, यह तकनीकी विकास आत्मान निर्भार भारत और मेक इन इंडिया की दिशा में एक बड़ी छलांग है।

सीएसआईआर-एसईआरसी, चेन्नई के निदेशक प्रो. संतोष कपूरिया और श्री एस. के. रे महापात्रा, मुख्य अभियंता (पीएसईएंड टीडी), केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, नई दिल्ली की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

एनसीएल-पुणे में फाइटोरिड टेक्नोलॉजी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल)-पुणे में पर्यावरण के अनुकूल और कुशल फाइटोरिड टेक्नोलॉजी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का उद्घाटन किया। माननीय मंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में पानी की कमी की चुनौती को पूरा करने के लिए सीवेज वाटर का ट्रीटमेंट आवश्यक है। उन्होंने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे अपने सीवेज ट्रीटमेंट तकनीक को तैयार करें और इसे देश भर के अपने सभी परिसरों में स्थापित करें। मंत्री ने सीएसआईआर के वैज्ञानिकों द्वारा फाइटोरिड प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सीवेज ट्रीटमेंट की सराहना की और कहा कि यह एक प्राकृतिक उपचार पद्धति है जिसके द्वारा साफ किए गए पानी को पीने के साथ विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है। फाइटोरिड एक उपसतह मिश्रित प्रवाह निर्मित वेटलैंड सिस्टम है, जिसे सीएसआईआर-एनईईआरआई, नागपुर द्वारा विकसित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट किया गया है, जो 10 वर्षों से अधिक निरंतर संचालन के लिए स्टैंड एलोन ट्रीटमेंट प्रणाली है। फाइटोरिड गंदे जल को साफ करने के लिए एक स्व टिकाऊ तकनीक है जो प्रिन्सपल ऑफ नेचुलरल वाटरलैंड के सिद्धांत पर काम करता है। यह कुछ विशिष्ट पौधों का उपयोग करता है जो पोषक तत्वों को सीधे गंदे जल से अवशोषित कर सकते हैं लेकिन मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। ये पौधे पोषक तत्व सिंकर और रिमूवर के रूप में कार्य करते हैं। सीवेज के उपचार के लिए फाइटोरिड प्रौद्योगिकी का उपयोग करना, बागवानी प्रयोजनों के लिए ट्रीटमेंट किए गए पानी को पुन: उपयोग करना संभव है।

 

इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल -2020 में पांच गिनीज रिकॉर्ड्स बने, 1.3 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का छठा संस्करण 22-25 दिसंबर 2021 के बीच ऑनलाइन आयोजित किया गया। इसमें 41 कार्यक्रम को 1.3 लाख से अधिक प्रतिभागियों द्वारा देखा गया जिससे इस आयोजन ने सबसे बड़े डिजिटल विज्ञान आयोजन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस साल आईआईएसएएफ का थीम था स्व-विश्वसनीय भारत के लिए विज्ञान और वैश्विक कल्याण। माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। माननीय प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के पास विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में एक समृद्ध विरासत है। हमारे वैज्ञानिकों ने अग्रणी शोध किया है। वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में हमारा तकनीकी उद्योग सबसे आगे है लेकिन, भारत और अधिक करना चाहता है। हम अतीत को गर्व के साथ देखते हैं लेकिन बेहतर भविष्य चाहते हैं।  भारत के माननीय उपराष्ट्रपति, श्री वेंकैया नायडू द्वारा मेगावेस्ट के वैलेडिकरी सत्र की अध्यक्षता की गई थी। आईआईएसएफ-2020 का आयोजन सीएसआईआर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ विजना भारती ने किया था।

उत्तर-पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्र में उच्च-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग और प्रबंधन के लिए सीजीडब्ल्यूबी और सीएसआईआर-एनजीआरआई के बीच समझौते पर हस्ताक्षर

 

राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के कुछ हिस्सों में एक्विफर मैपिंग प्रोग्राम के तहत उन्नत हेलिबॉर्न भूभौतिकीय सर्वेक्षण और अन्य वैज्ञानिक अध्ययनों के उपयोग के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), जल शक्ति और सीएसआईआर-एनजीआरआई, हैदराबाद के बीच समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। सीजीडब्ल्यूबी के चेयरमैन और सीएसआईआर-एनजीआरआई के निदेशक ने अगस्त में नई दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की उपस्थिति में एमओए पर हस्ताक्षर किए थे। परियोजना के चरण-1 के अंतर्गत, 54 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से लगभग 1 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किया जाएगा। इसमें राजस्थान (बीकानेर, चुरु, गंगा नगर, जालौर, पाली, जैसलमेटर, जोधपुर और सीकर जिले) का लगभग 65,000 वर्ग किलोमीटर पश्चिमी शुष्क क्षेत्र, गुजरात (राजकोट, जामनगर, मोरबी, सुरेंद्रनगर और देवभूमि द्वारका जिले) का 32,000 वर्ग किलोमीटर शुष्क क्षेत्र और हरियाणा (कुरुक्षेत्र और यमुनानगर जिले) का लगभग 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है।

