वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
श्री पीयूष गोयल ने सभी देशों से अपने व्यापार में पारदर्शिता बढ़ाने और विश्वास कायम करने का आह्वान किया;
मंत्री श्री गोयल ने सस्ती कीमतों पर दवाओं तक पहुंच में आने वाली कई बाधाओं को दूर करने पर बल दिया;
विश्व व्यापार संगठन की सुधार प्रक्रिया समावेशी, संतुलित और सर्वसम्मति आधारित होनी चाहिए
श्री गोयल ने ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्रियों की 10वीं वर्चुअल बैठक में भाग लिया
Posted On:
23 JUL 2020 8:19PM by PIB Delhi
वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने सभी देशों से अपने व्यापार में पारदर्शिता बढ़ाने और श्रेष्ठ व्यापार भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को खत्म होने से रोकने के लिए विश्वास बनाए रखने का आह्वान किया है। आज ब्रिक्स व्यापार मंत्रियों की 10वीं वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि व्यापार में पुन:प्राप्ति की प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए, सभी भागीदारों को भरोसेमंद और पारदर्शी होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह विश्वास और पारदर्शिता ही है जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता को निर्धारित करती है और राष्ट्रों को इस वैश्विक व्यापार प्रवाह का हिस्सा बने रहने के लिए व्यापार के वैश्विक नियमों का अनुपालन करना चाहिए। तेजी से, वैसे राष्ट्र जो एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, विनिर्माण और सेवाओं में संबंधित निवेश के साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं।”
मंत्री श्री गोयल ने कहा कि जारी इस वैश्विक संकट ने पूरे विश्व को उनकी कमजोरियों से अवगत कराया है, जिससे हमें एक-दूसरे का सहयोग करने के तरीके तलाशने पर मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि व्यापार इस तरह के परिदृश्य में विकास को पुनर्जीवित करने का एक सशक्त माध्यम हो सकता है और इसका अर्थ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अपने खुलेपन, निष्पक्षता, पारदर्शिता, समावेशिता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों पर आधारित है।
श्री पीयूष गोयल ने बौद्धिक संपदा की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत सस्ती कीमतों पर दवाओं तक पहुंच में आ रही बाधाओं को दूर करने का आह्वान किया। उन्होंने उल्लेख किया कि ट्रिप्स (TRIPS) समझौते में महामारी की परिकल्पना नहीं की गई थी जहां टीके और दवाओं की मांग एक साथ कई देशों से आएगी, और साथ ही इसमें आवश्यकता तेजी से बदलती रहेगी और वर्तमान परिदृश्य में ऐसा हो भी रहा है। उन्होंने कहा कि आईपीआर को बीमारी के इलाज के लिए जरूरी दवाओं और अन्य उपकरणों तक पहुंच को अवरुद्ध नहीं करना चाहिए।
श्री गोयल ने कहा कि महामारी ने हमें विरोधाभासी रूप से- क्षमता निर्माण के द्वारा खुद को मजबूत करने के लिए, विनिर्माण का विस्तार करने के साथ-साथ वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में प्रवेश करने के लिए- एक विशेष अवसर प्रदान किया है। मंत्री ने कहा कि चूंकि ब्रिक्स सदस्य देश विश्व में इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से हैं, इसलिए हमें इस तरह के अज्ञात संकट का सामना करने के लिए तैयार रहने हेतु सामूहिक रूप से मजबूत इच्छाशक्ति को दिखाना चाहिए।
श्री गोयल ने कहा कि बहुपक्षीय नियम-आधारित व्यापार प्रणाली एकतरफा उपायों तथा प्रतिवादों का एक समूह, वार्ता के प्रमुख क्षेत्रों में गतिरोध और अपीलीय निकाय में अवरोध जैसी कई गंभीर और कठिन चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के अधिकांश सदस्य देशों के लिए, अपने मौलिक सिद्धांतों और उद्देश्यों को संरक्षित कर बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन में सुधार प्रक्रिया के समय इन मौजूदा वास्तविकताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए और इसलिए सभी की समृद्धि के लिए समावेशी, संतुलित और सर्वसम्मति आधारित व्यवस्था बनायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, "यह निराशाजनक है कि हम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कुछ प्रस्तावों को वाणिज्यिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए इस महामारी का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं। विकासशील देशों के बाजारों में निर्बाध रूप से पहुंच सकने के विकसित देशों की कंपनियों के लक्ष्य को आवश्यक रूप से सहायता देगा और साथ ही घरेलू विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए विकासशील देशों के रास्ते में अवरोध उत्पन्न न किए जाए।"
