Posted On:
24 DEC 2019 12:06PM by PIB Delhi
वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाली जीडीपी बनने की कल्पना के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभर सकती है। हमारा दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करना है कि इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की तरफ से कम से कम 2 ट्रिलियन डॉलर का योगदान आए। इसे पूरा करने के लिए एमएसएमई मंत्रालय ने एमएसएमई के सशक्तिकरण के लिए प्रौद्योगिकी उन्नति, कौशल विकास और रोजगार सृजन जैसे कई कदम उठाए हैं।
प्रधानमंत्री का रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी):
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत 65,312 नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना की गई है, रोजगार के 5,22,496 अवसर उत्पन्न हुए हैं और 1929.83 करोड़ रुपये मूल्य की मार्जिन मनी सब्सिडी का उपयोग किया गया है।
पीएमईजीपी दरअसल 2008-09 से एमएसएमई मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक मुख्य क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी का कार्यक्रम है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में पारंपरिक कारीगरों और बेरोजगार युवाओं की मदद करके गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्व-रोजगार के अवसर पैदा करना है।
क्लस्टर विकास कार्यक्रम:
सूक्ष्म लघु उद्यम - क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी):
1) 17 आम सुविधा केंद्रों और 14 बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं को चालू किया गया है।
2) 24 आम सुविधा केंद्रों और 25 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूर किया गया है।
स्फूर्ति क्लस्टरः
पूर्व में स्वीकृत किए गए 51 स्फूर्ति (पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए फंड योजना) क्लस्टरों का काम पूरा हो चुका है और वे चालू हो चुके हैं। इसके अलावा स्फूर्ति क्लस्टरों के 78 प्रस्तावों को योजना संचालन समिति द्वारा मंजूर किया जा चुका है जिसने 1 जनवरी 2019 से अब तक लगभग 48608 कारीगरों / श्रमिकों को लाभान्वित किया है।
सौर चरखा क्लस्टर:
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 27 जून 2018 को नई दिल्ली में एक समारोह में सौर चरखा मिशन का शुभारंभ किया।
सौर चरखा समूहों की 11 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान योजना संचालन समिति द्वारा मंजूर कर दिया गया है।
क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी को फिर से शुरू किया गयाः
सरकार ने फरवरी 2019 में क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी - प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना (सीएलसीएस-टीयूएस) के तहत क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी के घटक को जारी रखने को मंजूरी दे दी। विकास आयुक्त कार्यालय (एमएसएमई) और नोडल बैंकों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ 05.09.2019 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा इस योजना के क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी घटक को शुरू किया गया। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 338.01 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी धन निधि (सीजीटीएमएसई):
इस निधि के तहत 33,381 करोड़ रुपये की गारंटी के बराबर 5,46,127 क्रेडिट सुविधाओं को मंजूर किया गया है।
प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रम (टीसीएसपी):
एमएसएमई मंत्रालय विश्व बैंक की 200 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता समेत 2200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रम (टीसीएसपी) को लागू कर रहा है ताकि 15 नए टूल कक्ष और प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (टीसीएस) स्थापित किए जा सकें और देश भर में मौजूदा 18 टीसीएस का उन्नयन किया जा सके। भिवाड़ी, भोपाल, पुड्डी और तिनसुकिया में चार प्रौद्योगिकी केंद्र कमीशन के लिए तैयार हैं।
मंत्रालय के प्रौद्योगिकी केंद्रों और अन्य प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से कौशल प्राप्त करने वाले युवाओं की संख्या: 3,59,361
जीईएम - सरकार का ई-मार्केटप्लेस:
· जीईएम पर सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) का पंजीकरण: 62,085
· जीईएम पोर्टल पर मूल्य रखने वाले 50.74 फीसदी ऑर्डर एमएसई से हैं।
· सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) की इकाइयों के लिए सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) से 20 फीसदी के बजाय 25 फीसदी खरीद करना अनिवार्य कर दिया है।
· 71,199 एमएसई से 20,139.91 करोड़ रुपये मूल्य के सामान और सेवाओं की प्राप्ति हुई। एमएसई से हुई खरीद सीपीएसई की कुल खरीद के 28.49 फीसदी के बराबर है।
