सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा-2020: सूक्ष्म, लघु (एवं) मध्यम उद्यम मंत्रालय


वर्ष 2020 में एमएसएमई क्षेत्र में कई अग्रणी कार्यक्रमों की शुरूआत की गई

50 हजार करोड़ रूपए की इक्विटी पूंजी सहायता का लाभ उठाने के लिए 10 हजार करोड़ रूपए की फंड ऑफ फंड योजना की शुरूआत

एमएसएमसई की परिभाषा को विस्तृत कर विस्तार के लिए सक्षम बनाया गया, उद्यम के माध्यम से पंजीकरण को सरल बनाया गया

एमएसएमई को अवसरों का लाभ उठाने के लिए सहायता देने हेतु आईसीटी पर आधारित चैपिंयन पोर्टल की शुरूआत

Posted On: 31 DEC 2020 2:53PM by PIB Delhi

वर्षांत समीक्षा- 2020

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने वर्ष 2020 के दौरान कई अग्रणी और महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की। इनमें फंड ऑफ फंड के द्वारा वित्तीय सहायता प्रकिया, एमएसएमई की परिभाषा का विस्तार, एमएसएमई के मामलों का समाधान करने के लिए आईटी आधारित चैंपियन प्लेटफार्म की शुरुआत, खादी और ग्रामोद्योग के बीच उद्यमशीलता और स्वरोजगार को प्रोत्साहन सम्मिलित हैं। मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 की विभिन्न पहलों का विवरण निम्नलिखित है-

  1. आत्मनिर्भर भारत पहल
  1. संकटग्रस्त परिसंपत्ति फंड-एमएसएमई के लिए उप-ऋण- उप-ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएसएसडी)
  • 26 जून 2020 को संकटग्रस्त एमएसएमई को पूंजीगत समर्थन देने के लिए उपऋण के रूप में 20 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा 4 हजार करोड़ की सहायता दी गई है। इस वर्ष नवंबर 2020 तक 121 ऋणधारकों को 12.49 करोड़ रूपए की गारंटी दी गई ।

ii) एमएसएमई के लिए फंड ऑफ फंड योजना

  • एमएसएमई के लिए 50 हजार करोड़ रूपए की इक्विटी सहायता देने के लिए 10 हजार करोड़ रूपए की राशि से आत्मनिर्भर भारत (एसआरआई) फंड (एमएसएमई योजना के लिए फंड ऑफ फंड योजना) के दिशा निर्देश 5 अगस्त, 2020 को जारी किए गए। निधि प्रबंधन के लिए कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत राष्ट्रीय लघु उद्योग कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएसआईसी) की सहायक कंपनी एनएसआईसी वेंचर कैपिटल फंड लिमिटेड (एनवीसीएल) गठित की गई। एसआरआई फंड को क्रियाशील करने के लिए मंत्रालय कदम उठा रहा है।
  1. एमएसएमई की नयी परिभाषा और उद्यम पंजीकरण
  • एमएसएमई मंत्रालय ने 26 जून, 2020 को अधिसूचना संख्या एस ओ 2119 (ई) द्वारा सयंत्र, मशीन और उपकरण में निवेश और एमएमएमई के टर्नओवर के आधार पर एमएमएमई वर्गीकरण के आधार पर संयुक्त मानदंड अधिसूचित किए। एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए संयुक्त मानदंड संबंधी दिशानिर्देश https://msme.gov.in/sites/default/files/IndianGazzate.pdf. पर उपलब्ध हैं।
  • वर्गीकरण के लिए संयुक्त मानदंड के आधार पर मंत्रालय ने पूर्व में मंत्रालय द्वारा विकसित किए गए पोर्टल पर उद्यम पंजीकरण द्वारा उद्योग आधार पत्रक दाखिल करने की प्रकिया में बदलाव कर दिया है। अब वर्तमान और आगामी उद्यमी उद्यम पंजीकरण पोर्टल https://udyamregistration.gov.in. पर दर्ज कर सकते हैं।
  • वर्गीकरण मानदंड के परिणामस्वरूप उद्यमियों को निम्नलिखित मानदंड के आधार पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम में वर्गीकृत किया जाएगा।
  1. सूक्ष्म उद्यम-संयत्र, मशीन और उपकरणों पर निवेश एक करोड़ से अधिक न हो और टर्नओवर पांच करोड़ से अधिक न हो।
  2. लघु उद्यम- सयंत्र, मशीन और उपकरणों पर निवेश 10 करोड़ रूपए से अधिक न हो और टर्नओवर 50 करोड़ से अधिक न हो।
  3. मध्यम उद्यम -सयंत्र, मशीन और उपकरणों पर निवेश 50 करोड़ रूपए से अधिक न हो और टर्नओवर 250 करोड़ से अधिक न हो।
  • नया वर्गीकरण 1 जुलाई, 2020 से प्रभावी हुआ। यह समयानुसार होने वाले परिवर्तन, वर्गीकरण की वस्तुगत प्रणाली स्थापित करने और व्यापार करने में सुगमता करने के उद्देश्य से किया गया। एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत एमएसएमई के वर्गीकरण के पूर्ववर्ती मानदंड सयंत्र, मशीन और उपकरणों के निवेश पर आधारित थी। इसके बाद से अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। यह निर्माण और सेवा इकाईयों के लिए विभिन्न हैं और वित्तीय सीमा के संबंध में बेहद कम था।
  • नए मानदंड से कई लाभ मिलने की आशा है जिससे एमएसएमई को विस्तार करने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही निर्यात के संबंध में टर्नओवर की सूक्ष्म, लघु या मध्यम श्रेणी की एमएसएमई इकाई की टर्नओवर की सीमा में गणना नहीं की जाएगी। यह व्यवसाय में सुगमता की दिशा में एक और कदम है। इससे निवेश को आकर्षित करने और एमएसएमई क्षेत्र में अधिक रोजगार सृजन में सहायता मिलेगी। एमएसएमई को वर्गीकृत करने के मानदंड में परिवर्तन से निर्यातकों को भी बड़ी राहत मिलेगी।

