जनजातीय कार्य मंत्रालय
ट्रिफेड ने जनजातीय वाणिज्य के डिजिटाइजेशन की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई
Posted On:
25 JUN 2020 6:16PM by PIB Delhi
जनजातीय मामले मंत्रालय के तहत ट्रिफेड वनों में रहने वाले लगभग 50 लाख जनजातीय परिवारों को उनके कौशल समूहों से जोड़ते हुए, गौण वन ऊपजों और हस्तकरघा तथा हस्तशिल्पों के उनके व्यापार में जनजातीय परिवारों को समुचित मूल्य सुनिश्चित कराने के द्वारा उनके सवश्रेष्ठ हितों में जनजातीय वाणिज्य के संवर्धन के लिए कार्य करता है। एनआईटीआई द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार इस व्यापार का मूल्य लगभग 2 लाख करोड़ रुपये सालाना है। इन गतिविधियों को और आगे बढ़ाने तथा उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए ट्रिफेड ने मानचित्रण करने तथा इसके ग्राम आधारित जनजातीय उत्पादकों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के मानक अत्याधुनिक प्लेटफार्म की स्थापना करते हुए एक डिजिटाइजेशन मुहिम शुरू की है।
इस डिजिटल रूपांतरण कार्यनीति में एक अत्याधुनिक वेबसाइट (https://trifed.tribal.gov.in/) जनजातीय कारगरों के लिए व्यापार करने तथा सीधे अपनी ऊपजों के विपणन करने के लिए एक ई-मार्केट प्लेस की स्थापना करने, इसकी वन धन योजना, ग्रामीण हाटों तथा वेयरहाउसों जिससे वे लिंक्ड हैं, से जुड़े वनवासियों से संबंधित सभी जानकारियों का डिजिटाइजेशन शामिल है। जनजातीय जीवन एवं वाणिज्य के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, ट्रिफेड ने सरकारी और निजी व्यापार तथा जनजातीयों को संबंधित भुगतानों के जरिये एमएफपी की खरीद का डिजिटाइजेशन भी आरंभ किया है। इसके अगस्त के आखिर से आरंभ हो जाने की उम्मीद है।
ट्रिफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्णा ने कहा, ‘अब यह पूरी तरह स्वीकृत है कि ई-कॉमर्स खुदरा व्यापार का भविष्य है। भारत में बड़ी संख्या में लोगों ने ऑनलाइन शॉपिंग को अपना लिया है। ट्रिफेड को कार्यनीतिक रूप से उभरती स्थिति का प्रत्युत्तर देना है। इसी परिप्रक्ष्य में डिजिटाइजेशन कार्यनीति का निर्माण किया गया है।’
ट्रिफेड की वेबसाइट https://trifed.tribal.gov.in/ संगठन से संबंधित सभी जानकारियां प्रस्तुत करती है, ये जनजातीय कल्याण की योजनाएं हैं। यह साइट मिशन में कनेक्ट करने तथा सहयोग करने का एक प्लेटफार्म है, जिससे कि देश भर के जनजातीय समुदायों को अधिकारसंपन्न बनाने के लिए एक जीआईएस प्लेटफार्म के जरिये दोतरफा संचार एवं सूचना आदान-प्रदान मोड से लिंक किया जाए।
ट्रिफेड की व्यावसायिक सहायक कंपनी, ट्राइब्स इंडिया ने एक ई-कॉमर्स पोर्टल https://www.tribesindia.com/लॉन्च किया है, जो जनजातीय उत्पादों के एक बड़े रेंज की ऑनलाइन पेशकश करता है। इन उत्पादों में रचनात्मक उत्कृष्ट कृतियों और डोकरा धातु शिल्प कृतियों से लेकर मिट्टी के सुंदर बर्तनों, विभिन्न प्रकार की पेंटिंग से लेकर रंगीन, आरामदायक अपैरल, विशिष्ट आभूषण तथा जैविक और प्राकृतिक फूड और पेय पदार्थ शामिल हैं।
ट्रिफेड ने अपने जनजातीय कारीगरों को बाजार सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील एवं पेटीएम जैसे अन्य ई-कॉमर्स पोर्टलों से भी साझीदारी की है। सरकार द्वारा खरीदों को सुगम बनाने के लिए ट्राइब्स इंडिया उत्पाद जीईएम पर भी उपलब्ध हैं। सरकारी विभाग, मंत्रालय तथा पीएसयू जीएफआर विनियमनों के अनुरूप सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) तथा दुकानों के बरास्ते ट्राइब्स इंडिया को एक्सेस कर सकते हैं।
रिटेल इंवेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम, जिसने सोर्सिंग और स्टॉक की बिक्री को स्वचालित किया है के बाद ट्राइब्स इंडिया ई-मार्केट प्लेस एक महत्वांकाक्षी पहल है जिससे कि ई-मार्केट प्लेटफार्म पर लगभग 5 लाख जनजातीय कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच उपलब्ध कराया जा सके। इसके अगस्त 2020के आखिर तक आरभ हो जाने की उम्मीद है।
ट्रिफेड का वन धन समेकित इंफार्मेशन नेटवर्क उन्हें ग्रामीण हाटों तथा वेयरहाउसों से जोड़ते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रचालनों तथा इसकी वन धन योजना से जुड़े वन वासियों से संबंधित सभी सूचनाओं के संग्रह को सुगम बनाता है। यह सुगम कार्यान्वयन में मदद करने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम की निगरानी करने एवं निर्णय लेने में सहायता करता है। इस स्कीम को 22 राज्यों में कार्यान्वित किया गया है जो लगभग 10 लाख जनजातीय परिवारों के जीवन को छूता है। देश भर में चिन्हित और मानचित्रित जनजातीय क्लस्टर आत्म-निर्भर अभियान के तहत योग्य लाभार्थी हैं। इसका लक्ष्य विभिन्न मंत्रालयों तथा एजेन्सियों के साथ समन्वयन में काम करना तथा इन निर्बल और विपदाग्रस्त समुदायों तक लाभ पहुंचाने में मदद करना है। ट्रिफेड आत्म-निर्भर अभियान के तहत जनजातीय प्रयोजन की पक्षधरता करने एवं सहायता करने के लिए सुसज्जित है।
अपने आंतरिक एमआईएस के लिए एक आटोमेशन मुहिम में, ट्रिफेड ने भी निम्नलिखित प्रणालियों-भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय से लीगल इंफार्मेशन मैनेजमेंट बिजनेस (एलआईएमबीएस), केंद्रीकृत वित प्रणाली (टैली) एवं भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा स्थापित मानव संसाधन प्रणाली-की तरफ बढ़ने के द्वारा पिछले वर्ष में उल्लेखनीय प्रगति की है।
इस आपदा की अवधि में, पूरे संगठन का डिजिटल रूपांतरण ही यह सुनिश्चित करने का है कि आजीविकाएं बाधित न हों, एकमात्र व्यावहार्य रास्ता प्रतीत होता है।
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एसजी/एएम/एसकेजे/एसएस
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