उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए सुरक्षात्मक देखभाल पर आधारित आयुर्वेद के व्यापक ज्ञान का उपयोग करें


आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं है बल्कि जीवन का दर्शन भी है- उपराष्ट्रपति

उन्होंने आयुर्वेद का लाभ भारत और पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाने का आह्वान किया

आयुर्वेद को एक प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के रूप में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए उसे लगातार विकसित करना चाहिए- उपराष्ट्रपति

उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच बहुविषयक अंतःक्रिया की बात की

आयुर्वेद में दवाओं और उपचार प्रोटोकॉल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की बात कही

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में कौशल कार्यक्रमों को डिजाइन करने की आवश्यकता है

Posted On: 15 SEP 2020 5:38PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सुरक्षात्मक देखभाल पर आधारित आयुर्वेद के व्यापक ज्ञान का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में निर्धारित प्राकृतिक उपचार से हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करके वायरस से लड़ने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयुर्वेद फॉर इम्युनिटी’ विषय की थीम पर आयोजित ऑनलाइन वैश्विक आयुर्वेद शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि आयुर्वेद केवल एक चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि जीवन का एक दर्शन भी है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद में मनुष्यों को प्रकृति का अभिन्न अंग माना गया है और यह जीवन के एक समग्र व्यवहार पर बल देता है, जहां पर लोग आपस में और उस दुनिया के साथ सद्भाव से जीते हैं जिससे वे घिरे हुए हैं।

आयुर्वेद के चिकित्सकीय सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक तत्वों और मानव शरीर के त्रिदोषों के बीच एक परिपूर्ण संतुलन बनाए रखने में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक अनूठी शरीरावस्था होती है और वह उपचार और दवा के प्रति अलग-अलग तरीकों से प्रतिक्रिया देता है।

श्री नायडू ने प्राचीन ग्रंथों जैसे अथर्ववेद, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही रोगों का उपचार करने के लिए बहुत ही व्यवस्थित, वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण मौजूद रहा है।

उपराष्ट्रपति ने आयुर्वेद की प्रशंसा की, जिसने भारत की विशाल जनसंख्या को प्राचीन काल से ही प्राथमिक और यहां तक कि तृतीय श्रेणी की स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान की है।

श्री नायडू ने सटीक रूप से प्रलेखित वैज्ञानिक साक्ष्यों के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाओं के गुणों का और ज्यादा अन्वेषण करने की आवश्यकता के संदर्भ में बताया और उन्होंने आयुर्वेद का लाभ भारत और पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक दवाएं सस्ती होती हैं और इसे आम लोग आसानी से खरीद सकते हैं।

उन्होंने कहा किभारत पहले से ही दुनिया के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं का स्रोत बना हुआ है। यह दुनिया के लिए कल्याणकारी और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र का सबसे पसंदीदा गंतव्य भी बन सकता है।''

उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच बहुविषयक अंतःक्रिया का भी आह्वान किया जिससे वे एक-दूसरे से ज्ञान प्राप्त करें और समग्र कल्याण के लिए एक-दूसरे का समर्थन करें।

आयुर्वेद का विकास करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने आयुर्वेद के दिग्गजों से राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन जैसी निकायों के साथ सहयोग करने और वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने की दिशा में कार्य करने की भी सलाह दी।

श्री नायडू ने हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में और ज्यादा संसाधनों का निवेश करने की भी बात की, विशेष रूप से ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन और बढ़ावा देकर।

भारत में गैर-संचारी और अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों की बढ़ती संख्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में आयुर्वेद विशेष रूप से प्रासंगिक साबित हो जाता है। उन्होंने सभी लोगों से स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने और स्वस्थ खान-पान अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा निर्धारित किए गए खानपान हमारी शारीरिक आवश्यकताओं और जलवायु परिस्थितियों के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि बीमारी के प्रति चिंता और डर, बीमारी से ज्यादा घातक साबित हो सकते हैं और इस प्रकार की चिंताओं को दूर करने के लिए उन्होंने ध्यान और अध्यात्म का पालन करने की सलाह दी।

उन्होंने सभी लोगों से आयुर्वेद का लाभ प्राप्त करने के लिए आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा बीमा क्षेत्र आयुर्वेद को अपना समर्थन प्रदान करे।

आयुर्वेद उद्योग में रोजगार का अवसर उत्पन्न करने की क्षमता को स्वीकार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस क्षेश्र में कौशल विकास कार्यक्रमों को डिजाइन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे सेवाओं के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस ऑनलाइन कार्यक्रम में श्री वी. मुरलीधरन, विदेश राज्य मंत्री एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री, श्री थॉमस जॉन मुथूट, अध्यक्ष, सीआईआई, श्री बेबी मैथ्यू, सह-संयोजक, सीआईआई आयुर्वेद पैनलों, आयुर्वेद उद्योग प्रमुखों, आयुर्वेद चिकित्सक सदस्यों, आयुर्वेद चिकित्सकों और छात्रों ने हिस्सा लिया।

******

एमजी/एएम/एके/डीके


(Release ID: 1654715) Visitor Counter : 381