 

  1. चैंपियन पोर्टल
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जून, 2020 को चैंपियन पोर्टल का शुभारंभ किया। यह छोटी इकाईयों को सहायता प्रदान कर उन्हें बड़ा बनाने के लिए आईसीटी आधारित एक प्रौद्योगिकी प्रणाली है। यह पोर्टल एमएसएमई की वर्तमान स्थिति में सहायता करने के साथ-साथ उन्हें नए व्यापार अवसरों को हासिल करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।
  • हब और स्पोक मॉडल के आधार पर नियंत्रण कक्ष की श्रृंखला सृजित की गई है। इसमें एमएसएमई मंत्रालय के नई दिल्ली कार्यालय में हब स्थापित किया गया है जबकि राज्यों में मंत्रालय के विभिन्न कार्यालयों और संस्थानों में स्पोक स्थापित किए गए हैं।
  • नई दिल्ली में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष और 68 राज्यों में राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं जो बाजार पहुंच, प्रौद्योगिकी उन्नयन, वित्त और कौशल विकास आदि क्षेत्रों में एमएसएमई को स्थानीय स्तर पर हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं।
  • मंत्रालय अन्य सरकारी विभागों और मंत्रालयों से संबंधित शिकायतों का तेजी से समाधान करने के उद्देश्य से अन्य सरकारी विभागों को इसमें शामिल करने की प्रक्रिया में कार्यरत है। 16 मंत्रालय और विभाग तथा 25 राज्य सरकार प्लेटफॉर्म में अब तक सम्मिलित हो चुके हैं।
  • 54 बैंक/वित्तीय संस्थान/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/राज्य वित्तीय कार्पोरेशन और निजी क्षेत्र से संबधित 19 बैंक ऋण संबंधी पूछताछ के त्वरित समाधान के लिए पोर्टल में शामिल हैं।
  • 52 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) ने फास्ट ट्रैक आधार पर पूछताछ का समाधान करने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है।
  • जेम (गवर्नमेंट ई – मार्केटप्लेस) भी नोडल अधिकारी की नियुक्ति के साथ पोर्टल में शामिल है।
  • एमएसएमई इकाईयों को एमएसएमई से संबंधित योजनाओं को बेहतर समझाने में सहायता देने के लिए 750 अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) पोर्टल में शामिल किए गए हैं।
  • एमएसएमई समाधान और उद्यम पंजीकरण आदि विभिन्न पोर्टल के साथ चैंपियन पोर्टल को जोड़ा गया है।
  • विभिन्न विचारो और सुझावों से संबंधित प्रस्ताव एमएसएमई से प्राप्त हुए हैं।
  • 15 दिसंबर,2020 तक पोर्टल पर 25 हजार से अधिक पूछताछ और शिकायत दर्ज की गई। जिसमें से लगभग 98 प्रतिशत अर्थात 24,550 पूछताछ का उत्तर दिया गया और लगभग 450 पूछताछ का उत्तर प्रक्रिया मे है।
  • इन शिकायतों की आसानी से पहचान करने और बेहतर समाधान करने के लिए शिकायतों को विभिन्न श्रेणियों जैसे एमएसएमई योजना/यूएएम/उद्ययम पंजीकरण/एमएसएमई की परिभाषा, वित्त, एमएसएमई-डीआई और डीसी-एमएसएमई कार्यालय से संबंधित, आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत घोषित नई योजनाएं,सार्वजनिक सरकारी खरीद नीति,जांच और गुणवत्ता केंद्र में बांटा गया है।

4. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)

  • पीएमईजीपी एक मुख्य क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में पारंपरिक कारीगरों और बेरोजगार युवाओं की मदद करके गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्व-रोजगार के अवसर पैदा करना है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग(केवीआईसी) राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एंजेसी है। राज्य/जिला स्तर पर,केवीआईसी के राज्य कार्यालय,कॉयर बोर्ड,केवीआईबी और जिला उद्योग केंद्र(डीआईसी) क्रियान्यवन एंजेसी हैं।
  • पीएमईजीपी की शुरूआत वर्ष 2008-09 में हुई। कार्यक्रम के शुरूआत से 30 सिंतबर,2020 तक कुल 6.25 लाख सूक्ष्म उद्यमों को 14,500 करोड़ रूपए की मार्जिन मनी सब्सिडी दी गई है और 53 लाख लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है। सहायता प्राप्त इकाइयो में से 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और 50 प्रतिशत इकाई के स्वामी अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और महिला वर्ग से थी।
  • जनवरी 2020 से तीस नवंबर, 2020 तक 60,211 सूक्ष्म उद्यमों को 1743.84 करोड़ रूपए की मार्जिन मनी की सहायता दी गई और 4.81 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित किए गए।

 

नवीन शुरूआत:-

  • स्कोर कार्ड मॉडल पर पीएमईजीपी के अंतर्गत इकाई की स्थापना करने और चयन की गति बढ़ाने के लिए आवेदन के चयन में जिला स्तरीय कार्यदल समिति(डीएलटीएफसी) की भूमिका को समाप्त कर योजना की प्रक्रिया सरल बनाई गई है।
  • सभी राज्यों में पीएमईजीपी लाभकर्ताओं को सहायता और परामर्श देने के लिए विपणन और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का प्रावधान किया गया है।
  • आनलाइन उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम(ईडीपी)प्रशिक्षण पोर्टल की शुरूआत की गई और लाभकर्ताओं को वर्तमान में कोविड-19 की परिस्थिति को देखते हुए आनलाइन ईडीपी प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।
  • पीएमईजीपी इकाइयों को उत्पादों के विविधीकरण की अनुमति दी गई। इससे बाजार की आवश्यकताओं और वर्तमान में जारी कोविड-19 परिस्थिति के अनुसार इकाई की आर्थिक व्यावहारिकता में बढ़ोत्तरी होगी।
  • जियो-टैगिंग पोर्टल www.geotag.kvic.gov.in को तैयार किया गया और इसका संचालन किया जा रहा है। पीएमईजीपी के अंतर्गत स्थापित सूक्ष्म उद्यमों की जियो-मैपिंग की जाएगी। जिससे उनकी स्थान और इकाई की निगरानी आसानी से की जा सकेगी।