 

कोरोना वायरस के नमूनों का नैदानिक परीक्षण

सीएसआईआर आरटी-पीसीआर परीक्षण के उपयोग से कोरोना वायरस संक्रमण की उपस्थिति के लिए मानव नमूनों के परीक्षण से व्यापक स्तर पर जुड़ी हुई है। उसकी कई प्रयोगशालाएं इस काम में लगी हुई हैं और सीएसआईआर की देश भर में स्थित 13 प्रयोगशालाएं परीक्षण कर रही हैं। दिसंबर के मध्य तक 7 लाख नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है, जिसमें सीएसआईआर-आईआईटीआर और सीएसआईआर-सीडीआरआई में हुए क्रमशः 1.5 लाख और 1 लाख परीक्षण शामिल हैं। सीएसआईआर प्रयोगशालाएं परीक्षण के लिए मानव संसाधनों को प्रशिक्षण देने के काम से भी जुड़ी हुई हैं और उन्होंने आरटी-पीसीआर जांच कराने के लिए कई अस्पतालों और शोध संस्थानों को सहायता दी है। सीएसआईआर-सीसीएमबी ऐसी अकेला गैर आईसीएमआर, लेकिन आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत मान्यता प्राप्त केन्द्र है जो कोविड-19 के परीक्षण में उपयोग हो रही विभिन्न किट्स को जांच के लिए स्वीकृति देता है।

 

सार्स-सीओवी-2 के लिए आणविक निगरानी

सीएसआईआर प्रयोगशालाएं भारत में उपस्थित स्ट्रेन के प्रकार का पता लगाने और देश में फैलने के दौरान इसमें संभावित अनुवांशिक बदलावों का पता लगाने के लिए सार्स-सीओवी-2 की अनुक्रमण जांच कराई है। सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाओं ने भारत से लिए गए सार्स-सीओवी-2 के जीनोम नमूनों को अलग श्रेणीबद्ध किया है और भारत में मौजूद स्ट्रेन का सूक्ष्म विवरण देने के लिए 2,000 से ज्यादा को श्रेणीबद्ध किया है और विश्लेषण उपलब्ध कराया है।

 

सार्स-सीओवी-2 की सीरोलॉजिकल निगरानी

सीएसआईआर-आईजीआईबी की अगुआई वाली सीएसआईआर फीनोम इंडिया परियोजना में सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाएं भाग ले रही हैं, जो जोखिम के पूर्वानुमान के साधनों के विकास के उद्देश्य से अपने कर्मचारियों पर की जा रही एक दीर्घकालिक निरंतर निगरानी सामूहिक अध्ययन है। यह भारतीय जनसंख्या के लिए सुनिश्चित स्वास्थ्य और चिकित्सा के निर्धारण की दिशा में एक अहम भूमिका निभा सकती है। इस संबंध में, सीएसआईआर-आईजीआईबी के नेतृत्व में देश भर में फैली सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में कोविड 19 सीरोलॉजिकल परीक्षण कराए गए हैं और अभी तक 10,000 से ज्यादा नमूनों का परीक्षण हो चुका है। पॉजिटिव मामलों में तीन महीने के बाद दोबारा परीक्षण की प्रक्रिया जारी है।

 

भारतीय निर्देशक द्रव्य (बीएनडी®) जारी किया गया

बीपीसीएल गुणवत्ता आश्वासन (क्यूए) विभाग और एम/एस आश्वी टेक्नोलॉजी एलएलपी (एटीएल) ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी “आत्मनिर्भर भारत” के तहत प्रयोगशाला उपकरणों के सही और सटीक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए “भारतीय निर्देशक द्रव्य” (प्रमाणित संदर्भ सामग्री) के विनिर्माण और विपणन के लिए सीएसआईआर राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआरएनपीएल) के साथ हाथ मिलाया है। बीएनडी (भारतीय निर्देशक द्रव्य) 18 अगस्त, 2020 को सीएसआईआर-एनपीएल में जारी किया गया था। सीएसआईआरएनपीएल एसआई यूनिट्स का प्रत्यक्ष पता लगाने की क्षमता के साथ भारत का एक मात्र नेशनल मेट्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट है। पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल प्रयोगशालाएं उपकरणों की जांच के लिए सीआरएम (बीएनडी) का उपयोग करेंगी। भारत में, पेट्रोलियम ईंधन जांच के काम से जुड़ीं लगभग 200 प्रयोगशालाओं (पीएसयू और निजी प्रयोगशालाओं सहित) को इस सस्ते स्वदेशी बीएनडी के उपयोग से फायदा मिलेगा। इससे लागत में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी आएगी और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों को बीएनडी के निर्यात की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।

