रक्षा मंत्रालय

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशीकरण पोर्टल सृजन का किया शुभारम्भ; डीपीएसयू ने उद्योग और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े भागीदारों के साथ किए अनुबंध और एमओयू; एमओडी के आत्मनिर्भर सप्ताह समारोह का समापन

Posted On: 14 AUG 2020 5:24PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के आत्मनिर्भर सप्ताह समारोह के अंतिम दिन रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज रक्षा उत्पादन विभाग, एमओडी के पोर्टल सृजन का शुभारम्भ किया, जो एक वन स्टॉप शॉप ऑनलाइन पोर्टल है और यह वेंडर्स (कंपनियों) को ऐसे सामानों की जानकारी देता है, जिनका स्वदेशीकरण किया जा सकता है।

आईडीईएक्स के अंतर्गत डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज के लिए चार अनुबंध किए गए और रक्षा मंत्री की उपस्थिति में उद्योग से जुड़े भागीदारों और रक्षा पीएसयू के बीच चार एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा कई अभिरुचि पत्र/ अनुरोध प्रस्ताव भी जारी किए गए।

इस अवसर पर अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा कि इन एमओयू और अनुबंधों पर हस्ताक्षर से रक्षा विनिर्माण से संबंधित प्रौद्योगिकी में हमें आत्मनिर्भरता मिलेगी। श्री सिंह ने भारतीय उद्योग से जुड़े भागीदारों से रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाने और सक्रिय रूप से भागीदारी दिखाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, रक्षा विनिर्माण में आत्म-निर्भरता की कल्पना सिर्फ घरेलू आवश्यकता पूरी करने के लिए ही नहीं, बल्कि निर्यात को ध्यान में रखते हुए भी की गई है और ठोस प्रयासों से ही इसे संभव बनाया जा सकता है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने संस्थानों के निगमीकरण, एफडीआई सीमाओं में सुधार और हाल में आयात के लिए नकारात्मक सूची जारी करने जैसे प्रमुख कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, कुछ समय पहले तक, अपनी रक्षा खरीद के लिए हम दुनिया में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ तकनीक की ओर देखा करते थे लेकिन अब हालात बदले हैं। अब हम आधुनिक उपकरणों का विनिर्माण खुद या संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से या तकनीक के हस्तांतरण के माध्यम से करने पर विचार कर रहे हैं।

सृजन पोर्टल के लिए डीडीपी की सराहना करते हुए श्री सिंह ने कहा कि इससे उद्योग से संबंधित भागीदारों को रक्षा क्षेत्र में आत्म-निर्भरता का लक्ष्य हासिल करने में सक्रिय भूमिका निभाने में सहायता मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत की घोषणा के क्रम में रक्षा उत्पादन विभाग, एमओडी ने रक्षा में मेक इन इंडिया के लिए अवसरों के रूप में एक स्वदेशी पोर्टल srijandefence.gov.in, विकसित किया है, जो ऐसे सामानों की जानकारी देगा जिन्हें निजी क्षेत्र स्वदेशीकरण के लिए अपना सकता है। इस पोर्टल पर, डीपीएसयू/ओएफबी/एसएचक्यू अपने ऐसे सामानों का प्रदर्शन कर सकते हैं, जिनका वे आयात कर रहे हैं या आयात कर रहे हैं और भारतीय उद्योग अपनी क्षमता के आधार पर या ओईएम के साथ संयुक्त उपक्रम के माध्यम इन्हें डिजाइन, विकसित और विनिर्माण कर सकता है। भारतीय उद्योग इसमें अपनी दिलचस्पी प्रदर्शित कर सकेंगे। संबंधित डीपीएसयू/ओएफबी/एसएचक्यू अपनी सामानों की आवश्यकता और अपने दिशानिर्देशों व प्रक्रियाओं के आधार पर स्वदेशीकरण के लिए भारतीय उद्योग के साथ संवाद करेंगे।

पोर्टल व्यवस्थित तरीके से जानकारियां प्रदर्शित करता है, जिसमें सामान के नाम, चित्र और विशेषताओं तथा आयात का मूल्य, नाटो वर्गीकरण (सांकेतिक) आदि शामिल हैं। इसमें खोज की सुविधा भी दी गई है।

पहले चरण में, डीपीएसयू/ओएफबी/एसएचक्यू ने उन सामानों का प्रदर्शन किया है, जिनका उन्होंने 2019-20 में आयात किया था और 2020-21 में आयात करने जा रहे हैं, साथ ही उनका वार्षिक मूल्य 1 मिलियन रुपये और उससे ज्यादा है। वार्षिक आधार पर सामानों की संख्या और उनका मूल्य का प्रदर्शन निम्नलिखित है।

वर्ष

डीपीएसयू/ओएफबी/एसएचक्यू द्वारा प्रदर्शित सामानों की संख्या

आयात का मूल्य (मिलियन रुपये में)