5. क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी - प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना (सीएलसीएस-टीयूएस) के तहत क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी घटक

  • जनवरी 2020 से 30 नवंबर 2020 तक 7500 एमएसई को लगभग 540 करोड़ रूपए जारी कर लाभ प्रदान किया गया।

6.सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी धन निधि (सीजीटीएमएसई):

  • जनवरी,2020 से 30 नवंबर,2020 तक कुल 8,99,377 गारंटी को अनुमति दी गई। इन गारंटी में 40,178.35 करोड़ की राशि सम्मिलित है।

7. एमएसएमई को वृद्धिशील ऋण के लिए ब्याज अनुदान योजना-2018

  • जनवरी,2020 से 30 नवंबर,2020 तक कुल 11,15,364 ऋणधारको को 337.32 करोड़ रूपए की राशि जारी की गई।

8. कलस्टर विकास योजना

  • जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020 के दौरान कुल 556.58 करोड़ रूपए की परियोजना लागत और 387.24 करोड़ रूपए की केंद्र सरकार की सहायता से 62 नई परियोजनाओं को अंतिम अनुमति दी गई। अनुपति प्राप्त योजनाओं में से 32 परियोजनाएं गुजरात,हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल,महाराष्ट्र,ओडिसा,नागालैंड,तमिलनाडु और तेलंगाना आदि राज्यों में सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) स्थापित करने के लिए हैं।शेष 30 परियोजनाएं नागालैंड,पंजाब,राजस्थान,तमिलनाडु और तेलंगाना में औद्योगिक संपदा में आधारभूत ढांचे के विकास(आईडी) से जुडी हैं।
  • वर्तमान में जारी 7 परियोजनाएं जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020 के दौरान पूरी हुई। स्थापित किए गए सीएफसी में काजू प्रसंस्करण क्लस्टर, कुमटा, उत्तर कन्नड, कर्नाटक, कपास फ्रैबिक क्लस्टर हथकंगले, कोल्हापुर, महाराष्ट्र और फार्मास्युटिकल क्लस्टर, कटक ओडिसा सम्मिलित हैं। चार आधारभूत ढांचा विकास परियोजनाओं की भी शुरूआत की गई।

9. स्फूर्ति (परंपरागत उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए निधि) कलस्टर

  • परंपरागत उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए निधि(स्फूर्ति) योजना के अंतर्गत वर्ष 2015 से 30 नवंबर 2020 तक 736.67 करोड़ रूपए की केंद्रीय सहायता द्वारा 317 क्लस्टर को मंजूरी दी गई। इनसे 1.88 लाख दस्तकारों को लाभ प्राप्त होगा। इनमें से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 65 क्लस्टर को अनुमति सम्मिलित है। 317 में से 78 क्लस्टर संचालित हो रहे हैं, इनमें से वर्ष 2019-20 में 55 क्लस्टर शुरू हुए।
  • जनवरी 2020 से नवंबर 2020 तक 124 स्फूर्ति क्लस्टर को मंजूरी दी गई।

10.  प्रौद्योगिकी केंद्र/टूर रुम:

18 एमएसएमई प्रौद्योगिकी केंद्र(टीसी) की जनवरी 2020 से 25 नवंबर 2020 तक की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं-

  • देश भर में 18 प्रौद्योगिकी केंद्रों ने 1,65,409 प्रशिक्षार्थी को प्रशिक्षण दिया और 28,226 इकाईयों को सहायता प्रदान की।
  • चमड़ा निर्यात परिषद ने 28 जनवरी, 2020 को आयोजित 53वें चमड़ा अनुसंधान-उद्योग बैठक के उद्घाटन समारोह में पुरस्कार वितरित किए। केंद्रीय फुटवियर प्रशिक्षण संस्थान (सीएफटीआई) ने विभिन्न श्रेणियों में 5 प्रथम पुरस्कार प्राप्त किए। सीएफटीआई चेन्नई ने सर्वश्रेष्ठ जूता डिजायन महिला और ट्रैंडी श्रेणी में एक पुरस्कार (प्रथम पुरस्कार) प्राप्त किया।

 

