विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-एनसीएल पुणे में ईको-फ्रेंडली, कुशल और डीएमई द्वारा संचालित “अदिति उर्जा सांच” यूनिट का शुभारंभ किया

भोजन पकाने के लिए घरेलू ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले डीएमई-एलपीजी मिश्रित विशेष बर्नर यूनिट भी लॉन्च किया गया

सीएसआईआर-एनसीएल ने 20-24 किलोग्राम की क्षमता वाले स्वच्छ और किफायती ईंधन ‘डीएमई’ का पहला पायलट प्लांट विकसित किया है

Posted On: 21 OCT 2020 6:41PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिक और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज सीएसआईआर-एनसीएल पुणे में ईको-फ्रेंडली, कुशल और डीएमई द्वारा संचालित “अदिति उर्जा सांच” यूनिट का उद्घाटन किया है। साथ ही भोजन पकाने के लिए घरेलू ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले डीएमई-एलपीजी मिश्रित विशेष बर्नर यूनिट भी लॉन्च किया गया। इसे आम लोगों और सीएसआईआर-एनसीएल (नेशनल केमिकल लेबोरेट्री) परिसर स्थित कैंटिन में ट्रायल के लिए सौंपा गया जिसका वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वर्चुअली उद्घाटन किया गया।

 

       अपने संबोधन में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “इस बर्नर के उद्घाटन से 'मेक इन इंडिया' अभियान को भी काफी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि सिलेंडर, गैस स्टोव, रेगुलेटर और गैस नली के सभी निर्माता घरेलू हैं। इस तरह की गतिविधि मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को पाट सकती है, और यह राष्ट्र के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।” 

डाइमिथाइल ईथर (डीएमई) एक अति स्वच्छ ईंधन है। सीएसआईआर-एनसीएल ने 20-24 किलोग्राम प्रतिदिन की क्षमता वाले स्वच्छ और किफायती ईंधन ‘डीएमई’ का पहला पायलट प्लांट विकसित किया है। पारंपरिक एलपीजी बर्नर डीएमई के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि डीएमई का घनत्व एलपीजी से अलग होता है। इस मसले को सुलझाने के लिए सीएसआईआर-एनसीएल के डीएमई द्वारा संचालित “अदिति उर्जा सांच” के ढांचे को तैयार किया गया। नया बर्नर पूरी तरह से डीएमई के एनसीएल द्वारा बनाया गया है जिसे डीएमई-एलपीजी मिश्रित और एलपीजी दहन के लिए डिज़ाइन किया गया है।

 

नवनिर्मित बर्नर के डिजाइन की मुख्य विशेषताएं हैं  :

  1. नया डिज़ाइन डीएमई और डीएमई-एलपीजी के मिश्रण के लिए उपयुक्त है।
  2. बेहतरीन डिजाइन और हवा के आने जाने की जगह है। 
  3. नया नोजल डिजाइन दहन के लिए ऑक्सीजन लेने के लिए उपयुक्त है।
  4. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है इस पर रखे जाने वाले बर्तन को अधिकतम आंच लगे।
  5. इसकी लौ तेज होगी।
  6. लौ को (उच्च, निम्न और मध्यम) ऑक्सीजन के जरिये समायोजित किया जा सकता है।
  7. प्रयोग से पता चला है कि इसके हिट को ट्रांसफर किया जा सकता है।

 

इसके क्षमता की जांच की गई और पारंपरिक बर्नर के साथ इसकी तुलना की गई है। अकेले एलपीजी का उपयोग करने वाले पारंपरिक बर्नर की तुलना में इसमें 10-15 प्रतिशत का सुधार हुआ है।

सीएसआईआर-एनसीएल, पुणे के कैटालिसिस और इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री डिवीजन के डॉ. टी. राजा के नेतृत्व में अनुसंधान समूह ने शोध किया। उन्होंने इसे अच्छे परिणाम के साथ उत्प्रेरक पाया, और ईथर के गठन के लिए स्थिरता और कार्बन-बाय-प्रोडक्ट बनाने की कम प्रवृत्ति देखी गई।

डीएमई परियोजना प्रयोगशाला से बाजार की तरफ तेजी से बढ़ रही है। जल्दी ही यह देश की मेथनॉल अर्थव्यवस्था और हरित टिकाऊ ईंधन नीति के तहत लोगों के लिए उपबल्ध होगी। फिलहाल, पायलट संयंत्र को ट्रायल के तौर पर सीएसआईआर प्रायोजित एफटीटी/एफटीसी (फास्ट ट्रैक व्यावसायीकरण) परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। इस संबंध में सीएसआईआर-एनसीएल विभिन्न उद्योग हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है।

डीएमई-एलपीजी का एक स्वच्छ खाना पकाने वाला ईंधन है जो महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित है। डीएमई प्रक्रिया प्रौद्योगिकी किफायती, लागत प्रभावी है। इसमें हिट एकीकरण इकाई है जो विशुद्ध रूप से डीएमई का उत्पादन करती है। सीएसआईआर-एनसीएल द्वारा विकसित इस तकनीकी में 20-24 किलोग्राम डीएमई उत्पादन की क्षमता है। सीएसआईआर-एफटीसी परियोजना के माध्यम से इसे प्रति दिन 0.5 टन तक बढ़ाया जाना है। पिछले साल सीएसआईआर-एनसीएल में डॉ. हर्षवर्धन डीएमआईआर पायलट प्लांट का उद्घाटन किया था।

नये डिज़ाइन वाले स्टोव एलपीजी के साथ मिश्रित 30% डीएमई या ईंधन के रूप में 100% डीएमई के साथ जल सकते हैं। उपयुक्त दहन और थर्मल प्रदर्शन को हासिल करने के लिए डीएमई मिश्रित ईंधन के अनुपात से अलग है। ढांचे में मामूली परिवर्तन किए जाने से एलपीजी के साथ 20% डीएमई सम्मिश्रण करने से सालाना पर्याप्त बचत होने की उम्मीद है। सीएसआईआर-एनसीएल की योजना “अदिति उर्जा सांच” के तहत कम उत्सर्जन के लिए भविष्य के औद्योगिक बर्नर में लॉन्च करने का है। डीएमई/डीएमई का इस्तेमाल ऑटोमोबाइल और स्टेशनरी पावर के लिए ईंधन मिश्रित के रूप में किया जा सकता है।

इस अवसर पर डीएसआईआर और डीजी-सीएसआईआर और सचिव डॉ. शेखर मांडे उपस्थित थे। सीएसआईआर-एनसीएल, पुणे के निदेशक अश्विनी कुमार नांगिया, सीएसआईआर-एनसीएल के प्रमुख डॉ. टी. राजा और अन्य लोग वर्चुअली इस आयोजन में शामिल हुए। 

 

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