 

भागीदारीपूर्ण अनुसंधान और खाद्य व पोषण से संबंधित सूचनाओं के प्रसार के लिए सीएसआईआर और एफएसएसएआई के बीच एमओयू

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन की अध्यक्षता में 7 अगस्त, 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय खाद्य संरक्षा एवं परिवार कल्याण (एफएसएसएआई) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इस अवसर पर राज्य मंत्री (एचएफडब्ल्यू) श्री अश्विनी के. चौबे भी उपस्थित रहे थे। एमओयू के माध्यम से खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में भागीदारी पूर्ण अनुसंधान और सूचनाओं के प्रसार को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य है।

इन नवीन कदम के लिए एफएसएसएआई और सीएसआईआर दोनों को बधाई देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इससे प्रतिष्ठित संगठनों की क्षमताओं और संकायों दोनों का विलय होगा। उन्होंने कहा कि इस एमओयू से खाद्य सुरक्षा और पोषण अनुसंधान के क्षेत्र में विकसित तकनीकों और कार्यक्रमों की पहचान के साथ-साथ भारतीय उपक्रम सीएसआईआर से उपलब्ध नवीन तकनीकों को मान्यता देना और/या नियामकीय अनुपालन संभव होगा। इससे खाद्य पदार्थों के उपयोग, खाने में मौजूद दूषित पदार्थों, जैविक जोखिम की घटना और उनकी मौजूदगी, उभरते जोखिम की पहचान, उन्हें दूर करने की रणनीतियों से जुड़े डाटा का संग्रहण और त्वरित चेतावनी प्रणाली की पेशकश संभव होगी।

 

कोविड-19 के लिए ड्राई-स्वैब-डायरेक्ट-आरटी पीसीआर जांच

सार्स-सीओवी-2 की जांच बढ़ाने के लिए सीएसआईआर की प्रयोगशाला सीसीएमबी, हैदराबाद द्वारा विकसित ड्राई स्वैब-डायरेक्ट आरटी- पीसीआर के सरल और तेज तरीके को आईसीएमआर ने स्वतंत्र सत्यापन के आधार पर मंजूरी दे दी है। यह मौजूदा गोल्ड स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर विधि की सरल परिवर्तित विधि है और संसाधनों व प्रशिक्षण पर किसी प्रकार के नए निवेश के बिना 2 से 3 गुना तक आसान जांच की जा सकती है, साथ ही देश में तत्काल नैदानिक जांच को सरल, तेज और किफायती बनाया जा सकता है।

कोविड-19 की तेज जांच के लिए स्पाइसहेल्थ ने सीएसआईआर-सीसीएमबी के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षर किए हैं। सीएसआईआर-सीसीएमबी के साथ यह एमओयू स्पाइसहेल्थ की मोबाइल परीक्षण प्रयोगशालाओं में कराने के लिए किया गया है। अपोलो हॉस्पिटल्स भी नवीन ड्राई स्वैब परीक्षण के संयुक्त विनिर्माण और व्यावसायीकरण के लिए सीएसआईआर- सीसीएमबी के साथ मिलकर काम कर रहा है।

 

कोविड-19 के लिए सीआरआईएसपीआर/ सीएएस आधारित पेपर नैदानिक जांच एफईएलयूडीए

सीएसआईआर द्वारा सीआरआईएसपीआर/ सीएएस आधारित पेपर नैदानिक जांच विकसित की गई है। अनुक्रमण की जरूरत के बिना आरएनए या डीएनए में एकल न्यूक्लियोटाइड वैरिएंट का पता लगाने या किसी डीएनए या आरएनए में व्यापक जांच के लिए सीएसआईआर- आईजीआईबी में एफईएलयूडीए विधि विकसित की गई है। फ्रांसिसेल्ला नोविसिडा सीएएस9 (एफएनसीएएस9) की खोज के लिए एंजाइम के प्राकृतिक गुण से विभेदन का सिद्धांत लिया गया है, जिससे बेमेल सब्सट्रेट्स के बेहद कम समान संबंध का पता चलता है। सीएसआईआर ने इस तकनीक का लाइसेंस टाटा संस को दिया है। डीसीजीआई और टाटा द्वारा स्वीकृत किट को टाटा एमडी चेक के रूप में पेश किया गया है।