आत्मनिर्भर भारत पहल के भाग के रूप में आयात के विकल्प का विकास में सहायता

  • भुवनेश्वर स्थित केंद्रीय टूल रुम और प्रशिक्षण केंद्र (सीटीटीसी) ने विभिन्न भाग जैसे क्रिम्पिंग डाई, प्रोकार नीडल पार्टस, मैसर्स रोबोसर्ज मेडटेक प्राईवेट लिमिटेड के लिए रोबो सर्जरी में प्रयोग होने वाले कोरोनरी कनेक्टर्स का विकास और निर्माण किया है। नीडिल भाग आयात का विकल्प है और इसका चीन से आयात किया जाता है।
  • सीसीटीसी भुवनेश्वर ने भारत में निर्मित तेजस विमान (सिंगल इंजन, चौथी पीढी के हल्के लड़ाकू विमान) के लिए हाईड्रोलिक सिस्टम फिल्टर के कुछ हिस्से भी विकसित किए हैं।
  • भारत डेनमार्क टूल रुम(आईडीटीआर) जमशेदपुर ने निम्नलिखित भाग विकसित किए हैं-
  1. इस्पात उद्योग में निरंतर कास्टिंग प्रक्रिया में प्रयोग होने वाले जापान अल्टीमेट क्विक चेंजर(जेयूक्यूसी)
  2. इस्पात सयंत्र में लैडल से टूंडिस में मोल्टन इस्पात के 1550 डिग्री सेल्सियस में फ्लो को नियंत्रित करने में प्रयोग होने वाले एएल-90   स्लाइड गेट प्रक्रिया। इसे असेंबल करके परीक्षण किया जा रहा है। यह जेएसडब्लयू डोल्वी, महाराष्ट्र में 350टी क्षमता के सबसे बड़े लैडल में स्थापित किया जाएगा।
  3. टाटा स्टील लिमिटेड के लिए रिवर्स इंजीनियर द्वारा अरगॉन गैस इंजेक्टर्स में आटो कूपलर। पहले इसको मशीन टूल्स के निर्माता डीएमजी जर्मनी से आयात किया जाता था।
  4. टाटा रिफैक्ट्रीज लिमिटेड के लिए रिफैक्ट्ररी हैंडलिग फिक्चर(आयात विकल्प) यह फिक्चर 1500 डिग्री से अधिक के तापमान में एएल80 स्लाइड गेट प्रक्रिया में रिफैक्ट्ररी नॉजल को बदलने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
  • इंडो जर्मन टूल रुम(आईजीटीआर) इंदौर ने रुडकी स्थित मैसर्स यूरो लाइफ में 360 मिलीलीटर फ्लूड बोतल के लिए 14 कैविटी बॉडी मोल्ड(आयात विकल्प) का सफलतापूर्वक निर्माण किया है।
  • लुधियाना स्थिति केंद्रीय टूल रुम(सीटीआर) ने टैक्सटाइल मशीनरी भाग और निटिंग मशीनरी भाग(आयात विकल्प) में सामग्री और यांत्रिक प्रापर्टी की पहचान करने के लिए स्थानीय एमएसएमई इकाईयों को परीक्षण प्रयोगशाला की सुविधा प्रदान करने में सहायता की है।

एमएसएमई टीसी ने कोविड संबंधी विभिन्न हिस्सों/उत्पादों का विकास और निर्माण किया है और इनके घरेलू तथा स्वदेशी उत्पादन और विपणन के लिए इसको एमएसएमई के साथ सांझा किया है। इस संबंध में विवरण निम्नलिखित हैं-

  • पीपीई किट के कुछ भाग का निर्माण। इसके साथ ही एमएसएमई-टीसी मेरठ में पीपीई किट की जांच के लिए एनएबीएल मान्यताप्राप्त जांच सुविधा उपलब्ध है।
  • कोरोना जांच किट के कुछ भाग का निर्माण। यह किट कोविड-19 में पॉलीमर्स चेन रियक्शन(पीसीआर) जांच के लिए स्वदेशी मशीन है।
  • आटोमैटिक सैनिटाइजर मशीन/फुल बॉडी सैनिटाइजर टनल/ हाथ सैनिटाइज करने के लिए यूवी(अल्ट्रा वायलट)सैनिटाइजेशन उपकरण/कार्यालय और कक्षा के कमरों के सैनिटाइजेशन के लिए यूवी डिसइनफेक्ट टॉवर/ फाइल के लिए यूवी सैनिटाइजेशन लकड़ी के बॉक्स/एमएसएमई-टीसी कन्नौज में एल्कोहॉल आधारित हाथ के सैनिटाइजर के साथ जांच की सुविधा/हाथ सैनिटाइज करने के लिए डिस्पेंसर यूनिट/सुरक्षित चश्मे/फेस शील्ड/आईआर(इंफ्रा रेड) थर्मामीटर/मेडिकल गाउन/सैनिटाइजर बॉटल पंप(7 भाग)/हैंड सैनिटाइजेशन में प्रयोग करने के लिए प्लाॉज्मा एक्टिवेटेड ओजोन सेनिटाइजर के लिए प्रोटोटाइप विकास/पल्स आक्सी मीटर का प्रोटोटाइप विकसित करने की प्रक्रिया जारी/नॉन-एनवैसिव सीपीएपी टाइप वैटिलेंटर मशीन आदि।
  • रामनगर स्थित इलेक्ट्रोनिक्स सर्विस और ट्रेनिंग सेंटर(ईएसटीसी) द्वारा विकसित नवाचार उत्पाद यूवी सैनिटाइजेशन लकड़ी के बॉक्स को https://www.agnii.gov.in/innovation/uv-sanitization-box में शामिल किया गया है। अग्नि मिशन मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार की प्रमुख पहल में सम्मिलित है और यह प्रधानमंत्री की विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद(पीएम-एसटीआईएसी) के अंतर्गत नौ प्रौद्योगिकी मिशन में से एक है।
  • अधिकतर टीसी द्वारा उद्योगों की आवश्यकता के आधार पर कई वेबिनार आयोजित की गई हैं। इनमें आमने-सामने बैठ कर पढ़ाई करने से ऑनलाइन पढ़ाई में बदलने, कोविड-19 महामारी के बाद उद्योगों को फिर से शुरू करने के लिए प्राथमिकता और प्रक्रिया, एमएसएमई स्टॉर्टअप,छात्रों,शैक्षिक वर्ग,फैकल्टी और उद्योग के लिए जूता निर्माण इकाई को फिर से खोलने के लिए तैयारी शामिल है।

11. प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रम(टीसीएसपी)

