पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा-2020 : पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
"एनईसी की योजनाओं" के तहत समाज के उपेक्षित वर्गों और वंचित क्षेत्रों के विकास के लिए 30 प्रतिशत राशि आवंटित
केन्द्रीय बजट 2020-21 में पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई; बजटीय आवंटन में 14 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की गई। पिछले साल के 2,670 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-21 में 3,049 करोड़ रुपये आवंटित
पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस क्षेत्र के विकास पर ध्यान केन्द्रित किया गया
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में ई-ऑफिस का 100 प्रतिशत कार्यान्वयन
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए इन्वेस्ट इंडिया का समर्पित डेस्क
Posted On:
31 DEC 2020 12:32PM by PIB Delhi
वर्ष 2020 के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियां:
- पूर्वोत्तर क्षेत्रीय परिषद की योजनाओं के तहत समाज के वंचित और उपेक्षित वर्गों तथा वंचित क्षेत्रों के विकास के लिए 30 प्रतिशत राशि आवंटित की गई : सरकार ने जनवरी, 2020 को पूर्वोत्तर राज्यों के वंचित इलाकों के विकास, समाज के वंचित/उपेक्षित वर्गों के विकास और राज्य के उभरते प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के विकास के लिए मौजूदा पूर्वोत्तर क्षेत्रीय परिषद योजनाओं के तहत नई परियोजनाओं के लिए पूर्वोत्तर परिषद को आवंटित राशि में से 30 प्रतिशत राशि का आवंटन किया। जिन क्षेत्रों और सेक्टरों को यह राशि दी जाएगी, उनकी सूची इस प्रकार हैं :-
- पूर्वोत्तर क्षेत्र की आवरण रहित पहाड़ियों के वनीकरण का कार्यक्रम। इसके तहत बांस के अलावा ऐसे पौधों का रोपण किया जाएगा, जो बढ़कर ऊंचे पेड़ बनें।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक खेती के विकास के कार्यक्रम/योजनाएं।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र की ब्रू, चकमा आदि जनजातियों की समस्याओं के अध्ययन के लिए और इन समस्याओं के संभव निराकरण के लिए अध्ययन शुरू कराना।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न राज्यों के बीच विवादों का दस्तावेजीकरण करना, ताकि गृह मंत्रालय इस पर आगे की कार्रवाई कर सके।
- पूर्वोत्तर राज्यों की विभिन्न भाषाओं और लिपियों का अध्ययन करना और लुप्त हो रही भाषाओं और लिपियों को पुनर्जीवित करने के उपाय तलाशना।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के वंचित इलाकों, समाज के कमजोर और उपेक्षित समूहों और वर्गों तथा अन्य उभरते प्राथमिक क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने की महत्ता बताने वाली इसी तरह की अन्य परियोजनाएं।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय का डिजिटाइजेशन :पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में सहायक अवसंरचना मुहैया कराई गई और अधिकारियों के लिए वीपीएन के जरिए ई-ऑफिस सुविधा का 100 प्रतिशत कार्यान्वयनकिया गया है। इसके चलते कोविड काल में मंत्रालय के कामकाज में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हुई। इस तरह वित्त वर्ष 2019-20 के लिए मंत्रालय को आवंटित धनराशि का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जा सका। इससे कर्मचारियों की सुरक्षा और संरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकी तथा उत्पादकता का कोई नुकसान नहीं हुआ।
- पूर्वोत्तर राज्यों में बांस क्षेत्र का विकास : देश के कुल बांस आवरण का 35 प्रतिशत क्षेत्र पूर्वोत्तर राज्यों में हैं। लेकिन भारतीय वन कानून 1927 के तहत बांस के परिवहन पर लागू प्रतिबंधों के कारण इस संभावना का पूरी तरह उपयोग नहीं किया जा सका था।