 

 

 

फैविपिराविर के लिए विकसित कम लागत वाली प्रक्रिया http://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003PD7S.jpg

कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए कम लागत वाली प्रक्रिया फैविपिराविर को सीएसआईआर-आईआईसीटी द्वारा विकसित किया गया है। सीएसआईआर-आईआईसीटी ने इस एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट (एपीआई) के संश्लेषण के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध रसायनों के उपयोग से एक किफायती प्रक्रिया विकसित की है और इस तकनीक को सिप्ला को हस्तांतरित कर दिया गया है। सिप्ला ने सिप्लेंजा के रूप में इसे बाजार में पेश कर दिया है।

 

कोविड-19 के लिए सेप्सिवैक (माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू) का चिकित्सकीय परीक्षण

सीएसआईआर और कैडिला फार्मास्युटिकल्स कोविड 19 मरीजों के लिए सेप्सिवैक नाम की मौजूदा ग्राम-निगेटिव सेप्सिस दवा के प्रभाव का मूल्यांकन के लिए चिकित्सकीय परीक्षण करा रही हैं। इस दवा में हीट-किल्ड माइकोबैक्टीरियम (एमडब्ल्यू) होता है और इससे चिकित्सकीय रूप से विकसित किया गया है तथा एक गंभीर संक्रमण ग्राम-निगेटिव सेप्सिस के लिए स्वीकृति दी गई है। यह कैडिला फार्मास्युटिकल्स लि. की तरफ से सेप्सिवैक के रूप में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है। गंभीर रूप से बीमार कोविड 19 के मरीजों पर दूसरे चरण के परीक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, तीसरे चरण का परीक्षण जारी है।

 

कोविड-19 के लिए आयुर्वेद आधारित चिकित्सकीय परीक्षण

हल्की से मध्यम बीमारी से पीड़ित मरीजों में कोविड 19 के उपचार और प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक प्रमाण के माध्यम से उनकी सुरक्षा और प्रभाव के लिए कुछ पारंपरिक आयुष फॉर्मूलेशन के सत्यापन के लिए सीएसआईआर और आयुष मंत्रालय ने हाथ मिलाया है। वर्तमान में पांच चिकित्सकीय परीक्षण जारी हैं।

 

स्वस्थ वायुबाई-लेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (बीआईपीएपी) सिस्टम पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किया गया http://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image004F6AZ.jpg

सीएसआईआर-एनएएल ने “स्वस्थवायु” के नाम से एक कम लागत की स्वदेशी, नॉन-इनवेसिव बाई-लेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर वेंटिलेटर डिवाइस विकसित की है। 36 दिनों में विकसित की गई यह किफायती डिवाइस अस्थायी अस्पतालों, वार्डों, डिस्पेंसरी में उपयोग करने में काफी आसान है। इसके परिचालन के तीन तरीके निरंतर, समयबद्ध और स्वैच्छिक हैं।एनएबीएल से मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में यह सख्त विद्युत सुरक्षा, प्रदर्शन, जांच, जैव अनुकूलता परीक्षणों से सफलतापूर्वक गुजरी है और इसे प्रमाणित किया गया है। इसका कई अस्पतालों में चिकित्सकीय परीक्षण हुआ है और सीएसआईआर-एनएएल दिल्ली सरकार को 1,200 वेंटिलेटर उपलब्ध करा रही है।

 

एक इलेक्ट्रोस्टैटिक डिसइंफेक्शन यूनिट का डिजाइन और विकास http://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image005U0C1.jpg

सीएसआईआर-सीएसआईओ ने पूर्ण क्षेत्र और एक समान कवरेज, छोटे आकार की बूंदों, सभी द्रव्य प्रकारों के लिए लागू एक इलेक्ट्रोस्टैटिक डिसइंफेक्शन यूनिट विकसित की है। यह तकनीक बीएचईएल, राइट वाटर, एम/ एस झोसना कॉर्पोरेशन और एम/ एस दशमेश इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित की गई है। लगभग 200 यूनिट्स का उत्पादन किया जा चुका है। इसके अलावा, यूएसआईएसटीईएफ द्वार यूनिट ईएनसीईईएसपीआरएवाई को भागीदारों के रूप में राइट वाटर सॉल्युशन प्रा. लि., नागपुर, सीएसआईआर-सीएसआईओ और फ्लोरिडी विश्वविद्यालय के साथ शीर्ष कोविड-19 नवाचार पुरस्कार के रूप में चयनित किया गया है।