  • वर्तमान में प्रौद्योगिकी केंद्र(टीसी) के सफलतापूर्वक संचालन और प्रौद्योगिकी केंद्र(टूल रूम और प्रौद्योगिकी विकास केंद्र) के नेटवर्क का विस्तार और उच्चीकृत करने के उद्देश्य से एमएसएमई मंत्रालय ने 2200 करोड़ रुपए की लागत से प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रम(टीसीएसपी) की शुरूआत की है। इसके अंतर्गत देश भर में 15 नए प्रौद्योगिकी केंद्र(टीसी) की स्थापना और वर्तमान के टीसी को उच्चीकृत किया जाएगा।
  • टीसीएसपी की संकल्पना देश में एमएसएमई के लिए नवीन परितंत्र सृजित करने के लिए की गई है।
  • कार्यक्रम का क्रियान्यवन 15 जनवरी 2015 से किया गया।
  • 15 नए टीसी में से रोहतक, भिवाड़ी, बद्दी, बैंगलुरू, दुर्ग, पुदुचेरी, विशाखापट्टनम, सितारगंज, भोपाल, इंफाल, एर्नाकुलम, ग्रेटर नोएडा और कानपुर में 13 नए टीसी के निर्माण कार्य अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन टीसी में से अधिकतर में जमीनी कार्य अग्रिम स्तर पर है।
  • भिवाड़ी, पुदी और भोपाल स्थित तीन टीसी में निर्माण कार्य पू्र्ण हो गया है। रोहतक और पुदुचेरी स्थित दो ओर टीसी में निर्माण कार्य दिसंबर 2020 तक पूर्ण हो जाएगा। इसके साथ ही मई 2021 तक आठ अतिरिक्त टीसी में कार्य पूर्ण होने की आशा है।
  • केंद्रीय एमएसएमई और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने 31 अगस्त,2020 को भिवाड़ी में नवीन प्रौद्योगिकी केंद्र का उद्घाटन किया।
  • 11 नवीन टीसी में प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई और जनवरी 2020 से नवबंर 2020 तक 1824 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया था।
  • भिवाडी,भोपाल,दुर्ग,रोहतक,पुदी और बद्दी स्थित छह टीसी में लंबी अवधि के पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए एआईसीटीई की अनुमति प्राप्त हो चुकी है।

 

12.    प्रौद्योगिकी केंद्र/विस्तार केंद्र(टीसीईसी):

  • वर्तमान के 18 प्रौद्योगिकी केंद्रों को बढ़ाने और विश्व बैंक की सहायता से 15 नए प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने के लिए एक नई योजना प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रम की शुरूआत की गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 नबंवर 2018 को एमएसएमई के लिए 12 बिंदु के पहुंच कार्यक्रम के भाग के रूप में इस योजना की घोषणा की थी।
  • योजना के अंतर्गत देश भर में टीसी/ईसी की पंहुच बढ़ाने के लिए छह हजार करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 20 प्रौद्योगिकी केंद्र(टीसी) और 100 विस्तार केंद्र(ईसी) की स्थापना की संकल्पना की गई है। ये टीसी/ईसी प्रौद्योगिकी सहयोग,कौशलता,इनक्यूबेशन और परामर्श कार्य जैसी विभिन्न सेवाएं एमएसएमई और कौशल सीखने वालो को प्रदान कर रहे हैं। इसके कारण कौशल सीखने वालों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ने, एमएसएमई की प्रतियोगितात्मकता और देश में नए एमएसएमई का सृजन होगा।
  • जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020 के दौरान 22 विस्तार केंद्र( वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान स्थापित करने के लिए अनुमति प्राप्त) में से 13 विस्तार केंद्रों ने प्रशिक्षण गतिविधियों की शुरूआत की है और 10,240 प्रशिक्षार्थी को प्रशिक्षित किया गया। 22 विस्तार केंद्रों की सूची निम्नलिखित है-

क्रम संख्या

राज्य

विस्तार केंद्र का स्थान

     क्षेत्र

स्थिति

1

असम

जोरहाट

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

2

दिल्ली

ओखला

खेल क्षेत्र

 -

3

गुजरात

सानंद

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

4

भावनगर

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

5

हरियाणा

निलोखेड़ी

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

6

फरीदाबाद

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

7

 जम्मू-कश्मीर

श्रीनगर

ऐनीमेशन/एआर/वीआर

प्रशिक्षण प्रारंभ

8

कर्नाटक

बैंगलुरू

ईएसडीएम/सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

9

केरल

एट्टुमानूर

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

10

थिरूवल

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

11

महाराष्ट्र

वलूज

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

12

ओडिसा

बहरामपुर

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

13

भवानीपटना

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

14

क्योंझर

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

15

राजस्थान

 

जयपुर

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

16

कोटा

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

17

नागौर

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

18

उदयपुर

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

19

तेलंगाना

करीमनगर

सामान्य इंजीनियरिंग

 -

20

तमिल नाडु

मदुरै

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

21

पश्चिम बंगाल

कोलकाता

चमड़ा

 -

22

उत्तराखंड

हल्द्वानी

सामान्य इंजीनियरिंग

प्रशिक्षण प्रारंभ

  •  इसके अतिरिक्त 20 प्रौद्योगिकी केंद्रों के लिेए स्थान को अंतिम रूप दे दिया गया है। अंबाला में साहा और जम्मू-कश्मीर के सांबा में भूमि पहले से ही मंत्रालय के अधिकार मे है। राउलकेला,बोकारो,वारंगल,कोयम्बटूर और जबलपुर में भूमि को अंतिम रूप दिया जा चुका है और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा हस्तांतरण की प्रक्रिया जारी है।

13.क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी - प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना (सीएलसीएस-टीयूएस)

सीएलसीएस-टीयूएस योजना के अंतर्गत जनवरी 2020 से नवंबर 2020 तक की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं-

  1. डिजिटल एमएसएमई : एमएसएमई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने और देश भर में डिजिटल पहचान प्रदान करने के लिए जन सेवा केंद्र(सीएससी) और भारतीय उद्यमशीलाता विकास संस्थान(ईडीआईआई) अहमदाबाद जैसे संस्थानों को सम्मिलित किया गया है।
  2. लीन उत्पादन : यह योजना देश भर में भारतीय गुणवत्ता परिषद(क्यूसीआई) और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद( एनपीसी) द्वारा अनुमति प्राप्त एमएसएमई क्लस्टर में लागू की जा रही है। योजना के अंतर्गत विभिन्न लीन उत्पादन(एलएम) प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों द्वारा एमएसएमई की उत्पादन प्रतियोगितात्मकता में वृद्धि की जाएगी।
  3. इनक्यूबेटर द्वारा एमएसएमई के उद्यम और प्रबंधकीय विकास को प्रोत्साहन :

