पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
“आंकड़ों से पता चलता है कि विगत तीन वर्षों के दौरान भारी वर्षा की घटनाओं में सतत वृद्धि हो रही है।“-- डा. हर्ष वर्धन
“पूर्वानुमान मॉडलों के शुद्ध सूट के प्रचालन कार्यान्वयन से मौसम पूर्वानुमान क्षमता में वृद्धि हुई है।“-- डा. हर्ष वर्धन
Posted On:
24 SEP 2020 5:05PM by PIB Delhi
वर्ष 1891-2017 के दौरान के आकड़ों के आधार पर, उत्तरी हिंद महासागर में वर्ष में औसतन 5 चक्रवात आए, 4 बंगाल की खाड़ी मे और 1 अरब सागर में आया। हालांकि, हाल के दिनों में उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों की उत्पत्ति की बारंबारता में वृद्धि देखी गई थी। हाल के वर्षों में अध्ययनों से भी अरब सागर में प्रचंड चक्रवातों की बारंबारता में वृद्धि का पता चलता है।
वर्ष 2017 से 2019 के दौरान उत्तरी हिंद महासागर में बने चक्रवातों का विवरण निम्नलिखित है:
वर्ष
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चक्रवातों की बारंबारता
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चक्रवातों की कुल संख्या
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प्रचंड चक्रवात या उससे अधिक तीव्रता वाले चक्रवात
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अरब सागर
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बंगाल की खाड़ी
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2017
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1
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2
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3
|
2
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2018
|
3
|
4
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7
|
6
|
2019
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5
|
3
|
8
|
6
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अरब सागर में चक्रवातों की उच्चतम वार्षिक बारंबारता सामान्य: प्रतिवर्ष 1 की तुलना में 2019 में अरब सागर में आए 5 चक्रवात वर्ष 1902 के पिछले रिकार्ड के समान हैं। साथ ही, वर्ष 2019 में अरब सागर में अत्यधिक प्रचंड तूफान भी आए।
बाढ़ के संबंध में, यह उल्लेखनीय है कि, देश ने हाल के दिनों में भारी से अति भारी वर्षा की घटनाएं देखी हैं जिस के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हुई। 2017 से 2019 तक पिछले तीन वर्षों में बहुत भारी और अत्यधिक भारी वर्षा दर्ज किए गए वाले केंद्रों की संख्या निम्नानुसार है:
वर्ष
|
दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु (जून से सितंबर) के दौरान दर्ज किए गए केंद्रों की संख्या
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बहुत भारी वर्षा (115.6-204.4 मिमी)
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अत्यधिक भारी वर्षा (204.5 मिमी या इससे अधिक)
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2017
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1824
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261
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2018
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2181
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321
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2019
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3056
|
554
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आंकड़ों से पता चलता है कि विगत तीन वर्षों के दौरान भारी वर्षा की घटनाओं में सतत वृद्धि हो रही है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग चक्रवातों की निगरानी और मौसम के पूर्वानुमान के लिए उपग्रहों, रडार और पारंपरिक और स्वचालित मौसम केंद्रों से उत्तम प्रेक्षणों के एक सूट का उपयोग करता है। इसमें तटवर्ती और स्वचालित मौसम केंद्रों (एडब्ल्यूएस), स्वचालित वर्षामापी (एआरजी), मौसम विज्ञानी ब्वॉयज और समुद्री पोत सहित इनसैट 3डी, 3डी आर और स्क्रैटसैट उपग्रह, डॉप्लर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर 12 किमी ग्रिड और भारत/क्षेत्रीय/बड़े शहर क्षेत्र में 3 किमी. ग्रिड पर पूर्वानुमान उत्पादों के उत्पादन हेतु सभी उपलब्ध वैश्विक उपग्रह रेडिएशन और रडार डाटा के सम्मिश्रणन से पूर्वानुमान मॉडलों के शुद्ध सूट के प्रचालन कार्यान्वयन से मौसम पूर्वानुमान क्षमता में वृद्धि हुई है।
सटीकता, लीड टाइम और स्थानिक विभेदन के संबंध में चक्रवात और भारी वर्षा जैसे पूर्वानुमान प्राकृतिक आपदा के पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिए वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिग प्रेक्षण प्रणाली और सेवाएं (एक्रॉस) स्कीम के तहत प्रेक्षणात्मक नेटवर्क और संख्यात्मक मॉडलिंग में अतिरिक्त सुधार किए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और पृथ्वी विज्ञान मंत्री, डा. हर्ष वर्धन ने लोक सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी September 23, 2020 को दी।
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