विधि एवं न्‍याय मंत्रालय

न्याय बंधु ऐप का आईओएस संस्करण और उमंग मंच पर इसकी ऑनबोर्डिंग संविधान दिवस पर लॉन्च किया जाएगा


उमंग पर न्याय बंधु ऐप के जुड़ने से 2 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता आसानी से मोबाइल आधारित कानूनी सेवा निशुल्क हासिल कर सकते हैं

न्याय विभाग द्वारा भारत में प्रचलित निशुल्क प्रैक्टिस और इसके दायरे पर विचार-विमर्श के लिए संविधान दिवस पर वेबिनार का आयोजन किया जाएगा

Posted On: 25 NOV 2020 1:43PM by PIB Delhi

भारत के संविधान के अनुच्छेद 39ए के तहत निशुल्क कानूनी सहायता और न्याय तक पहुंच के अपने अधिकार को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध, सचिव (न्याय विभाग) संविधान दिवस 26 नवंबर 2020 पर न्याय बंधु ऐप का आईओएस संस्करण लॉन्च करेगा और उमंग प्लेटफॉर्म (मेईटीवाई) पर इसकी जानकारी देगा। उमंग प्लेटफ़ॉर्म लगभग 2.5 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को भारत में इस मोबाइल आधारित कानूनी सेवा के लिए आसान पहुँच बनाने में सक्षम करेगा। न्याय बंधु मोबाइल ऐप केंद्रीय कानून एवं न्याय और आईटी मंत्री श्री रवि​शंकर प्रयाद द्वारा फरवरी, 2019 में शुरू किया गया था। यह प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बना कर आम आदमी के सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था ताकि यह बदलाव का एक साधन बन जाए।

प्रस्तावना में वर्णित न्याय को सुरक्षित करने के लिए न्याय विभाग भारत में सभी को न्याय देने और उन्हें सुलभ बनाने के लिए तकनीकी समाधानों को लागू करने और तैनात करने को प्रधानता दे रहा है। विशेष रूप से अधिवक्ताओं द्वारा प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व और जरूरतमंद और वंचित आबादी को सहायता की कमी की चुनौती को दूर करने के लिए न्याय विभाग ने ऐसे अधिवक्ताओं का एक डेटाबेस बनाने की आवश्यकता की परिकल्पना की है जो ​निशुल्क एडवोकेट के रूप में अपना समय देने और सेवा के लिए स्वेच्छा से सहमत हुए हैं।

इसे 2017 में लॉन्च किया गया। इसके साथ ही न्याय विभाग कानूनी क्षेत्र में निशुल्क व्यवस्था के वास्ते एक रूपरेखा तैयार करने वाला भारत का पहला प्रयास है। अपने पहले प्रयास में, पंजीकृत वादियों / आवेदकों को पहले से पंजीकृत निशुल्क अधिवक्ताओं के साथ जोड़ने के लिए न्याय विभाग न्याय का लाभ उठाने के लिए किसी भी भौगोलिक बाधा को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहा है। इस संबंध में, न्याय विभाग ने सीएससी ई- गवर्मेंट सर्विसेज के साथ भागीदारी की है और एंड्रॉयड मंच पर न्याय बंधु मोबाइल ऐप विकसित किया है

भारत में प्रचलित निशुल्क चलन और इसके दायरे के बारे में विचार करने के लिए, एक अनुभव साझाकरण सत्र की भी परिकल्पना की गई है, जहाँ बहुपक्षीय पृष्ठभूमि वाले वक्ताओं को आमंत्रित किया गया है। इसमें राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण, कानून फर्मों और सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस आयोजन के प्रमुख प्रतिभागियों में कानूनी सेवा प्राधिकरण (राज्य और जिला), सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड, उमंग, बार काउंसिल (नेशनल / स्टेट), लॉ स्कूल, लॉ फर्म और सीएसओ आदि के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

इस आयोजन का वेबकास्ट https://webcast.gov.in/molj/doj/atपर 26 नवंबर, 2020 को दोपहर 12 बजे उपलब्ध होगा।

भारत के संविधान को अपनाने और ऐतिहासिक चुनौतियों और घटनाओं के बीच, भारतीय संविधान के निर्माण में संस्थापक व्यक्ति के अभूतपूर्व प्रयासों को स्वीकार करने के उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इस मौलिक कानून में प्रतिपादित इस अनोखे विचारों, सिद्धांतों और मूल्यों को आगे बढ़ाते हुए, 2019 में न्याय विभाग को नोडल कोऑर्डिनेटिंग विभाग के रूप में नामित किया गया था और भारतीय संविधान के तहत नागरिक कर्तव्यों सहित मौलिक कर्तव्यों पर अखिल भारतीय जागरूकता कार्यक्रम के निष्पादन के लिए अग्रदूत के रूप में नामित किया गया था। यहां तक कि महामारी के कारण लॉकडाउन के प्रभाव के बावजूद, न्याय विभाग विभिन्न तकनीकी उपकरणों का लाभ उठाते हुए मौलिक कर्तव्यों पर महत्वपूर्ण संदेश फैलाने में सक्षम रहा है।

 

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