2020 को बहुपक्षवाद के इतिहास में विशेष रूप से ब्रिक्स समूह के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताते हुए, मंत्री श्री गोयल ने कहा कि किसी भी आर्थिक भागीदारी में प्रत्येक देश के विभिन्न आकार और जनसंख्या, आर्थिक विकास तथा मानव विकास संकेतकों के असमान स्तर, समृद्धि की विभिन्न परिस्थितियों, सांस्कृतिक विविधता और काफी अलग राजनीतिक और न्यायिक प्रणाली को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें मानवता को अपने वैश्विक जुड़ाव के केंद्र में रखते हुए इस प्रकार का वातावरण तैयार करना चाहिए कि वायरस से प्रभावित देशों को किसी भी स्तर पर मानवीय राहत प्रदान करने में पीछे न रहे। भारत ने इस मुश्किल समय में लगभग 150 देशों को महत्वपूर्ण चिकित्सीय आपूर्ति प्रदान की है। “विश्व के लिए दवा उपलब्ध कराने वाला (फार्मेसी)” के रूप में हमने कोविड-19 के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल की मांग में बढ़ोतरी देखी है और इसे उपलब्ध भी कराया है।
इस महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों का आकलन करने और उनसे निपटने में भारत की सक्रिय भूमिका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन की रक्षा करना हमारे देश की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। “विश्व की आबादी का लगभग 17 प्रतिशत होने के बावजूद, हमारे यहां विश्व भर में कोविड-19 रोगियों की संख्या वैश्विक स्तर पर केवल 8 प्रतिशत ही है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, हमने प्रारंभिक चरण में सबसे गंभीर लॉकडाउन (पूर्णबंदी) में से एक को लागू किया, जिससे कोरोना-वायरस फैलाव की श्रृंखला टूट गई और उसके बाद देश को कोविड केयर सुविधा में आत्मनिर्भर बनने के लिए तैयार भी किया। हमने कई अन्य देशों की तुलना में कम मृत्यु दर और उच्च स्वस्थ होने की दर से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।” महामारी के इस दौर में, भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास, आपातकालीन कमरों की संख्या में वृद्धि, सुरक्षात्मक उपकरणों की व्यवस्था और चिकित्सा आपूर्ति के प्रावधान तथा स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण के साथ अपनी क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। हमारे लोग भी सार्वजनिक स्थलों पर सामाजिक दूरी बनाए रखने और हर समय फेस मास्क पहनने के लिए जागरूक है।
महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों को कम करने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए, श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 300 बिलियन डॉलर से अधिक के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जिसे आत्मनिर्भर भारत कहा जाता है और जिसे स्वावलंबी भारत के रूप में भी परिभाषित किया गया है तथा इसके तहत राजकोषीय और मौद्रिक उपाय भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस मिशन की रूपरेखा अर्थव्यवस्था के पांच स्तंभों पर आधारित है: बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण, प्रौद्योगिकी, सुशासन के विभिन्न पहलुओं, जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना और मांग को आगे बढ़ाना।
श्री गोयल ने जिम्मेदार निवेश का समर्थन करने के लिए ब्रिक्स जैसे मंच से सदस्य देशों का आह्वान करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य संतुलित परिणामों के लिए होना चाहिए तथा प्राप्तकर्ता देशों को भी लाभ मिलना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे रोजगार सृजन भी होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि इस उथल-पुथल के दौर में ब्रिक्स देशों को एक दूसरे के साथ हर-समय तैयार रहना, कार्य करना और एकजुट होना ही होगा और उन अवसरों का लाभ उठाने के लिए तत्पर रहना चाहिए जो हमारे साझा आकांक्षाओं की नींव रखने वाले एक मजबूत, सशक्त और व्यवस्थित व्यापार प्रणाली का निर्माण करते हैं।
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