सूचना और प्रसारण मंत्रालय

 ‘इन आवर वर्ल्ड’ में एक ऐसी दुनिया का विज़न प्रस्तुत किया गया है, जो ‘स्वलीन (औटिस्टिक) बच्चों की दुनिया’ और बाकी की ‘हमारी’ दुनिया के बीच प्रेम का पुल बना सकता है: निर्देशक और निर्माता श्रीधर


हमारी फिल्म, दुनिया को उस दर्द को जानने और महसूस करने का मौका देती है, जिसे स्वलीन (औटिस्टिक) बच्चों के माता-पिता सहते हैं: ‘इन आवर वर्ल्ड’ के निर्देशक और निर्माता श्रीधर

‘पिंकी ऐली?’ में, अनुभवी लोग उन लोगों के साथ स्क्रीन साझा करते हैं, जिन्होंने कैमरे का पहले कभी सामना नहीं किया है: निर्देशक पृथ्वी कोंननूर

"मैंने कहा कि मैं केवल एक ही काम जानती हूं, बच्चों की देखभाल करना; लेकिन फिर मुझे सिनेमा में भी ऐसा ही करने के लिए कहा गया: “पिंकी ऐली? की अभिनेत्री, गुंजलम्मा

"जिस तरह से हम अभी जीते हैं वह बताता है कि दो अलग-अलग दुनिया है –एक ‘उनलोगों’ की और एक ‘हमारी’, जहाँ हम उन्हें अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं। हमारी फिल्म वह खिड़की है, जिससे हम एक ऐसी दुनिया को देखते हैं, जिसे हमें अपने सभी गैर-संपर्कवादी तरीकों के साथ प्यार से समझने की जरूरत है, , ताकि हम उन्हें अपनी दुनिया में शामिल करने के लिए एक रास्ता तैयार कर सकें, जहां हम सभी प्यार और आपसी सम्मान के साथ रहते हैं।” यह बात आज ‘इन आवर वर्ल्ड’’ के निर्देशक श्री बी.एस. श्रीधर ने 51वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आयोजन के दौरान कही। इस फिल्म को 51वें आईएफएफआई के वृतचित्र श्रेणी के लिए चुना गया है, जो स्वलीन (औटिस्टिक) बच्चों की दुनिया के बारे में है। महोत्सव के चौथे दिन (19 जनवरी, 2021) श्रीधर, ‘पिंकी ऐली’ के निर्देशक पृथ्वी कोंननूर व अभिनेत्री सुश्री गुंजलम्मा के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। ‘पिंकी ऐली’ फिल्म को 51वें आईएफएफआई के भारतीय पैनोरमा श्रेणी के लिए चुना गया है।

"हमारी फिल्म, दुनिया को उस दर्द को जानने और महसूस करने का मौका देती है, जिसे स्वलीन (औटिस्टिक) बच्चों के माता-पिता सहते हैं।" फिल्म बनाने के पीछे अपनी प्रेरणा को साझा करते हुए, श्री श्रीधर ने कहा: “बच्चे प्यार पाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें लोगों के साथ संवाद करना मुश्किल लगता है। इस बात ने मुझे प्रेरणा दी कि मुझे इन लोगों का संदेशवाहक होना चाहिए। टीम को आज जो पहचान मिली है, इसके लिए मैं तीन स्वलीन (आटिज्म) बच्चों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। माता-पिता का भी शुक्रिया, क्योंकि उन्होंने मुझे दुनिया को संदेश देने का माध्यम बनने की अनुमति दी।”

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भारतीय पैनोरमा गैर-फ़ीचर श्रेणी में 51 मिनट का यह वृतचित्र, बिना किसी वॉइस ओवर में, तीन स्वलीन बच्चों और उनके परिवारों की दुनिया को दिखाता  है और ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) की बारीक समझ प्रस्तुत करता है। यह तीन बच्चों की कथाओं के माध्यम से, स्वलीनता के कई आयामों को दिखाते हुए एक मानवीय चेहरा प्रस्तुत करता है। श्री बी.एस. श्रीधर ने कहा, "मैं उन्हें सामान्य बच्चों के रूप में दिखाना चाहता था। इनमें व्यवहार संबंधी कुछ दिक्कतें होती हैं, लेकिन कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे 'सामान्य' समाज में उन्हें शामिल करने के लिए संभाला या निबटा नहीं जा सके।"

इस फिल्म का प्रीमियर 18 जनवरी, 2021 को 51वें आईएफएफआई, गोवा में किया गया था। वृतचित्र का निर्देशन और निर्माण श्रेड क्रिएटिव लैब के फिल्म निर्माता श्रीधर बीएस द्वारा किया गया है, जो रचनात्मक उत्कृष्टता के लिए 43 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के विजेता हैं।