दो सौ से अधिक तकनीकी संस्थानों, उदयोग संघो और सामाजिक उद्यमों को इनक्यूबेशन केंद्र के लिए सैद्धाांतिक अनुमति दी गई है। योजना के अंतर्गत वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए व्यापार प्रस्ताव वाले अभिनव विचार आमंत्रित किए जाते हैं। 19 नवंबर,2020 तक देश भर में 27 मेजबान संस्थान(एचआई) को अनुमति दी गई है और 62 विचारों को प्रोत्साहित और इन विचारों को विकसित करने के लिए मंजूरी दी गई है।

  1. डिजायन : डिजायन योजना के अंतर्गत 3 आईआईटी (बीएचयू-वाराणसी, रुड़की  और  इंदौर) तथा 9 एनआईटी (वारंगल, पुदुचेरी, अरूणाचल प्रदेश, अगरतला, भोपाल, सिलचर, जयपुर, त्रिची, नागपुर) क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में काम करने के लिए सम्मिलित हो चुके हैं। आईआईएससी बैंगलुरू के 16 डिजायन परियोजनाओं को अनुमति प्रदान की गई है।
  2. शून्य त्रुटि शून्य प्रभाव(जेईडी) : देश भर में योजना का क्रियान्वयन भारतीय गुणवत्ता परिषद(क्यूसीआई) द्वारा किया जा रहा है।योजना के प्रारंभ होने से अब तक 23,493 एमएसएमई जेडईडी योजना के अंतर्गत पंजीकरण करा चुके हैं। जेडईडी योजना में अधिक एमएसएमई को सम्मिलित करने के लिए जेडईडी के मापदंड को सरल किया जा है।
  3. बौद्धिक संपदा अधिकारों(आईपीआर) पर जागरूकता बढ़ाना : एमएसएमई की बौद्धिक संपदा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देश के विभिन्न भागों में 50 नए आईपी सुविधा केंद्रों की स्थापना की गई है। एमएसएमई द्वारा विभिन्न आईपीआर के पंजीकरण के लिए प्रतिपूर्ति की जाती है। एमएसएमई के बीच आईपी अधिकारों के लिए अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाई जा रही है।

 

14.    खऱीद और विपणन प्रोत्साहन:

  • ई-मार्केट संपर्क बढ़ाने के लिए वर्चुएल व्यापार मेलों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • एमएसएमई मंत्रालय बाजार तक अधिक पहुंच बढ़ाने के लिए आईटीपीओ के साथ विचार-विमर्श कर एमएसएमई-विकास संस्थान के परिसर में स्थायी प्रदर्शनी केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।
  • कारीगरों और उद्यमियों के लिए विपणन संभावना बढ़ाने के लिए वाराणसी में हस्तशिल्प और खिलौनों की पैकेजिंग पर कार्यशाला/प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

15. एमएसई आदेश के लिए जन सरकारी खरीद नीति, 2012

  • जन सरकारी खरीद नीति के अंतर्गत सभी केंद्रीय सरकारी मंत्रालय/विभागों और सीपीएसई को अपने सामान और सेवाओं की वार्षिक आवश्यकता में से 25 प्रतिशत की खरीद एमएसई से खरीदना आवश्यक है। इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति से 4 प्रतिशत और महिला उद्यमियो के स्वामित्व वाले एमएसई से 3 प्रतिशत की खरीद सम्मिलित है।
  • एमएसई द्वारा सरकारी खरीद की प्रगति नियमित रूप से एमएसएमई-संबंध पोर्टल द्वारा निगरानी की जाती है।एमएसई से 12 नवंबर,2020 तक( जनवरी,2020 से अक्टूबर, 2020) 25,068.38 करोड़ रूपए की सरकारी खरीद की गई है। यह कुल खरीद का 33.30 प्रतिशत है और 1,14,424 एमएसई को लाभ मिला है। नवंबर 2018 में निर्धारित लक्ष्य से कम से कम 25 प्रतिशत अधिक का लक्ष्य प्राप्त किया गया है।
  • एमएसई से सरकारी खरीद का कार्यक्षेत्र बढ़ाने के लिए मंत्रालय द्वारा एमएसई से सामान और सेवाओं की आपूर्ति करने के लिए जीईएम पोर्टल में सम्मिलित किया जा रहा है।

 

16. जीईएम-सरकारी ई-मार्केटप्लेस:

  • जीईएम पर 3 दिसंबर, 2020 तक 3,47,497 सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई) का पंजीकरण
  • जीईएम पोर्टल पर 57.60 प्रतिशत आर्डर एमएसई से हैं।
  • जीईएम और टीआरईडीएस प्लेटफार्म को एकीकृत किया गया है।
  • यूएएम पोर्टल को 1 जुलाई, 2020 को उद्यम पंजीकरण पोर्टल से बदला गया है। उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर उद्यमी सरकारी ई-मार्केट(जेइएम) पर जोड़ने के लिए उद्यम पोर्टल पर चुनने का विकल्प दे सकते हैं। उद्यमी जीईएम पोर्टल से जुड सकेंगे और इन दोनों पोर्टल के बीच सूचना का आदान-प्रदान शुरू हो सकेगा। इस सुविधा से एमएसई सरकारी खरीद प्रणाली से खुद को जोड़ सकेंगे और एमएसई से सरकार द्वारा अनिवार्य सरकारी खरीद कार्यक्रम में भागीदारी कर सकेंगे।

17. उद्यमशीलता कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी :

  • देश भर में राज्य सरकार की एजेंसियो/उद्योग संघो/सामाजिक उपक्रम/सरकारी संघों द्वारा देश भर में विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों के आयोजन के लिए 63.6045 करोड़ रूपए राशि मंजूर की गई है।
  • जनवरी 2020 से नवंबर 2020 की अवधि में 947 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

