प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रधानमंत्री मोदी का 17 नवंबर, 2020 को तृतीय वार्षिक ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम में संबोधन का पाठ

Posted On: 17 NOV 2020 7:31PM by PIB Delhi

श्री माइकल ब्लूमबर्ग, प्रबुद्ध जनों, उद्योग प्रमुखों, ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम के विशिष्ट प्रतिभागियों।

मैं ब्लूमबर्ग फिलानथ्रॉपीज में माइकल और उनकी टीम द्वारा किए जा रहे महान कार्यों के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए अपने संबोधन को आरंभ करता हूं। भारत के स्मार्ट सिटीज अभियान के डिजाइन में इस टीम द्वारा प्रदान किया गया समर्थन बहुत शानदार रहा है।

मित्रों, 

हम अपने इतिहास में एक बहुत महत्वपूर्ण बिंदु पर हैं। दुनिया के आधे से अधिक नागरिक पहले से ही शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। अगले दो दशकों में, भारत और कुछ अफ्रीकी राष्ट्र शहरीकरण के इस सबसे बड़े परिवर्तन का साक्षी बनने जा रहे हैं। लेकिन कोविड-19 महामारी ने दुनिया के सामने व्यापक चुनौतियां उत्पन्न कर दी हैं। इसने हमें दिखाया है कि शहर, जो हमारे विकास के संवाहक थे, हमारे कमजोर क्षेत्र भी हैं। इस व्यापक अवसाद के बाद से दुनिया भर के कई शहरों ने स्वयं को सबसे खराब आर्थिक मंदी के कगार पर घोषित कर दिया। बहुत से साधन जो एक शहर में रहने का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन पर एक प्रश्न चिह्न लग गया हैं। सामुदायिक समारोहों, खेल गतिविधियों, शिक्षा और मनोरंजन जैसी चीजें पहले जैसी नहीं हैं। पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि दोबारा कैसे शुरू किया जाए? पुनः नियोजन के बिना पुनरारंभ संभव नहीं होगा। मानसिकता का पुनः नियोजन। प्रक्रियाओं का पुनः नियोजन और प्रथाओं का पुनः नियोजन।

मित्रों,

मुझे लगता है कि दो विश्व युद्धों के बाद ऐतिहासिक पुनर्निर्माण के प्रयास हमें कई सबक दे सकते हैं। विश्व युद्धों के बाद, पूरे विश्व ने एक नई विश्व व्यवस्था पर कार्य किया। नए प्रोटोकॉल विकसित किए गए और दुनिया ने खुद को बदल दिया। कोविड-19 ने हमें हर क्षेत्र में नए प्रोटोकॉल विकसित करने का समान अवसर दिया है। अगर हम भविष्य के लिए लचीले सिस्टम को विकसित करना चाहते हैं तो दुनिया को इस अवसर का सदुपयोग करना चाहिए। हमें कोविड के पश्चात् विश्व की आवश्यकताओं पर विचार करना चाहिए। एक अच्छा प्रारंभिक बिंदु हमारे शहरी केंद्रों का कायाकल्प होगा।

मित्रों,

यहां, मैं भारतीय शहरों के एक सकारात्मक पक्ष को साझा करना चाहता हूं। भारतीय शहरों ने इन कठिन समय के दौरान एक अपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया है। लॉकडाउन उपायों के खिलाफ प्रतिरोध की विश्वव्यापी घटनाएं हुईं। हालाँकि भारतीय शहरों ने सावधानीपूर्वक इन निवारक उपायों का पालन किया। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमारे लिए, हमारे शहरों का सबसे व्यापक निर्माण स्तर सिर्फ कंक्रीट नहीं अपिंतु समुदाय था। महामारी ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि हमारे सबसे बड़ें संसाधन, समाजों और व्यवसायों के रूप में, हमारे लोग हैं। इस प्रमुख और मूलभूत संसाधन को पोषित करके ही कोविड के पश्चात् के विश्व का निर्माण किया जाना है। शहर विकास के जीवंत संवाहक हैं। वे इस अति-आवश्यक परिवर्तन को संचालित करने का सामर्थ्य रखते हैं।

लोग अक्सर शहरों की ओर पलायन करते हैं क्योंकि शहर उन्हें काम देते हैं। लेकिन, क्या यह समय नहीं है कि जब हम शहरों के कार्य को लोगों के लिए करें? कोविड-19 ने शहरों को लोगों के लिए अधिक जीवंत बनाने की हमारी प्रक्रिया में गति लाने का अवसर दिया है। इसमें बेहतर आवास सुविधाएं, बेहतर कार्य वातावरण, छोटी और कुशल यात्रा शामिल हैं। लॉकडाउन के दौरान, कई शहरों ने स्वच्छ झीलों और नदियों के साथ-साथ स्वच्छ वायु का भी अनुभव किया। हममें से कई लोगों ने पक्षियों को चहचहाते हुए देखा, जिसे हमने पहले कभी नहीं देखा था। क्या हम ऐसे स्थायी शहरों का निर्माण नहीं कर सकते हैं जहाँ ये सुविधाएँ अपवाद न होकर आदर्श हों? भारत में यह प्रयास किया गया है कि हम ऐसे शहरी केंद्रों का निर्माण करें, जिनमें एक शहर की सुविधाएं हों लेकिन एक गांव की भावना हो।