 

कोविड-19 नमूना संग्रहण के लिए नासल-फैरिनजील (एनपी) स्वैब्स http://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0062BMH.jpg

सीएसआईआर-एनसीएल ने एनपी स्वैब्स विकसित की हैं, जिन्हें कोविड-19 के नमूनोंके संग्रह के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह बाल चिकित्सा, नासोफैरिनजील या यूरेथ्रल जेनिटल नमूना संग्रह के लिए उपयुक्त छोटे आकार की है। आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत इस तकनीक का लाइसेंस एमएस. शेमबॉन्ड पॉलिमर्स एंड मैटेरियल्स प्रा. लि. (सीपीएमएल), मुंबई को दिया गया है। सीपीएमएल ने अब “केमिलॉन स्वैब्स” के नाम से इन नासल स्वैब्स का व्यावसायिक विनिर्माण शुरू कर दिया है। कंपनी ने 1 लाख स्वैब्स प्रति दिन उत्पादन क्षमता वाले केन्द्र की स्थापना की है।

 

पीपीई कवरआल्स विकसित किए गए

सीएसआईआर-एनएएल ने एम/ एस एमएएफ क्लोदिंग प्रा. लिमिटेड के साथ संयुक्त उपक्रम में स्वदेशी हीट सीलिंग टेप और पॉलिप्रोपिलीन मैटेरियल्स के साथ पीपीई कवरऑल्स विकसित किए हैं। यह कोविड-19 प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रहे अग्रणी स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए स्वदेशी स्तर पर विकसित किए गए हैं। सीएसआईआर-एनएएल एक सख्त गुणवत्ता आश्वासन योजना तैयार और उसका कार्यान्वयन किया है और कवरऑल पास एएसटीएमएफ 1670 और आईएसओ 16603 जांच विकसित की हैं। साथ ही कोविड-19 के लिए जरूरी परीक्षण किया गया है और रक्त प्रवेश परीक्षण के लिए गुजारा गया है।

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आरोग्यपथ- हेल्थकेयर सप्लाई चेन प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई

कोविड-19 और किसी भावी राष्ट्रीय महामारी के समाधान के लिए राष्ट्रीय हेल्थकेयर सप्लाई चेन प्रबंधन प्रणाली के रूप में आरोग्यपथ का विकास किया गया है। सीएसआईआर ने एक नेशनल हेल्थकेयर सप्लाई चेन पोर्टल https://www.aarogyapath.in पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य गंभीर स्वास्थ्य आपूर्तियों की रियल टाइम उपलब्धता है।

 

किसान सभा ऐप- किसानों को आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ना

सीएसआईआर-सीआरआरआई ने किसानों को आपूर्ति श्रृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से जोड़ने के लिए किसान सभा ऐप विकसित किया है। यह पोर्टल किसानों, ट्रांसपोर्टर्स और कृषि उद्योग से जुड़ी अन्य इकाइयों के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन के रूप में काम करता है यानी उन्हें एक ही जगह पर सभी समाधान उपलब्ध कराता है। इस ऐप का व्यापक स्तर पर उपयोग हो रहा है और अभी तक इसके 60,000 डाउनलोड हो चुके हैं।

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कैंसर रोधी दवा के चिकित्सकीय परीक्षण को डीसीजीआई ने दी मंजूरी

आईआईआईएम- 290 (कैंसर रोधी लेड) के आईएनडी उपयोग को डीसीजीआई ने अग्नाशय कैंसर के रोगियों में पहले और दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण के लिए मंजूरी दे दी है।

 

भारत में नैनो आधारित कृषि- इनपुट और खाद्य उत्पादों के मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश तय करना

केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान मंत्री, भारत सरकार डॉ. हर्ष वर्धन ने सीएसआईआर-आईआईटीआर के योगदान से भारत में नैनो आधारित कृषि-इनपुट और खाद्य उत्पादों के मूल्यांकन के लिए तैयार दिशानिर्देश 7 जुलाई, 2020 को जारी किए। सीएसआईआर-आईआईटीआर ने नैनोटॉक्सिकोलॉजी के साथ ही खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है।

 

सीएसआईआर और केपीआईटी लिमिटेड द्वारा फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी (एलटी-पीईएमएफसी) स्टैक से युक्त कार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