सरकार ने भारतीय वन (संशोधन) कानून, 2017 के जरिए बांस को भारतीय वन कानून 1927 के तहत वर्गीकृत पेड़ों की श्रेणी से बाहर कर दिया और उसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत घास की श्रेणी में पुन: वर्गीकृत कर दिया। यह निर्णय पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस के विकास के लिए परिवर्तनकारी साबित हुआ। इसने बांस को बड़े पैमाने पर उगाने और उसका प्रसंस्करण करने का मार्ग प्रशस्त किया।
एक अन्य प्रमुख सुधार बेम्बू स्टिक पर लागू आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करना रहा। इस निर्णय ने अगरबत्ती की स्टिक के निर्माण की इकाइयॉं स्थापित करने का रास्ता प्रशस्त किया। भारत में अगरबत्ती की मांग हमेशा से रही है। सितम्बर 2019 के बाद से अगरबत्ती के लिए कच्ची बत्ती का आयात पूरी तरह समाप्त हो गया है और अगरबत्ती के लिए स्थानीय बांस उत्पाद का इस्तेमाल किया जाने लगा है।
इसके अलावा आने वाले महीनों में जम्मू, कटरा और सांबा में तीन बांस कलस्टर विकसित किए जाएंगे, जिससे बांस की टोकरियां, अगरबत्ती और बांस की लकड़ी का कोयला बनाया जा सकेगा और इस तरह करीब 25 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार अवसर मुहैया कराए जा सकेंगे। इसके अलावा, अगले दो साल में जम्मू के निकट घाटी में एक मेगा बेम्बू इंडस्ट्रियल पार्क और बेम्बू टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग सेन्टर स्थापित किया जाएगा। इसके लिए जमीन जम्मू और कश्मीर केन्द्रशासित प्रदेश का प्रशासन आवंटित करेगा।
- डेस्टिनेशन नॉर्थ-ईस्ट : डेस्टिनेशन नॉर्थ-ईस्ट पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय का एक कार्यक्रम है। इसकी परिकल्पना पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के अन्य हिस्सों तक ले जाने और उन्हें एक-दूसरे के करीब लाकर उसके बारे में बेहतर समझदारी का विकास करने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है। इस उत्सव के पिछले संस्करण दिल्ली, चंडीगढ़ और वाराणसी में आयोजित किये गये। डेस्टिनेशन नॉर्थ-ईस्ट 2020 का मुख्य विषय'द इमर्जिंग डिलाइटफुल डेस्टिनेशंस' था। यह उत्सव सितम्बर, 2020 में वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया।
- केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की एक साल की उपलब्धियों के बारे में जून, 2020 में एक बुकलेट और उसका ई-संस्करण जारी किया।
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की एक वर्ष की उपलब्धियों पर पुस्तिका और इसका ई-संस्करण जारी किया।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के दल को वर्ष 2019-20 के दौरान शत-प्रतिशत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बधाई दी और कहा कि इस दौरान सड़क, रेल और हवाई सम्पर्क के विकास की दिशा में काफी प्रगति हुई है। इससे सामान और लोगों को न सिर्फ इस क्षेत्रमें,बल्कि पूरे देश में आने-जाने की सुविधा मिली है।
मंत्री ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में अवसंरचना, ऊर्जा एवं अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास हुआ है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए जीबीएस का कम से कम 10 प्रतिशत निर्धारित करने की सरकार की नीति के तहत गैर-छूट प्राप्त विभागों द्वारा आरई चरण में पूर्वोत्तर राज्यों को 53,374 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गए थे। रेलवे ने जीबीएस के अतिरिक्त 4,745 करोड़ रुपये आवंटित किए। 10 प्रतिशत जीबीएस के तहत आवंटन में तेजी से बढोतरी हुई है जो पूर्वोत्तर पर माननीय प्रधानमंत्री के फोकस को प्रदर्शित करता है।