2019-20 

1557

34035

2020-21

739

34514

10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य वाले ऐसे 3,000 विशेष सामान हैं, जो पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हैं।

डीडीपी ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) के अंतर्गत डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी) 3 के 4 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। आईडीईएक्स का उद्देश्य एक ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिससे आरएंडडी संस्थानों, शिक्षा क्षेत्र, उद्योगों, स्टार्टअप्स और व्यक्तिगत अन्वेषकों को जोड़कर रक्षा में नवाचार को बढ़ावा मिले और तकनीक विकास को प्रोत्साहन मिले। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल, 2018 में आईडीईएक्स फ्रेमवर्क का शुभारम्भ किया था। आईडीईएक्स को रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, इस उद्देश्य के लिए एक सेक्शन 8 की कंपनी बनाई गई है जिसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) दोनों 50-50 करोड़ रुपये का समर्थन दिया है। एचएएल और बीईएल दोनों सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा इकाइयां हैं।

डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (डीआईएससी) के तीन चरणों में 700 से ज्यादा स्टार्टअप्स और अन्वेषकों ने दिलचस्पी दिखाई है, जिनमें से डीआईएससी 1, 2 और 3 के अंतर्गत प्रोटोटाइप वित्तपोषण दिशानिर्देशों प्रोटोटाइप और रिसर्च किकस्टार्ट के लिए समर्थन (एसपीएआरके) के माध्यम से 15 तकनीक क्षेत्रों में नवाचार अनुदान हासिल करने के लिए 55 स्टार्टअप्स/वैयक्तिक लोगों को चुना गया है। इसमें उपलब्धियों के आधार पर कई किस्तों में स्टार्टअप्स को 1.5 करोड़ रुपये तक के अनुदान का प्रावधान शामिल है।

अभी तक डीआईएससी 1 और 2 के अंतर्गत 44 विजेताओं की पहचान की गई है, 28 अनुबंधों पर हस्ताक्षर हुए और प्रोटोटाइप के विकास के लिए विजेताओं को पहली/ दूसरी किस्त जारी कर दी गई है।

डीआईएससी 3 के अंतर्गत, तीन चैलेंज (एक सेना, नौसेना और वायुसेना) से सामने आए कुल 14 विजेताओं को डीआईओ बोर्ड द्वारा 3 फरवरी, 2020 को स्वीकृति दी गई थी। 14 विजेताओं में से, चार विजेताओं के पहले बैच को एसपीएआरके अनुदान अनुबंध पर हस्ताक्षर के लिए स्वीकृति दे गई है, जिनमें से तीन विजेता आर्मी चैलेंज से और एक वायु सेना चैलेंज से थे। सभी चार अनुबंधों पर आज 14 अगस्त, 2020 को हस्ताक्षर किए गए।

डीपीएसयू एमडीएल ने एसएसके क्लास सबमैरीन्स की मेन मोटर की स्वदेशी ओवरहॉलिंग के लिए एम/एस मेधा सर्वो ड्राइव्स प्रा. लि. के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। वर्तमान में एसएसके क्लास सबमैरीन्स की मेन मोटर की ओवरहॉलिंग जर्मनी में एक विदेशी कंपनी द्वारा की जाती है। एमडीएल भारत में ही इस काम को करने के लिए एक भारतीय कंपनी एम/एस मेधा सर्वो ड्राइव्स प्रा. लि. के विकास की प्रक्रिया में है। यह आत्म निर्भर भारत अभियान के लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुरूप होगा, जिससे समय और लागत (जिसका अभी तक आकलन नहीं किया गया है) दोनों की ही बचत होगी। इस प्रयास की सफलता से सबमैरीन्स की मेन मोटर के स्वदेशीकरण की दिशा में कदम बढ़ेंगे, जिससे एक बड़ी उपलब्धि होगी। कंपनी के साथ एमओयू 07-14 अगस्त, 2020 के दौरान किया गया था।

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, आईओटी-सीएफडी और अन्य तकनीक संबंधित क्षेत्रों के लए आईआईटी गोवा के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। आईआईटी- गोवा के साथ एमओयू के परिकल्पित प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं :-