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सीएसआईआर और केपीआईटी टेक्नोलॉजिस लिमिटेड ने सीएसआईआर- राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाल, पुणे स्वदेशी स्तर पर विकसित फ्यूल सेल स्टैक से चलने वाली भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल (एचएफसी) कार के प्रोटोटाइप का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। एचएफसी तकनीक विद्युत ऊर्जा पैदा करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन (हवा से) के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया का उपयोग करती है और इसमें फोसिल ईंधन के उपयोग की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा, फ्यूल सेल तकनीक में सिर्फ पानी का उत्सर्जन होता है। इस प्रकार हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों के साथ ही वायु प्रदूषण करने वाले अन्य तत्वों के उत्सर्जन में कमी आती है। फ्यूल सेल एक कम तापमान वाली पीईएम (प्रोटॉन एक्सचेंज मेंम्ब्रेन) प्रकार की फ्यूल सेल है, जो 65-75 डिग्री सेंटीग्रेड पर चलती है, जो वाहन में उपयोग के लिए उपयुक्त है। सीएसआईआर और केपीआईटी ने सीएसआईआर के अनुभव के आधार पर एक 10 केडब्ल्यूई (किलोवाट-इलेक्ट्रिक) वाहन ग्रेड की एलटी-पीईएमएफसी (कम तापमान वाली पीईएम फ्यूल सेल) स्टैक विकसित की है।

 

सुरक्षित बायोमीट्रिक आधारित फ्यूज (एक्सप्लोडर) का विकास http://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image2GHNS.jpg

बाजार में उपलब्ध एक्सप्लोडर असुक्षित पाए गए हैं, जिनकी अक्सर चोरी हो जाती है और अनाधिकृत लोगों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है। दुरुपयोग से बचने के लिए, एक बायोमीट्रिक आधारित एक्सप्लोडर विकसित किया गया है। इसे उन लोगों द्वारा ही चलाया जा सकता है, जो किसी विशेष डिवाइस के साथ बायोमीट्रिक माध्यम से पंजीकृत हैं। उसमें लगे माइक्रो कंट्रोलर की सहायता से फिंगरप्रिंट स्कैनर फिंगरप्रिंट के उपयोग से 20 अधिकृत लोगों तक को पंजीकृत करता है। एक बार पंजीकरण होने के बाद, कोई अन्य व्यक्ति इन डिवाइसेस का उपयोग नहीं कर सकता है। एक्सप्लोडर को भूमिगत और खुली खदानों दोनों के लिए विकसित किया गया है। यह तकनीक एम/एस प्रणय एंटरप्राइजेज, हैदराबाद को हस्तांतरित कर दी गई है।

 

 

बायोगैस और बायोमन्योर के उत्पादन के लिए ऐनेरोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (एजीआर)

सीएसआईआर- आईआईसीटी ने मुर्गियों की गंदगी, खाद्य अपशिष्ट, प्रेस मड, गोबर, नगरीय ठोस अपशिष्ट के जैविक अंश (ओएफएमएसडब्ल्यू), मल आदि से निकले जैविक अपशिष्ट से बायोगैस और बायोमन्योर के उत्पादन के लिए ऐनेरोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (एजीआर) के नाम से जानी जाने वाली एक हाई रेट बायोमेथेनेशन टेक्नोलॉजी को विकसित और सुरक्षित किया है। यह तकनीक ऊष्मा और विद्युत के संयोजन (सीएचपी) के अनुप्रयोगों के लिए बायोगैस पैदा करने के लिए हाई रेट बायोमेथेनेशन पर आधारित जैविक अपशिष्ट के लिए एक विकेन्द्रीयकृत उपचार का विकल्प उपलब्ध कराता है।

इसे एम/एस आहुजा इंजीनियरिंग सर्विसेस प्रा. लिमिटेड, हैदराबाद और एम/ एस निर्मल्या बायो इंजीनियरिंग सॉल्युशंस प्रा. लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया है।

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दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष समूह

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सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष विकसित किया है, जो सीएसआईआर-सीएमईआरआई आवासीय कॉलोनी, दुर्गापुर में लगाया गया है। सौर वृक्ष की स्थापित क्षमता 11.5 केडब्ल्यूपी से ज्यादा है और उसकी सालाना क्षमता 12,000-14,000 यूनिट स्वच्छ व हरित विद्युत पैदा करने की है। यह सौर वृक्ष ऊर्जा आत्मनिर्भर और कार्बन निगेटिव भारत बनाने की दिशा में बड़ी छलांग है। सौर वृक्ष में 35 सौर पैनल लगे हैं, जिसमें प्रत्येक की क्षमता 330 वाट की है। धातु के तारों से जुड़े सौर पैनल सौर बिजली पैदा करते हैं। इसमें हर साल वातावरण में जा रही 10-12 टन सीओ2 की बचत करने की क्षमता है। चूंकि सौर वृक्षों में छाया वाला क्षेत्र न्यूनतम है, इसलिए वे डीजल के विकल्प के रूप में खेतों में पम्प, ई-ट्रैक्टर और टिलर भी चला सकते हैं। इनसे मिलने वाली अतिरिक्त बिजली को ग्रिड को भेजा जा सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होगा।

