सूचना और प्रसारण मंत्रालय
यह सरफरोश-2 पटकथा का पांचवा संस्करण है जिसे अंतिम रूप दिया गया: अनुभवी फिल्म निर्माता और 51वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पैनोरमा खंड की निर्णायक समिति के अध्यक्ष जॉन मैथ्यू मैथन
"एक फिल्म-निर्माता आज रोमांटिक गाने रखने के लिए मजबूर नहीं है और यह अब फिल्म विपणन के लिये आवश्यक भी नहीं है"
"सरफरोश- 2 हमारे केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल-सीआरपीएफ कर्मियों के लिए समर्पित है"
"मैंने अपनी फिल्मों के लिए सामग्री की तलाश करने के लिये पूरे भारत की यात्रा की है।"
"किसी भी फिल्म निर्माता के लिए समाजशास्त्र और राजनीति के तत्वों को समझना महत्वपूर्ण है"।
“मुझे लगता है कि एक लेखक या निर्देशक को समाज के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। आप किसी को भी अपमानित किए बिना अपनी बात रख सकते हैं ”।
ये 51वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-आईएफएफआई में भारतीय पैनोरमा खंड की निर्णायक समिति के अध्यक्ष और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता फिल्म लेखक, निर्माता और निर्देशक जॉन मैथ्यू मैथन के शब्द हैं। वह गोवा में आयोजित होने वाले 51 वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के दौरान वर्चुअल माध्यम से फिल्म पत्रकार फरीदून शहरयार के साथ बातचीत कर रहे थे। वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस बातचीत में सत्र के का शीर्षक है-"डू यू हैव इट।"
श्री मैथन ने 1999 में प्रदर्शित फिल्म 'सरफरोश' के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था। इस फिल्म को उन्होंने निर्देशित और निर्मित किया और उन्होंने इस फिल्म की कहानी-पटकथा भी लिखी थी। इस फिल्म के बारे में बात करते हुए, 200 से अधिक फिल्मों के निर्माता ने कहा, “गानों का फिल्मों में एक उद्देश्य होता है। जिस समय यह फिल्म बनी थी, उस समय संगीत राजस्व की दृष्टि से एक बड़ा घटक था। मुझे फिल्म में दो रोमांटिक गाने रखने का विचार पसंद नहीं आया था।”
इस संदर्भ में, उन्होंने कहा, वर्तमान समय में, एक फिल्म-निर्माता को रोमांटिक गाने रखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है क्योंकि अब यह फिल्म विपणन की आवश्यकता भी नहीं है। फिल्म के गानों पर विचार करते हुए, उन्होंने खुलासा किया: “बहुप्रतीक्षित ग़ज़ल होश वालों को ख़बर क्या महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसने एक दोहरे संदेश को व्यक्त किया। इसने भारत-पाकिस्तान की स्थिति पर प्रकाश डाला, इसके अलावा फिल्म को प्रेम-कहानी से भी जोड़ा। अब, जब मैं सरफरोश-2 बना रहा हूं, तो मैं गानों की संख्या कम रख सकता हूं।
सरफरोश -2 की पटकथा लिखते समय उसमें जो पुनरावृति हुई, उसे रेखांकित करते हुए, श्री मैथन ने कहा: “मैंने इसे अंतिम रूप देने से पहले लगभग 5-6 बार सरफरोश-2 की पटकथा लिखी थी। जब मैंने पटकथा लिखी, मैंने इसकी आलोचना को देखा और इसे अलग रखा। 5-6 महीनों के बाद, मैंने इसे फिर से लिखना शुरू किया और नई खामियो को देखा। यह वास्तव में सरफरोश -2 की पांचवीं पटकथा है जिसे अंतिम रूप दिया गया है। फिल्म निर्माता ने कहा, "आपके पास अच्छे दोस्त होने चाहिये, जिनकी आलोचना आपके लिए महत्वपूर्ण हैं।"
सरफरोश-2 के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के बारे में है। "इस फिल्म में यह दिखता है कि विभिन्न समस्याओं के बावजूद भारत की सुरक्षा किस तरह से मजबूत है।" उन्होंने बताया कि वह केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल-सीआरपीएफ कर्मियों को फिल्म समर्पित कर रहे हैं, जो इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
एक मलयाली होने के बावजूद उर्दू शायरी के लिए उनकी मजबूत पसंद के बारे में उन्होंने कहा, “उर्दू एक सुंदर भाषा है। अपने मुस्लिम मित्रों के माध्यम से मेरी उर्दू शायरी और ग़ज़लों के लिए रुचि और पसंद बढी है। स्वर्गीय शफी इनामदार मैथन के दोस्त थे। जब उनसे उनकी भाषा के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह मलयालम है - “मेरे विचार मलयालम में आते हैं, लेकिन मैं मलयालम में नहीं लिख सकता। मैं रोमन लिपि का उपयोग करके हिंदी में लिखता हूं ”।
श्री मैथन ने यह भी बताया, "फिल्म बनाना एक जोखिम भरा व्यवसाय है"। किसी विशेष फिल्म के मामले में, मैथन अपना ऋण वापस कर सकते थे और उन्हे कुछ नुकसान भी उठाना पडा था।
अनुभवी फिल्म निर्माता की पसंद का विषय धर्म का विकास है और इसने मानव जाति को कैसे प्रभावित किया है। उन का मानना है कि इंटरनेट तक पहुंच के साथ जीवन अब बहुत आसान हो गया है। भारतीय पानरोमा खंड की निर्णायक समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने अनुभव के बारे में बताते हुए, वे कहते हैं, "मैंने 180 फिल्में देखीं और महसूस किया कि हम लोगो में कितनी विविधता है।" उन्होंने कहा, भारत एक उत्साह से भरा लोकतांत्रिक देश है। उन्होने कहा, "यह एक गले लगा कर प्यार करने वाला देश है।"
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