  1. नौसेना जहाज निर्माण डिजाइन, बेहतर विनिर्माण, उद्योग 4.0, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, 3डी प्रिंटिंग और कम्पोजिट्स में संयुक्त शोध एवं विकास कार्यक्रम/ परियोजनाओं के लिए भागीदारी और उपक्रम।
  2. उक्त उल्लिखित तकनीक क्षेत्रों में परियोजनाओं से संबंधित शोध गतिविधियों को सुगम बनाने कि लिए उपकरण, कार्मिक एवं आरएंडी सुविधाओं को साझा करना।
  3. उक्त उल्लिखित तकनीक क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं के लिए नई प्रणालियों/ उपकरण की खरीद का आकलन और फैसला लेना।
  4. जीएसएल के साथ आईआईटी-गोवा के विद्यार्थियों की इंटर्नशिप का मार्ग प्रशस्त करना।
  5. जीएसएल के कर्मचारियों के लिए तकनीक उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम कराना।
  6. उक्त उल्लिखित तकनीक क्षेत्रों में कारोबार के नए अवसर विकसित करने के लिए सामूहिक ज्ञान और तकनीक विशेषज्ञता को समायोजित करना।

रक्षा पीएसयू बीईएमएल और आईआईटी, कानपुर के बीच यूएवी के विकास के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। बीईएमएल ने एआई उत्पादों के विकास पर नैस्कॉम, बेंगलुरू के साथ एक अन्य एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने 100 करोड़ रुपये कुल मूल्य वाले मेक-2 के अंतर्गत रूसी परियोजना के लिए 46 सामानों के स्वदेशीकरण के लिए अभिरुचि पत्र जारी किए हैं।

बीईएल ने कुल 31 करोड़ रुपये मूल्य वाले 5 सामानों के स्वदेशीकरण के लिए ईओआई/आरएफपी जारी किए हैं।

i) ब्रेजिंग वायर:  ब्रेजिंग वायर एक विशेष अलॉय (मिश्र धातु) है, जिसका वर्तमान में आयात किया जा रहा है और वैक्यूम ब्रेजिंग प्रोसेस के लिए इसकी आवश्यकता होती है।

ii) मोशन प्लेटफॉर्म, 6 डिग्री ऑफ फ्रीडम और प्लेलोड 1000-2000 किलोग्राम: वर्तमान में व्हीकुलर सिमुलेटर्स के लिए इस अहम सब- असेंबली का आयात किया जाता है।

iii) छोटे आर्म सिमुलेटर्स के लिए डमी वेपन्स: विभिन्न छोटे आर्म्स सिमुलेटर्स के लिए महत्वपूर्ण ये कलपुर्जे स्वदेशी स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं।

iv) सिंगल बोर्ड कम्प्यूटर (एसबीसी) – प्रिंटिड सर्किट बोर्ड (पीसीबी): वर्तमान में इन पीसीबी का आयात किया जाता है। एसबीसी को वर्तमान और भविष्य की परियोजनाओं में उपयोग किया जाता है, इसलिए लागत बचाने और दीर्घकालिक रखरखाव के लिए इनके स्वदेशीकरण की आवश्यकता है।

v) 62 एक्स डे जूम लेन्स के डिजाइन एवं विकास। लॉन्ग रेंज डे सर्विलांस उपकरण के लिए सेना, एमएचए और अन्य एजेंसियों के लिए इसकी व्यापक आवश्यकता है। डे जूम लेन्स इस उपकरण का एक भाग है, जिसका वर्तमान में आयात किया जा रहा है। स्वदेशीकरण से इस सामान के विनिर्माण के लिए आत्म निर्भरता हासिल होगी और आयात से राहत मिलेगी।

बीडीएल ने मेक-2 के अंतर्गत कुल 15 करोड़ रुपये मूल्य के 11 सामानों के स्वदेशीकरण के लिए ईओआई/ आरएफपी जारी किए हैं। मेक-2 के अंतर्गत अंडर वाटर कनेक्टर्स, कॉन्टैक्टर्स, रिंग लेजर गायरो, प्रेशर ट्रांसड्यूसर, फ्री गायरो, हेली रिसीवर जैसे कम्पोनेंट्स और उसकी सब-असेंबलीज, एम्प्लीफायर्स, कम्युनिकेशन यूनिट जैसे एटीजीएम कम्पोनेंट्स तथा सब असेंबलीज, सैम मिसाइल्स के वार हेड के लिए ट्रांसड्यूसर सब-असेंबलीज के लिए आरएफपी जारी करने की तैयारी है। उक्त के स्वदेशीकरण से लगभग 15 करोड़ रुपये की बचत होगी।

सप्ताह भल चले आत्मनिर्भर भारत समारोहों के दौरान नई सुविधाओं का शुभारम्भ और/ अपग्रेड किया गया, अनुबंधों और एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए तथा ईओआई/ आरएफपी जारी किए गए। अपने समापन भाषण में रक्षा मंत्री ने कहा, सप्ताह भर चले समारोह के दौरान हुए कार्यक्रमों के माध्यम से देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उद्योग, शिक्षा क्षेत्र, शोध एवं विकास, प्रबंधन, कार्यबल और तकनीक क्षेत्र की एकजुटता को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत सप्ताह के समापन का दिन नहीं, बल्कि यह आत्मनिर्भरता के नए दौर की शुरुआत है।

 

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