 

बंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगाई गई मेड इन इंडिया विमानन मौसम निगरानी प्रणाली

देश में ही विकसित विमानन मौसम निगरानी प्रणाली (एडब्ल्यूएमएस) केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (केआईए) के नए रनवे पर लगाया गया है। इसके साथ ही, केआईए स्वदेशी एडब्ल्यूएमएस तकनीक का प्रयोग करने वाला देश का पहला हवाई अड्डा बन गया है, जो रनवे के दोनों किनारों पर लगाई गई है। इस तकनीक को बंगलुरू की सीएसआईआर- राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशालाओं (एनएएल) द्वारा विकसित किया गया है। इसके अलावा, केआईए ने रनवे दृश्यता रेंज (आरवीआर) के आकलन के लिए भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के साथ मिलकर एनएएल द्वारा विकसित चार दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर भी लगाए हैं। केआईए के लिए अपने रनवे पर एनएएल का 50वां दृष्टि लगाना विशेष सम्मान की बात है। दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर को सटीक सूचनाएं देने के लिए खासी सराहना मिली है, जिससे पायलटों को सटीक रनवे दृश्य रेंज देखने में सहायता मिल रही है। वेब सक्षम विशेषता के साथ, डाटा का हासिल किया जा सकता है और किसी स्थान से इसका रखरखाव किया जा सकता है। इसके अलावा, एनएएल द्वारा डिजाइन किया गया 10 मीटर ऊंचा मास्ट, जिस पर एडब्ल्यूएमएस सेंसर लगे होते हैं, अपने आप में अनूठा है। यह 60 साल के जीवनकाल के साथ ही पर्यावरण अनुकूल और हल्के वजन का है। स्लाइडिंग मेकैनिज्म की खास विशेषता के चलते इसका रखरखाव खासा आसान है, जो रनवे पर व्यस्त यातायात को देखते हुए खासी उपयोगी है। दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर के लिए विनिर्माण तकनीक टाटा पावर कंपनी लिमिटेड – स्ट्रैटेजिक इंजीनियरिंग डिवीजन, बेंगलुरू को हस्तांतरित कर दी गई है।

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(विमानन मौसम निगरानी प्रणाली)              (दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर)

हाई-पावर-बैंड, 2.6 एमडब्ल्यू, मैग्नेट्रॉन

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एक उच्च स्तरीय वैक्यूम ट्यूब मैग्नेट्रॉन मेडिकल लिनैक (लीनियल एक्सेलेरेटर) के लिए आवश्यक अंग है, जिसे कैंसर के मरीजों के बाह्य विकिरण उपचार के लिए खासा उपयोगी है। सीएसआईआर- सीईईआरआई ने हाल में 2.6 एमडब्ल्यू एस-बैंड ट्यूनेबल पल्स्ड मैग्नेट्रॉन को डिजाइन और विकसित किया था, जिसका कैंसर के उपचार के लिए एक लिनैक प्रणाली का उपयोग करते हुए आवश्यक एक्स-रे डोज पैदा करने के लिए एक माइक्रोवेव स्रोत के रूप में सफल परीक्षण और उपयोग किया गया था। 14 जुलाई, 2020 को एस-बैंड मैग्नेट्रॉन के लिए तकनीक जानकारी एम/एस पैनेशिया प्रा. लि., बंगलुरू को हस्तांतरित कर दी गई, जिसे कैंसर के उपचार के लिए उन्नत रेडियोथेरेपी सिस्टम के विकास के लिए जाना जाता है।

 

22 तत्वों के लिए मृदा की नेशनल जिओकेमिकल मैपिंग (एनजीसीएम) के अंतर्गत जिओकेमिकल बेसलाइन एटलस

