उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने तनाव को दूर करने तथा ग़ैर संचारी रोगों से बचाव के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करने का आह्वान किया


अधिक देर तक बैठ कर काम करने वाली नौकरियों और अस्वास्थ्यकर आहार की आदतों के कारण ग़ैर संचारी रोगों में वृद्धि: श्री नायडू

उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों में नवीनतम स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने के लिए निजी क्षेत्र से सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया

भारत ने चिकित्सा के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति की है और एक चिकित्सा पर्यटन केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आया है: उपराष्ट्रपति

श्री नायडू ने इस बात पर खुशी ज़ाहिर की कि, कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए स्वदेशी टीके को जल्द ही लॉन्च किया जाएगा

उपराष्ट्रपति ने वर्चुअल माध्यम से सोसाइटी ऑफकोरोनरी सर्जन का शुभारंभ किया


Posted On: 20 DEC 2020 6:41PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज की आधुनिक जीवन शैली के कारण होने वाले तनाव कोदूर करने तथा ग़ैर संचारी रोगों (एनसीडी) से बचाव के लिए लोगों से नियमित रूप से योग और ध्यान का अभ्यास करने एवं हमारे पारंपरिक भोजन की आदतों की तरफ़ लौटने का आह्वान किया है।

वर्चुअल माध्यम से हैदराबाद में सोसाइटी ऑफ कोरोनरी सर्जन का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि, वैज्ञानिक समुदाय ने निष्कर्ष निकाला है कि कार्डियो-वैसक्यूलर डिज़ीज़ (सीवीडी) की घटनाओं में वृद्धि के लिए हमारी खराब जीवन शैली प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि,“योग हमें तनाव से राहत देता है और बीमारियों को दूर रखता है। इसलिए हर किसी को योग तथा ध्यान को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए श्री नायडू ने कहा कि, ग़ैर संचारी रोगों में हृदय रोग, दीर्घाकालिक श्वसन रोग, कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों का एक विशाल समूह शामिल है और वैश्विक स्तर पर होने वाली सभी मौतों में लगभग 4 करोड़ 10 लाख (71 प्रतिशत) मौतें इन्हीं रोगों के कारण होती हैं और भारत में क़रीब 58 लाख 70 हज़ार (60%) लोगों की जान इन्हीं बीमारियों की वजह से जाती है।

यह देखते हुए कि, ग़ैर संचारी रोगों में वृद्धि मुख्य रूप से जीवन शैली में परिवर्तन के कारण हुई है। इनके प्रमुख कारणों में अधिक देर तक बैठ कर काम करने वाली नौकरियां, अस्वास्थ्यकर और अनियमित आहार की आदतें, अधिक तनाव, धूम्रपान तथा तंबाकू का सेवन शामिल हैं। श्री नायडू ने कहा कि, एनसीडी रोगों से होने वाली मौतों में लगभग तीन चौथाई तथा एक करोड़ 60 लाख लोगों में से 82% व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनकी 70 वर्ष की आयु से पहले या समय से पहले मृत्यु हो जाती है। ऐसे ज़्यादातर लोग निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में होते हैं।

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ग़ैर संचारी रोगों की महामारी व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों के लिए विनाशकारी परिणाम उत्पन्न करती है। उन्होंने इनकी रोकथाम करने और इन रोगों से प्रभावित हुए लोगों को होने वाली क्षति में कमी लाने के लिए सोसाइटी ऑफ कोरोनरी सर्जन के गठन की पहल करने की सराहना की।

उपराष्ट्रपति ने एस.सी.एस. के सदस्यों से आग्रह किया कि, वे ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी के भार पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि, अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और ह्रदय सम्बंधी रोगों के प्रमुख जोखिम कारकों से अक्सर उनका सामना होता है।

 

ज़्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक और उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र से सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया, ताकि सार्वजनिक निजी साझेदारी के ज़रिये ग्रामीण क्षेत्रों में नवीनतम स्वास्थ्य देखभाल तथा नैदानिक और उपचार सुविधाओं को जनता के बीच कम से कम कीमत पर पहुंचाया जा सके।

भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा किडब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार 1,000 व्यक्तियों के लिए एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन देश में यह अनुपात कम है। उन्होंने कहा कि, इस पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए और निजी क्षेत्र को सस्ती चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने में सरकार के प्रयासों का सहायक बनना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि, अधिकांश लोगों के द्वारा की गई बचत के माध्यम से ही चिकित्सा लागत को पूरा किया जाता रहा है ऐसे में स्वास्थ्य बीमा कवरेज को बढ़ाने की एक बड़ी आवश्यकता महसूस की गई है। उन्होंने भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम आयुष्मान भारत की तारीफ़ की और कहा कि, यह वास्तव में एक सराहनीय पहल है। इसके माध्यम से 10.74 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को द्वितीयक और तृतीयक स्तर की चिकित्सा देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है।

इस संबंध में, उपराष्ट्रपति ने चिकित्सक समाज से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि, सभी के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों और उपचार लागत में कमी लाई जा सके। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि, नैतिकता का पालन चिकित्सा पेशे के लोगों सहित सभी को करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है और हाल के वर्षों में एक चिकित्सा पर्यटन केन्द्र के रूप में तेज़ी से उभरा है। उन्होंने कहा कि, अतीत में भारत से बहुत से मरीज अपना इलाज कराने के लिए विदेश जाते थे। लेकिन अब विकसित देशों सहित अनेक देशों के लोग सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भारत आ रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि, भारत इस देश में होने वाली दूसरी सबसे बड़ी हार्ट सर्जरी सीएबीजी (कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्ट) के साथ हृदय रोगों के इलाज में एक विश्व स्तर के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में उभरा है।

 

श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि, "इस कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में हमारी क्षमताएं भी स्पष्ट रूप से स्थापित हुई और दुनिया के कुछ उन्नत देशों की तुलना में इस महामारी से मरने वालों की गिनती हमारे यहां बहुत कम रही।"

उपराष्ट्रपति ने महामारी के आने के बाद से चिकित्सा, पैरामेडिकल और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रदान की जा रही नि:स्वार्थ और उल्लेखनीय सेवा की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि, स्वदेशी वैक्सीन भारत में जल्द ही लॉन्च की जाएगी।

द सोसाइटी ऑफ थोरेसिक सर्जन यूएसए के अध्यक्ष प्रो जोसेफ देरानी,सोसाइटी ऑफकोरोनरी सर्जन के अध्यक्ष डॉ. लोकेश्वरा राव सज्जा, सोसाइटी ऑफ कोरोनरी सर्जन के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. कुणाल सरकार, सोसाइटी ऑफ कोरोनरी सर्जन के सचिव डॉ. गोपीचंद मन्नाम और डॉ. चंद्रशेखर पद्मनाभन संयुक्त सचिव सोसाइटी ऑफ कोरोनरी सर्जन तथा कोरोनरी सर्जन सोसाइटी के कार्यकारी सदस्य उन प्रमुख डॉक्टरों में शामिल थे, जिन्होंने इस वर्चुअल कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

उपराष्ट्रपति का पूरा भाषण यहां पढ़ें

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