कुछ प्रमुख परियोजनाएं, जिनका पूर्वोत्तर क्षेत्र में पिछले एक वर्ष के दौरान अनुमोदन किया गया, आरंभ किया गया या जो पूरी हुईं, नीचे उल्लेखित हैं:
- 9265 करोड़ रुपये की लागत से अनुमोदित इंद्रधनुष गैस ग्रिड परियोजना के तहत क्षेत्र के सभी आठ राज्यों में 1,656 किलोमीटर लंबी पूर्वोत्तर गैस पाइपलाइन ग्रिडबनाई जाएगी। यह पूर्वात्तर क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराएगी तथा बिना प्रदूषण के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी। यह पूर्वात्तर की जलवायु को इसके मूल रूप में संरक्षित करने में भी सहायक साबित होगी।
- अरुणाचल प्रदेश की राजधानी को जोड़ने के लिए ग्रीनफील्ड होलोंगी हवाई अड्डे का काम आरंभ हो चुका है। इस परियोजना के 955.67 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ दिसंबर, 2022 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
- रेलवे ने दक्षिण त्रिपुरा एवं बांग्लादेश में चटगांव बंदरगाह को सुगम पहुंच उपलब्ध कराने के लिए बेलोनिया-सब्रूम (39.12 किलोमीटर) रेल लाइन का काम पूरा कर लिया है। न्यू जलपाईगुड़ी-लामडिंग परियोजना के हवाईपुर-लामडिंग तक के 25.05 किलोमीटर लंबे खंड के दोहरीकरण का काम भी पूरा हो चुका है।
नई अनुमोदित परियोजनाओं में (1) 2,042.51 करोड़ रुपये की लागत से रांगिया के रास्ते न्यू बोंगईगांव से अघरी खंड (142 किलोमीटर) का दोहरीकरण; (2) 888 करोड़ रुपये एवं 3512 करोड़ रुपये की लागत से ब्रह्मपुत्र पर क्रमशः सरायघाट एवं तेजपुर सिलघट में पुलों का निर्माण; (3) 2,293 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूर्वोत्तर के समस्त 2,352 किलोमीटर लंबे बीजी रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण।
- सड़क क्षेत्र में, 7707.17 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 536 किलोमीटर की लंबाई वाली 35 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का कार्य आवंटित किया जा चुका हैं। अरुणाचल प्रदेश में 3 परियोजनाएं (66 किलोमीटर लंबी) पूरी हो चुकी हैं।
- भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्ग एवं एनडब्ल्यू-2 (ब्रह्मपुत्र) के रास्ते कोलकाता एवं हल्दिया बंदरगाहों से गुवाहाटी टर्मिनल तक बल्क कार्गो एवं कंटेनर आवाजाही आरंभ हो चुकी है। इस जलमार्ग के परिचालन से लॉजिस्टिक लागत में काफी बचत होगी। 305.84 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से आईबीपी मार्ग को बांग्लादेश के हिस्से में भी आगे विकसित किया जा रहा है।
- केन्द्रीय बजट 2020-21 में आरंभ कृषि उड़ान योजना का परिचालन शुरू हो चुकाहै और बागडोगरा, गुवाहाटी एवं अगरतला हवाई अड्डों से अनानास, अदरक, किवी औरजैविक उपजों जैसे कृषि उत्पादों का परिवहन आरंभ हो गया है।
- vii. अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी पन बिजली परियोजना से संबंधित सभी बाधाएं (कानूनी, राजनीतिक एवं पर्यावरणगत) दूर की जा चुकी हैं और 2000 मेगावाट परियोजना (जो2011 से अवरुद्ध थी) पर कार्य आरंभ हो चुका है तथा इसके 2023 तक पूरा हो जाने की संभावना है।
कोविड-19 से मुकाबला: वित्त मंत्रालय द्वारा 7,923.78 करोड़ रुपये औरस्वास्थ्य एवंपरिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा235.59 करोड़ रुपये जारी किए जाने के अतिरिक्त, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय/एनईसी ने 25 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराई है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए एनईएसआईडीएस के तहत 152.18 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सीबीटीसी हॉस्टल ब्लॉक, बर्नीहाट, गुवाहाटी, असम और नई दिल्ली स्थित एनईसी हाउसमें दो क्वारंटाइन सुविधा केंद्रों की पहचान की गई है।