ऊपरी और नीचे की मिट्टी में ऑक्साइड के भू रासायनिक मानचित्र और तत्वों की निगरानी के साथ महाद्वीपीय स्तर पर पहला “भारत का भू रासायनिक आधारभूत मानचित्र” तैयार किया गया। यह काम इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जिओलॉजिकल साइंसेस (आईयूजीएस) ग्लोबल जिओकेमिकल बेसलाइन प्रोग्राम के साथ भागीदारीपूर्ण कार्य का हिस्सा है, जहां सीएसआईआर- एनजीआरआई को भारत में ऐसे अध्ययन कराने के लिए प्रमुख एजेंसी के रूप में चिह्नित किया गया है और इस क्रम में मृदा नमूनों में 22 तत्वों के लिए मानचित्र तैयार किए गए हैं।

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भारतीय हिमालयी क्षेत्र में ऐसाफोटिडा (हींग) की खेती की शुरुआत

क्षेत्र में शीत मरुस्थल में व्यापक ऊसर भूमि का उपयोग करते हुए ऐसाफोतिदा (हींग) की खेती की शुरुआत के साथ हिमाचल प्रदेश के दूरदराज इलाके में स्थित लाहौल स्पीति के किसानों की खेती के तरीकों में ऐतिहासिक बदलाव किया गया है। इन प्रयासों के साथ, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को समर्थन दिया जा रहा है, जो एसाफोटिदा के बीच लाए और कृषि तकनीक विकसित की है। चूंकि हींग भारतीय रसोई का अहम अंग है, इसलिए सीएसआईआर-आईएचबीटी के दल ने उचित चैनल के माध्यम से देश में इस अहम फसल को पेश करने की दिशा में अथक प्रयास किए हैं और आखिरकार संस्थान से आईसीएआर- राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (आईसीएआर-एनबीपीजीआर), नई दिल्ली के माध्यम से ईरान से लाए छह बीज उपयोग के लिए पेश किए हैं।

सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने 15 अक्टूबर, 2020 को लाहौल स्पीति के क्वारिंग ग्राम में एक किसान के खेत में पहली पौध लगाकर भारत में एसाफोटिदा की खेती का शुभारम्भ किया था।

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स्टार्टअप्स की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए फूड बिजनेस एक्सेलेटर

सीएसआईआर-सीएफटीआरआई ने परिसर में स्टार्टअप नवाचार व्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए अगस्त, 2020 में एक “फूड बिजनेस एक्सेलेटर” का शुभारम्भ किया। केन्द्र का लक्ष्य संभावित उद्यमियों और स्टार्टअप को एक साल या ज्यादा अवधि के लिए एक्सेलेटर फैसिलिटी का हिस्सा बनाकर अवसर उपलब्ध कराना है। ये कंपनियां उत्पाद विकास, परिचालन के विस्तार, अपने उत्पादों के व्यावसायीकरण के लिए पैकेजिंग और शेल्फ लाइफ अध्ययन की संभावनाएं तलाश सकती हैं। इसमें विशेषज्ञ निगरानी सत्र भी उपलब्ध होंगे।

 

फाउंडेशन फॉर एयरोस्पेस इनोवेशन, रिसर्च एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एफएआईआरई) की स्थापना की जा रही है

सीएसआईआर-एनएएल, बंगलुरू में एनआरडीसी और एफआईएसई द्वारा एयरोस्पेस और सहायक इंजीनियरिंग के लिए गैर लाभकारी तकनीक व्यवसाय इनक्यूबेटर के रूप में फाउंडेशन फॉर एयरोस्पेस इनोवेशन, रिसर्च एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एफएआईआरई) की स्थापना की जा रही है। सीएसआईआर-एनएएल से मिली सुविधाओं, तकनीक, जानकारियों आदि को उत्पादों और सेवाओं की पेशकश के लिए संभावित स्टार्टअप्स और एमएसएमई के व्यावसायिक दोहन में इस्तेमाल किया जाएगा।

 

अगली पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण समाधान के लिए सीएसआईआर नवाचार केन्द्र (आईसीईएनजीईएसएस) की पेशकश

सीएसआईआर ने अगली पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण समाधान के लिए सीएसआईआर नवाचार केन्द्र (आईसीईएनजीईएसएस) के नाम से एक मिशन मोड परियोजना का शुभारम्भ किया है और इसे सीएसआईआर-सीईसीआरआई, चेन्नई केन्द्र से कार्यान्वित किया जा रहा है। नई पीढ़ी की लिथियम-आयन, सोडियम आयन, लिथियम-सल्फर और मेटल एयर बैटरी टेक्नोलॉजिस जैसी बैटरी प्रणालियों में सीईसीआरआई के प्रमुख अनुसंधान ने सीएसआईआर मद्रास कॉम्पलेक्स, चेन्नई में अगली पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण समाधान के लिए सीएसआईआर नवाचार केन्द्र की स्थापना के अपने सफर में लंबी छलांग लगाई है।

 

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