18.पूर्वोत्तर क्षेत्र और सिक्किम में एमएसएमई को प्रोत्साहन :

  • परियोजना अनुमति और निगरानी समिति (पीएएमसी) ने जनवरी 2020 से नवंबर 2020 के दौरान 90.40 करोड़ रूपए की परियोजना लागत से 12 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई। इसमें केंद्र सरकार का 58.75 करोड़ रूपए का योगदान सम्मिलित है।
  • इन 12 परियोजनाओं में से 8 परियोजनाए असम,मिजोरम और सिक्किम में औद्योगिक संपदा का विकास, सिक्किम में दो और नागालैंड में 1 परियोजना सहित 4 परियोजनाएं प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने की हैं। योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 2 करोड़ रूपए का योगदान सहित 2 परियोजनाओं को पूरा किया गया।
  • एनईआर और सिक्किम में एमएसएमई को प्रोत्साहन देने में कार्यरत 24 अधिकारियों की क्षमता वृद्धि के लिए सिंगापुर में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया

19.  राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति हब( एनएसएसएच):

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति हब के अंतर्गत मध्यवर्तन किए गए और जनवरी 2020 से नवबंर की अवधि में निम्नलिखित उपलब्धियां सम्मिलित हैं:

  • एनएसएसएच के विशेष क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना के अंतर्गत 532 अनुसूचित जाति/जनजाति/सूक्ष्म/लघु उद्यम को 56.22 करोड़ रूपए की राशि जारी की गई।
  • देश भर में 40 स्वायत्तशासी प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा 9,420 अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवारों को विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता वृद्धि कौशल/उद्यमशीलता विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
  • क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत अनुसूचित जाति/जनजाति/ के उम्मीदवारों को 3422 क्षेत्र विशेष संबंधी टूलकिट वितरित किए गए।
  • 2795 अनुसूचित जाति/जनजाति/एमएसई ने बी2बी पोर्टल एमएसएमई मार्ट की सदस्यता शुल्क के लिए सब्सिडी ली।
  • 399 अनुसूचित जाति/जनजाति/एमएसई ने एक बिंदु पंजीकरण योजना(एसपीआरएस) के अंतर्गत पंजीकरण के लिए सब्सिडी ली।

 

20. खादी को लोकप्रिय और ग्रामोद्योग को सशक्त करना:

खादी और ग्रामोद्योग आयोग(केवीआईसी द्वारा) नए उत्पादों की शुरूआत :

  • खादी रूमाल : जम्मू-कश्मीर के नगरौटा में आंतकवाद से प्रभावित महिला कारीगरों का पुर्नवास करते हुए केवीआईसी ने खादी रूमाल की निर्माण इकाई की शुरूआत की है। इन्हें पेटीएम माल और बिक्री केंद्रों द्वारा बेचा जाएगा।
  • बांस की बोतल,सैनेटरी नैपकिन और गाय के गोबर से साबुन : खादी इंडिया में सौर चरखे के प्रयोग से बनी बांस की बोतल, सैनेटरी नैपकिन और गाय के गोबर से बने साबुन ब्रिकी के लिए जारी किए गए हैं।
  1. गृह मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) को केवीआई उत्पादों की आपूर्ति :
  • भारत तिब्बत सीमा पुलिस( आईटीबीपी) के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद आईटीबीपी को सरसों के तेल की आपूर्ति शुरू की गई है। आईटीबीपी के साथ सूती दरी के लिए भी समझौता किया गया है। केवीआईसी ने विभिन्न उपभोग्य सामग्री जैसे आचार, मुरब्बा, शहद, पापड, अगरबत्ती आदि केंद्रीय पुलिस कैंटीन (सीपीसी) को आपूर्ति करने की शुरूआत की है।

 

ii.   कोविड-19 महामारी के दौरान खादी मास्क का निर्माण:

•    कोविड-19 महामारी से राष्ट्र की लड़ने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केवीआईसी ने सूती खादी और रेशम खादी से खादी मास्क बनाने की शुरूआत की। इस पहल से एक ओर जहां ग्रामीण कारीगरों को कोविड-19 के दौरान अधिक रोजगार के अवसर मिले, वहीं दूसरी ओर सभी नागरिकों को कम से कम मूल्य पर फिर से प्रयोग किए जाने और धोए जाने वाले खादी मास्क के प्रयोग से कोविड-19 के विरूद्ध लड़ने का अवसर भी मिला। अखिल भारतीय स्तर पर मास्क को व्यापक रुप से उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा वितरित करने के साथ-साथ केवीआईसी ने विभिन्न सरकारी कार्यालयो को भी मास्क की आपूर्ति की। इसके साथ ही खादी मास्क जीईएम पोर्टल पर उपलब्ध कराया गया और आनलाइन बिक्री द्वारा प्रत्येक प्रयोगकर्ता को उपलब्ध कराया गया। केवीआईसी ने भारतीय रेड क्रास को 12 लाख से अधिक खादी मास्क की आपूर्ति भी की।

iii. केवडिया में खादी इंडिया बिक्री केंद्र:

खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों को सभी अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पर्यटकों के समक्ष प्रदर्शित करने के लिए केवीआईसी ने स्टेच्यू आफ लिबर्टी के निकट एकता माल, केवडिया में बिक्री केंद्र खोला है।

 

  1. ई-कामर्स:

नई पीढ़ी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केवीआईसी ने सभी केवीआई उत्पादों को ऑनलाइन बेचने की शुरूआत की है। अब केवीआई उत्पाद हर भारतीय को www.kviconline.gov.in और www.ekhadiindia.com. पर आसानी से उपलब्ध हैं। इसके साथ ही ग्राहकों को खादी इंडिया और खादी ग्रामोद्योग भवन में आनलाइन भुगतान की सुविधा देने के लिए ई-वालेट भुगतान खादी ग्रामोद्योग भवन (केजीबी),नई दिल्ली और मुंबई में उपलब्ध कराया गया है।