यह निर्णय भी किया गया है कि कोविड महामारी को देखते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय क्षेत्र के आठ राज्यों में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं शुरू करने के लिए 190 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत करेगा। इस राशि का इस्तेमाल खासतौर से संक्रामक रोगों के प्रबंधन के लिए अवसंरचना का विकास करने में किया जाएगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की एनईआरएलपी एवं एनईआरसीओआरएमपी आजीविका योजनाएं पूर्वोत्तर के छह राज्यों, 15 जिलों को कवर करती हैं और इसने क्षेत्र के 4,12,644 परिवारों के लिए आजीविका का सृजन किया है। इन योजनाओं के तहत, 36,561 एसएचजी, 1,506 एसएचजी फेडरेशनों, 1,599 समुदाय विकास समूहों, 2,899 प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन समूहों (एनएआरएमजी) तथा 286 एनएएमआरजी संघों का सृजन किया गया है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम-एमएसएमई एवं सूक्ष्म वित्त क्षेत्रों के संवर्धन के लिए, एनईडीएफआई ने 30 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सामने 47.02 करोड़ रुपये की राशि वितरित है।इस राशि का प्रावधान जून-2019 से मई-2020 के दौरान मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन में किया गया था। मंत्रालय ने बीएफसी के जरिये कुल 539 उद्यमियों को मेंटरिंग सेवाएं भी उपलब्ध कराई हैं और 77 उद्यमियों के लिए क्रेडिट लिंक सुगम बनाया है।
- केन्द्रीय बजट 2020-21 में पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
बजटीय आवंटन में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह पिछले साल के 2,670 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-21 में बढ़कर 3,049 करोड़ रुपये हो गया है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मंत्रालय के मामले में 2020-21 के लिए बजट आवंटन 3,049 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि 2019-20 में यह 2670 करोड़ रुपये था (14.2 प्रतिशत की वृद्धि)। इसमें से अवसंरचना के विकास के लिए 2,900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो कि 2014-15 में सिर्फ 1,719 करोड़ रुपये था। उन्होंने बताया कि 2020-21 में मंत्रालय के लिए किया गया बजट आवंटन 77.26 प्रतिशत अधिक है। पूर्वोत्तर परिषद द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं के मामले में मौजूदा वर्ष का बजट आवंटन 1,474 करोड़ रुपया है, जोकि 2019-20 के 1,237 करोड़ रुपये के मुकाबले 19.23 प्रतिशत अधिक है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर परिषद का बजट पिछले पांच साल में 700 करोड़ रुपये से बढ़कर दोगुना यानी 1,474 करोड़ रुपये हो गया है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में इन्वेस्ट इंडिया के लिए समर्पित डेस्क :-
मार्च 2020 में प्रस्ताव किया गया था कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में इन्वेस्ट इंडिया के लिए एक विशेष समर्पित डेस्क स्थापित किया जाए। यह डेस्क निवेश लक्ष्य तय करने, निवेश बढ़ाने, उसके लिए सुविधाएं जुटाने और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक वेबसाइट का विकास करने का काम करेगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रस्तावित सुविधाएं -
।. सूचना का प्रावधान
ii. समर्थन प्राप्त करना
iii. सुगमता लाना
iv. राज्य प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
v. राज्य निवेश टीमों का निर्माण और संरचना
vi. राज्यों के लिए उनके निवेश सम्मेलनों/बैठकों के लिए परामर्श
vii. निवेशकों के लिए समर्थन
viii. वेबसाइट
उपरोक्त सभी गतिविधियां राज्य सरकारों के साथ निकट समन्वय से की जाएंगी।
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(Release ID: 1685444)