शिक्षा मंत्रालय

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज वर्चुअल माध्यम से जयपुर के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में विवेकानंद व्याख्यान कक्ष परिसर का उद्घाटन किया


विवेकानंद व्याख्यान रंगमंच परिसर पूरे एशिया में सबसे बड़े व्याख्यान कक्ष परिसरों में से एक है, जिसमें 48 कक्षाओं के माध्यम से एक साथ 6792 छात्रों को पढ़ाने की क्षमता है- केंद्रीय शिक्षा मंत्री

Posted On: 13 OCT 2020 7:20PM by PIB Delhi

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखियाल 'निशंकने आज ऑनलाइन माध्यम से जयपुर के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान-एमएनआईटी के परिसर में निर्मित विवेकानंद व्याख्यान कक्ष परिसर का उद्घाटन किया। एमएनआईटी जयपुर के अध्यक्ष, श्री आर. के. त्यागी, एमएनआईटी जयपुर के निदेशक, प्रो. उदय कुमार आर. यारगट्टी, डीन, संकाय प्रमुख और अन्य कर्मचारी समारोह के दौरान उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्री पोखरियाल ने बताया कि एमएनआईटी परिसर में विवेकानंद व्याख्यान कक्ष परिसर भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में सबसे बड़े व्याख्यान कक्ष परिसरों में से एक है, जिसमें 48 कक्षाओं के माध्यम से 6792 छात्रों को एक साथ पढ़ाने की क्षमता है। लगभग 3 लाख 66 हजार वर्ग फीट के कुल क्षेत्रफल वाली इस इमारत को विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस इमारत के प्रांगण में बलुआ पत्थर, जाली, आने-जाने वाले गलियारों, थर्मल मास, प्राकृतिक भूमि ढांचे का उपयोग करने, डिज़ाइनिंग और स्थान प्रबंधन तथा कई अन्य सुविधाओं में जयपुर की पारंपरिक वास्तुकला का मिश्रण प्रदर्शित होता है। इन पारंपरिक विशेषताओं को प्रभावी रूप से कुछ आधुनिक सामग्री और प्रथाओं जैसे गैस से भरी फ्लाई ऐश मिश्रित सीमेंट की ईंटो, दीवारों और छत में इन्सुलेशन, गर्मी और ध्वनि इन्सुलेशन के लिए दोहरी परत की खिड़कियों आदि का उपयोग किया गया है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों की शिक्षा पर वर्तमान कोविड महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए, -प्लेटफॉर्म के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन शिक्षण, समय की आवश्यकता बन गई है। इस आवश्यकता के मद्देनजर, इस विवेकानंद व्याख्यान कक्ष परिसर की सभी 48 कक्षाएं ई-क्लासरूम बनने जा रही हैं, जिससे अधिक से अधिक छात्र-छात्रा कक्षाओं में शामिल हो सकें और पाठ्यक्रमों का ऑनलाइन अध्ययन कर सकें।

मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस तरह की बुनियादी सुविधाएं नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन में सहायक होंगी और देश की शिक्षा प्रणाली को बदलने में सक्षम होंगी। उन्होंने लगभग 85 करोड़ रुपये की लागत के साथ चार साल से भी कम समय में पूरी होने वाली इस परियोजना के डिजाइन और निर्माण में शामिल होने वाली पूरी टीम को बधाई दी।

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