 

v. अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी:

  • केवीआईसी ने 2 से 6 फरवरी तक ब्रिटेन के बर्मिंघम में आयोजित स्प्रिंग फेयर 2020 में भागीदारी की और केवीआई संस्थानों/इकाईयों के साथ इसमें अपने निर्यात योग्य उत्पादों को प्रदर्शित किया।इस प्रदर्शनी में ग्राहकों की बेहद उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया मिली और इससे दूसरे बाजारों के प्रतिभागियों के साथ विचार-विमर्श का बेहतर मंच भी मिला।
  • केवीआईसी ने इसके साथ ही 11 से 15 मार्च,2020 तक लीमा(पेरु) के जॉकी एक्सपोजिशन सेंटर में आयोजित इंटरनेशनल एक्जीबिशन इन फेरिया इंडिया-इंडिया शो 2020 में भागीदारी की। इसका आयोजन भारत व्यापार संवर्धन संगठन, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इंडियन ट्रेड प्रमोशन संगठन (आईटीपीओ) के पेरु में भारतीय दूतावास के सहयोग से किया गया था। इसमें आठ खादी संस्थानों और एक ग्रामोद्योग संस्थान ने भागीदारी की और खादी उत्पाद, तैयार कपड़े, हस्तशिल्प और औषधीय उत्पादों का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी ने केवीआई उत्पादों की गुणवत्ता प्रदर्शित करने का सशक्त मंच और अवसर प्रदान किया।

 

VI खादी घड़ियों का विशेष संस्करण :

केंद्रीय एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने 30 जनवरी,2020 को नई दिल्ली में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि स्वरूप टाइटन खादी हाथ की घड़ियो को जारी किया। टाइटन द्वारा डिजायन की गई इन घड़ियो में पहली बार नियतकालिक उत्पाद के रूप में डायल और स्ट्रेप में खादी का प्रयोग किया गया। खादी के हाथ से बुने जाने के कारण इन संग्रह की प्रत्येक घड़ी विशेष बुनावट और ढांचे के चलते अपने आप में अनोखी है। इन घड़ियो के स्ट्रैप को इसकी प्रमाणिक बुनावट से समझौता किए बिना विशेष लेप से उपचारित कर ओर अधिक टिकाऊ भी बनाया गया है।

(vii) चलती-फिरती मधुवाटिका

केद्रीय एमएमएमई मंत्री श्री नितिन जयराम गडकरी ने 13 फरवरी,2020 को नई दिल्ली में केवीआईसी की चलती-फिरती मधुवाटिका की शुरूआत की। मधुमक्खियों को आसानी से पालने और उनके बक्‍सों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए खादी ग्रामोद्योग (केवीआईसी) की यह अनोखी संकल्‍पना है। इस अवसर पर खादी ग्रामोद्योग के अध्‍यक्ष भी मौजूद थे।

(viii) दिल्ली में चमडा कारीगरों के लिए अत्याधुनिक जूता प्रशिक्षण केंद्र

16 जुलाई,2020 को नई दिल्ली में केवीआईसी ने चमडा कारीगरों के कमजोर समुदाय को प्रशिक्षण देने के लिए अपनी तरह के पहले जूता प्रशिक्षण केंद्र की शुरूआत की । इस केंद्र की स्थापना एमएसएमई मंत्रालय की एक इकाई केंद्रीय पादूका प्रशिक्षण केंद्र (सीएफटीआई) के तकनीकी ज्ञान के साथ की गई।

(ix) खादी और ग्रामोद्योग का प्रदर्शन:

जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020 की अवधि में खादी और ग्रामोद्योग का प्रदर्शन निम्नलिखित है-

(रूपए करोड़ में और रोजगर लाख लोगों के रूप में)

क्रम संख्या

विवरण

1 जनवरी 2020

से

31 अक्टूबर, 2020 तक

I.

उत्पादन

 

क.

खादी

1340.75

ख.

ग्रामोद्योग

52819.89

 

II.

बिक्री

 

क.

खादी

1929.29

ख.

ग्रामोद्योग

69210.31

 

III.

रोजगार (संचयी)

 

क.

खादी

4.97

ख.

ग्रामोद्योग

150.84

 

 

21. कॉयर विकास योजना:

· कॉयर और कॉयर उत्पादों का निर्यात -2190.44 करोड़ रुपए (जनवरी 2020 से अगस्त 2020)

· कॉयर और कॉयर उत्पादों का उत्पादन : 5,53,000 एमटी. (जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020)

· रोजगार सृजन : 1079 (जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020)

· एमएमएमई ने परंपरागत उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए निधि(स्फूर्ति) के अंतर्गत अब तक 41 कॉयर कलस्टर को अंतिम मंजूरी दी है। नवंबर 2015 से क्रियान्वयित किए जा रहे दूसरे चरण की कुल परियोजना लागत 142.47 करोड़ रूपए थी। इसमें 118.17 करोड़ रूपए की केंद्रीय सहायता थी।

· 41 अनुमति प्राप्त कॉयर कलस्टर में 2 हेरिटेज,19 बड़े,11 लघु और 9 नियमित कलस्टर सम्मिलित हैं।इसमें से 14 कलस्टर तमिलनाडु में, 4-4 केरल और आंध्रप्रदेश में, 8 कर्नाटक में, 5 ओडिसा में, गुजरात और महाराष्ट्र में 2-2, केंद्रशासित अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 1 और पश्चिम बंगाल में 1 कलस्टर है। मंत्रालय ने योजना के क्रियान्वयन के लिए अब तक 82.14 करोड़ रूपए जारी किए हैं।

· योजना के अंतर्गत जनवरी,2020 से नवंबर,2020 की अवधि में 123 कॉयर इकाईयों की स्थापना करने के लिए 408.24 लाख रूपए जारी किए गए हैं।

 

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