पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

'एक दमदार, प्रभाव आधारित चक्रवात चेतावनी प्रणाली को प्रायोगिक तौर पर इस सत्र से चालू किया जाएगा': डॉ. मृत्युंजय महापात्र, डीजीएम, आईएमडी


नई प्रणाली के तहत स्थान या जिला आधारित चेतावनी तैयार की जाएगी और उसे प्रसारित की जाएगी: डीजीएम, आईएमडी

एनडीएमए ने राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना (एनसीआरएमपी) नामक एक परियोजना शुरू की है, इस परियोजना के तहत आईएमडी और तटीय राज्यों की राज्य सरकारों के साथ मिलकर एनडीएमए एक वेब-आधारित डायनामिक कम्पोजिट रिस्क एटलस (वेब-डीसीआरए) विकसित कर रहा है

Posted On: 08 OCT 2020 9:00AM by PIB Delhi

 

आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) जल्द ही एक दमदार, प्रभाव-आधारित चक्रवात चेतावनी प्रणाली शुरू करेगा जिसका उद्देश्य भारतीय तटों से टकराने वाले चक्रवातों के कारण हर साल होने वाले आर्थिक और संपत्ति के नुकसान को कम करना है। वह इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईएसआरएस) की दिल्ली इकाई द्वारा विश्व अंतरिक्ष सप्ताह समारोह के तहत 06 अक्टूबर, 2020 को आयोजित एक कार्यक्रम में 'चेसिंग द साइक्लोन' विषय पर बोल रहे थे।

डॉ. महापात्र ने बताया कि चक्रवातों के कारण बुनियादी ढांचे का नुकसान दुनिया भर में बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, 'भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ हमारा उद्देश्य संपत्ति और बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान के कारण आर्थिक क्षति को कम करना है। इस सीजन से एक दमदार प्रभाव आधारित चक्रवात की चेतावनी प्रणाली को चालू किया जाएगा।'

नई प्रणाली के तहत स्थान या जिला आधारित चेतावनी तैयार की जाएगी और उसे प्रसारित किया जाएगा। इस चेतावनी में स्थानीय आबादी, बुनियादी ढांचे, बस्तियों, भूमि उपयोग आदि की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सभी आपदा प्रबंधन एजेंसियां ​​संबंधित जिले के लिए कार्टोग्राफिक, भूवैज्ञानिक और हाइड्रोलॉजिकल डेटा का व्यापक उपयोग करेंगी।

 

एनडीएमए ने राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना (एनसीआरएमपी) नामक एक परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के तहत आईएमडी और तटीय राज्यों की राज्य सरकारों के साथ मिलकर एनडीएमए एक वेब-आधारित डायनामिक कम्पोजिट रिस्क एटलस (वेब-डीसीआरए) विकसित कर रहा है।

 

इससे पहले आईएमडी ने डॉ. मृत्युंजय महापात्र की अध्यक्षता में एक ऑनलाइन चक्रवात पूर्व अभ्यास बैठक भी आयोजित की। बैठक में तैयारियों की समीक्षा करने करने के अलावा आवश्यकताओं का जायजा लिया गया और चक्रवाती सीजन अक्टूबर से दिसंबर, 2020 के लिए योजना बनाई गई । साथ ही आईएमडी ने अन्य हितधारकों के साथ इस नई पहल को साझा किया। बैठक में आईएमडी, नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), भारतीय वायु सेना (आईएएफ), भारतीय नौ सेना (आईएन), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), मत्स्यपालन विभाग, पंचुएलिटी सेल, भारतीय रेल और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

 

चक्रवात की प्रकृति एक-साथ कई खतरे को पैदा करने वाली होती हैं। इसलिए चक्रवात के दौरान प्रभावित क्षेत्र पर भारी बारिश, तेज हवाओं का झोंका और तूफान एक साथ आते हैं। ऐसे में प्रभावित क्षेत्र में संपत्ति का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। यह घरों, सड़कों, खेतों, बाग-बगीचों, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और बिजली एवं दूरसंचार लाइनों को नुकसान भारी नुकसान पहुंचा सकता है जिससे प्रभावित परिवारों, स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकारों पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।

 

हाल के वर्षों में उन्नत प्रौद्योगिकी और उपग्रह निर्देशित डेटा के उपयोग में वृद्धि के साथ ही  आईएमडी ने चक्रवातों के बेहतर पूर्वानुमान और समय पर चेतावनी जारी करने में कामयाबी हासिल की है। आपदा प्रबंधन एजेंसियों के प्रयासों के अलावा चक्रवात की अग्रिम और सटीक भविष्यवाणी किए जाने से भी पिछले कुछ वर्षों के दौरान चक्रवात से संबंधित मृत्यु दर को कम करने में उल्‍लेखनीय योगदान किया है। मॉनसून के बाद के महीनों यानी अक्टूबर और नवंबर चक्रवाती तूफान के लिए अनुकूल वातावरण और समुद्र की स्थिति होती है जो मुख्य रूप से पूर्वी तट में आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल और पश्चिमी तट में गुजरात को प्रभावित करती है।

 

डॉ. महापात्र ने चक्रवात के सभी पहलुओं को समझाने के लिए इस अवसर पर एक विस्‍तृत प्रस्तुति दी।

 

विस्तृत प्रस्तुति के लिए यहां क्लिक करें

 

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