विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन के निरंतर और दक्षतापूर्ण उत्पादन के लिए टिकाऊ, कुशल व किफायती उत्प्रेरक का संश्लेषण किया


हाइड्रोजन उत्पादन के लिए जल को विभाजित करने का कुशल तरीका विकसित करना और सौर ऊर्जा से इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करना, हमारी ऊर्जा जरूरतों के लिए टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल समाधान का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है : प्रो आशुतोष शर्मा

Posted On: 10 AUG 2020 12:40PM by PIB Delhi

जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को क्रमिक रूप से समाप्त करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, हाइड्रोजन को अगली पीढ़ी के कम कार्बन वाले  ईंधन के रूप में पेश किया जाता है। ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग का भविष्य, कुशल इलेक्ट्रो-उत्प्रेरक के डिजाइन में निहित है, जो हाइड्रोजन उत्पादन  के लिए पानी के विद्युत रासायनिक विभाजन को सुविधाजनक बना सके।

हाइड्रोजन (एच 2) विकास प्रतिक्रिया (एच ई आर) के लिए इलेक्ट्रो उत्प्रेरक की प्रभावशीलता काफी हद तक इसके स्थायित्व (मजबूती), विद्युत रासायनिक प्रतिक्रिया की अधिकता को कम करने की क्षमता, और संश्लेषण की लागत (उत्पादन) पर निर्भर करती है। व्यावसायिक रूप से उपयोग किए जाने वाले प्लेटिनम (पीटी) / कार्बन (सी) उत्प्रेरक कार्यकुशल हैं, लेकिन महंगे हैं और लंबी अवधि तक उपयोग किए जाने पर इनमें धातु आयन या इलेक्ट्रो उत्प्रेरक का क्षरण होता है।

धातु-कार्बनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ) और समन्वय पॉलिमर (सीओपी) की परिकल्पना अगली पीढ़ी के उत्प्रेरक के रूप में की गई है, क्योंकि उन्हें पानी के विभाजन की दक्षता बढ़ाने के लिए उच्च सतह क्षेत्र, कम आवेश प्रतिरोध और उच्च सक्रिय जगहों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न रूपों में तैयार किया जा सकता है। वैज्ञानिक, इलेक्ट्रो उत्प्रेरक क्षरण को रोकने के लिए एमओएफ आधारित उत्प्रेरक के सम्बन्ध में एक नए तरीके की खोज करने का प्रयास कर रहे हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (सीईएनएस) के शोधकर्ताओं ने एक नए सीओपी को संश्लेषित किया है जिसमें पैलेडियम पीडी (II) आयन शामिल हैं, जो एच – अवशोषण के लिए स्रोत के रूप में काम करते हैं, और बेंजीन टेट्रामाइन (बीटीए) बेहतर आवेश हस्तांतरण में सक्षम होता है । दोनों एच-बॉन्ड अभिक्रिया (इंटरैक्शन) के माध्यम से पीडी (बीटीए) की दो-आयामी (2 डी) शीट बनाने के लिए संयोजन करते हैं। शोध को 'एसीएस एप्लाइड एनर्जी मटेरियल' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

सीईएनएस टीम द्वारा विकसित 2 डी पीडी (बीटीए) शीट्स की चालकता को बढ़ाने के लिए इसे ग्राफीन ऑक्साइड 2 डी शीट (आरजीओ) के साथ जोड़ा गया था, ताकि चालकता को बढ़ाया जा सके व सीओपी-आरजीओ समग्र 2 डी शीट / में संलग्न पीडी नैनोपार्टिकल्स (एनपी) को प्राप्त किया जा सके जिससे एच ई आर के लिए सक्रिय जगहों को बढ़ावा मिलेगा। उपरोक्त उत्प्रेरक, जिसे [पीडी (बीटीए) – आर जी ओ] रेड के रूप में लेबल किया जाता है, ने उल्लेखनीय रूप से कम अति-क्षमता का प्रदर्शन किया। सीओपी आधारित उत्प्रेरक ने 70 घंटे तक - 300 एम ए / सी एम 2 के उच्च आवेश  घनत्व में के लिए असाधारण उच्च स्थायित्व का प्रदर्शन किया। सीईएनएस टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि 3 - 5 एनएम (नैनोमीटर) आकार के पीडी नैनोकणों के कारण [पीडी (बीटीए) – आर जी ओ] रेड की उल्लेखनीय इलेक्ट्रोकैलेटिक गतिविधि होती है।

इस प्रकार, पी डी नैनोकणों के कारण उच्च गतिविधि का संयोजन, आरजीओ के कम आवेश प्रतिरोध, और 2 डी शीट द्वारा पीडी नैनोकणों के आवरण द्वारा प्रदान की गई स्थिरता, समग्र सामग्री की उच्च दक्षता और स्थायित्व के पक्ष में काम करती है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि धातुओं / धातु आयनों के कार्बनिक आवरण की इस तकनीक को अन्य धातु आधारित इलेक्ट्रो उत्प्रेरक के सन्दर्भ में असाधारण दीर्घकालिक उत्प्रेरक स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनाया जा सकता है।

डीएसटी के सचिव श्री आशुतोष शर्मा ने कहा, "हाइड्रोजन का उत्पादन करने हेतु  पानी के विभाजन के लिए कार्यकुशल साधन विकसित करना और सौर ऊर्जा से इसके लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करना, हमारी उर्जा जरूरतों के लिए टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सिद्ध हो सकता है।"

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[प्रकाशन लिंक: डी ओ आई : 10.1021 / ए सी एस ए ई एम .9 बी 01579

अधिक जानकारी के लिए: डॉ नीना सुसन जॉन, (jsneena@cens.res.in) से संपर्क करें]

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