वित्त मंत्रालय
आयकर विभाग ने बिहार में छापे मारे
Posted On:
30 OCT 2020 9:07PM by PIB Delhi
आयकर विभाग ने पटना, भागलपुर, हिल्सा और कटिहार के चार मशहूर ठेकेदार समूहों के कार्यालयों पर 29.10.2020 को छापे मारे। इसके अलावा गया में खानों से निकाले जाने वाले पत्थरों के कुछ व्यापारियों के यहां भी जांच की गई है।
ये चारों समूह सामग्री की आपूर्ति और मजदूरी की बढ़ी हुई दरों के आधार पर कर चोरी में लिप्त पाए गए हैं।
एक मामले में भुगतान कुछ ऐसी पार्टियों को किया गया है, जिनसे किसी भी प्रकार की सेवाओं और आपूर्ति का कोई भी प्रमाण नहीं मिला है। फर्जी पार्टियों को किए गए भुगतान को बाद में गैर प्रतिभूति ऋण के रूप में प्राप्त किया या फिर नकदी के रूप में लिया गया। ऐसे लोन की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपये हैं। इसके अलावा काफी मात्रा में फर्जी खरीदारी भी की गई और इनका ब्योरा भी दर्ज किया गया है। लेकिन ऐसी पार्टियों का कोई अस्तित्व नहीं पाया गया और ये लेनदार के रूप में दर्शायी गई है। इस तरह के लेनदारों के नाम लगभग 20 करोड़ रुपये दर्ज पाए गए हैं। आयकर विभाग ने बैंक दस्तावेजों, खातों और आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है, जो फर्जी पार्टियों से संबंधित है। इन दस्तावेजों और बाद में की गई जांचों से पता चला है कि ये पार्टियां वास्तविक नहीं हैं और ऐसे बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें लेनदेन का काम कर निर्धारती ही कर रहे थे। इस प्रकार से हासिल की गई नकदी का इस्तेमाल संपत्तियों की खरीद में किया गया था।
दूसरे मामले में बरामद किए गए दस्तावेजों से पता चला कि धारक के नाम जारी चेक से कुछ ऐसे बढ़े हुए खर्चों का भुगतान दर्शाया गया, जो वास्तव में नहीं थे और बैंक खातों से भुगतान कर निर्धारती के खुद के व्यक्तियों ने ही किया था। इस धन राशि का पता लगाया जा रहा है। ऐसे बहुत से विविध लेनदार पाए गए हैं, जिन्हें अवैतनिक श्रम के नाम पर 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और जांच के दौरान ये सभी फर्जी पाए गए हैं।
इस तरह के दस्तावेज भी मिले हैं, जिनमें दूसरे समूहों को बढ़ी हुई खर्चों के आधार पर 15 करोड़ रुपये की राशि का विवरण है। और इस समूह ने बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश में संपत्तियों में काफी निवेश किया है।
अन्य मामले में फर्जी खरीद के लिए चेकों से भुगतान के सबूत भी मिले हैं और बाद में इस राशि को नकद के रूप में प्राप्त किया गया। इस प्रकार से हासिल नकदी का इस्तेमाल संपत्ति खरीदने और एक वाणिज्यिक इमारत के निर्माण में किया गया। इस तरह से लगभग 10 करोड़ रुपये की आय को छुपाने के प्रमाण मिले हैं।
आयकर विभाग ने विभिन्न प्रकार के आपत्तिजनक दस्तावेजों, जिनमें डायरियां, खरीद संबंधी दस्तावेज और नकद के तौर पर भुगतान एवं प्राप्तियां संबंधी कागजात भी शामिल हैं।
जांच के दौरान बेहिसाबी नकदी संबंधी प्रविष्टियां और बेहिसाबी खरीद एवं फरोख्त संबंधी विवरण भी पाया गया है, जो 8 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके अलावा बहीखातों में पत्थरों की खरीद-फरोख्त का कोई भी विवरण दर्ज नहीं किया गया है।
जांच के दौरान कुल मिलाकर 3.21 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई है और 30 करोड़ रुपये के फिक्स डिपॉजिट तथा 16 करोड़ रुपये की संपत्ति को प्रतिबंधात्मक आदेश के तहत रखा गया है।
इन छापों से लगभग 75 करोड़ रुपये की बेहिसाबी आय का खुलासा हुआ है और अभी भी जांच जारी है।
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