सूचना और प्रसारण मंत्रालय
"ध्वनि के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है, विशेष रूप से प्राकृतिक और
वायुमंडलीय ध्वनियों के प्रति क्योंकि वे कथा को भावपूर्ण बनाती हैं": प्रो. मधु अप्सरा, एसोसिएट प्रोफेसर, एफटीआईआई
एक फिल्म में दर्शकों को वास्तविकता का अनुभव कराने के लिए ध्वनियां महत्वपूर्ण है; ध्वनि और संवाद का सिनेमा में होने वाले कार्यकलापों के साथ तालमेल होना चाहिए
Posted On:
19 JAN 2021 5:52PM by PIB Delhi
एफटीआईआई के ध्वनि रिकॉर्डिंग और डिज़ाइन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर मधु अप्सरा ने कहा कि एक फिल्म में दर्शकों को वास्तविकता का अनुभव कराने के लिए ध्वनियां महत्वपूर्ण है; ध्वनि और संवाद का सिनेमा में होने वाले कार्यकलापों के साथ इस तरह से तालमेल होना चाहिए कि उनमें अंतर न दिखाई दे। उन्होंने कहा कि ज़रूरत के मुताबिक बेहतर गुणवत्ता के लिए ध्वनियों के लिए सुझाव देना आवश्यक है ।
उन्होंने यह विचार गोवा में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 51वें संस्करण में ओटीटी मंच के माध्यम से फिल्म प्रशंसा सत्र के एक अंग के रूप में ‘सिनेमा में ध्वनि रूपरेखा’ पर अपने व्याख्यान में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि "ध्वनि के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है, विशेष रूप से प्राकृतिक और वायुमंडलीय ध्वनियों के प्रति क्योंकि वे कथा को भावपूर्ण बनाती हैं।" उन्होंने माइक्रोफोन की जांच करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सभी ध्वनियों को एक साथ नहीं दिया जा सकता है। आवश्यकतानुसार, इन ध्वनियों को जहां भी जरूरी हो, बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि एक ध्वनि रिकार्डर को बेहतर ध्वनि प्रभाव उत्पन्न करने के लिए रिकॉर्डिंग उपकरणों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि प्रत्येक ध्वनि में एक विशेष अभिव्यक्ति होती है और किसी भी ध्वनि को व्यर्थ नहीं माना जा सकता है।
वांछित प्रोडक्शन प्रभावों को लाने के लिए बेहतर ध्वनि डिजाइन की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रो. अप्सरा ने कहा कि संपादन करते समय सभी ध्वनियों को एक साथ मिलाना एक अच्छा अभ्यास नहीं है। उन्होंने किसी भी ऐसे किसी भी संगीत का उपयोग न करने को कहा जो किसी माहौल या अवसर के साथ तालमेल नहीं रखता हो, क्योंकि उस समय पर कहानी की विषयपरकता नहीं अपितु भावनात्मक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। कहानी से हटे बिना उस दृश्य का अनुभव करना मायने रखता है। ध्वनि फिल्म में पूरी तरह से 'भाव क्रम' अथवा पूर्ण अनुभव को बढ़ावा देता है। प्रो. अप्सरा ने कहा कि प्रत्येक ध्वनि दृश्य के साथ जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि फोली साउंड डिजाइन में लय महत्वपूर्ण है, जो एक अनूठी ध्वनि तकनीक है जिसके माध्यम से फिल्मों और टेलीविजन शो के लिए प्रतिदिन ध्वनियां बनाना और प्रदर्शन करना शामिल है।
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