आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
पीएमएवाई (शहरी) के तहत स्वीकृत लगभग 10.28 लाख घरों के निर्माण का प्रस्ताव
केंद्रीय स्वीकृति और निगरानी समिति की 51वीं बैठक संपन्न
Posted On:
07 AUG 2020 7:05PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत केंद्रीय स्वीकृति और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की 51वीं बैठक 7 अगस्त 2020 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। इस बैठक में 19 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने हिस्सा लिया।
बैठक में लगभग 10.28 लाख घरों के निर्माण के लिए प्रतिभागी राज्यों के 1589 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इन घरों का निर्माण साझेदारी में लाभार्थी की भागीदारी में किफायती आवास के तहत किया जाना है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए एमओएचयूए के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा, 'पीएमएवाई (यू) में हुई प्रगति महत्वपूर्ण है। मैं राज्यों से आग्रह करता हूं कि वे 2020 तक 60 लाख घरों के निर्माण और 80 लाख की ग्राउंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करें।' उन्होंने आगे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा एआरएचसी के प्रभावी क्रियान्वयन का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'एआरएचसी एक परिवर्तनकारी योजना है। यह लाभार्थियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएगी।'
कोविड-19 महामारी के दौरान यह सीएसएमसी की पहली बैठक थी। यह इस बात को दर्शाता है कि सरकार 'सबको घर' देने के अपने विजन के साथ 2022 तक शहरी भारत के सभी पात्र लाभार्थियों को पक्के मकान उपलब्ध कराने को कितना महत्व दे रही है। आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (एमओएचयूए) पीएमएवाई (यू) के तहत निर्धारित समय के भीतर देशभर में आवास निर्माण में तेजी लाने और इसे पूरा करने पर जोर दे रहा है।
राज्यों ने भूमि, स्थलाकृतिक खतरों, अंतर-शहर पलायन, वरीयता बदलने, जीवन को नुकसान आदि जैसे विभिन्न मुद्दों के कारण परियोजनाओं के संशोधन के लिए अपने प्रस्ताव रखे।
इसक साथ ही, आज की तारीख में पीएमएवाई (यू) के तहत वैध मांग 1.12 करोड़ के मुकाबले स्वीकृत घरों की कुल संख्या 1.07 करोड़ है।
करीब 67 लाख घर निर्माण की प्रक्रिया में हैं और 35 लाख से अधिक पूरे हो चुके हैं और लोग रहने लगे हैं। मिशन के तहत कुल निवेश 6.32 लाख करोड़ का है, जिसमें से केंद्रीय सहायता 1.68 लाख करोड़ की है। इसमें से 72,646 करोड़ का फंड जारी किया जा चुका है।
इस बैठक में शहरी श्रमिकों/गरीबों के लिए पीएमएवाई (यू) के तहत किफायती रेंटल हाउसिंग परिसरों (एआरएचसी) को लेकर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से जबर्दस्त प्रतिक्रिया आई। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस योजना के बारे में बताया गया और इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उचित उपाय का अनुरोध किया गया। 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एआरएचसी एक बड़ा कदम है।
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