मित्रों,

महामारी के दौरान, प्रौद्योगिकी ने भी हमें अपने काम में निरंतरता बनाए रखने में मदद की है। वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग जैसे एक सरल उपकरण के लिए धन्यवाद, मैं इस कई और बैठकें कर सकता हूं। इसने मुझे दूरी को समाप्त करने और आप सभी से वार्तालाप करने में भी मदद मिली है। लेकिन यह भी एक कोविड के पश्चात् की दुनिया के लिए एक दिलचस्प सवाल है। क्या हम वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग जैसे कोविड-काल की सीखों को जारी रखेंगे? या हम एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए महाद्वीपों की यात्रा करेंगे? शहरी प्रणालियों पर दबाव कम करना हमारी पसंद पर निर्भर करेगा।

ये विकल्प हमें बेहतर कार्य-जीवन का संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेंगे। आज के युग में, कहीं से भी लोगों को काम करने के लिए, कहीं भी रहने के लिए, कहीं से भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्रवेश करने के लिए सशक्त बनाना एक परम आवश्यकता है। यही कारण है कि हमने प्रौद्योगिकी और ज्ञान-सक्षम सेवा क्षेत्र के लिए सरलीकृत दिशा-निर्देशों की घोषणा की है। इससे 'वर्क फ्रॉम होम' और 'वर्क फ्रॉम एनीवेयर' की सुविधा मिलेगी।

मित्रों,

वहनीय आवासों की उपलब्धता के बिना हमारे शहर समृद्ध नहीं हो सकते। इसे साकार करते हुए, हमने 2015 में सभी के लिए आवास कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि हम बेहतर तरीके से अपने लक्ष्य पर बढ़ रहे हैं। हम 2022 की लक्षित समय-सीमा से पहले शहरी क्षेत्रों में के लिए एक करोड़ या 10 मिलियन से अधिक इच्छुक परिवारों को आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। महामारी से उत्पन्न स्थितियों को देखते हुए, हमने एक किफायती किराये के आवास की पहल भी प्रारंभ की है। हमने रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट बनाया। इसने रियल एस्टेट सेक्टर की गतिशीलता को बदल दिया है। इसके अलावा इस अधिनियम ने इस क्षेत्र को और अधिक ग्राहक-उन्मुख और पारदर्शी बना दिया है।

मित्रों,

दीर्घकालिक गतिशीलता लचीले शहर बनाने की कुंजी है। 27 शहरों में मेट्रो रेल पर काम चल रहा है। 2022 तक हम देश में मेट्रो रेल प्रणाली को 1000 किलोमीटर के करीब पहुंचाने के मुकाम पर हैं। हमारे मेक इन इंडिया ने परिवहन प्रणालियों के उत्पादन की दिशा में जबरदस्त स्वदेशी क्षमता को विकसित करने का कार्य किया है। यह हमारे दीर्घकालिक परिवहन लक्ष्यों को व्यापक पैमाने पर आगे बढ़ाने में हमारी मदद करने वाला है।

मित्रों,

स्मार्ट, समृद्ध और जीवंत शहर के निर्माण की यात्रा में प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक है। प्रौद्योगिकी एक शहर को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने और एक-दूसरे से जुड़े हुए समुदायों का निर्माण करने में मदद करती है। हम एक ऐसे भविष्य की ओर देख रहे हैं जहां शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, खरीदारी, भोजन के अनुभव का एक बड़ा भाग ऑनलाइन हो सकता है। हमारे शहरों को भौतिक और डिजिटल दुनिया के अभिसरण के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। हमारे कार्यक्रम- डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया मिशन इस दिशा में क्षमता निर्माण में मदद कर रहे हैं। हमने दो चरण की प्रक्रिया के माध्यम से 100 स्मार्ट शहरों का चयन किया है। यह सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद के दर्शन को बनाए रखने वाली एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता थी।

इन शहरों ने लगभग दो लाख करोड़ रुपये अथवा 30 बिलियन डॉलर की परियोजनाऐं तैयार की हैं और लगभग एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये अथवा 20 बिलियन डॉलर की परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं या पूरी होने वाली हैं। प्रौद्योगिकी की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए, कई शहरों में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र वर्तमान में विभिन्न शहरों में कोविड की स्थिति का प्रबंधन करने के लिए वार-रूम के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।

अंत में, मैं आप सभी को एक बात याद दिलाना चाहूंगा। यदि आप शहरीकरण में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। यदि आप गतिशीलता में निवेश करना चाह रहे हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। यदि आप नवाचार में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। यदि आप स्थायी साधनों में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। ये अवसर एक जीवंत लोकतंत्र के साथ जुड़े हैं। एक व्यापार अनुकूल वातावरण। एक बहुत बड़ा बाजार और एक सरकार जो भारत को एक पसंदीदा वैश्विक निवेश गंतव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

मित्रों,

भारत बेहतर रूप से शहरी परिवर्तन की ओर अग्रसर है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि सभी हितधारकों, नागरिक समाज, शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और सबसे महत्वपूर्ण रूप से नागरिकों और समुदायों की मदद से, हम जीवंत और समृद्ध वैश्विक शहरों के स्वप्न को साकार करेंगे।

धन्यवाद।

 

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एमजी/एएम/एसएस/डीए



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