प्रधानमंत्री कार्यालय

नीली अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण स्रोत होने जा रही हैं: प्रधानमंत्री


तटीय क्षेत्रों का विकास तथा मेहनतकश मछुआरों का कल्याण सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में एक: प्रधानमंत्री

Posted On: 05 JAN 2021 4:28PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि तटीय क्षेत्रों का विकास तथा मेहनतकश मछुआरों का कल्याण सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में एक है। प्रधानमंत्री ने नीली अर्थव्यवस्था को बदलने, तटीय अवसंचरना को सुधारने तथा मरीन इकोसिस्टम को संरक्षित करने के लिए तटीय क्षेत्र विकास की बहुमुखी योजनाओं को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने तटवर्ती राज्य केरल तथा कर्नाटक की चर्चा करते हुए विस्तार से तेज और संतुलित तटीय क्षेत्र विकास के अपने विजन को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, केरल तथा अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तटीय राज्यों में नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए व्यापक योजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण स्रोत होगी। बंदरगाहों तथा तटीय सड़कों को कनेक्ट किया जा रहा है और इसका फोकस मल्टीमोड कनेक्टिविटी पर है। उन्होंने कहा कि हम अपने तटीय क्षेत्र को जीवन यापन की सुगमता तथा व्यापार-सुगमता के रोल मॉडल में बदलने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने तटीय क्षेत्रों के मछुआरा समुदाय की चर्चा की जो न केवल समुद्री धन पर निर्भर हैं बल्कि इसके रक्षक भी। सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इन कदमों में गहरे समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की सहायता, अलग मछली पालन विभाग, किफायती ऋण प्रदान करना तथा मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है। इससे उद्यमियों तथा सामान्य मछुआरों को मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने हाल में लॉन्च की गई 20 हजार करोड़ रुपये की मत्स्य संपदा योजना की भी चर्चा की। इस योजना से केरल तथा कर्नाटक में लाखों मछुआरे प्रत्यक्ष रूप से  लाभान्वित होंगे। भारत मछली उत्पाद निर्यात में तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत को गुणवत्ता सम्पन्न सी फूड प्रोसेसिंग हब में बदलने के सभी कदम उठाए जा रहे हैं। भारत समुद्री शैवाल की बढ़ती मांग पूरी करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है, क्योंकि किसानों को समुद्री शैवाल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

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