'पिंकी ऐली?' के निर्देशक पृथ्वी कोंननूर ने कहा, "यह फिल्म एक सामाजिक थ्रिलर है, और बेंगलुरु के शहरी परिवेश के बच्चों के बारे में है। फिल्म में सिर्फ दो पेशेवर कलाकार हैं, जबकि बाकी ऐसे हैं जिन्होंने कभी किसी फिल्म में अभिनय नहीं किया है। यह काल्पनिक कहानी के रूप में एक संपूर्ण काम है। वास्तविक रूप और अनुभव देने के लिए हमने पूरी फिल्म को हैण्डहेल्ड कैमरे से शूट किया है। फिल्म गुमशुदा बच्चे के बारे में है, लेकिन मुख्य ध्यान उन पात्रों पर है जो बच्चे के आस-पास होते हैं। हमें खुशी है कि फिल्म को अब तक बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।”

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सुश्री गुंजालम्मा, जिन्होंने पहली बार अभिनय किया है और नौकरानी सनम्मा की भूमिका निभाई है, ने भूमिका को निभाते समय अपने डर और संदेह के बारे में बात की। “जब मुझसे फिल्म के लिए संपर्क किया गया, तो मैंने कला निर्देशक रामचंद्रन से कहा कि मुझे केवल एक ही काम आता है, वह है बच्चों की देखभाल करना। लेकिन उन्होंने मुझे सिनेमा में भी ऐसा ही करने के लिए कहा। मैं शुरू में बहुत डरी हुई थी।”

महोत्सव में भाग लेने के निमंत्रण के बारे में उन्होंने कहा, “मैंने तीन दिनों के लिए खाना छोड़ दिया था, जब मुझे बताया गया कि मुझे हवाई जहाज से गोवा जाना है। जब मैं फिल्म महोत्सव में आयी तो अपनी तस्वीरें लेते हुए देख कर मैं आश्चर्य से भर गयी। स्क्रीनिंग के बाद, मुझे अपने प्रदर्शन के लिए दर्शकों से बहुत सराहना मिली। मैं बहुत खुश हूं।”

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‘इन आवर वर्ल्ड’ के बारे में

‘इन आवर वर्ल्ड’ तीन स्वलीन (ऑटिस्टिक) बच्चों के जीवन का दस्तावेज है, जिसमें उनकी दिन-प्रतिदिन की वास्तविकता का पता लगाया गया है, उनकी दुनिया को सामने लाया गया है और सूक्ष्म समझ को प्रकट किया गया है,  ताकि हम सभी प्यार और सम्मान के साथ एक-साथ रह सकें। माता-पिता और चिकित्सक के गहन साक्षात्कार; उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियाँ जैसे तैराकी कक्षाएं, घुड़सवारी और संगीत पाठ; माता-पिता के साथ उनके विशेष क्षण - सभी एक कथा में परिवर्तित हो जाते हैं, जो हमें आशान्वित करते हैं।

फिल्म उनके अनुभवों, उनकी दैनिक बातचीत और प्रयासों का चित्रण करता है, ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि उन्हें सहानुभूति की आवश्यकता नहीं है; बल्कि वे जैसे भी हैं, उन्हें समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है। उनकी दुनिया को समझने की जरूरत है, ताकि हम सम्मान, प्रेम और समानता की भावना रखते हुए एक साथ रह सकें।

पिंकी ऐली? के बारे में

पृथ्वी कोंननूर द्वारा निर्देशित कन्नड़ फिल्म पिंकी ऐली? (पिंकी कहाँ है?), के मुख्य पात्र हैं - अक्षता पांडवपुरा, दीपक सुब्रमण्य, अनूप शून्य और रामचंद्र होसुर। फिल्म एक लापता शिशु की खोज के दौरान सामने आये रहस्यों और आश्चर्य के बारे में है।

यह ‘रेलवे चिल्ड्रन’ के निर्देशक की नई फिल्म है, जिसमें बेंगलुरु शहर की पृष्ठभूमि है। यह माता-पिता के दुःस्वप्न से शुरू होता है, लेकिन बाद में कुछ और होने का पता चलता है - एक संवेदनहीन समाज का सूक्ष्म चित्रण, जो हृदयहीन अपराध की ओर ले जाता है।

यह फिल्म पृथ्वी कोंननूर की तीसरी फीचर फिल्म है और इसकी पृष्ठभूमि में बेंगलुरु शहर है। यह एक कामकाजी महिला बिंदूश्री के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी नौकरानी सनम्मा की देखभाल में अपनी आठ महीने की बेटी पिंकी को छोड़ देती है। बिन्दुश्री को पता नहीं है कि सनम्मा पिंकी को एक रिश्तेदार, अनसूया को दे रही है, जो शिशु का उपयोग ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने के लिए करती है।

पिंकी एक दिन लापता हो जाती है, सनम्मा और अनसूया दहशत में आ जातीं हैं। फिल्म एक सामाजिक यथार्थवादी नाटक है और साथ ही एक सस्पेंस थ्रिलर भी है। पिंकी की भूमिका में कई आश्चर्य हैं और पुलिस जांच के दौरान प्रत्येक पात्र का रहस्य सामने आता है।

पिंकी ऐली की कहानी बच्चों को किराए पर दिए जाने संबंधी अखबार की खबरों से प्रेरित है और यह कहानी कोंननूर के साथ चार सालों से थी। कहानी से फिल्म बनने में थोड़ा समय लगा।

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