विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
अनुसंधान और नवाचार के लिए सुविधा प्रदान करना : जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 4कोविड -19बायो-बैंक की स्थापना
Posted On:
30 MAY 2020 1:48PM by PIB Delhi

कोविड-19महामारी को नियंत्रित करने के लिए आरएंडडी के प्रयास टीके, निदान और औषधि के विकास पर आधारित होते हैं। आरएंडडी प्रयासों के लिए कोविड-19पॉजिटिव लोगों के नमूने मूल्यवान संसाधन होते हैं। नीति आयोग ने हाल ही में कोविड-19से संबंधित अनुसंधान के लिए जैव नमूनों और डेटा को साझा करने से सम्बंधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कैबिनेट सचिव के निर्देशों के अनुसार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19रोगियों के नैदानिक नमूनों (मुंह का लार/नाक द्रव/गला, फेफड़ा द्रव/थूक/रक्त/मूत्र और मल) के संग्रह, भंडारण और रख-रखाव (नमूनों को बनाये रखना) के लिए 16 जैव – भण्डार (बायो-रिपॉजिटरी) की अधिसूचना जारी की है।
16 बायो रिपोजिटरी की सूची इस प्रकार है: आईसीएमआर-9, डीबीटी-4 और सीएसआईआर-3।जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत चार बायो रिपोजिटरी हैं - एन सी आर –बायोटेक साइंस सेंटर (i) टीएचएसटीआई, फरीदाबाद-नैदानिक नमूने (ii) आरसीबी फरीदाबाद-वायरल सैंपल, इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज, भुवनेश्वर, इनस्टेम, बैंगलोर और आईएलबीएस, नई दिल्ली। कोविड-19 रोगियों के नमूनों (मुंह का लार/नाक द्रव/गला, फेफड़ा द्रव/थूक/रक्त/मूत्र और मल) का संग्रह किया जाएगा और इसे सुरक्षित रखा जायेगा ताकि भविष्य में निदान, चिकित्सा विज्ञान, टीके आदि विकसित करने के लिए इसका उपयोग किया जा सके।
ये नामित सुविधाएं नमूना संग्रह, परिवहन, विभाजन, भंडारण और साझा करने के लिए समान मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित करेंगी। कोविड-19 नमूनों के लिए जैव बैंकों की भूमिका निम्न होगी - वैक्सीन और उपचार का विकास करना; नाक द्रव समेत नमूनों के रख-रखाव के बारे में मार्गदर्शन; और उन परिस्थितियों का विवरण, जिसके अंतर्गत बीएसएल-3 से सम्बंधित निर्देशों का पालन किया जाना है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग भविष्य कीएक बेहतर रणनीतिक योजना के माध्यम से इन कोविड-19 नामित जैव-बैंक सुविधाओं का समर्थन करेगा, ताकि समय के साथ नये तकनीकी हस्तक्षेप विकसित किये जा सकें। ये नामित बायो - रिपोजिटरी अपने संबंधित संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास के उद्देश्य के लिए रोग-संबंधी नमूनों का उपयोग करेंगे।
इसके अलावा,बायो –रिपोजिटरीनिदान,चिकित्सा,वैक्सीन आदि के विकास में शामिल अकादमिक, उद्योग और वाणिज्यिक संस्थाओं के साथ नमूने साझा करने के लिए भी अधिकृत किये गए हैं। लेकिन नमूने साझा करने से पहले बायो –रिपोजिटरीअनुरोध के उद्देश्य की जांच करेंगे और देश को मिलने वाले लाभ को भी सुनिश्चित करेंगे।क्लीनिकल और वायरल दोनों के लिए तरह के जैव-नमूनों को साझा करना, हमारे शोधकर्ताओं, स्टार्ट-अप्स और उद्योग द्वारा नई प्रौद्योगिकी और उत्पाद विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह आत्म-निर्भर भारत बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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