डिजिटल एमएसएमई: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एमएसएमई को लाने और उन्हें डिजिटल पहचान प्रदान करने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) जैसे संगठनों को साथ लाया गया है। एमएसएमई हितधारकों के लिए और सभी एमएसएमई सेवा प्रदाताओं को एक मंच पर लाने के लिए पूरे देश में जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
लीन मैन्युफैक्चरिंग: भारतीय गुणवत्ता परिषद् (क्यूसीआई) और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद् (एनपीसी) के माध्यम से पूरे देश में एमएसएमई के 267 क्लस्टरों में इस योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना को अधिक एमएसएमई क्लस्टरों तक ले जाने के लिए राज्य सरकारों और उद्योग संघों को भी साथ लाया गया है।
इनक्यूबेशनः200 से अधिक तकनीकी संस्थानों, उद्योग संघों, सामाजिक उद्यमों के लिए इनक्यूबेशन केंद्रों को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत वित्त सहायता के लिए नवीन विचारों वाले कारोबारी प्रस्तावों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत स्टार्टअप उद्यमियों को 1 करोड़ रुपये तक की प्रारंभिक पूंजी प्रदान की गई है।
डिजाइन क्लिनिक: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी), उद्योग संघों, सामाजिक उद्यमों और ग्रामीण व कला आधारित उद्यमों समेत एमएसएमई उद्यमियों को डिजाइन सहायता मुहैया करवाने वाले स्वयं सहायता समूहों के अंतर्गत विभिन्न तकनीकी संस्थानों के लिए इस डिज़ाइन योजना को शुरू किया गया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन (एनआईडी) द्वारा पहले से ही चलाए जा रहे चार केंद्रों के अलावा विभिन्न स्थानों पर 80 से अधिक नए डिज़ाइन केंद्र खोले गए हैं। सभी एमएसएमई और छात्रों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे इस योजना के तहत फंडिंग के लिए अपने डिजाइन प्रोजेक्ट प्रस्तुत करें।
ज़ीरो डिफेक्ट ज़ीरो डिफेक्ट (जेडईडी) प्रमाणन योजनाः इस योजना के शुरू होने के बाद से 23070 एमएसएमई को जेडईडी योजना के तहत पंजीकृत किया जा चुका है। जेडईडी की यात्रा में 10 लाख से ज्यादा एमएसएमई को साथ लाने के लिए इस योजना के मापदंडों को सरल किया जा रहा है। इस योजना तक व्यापक पहुंच के लिए सभी उद्योग संघों और तकनीकी संस्थानों को साथ लाया जा रहा है।
बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर जागरूकता निर्मित करने की योजना: देश के विभिन्न हिस्सों में 60 से अधिक नए आईपी सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं ताकि एक वकील एमएसएमई को अपने आवेदन करने और ट्रेडमार्क व पेटेंट पंजीकृत करवाने में सहायता कर सके। जीआई के पंजीकरण का आवेदन करने के लिए एफपीओ को सहायता मिलेगी। एमएसएमई को विभिन्न आईपीआर के पंजीकरण के लिए भरपाई दी जा रही है। एमएसएमई के बीच आईपी अधिकारों के लिए अधिक से अधिक जागरूकता पैदा की जा रही है।
अधिप्राप्ति और विपणन सहायता: देश के सभी 731 ज़िलों के लिए जिला उद्यम समागमों की योजना बन चुकी है और उन्हें मंजूर किया जा चुका है। राज्य सरकारों / उद्योग संघों / सामाजिक उद्यमों के माध्यम से 350 से अधिक कार्यक्रमों के लिए देश भर में व्यापार मेलों / प्रदर्शनियों / जागरूकता कार्यक्रमों / सम्मेलन के आयोजन के लिए पीएमएस के तहत 80 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी): राज्य सरकारों / उद्योग संघों / सामाजिक उद्यमों / सरकारी निगमों के माध्यम से पूरे देश में विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों के आयोजन के लिए ईएसडीपी के अंतर्गत 135 करोड़ रुपये से ज्यादा को मंजूर किया गया है। इस वर्ष के लिए कुल 3000 कार्यक्रम संचालित / स्वीकृत किए गए हैं।
यू. के. सिन्हा समिति की सिफारिशें:
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर श्री यू. के. सिन्हा के अंतर्गत आरबीआई की विशेषज्ञ समिति ने 37 प्रमुख सिफारिशें कीं। संबंधित मंत्रालयों / विभागों / संगठनों / राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने लिहाज से प्रासंगिक और कार्रवाई किए जा सकने वाले बिंदुओं पर कार्रवाई करें। इस समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति (सीओएस) की एक बैठक 31.10.2019 को आयोजित की गई थी।
एसएमई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
· एमएसएमई मंत्रालय द्वारा विदेश मंत्रालय के आर्थिक कूटनीति व राज्य विभाग और इंडिया एसएमई फोरम के सहयोग से 27-29 जून को दूसरा अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें भारत से 1385 और 44 देशों के 175 उद्यमियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में यूरोपीय, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों सहित 16 देशों के राजदूतों ने अपने संबंधित वाणिज्यिक वर्गों के साथ व्यापार के अवसर प्रस्तुत किए।
पहले से तय 198बी2बी बैठकों का आयोजन किया गया और भविष्य के संभावित सहयोग के लिए 42 आशय पत्र दायर किए गए। भारतीय उद्यमियों द्वारा 729 बी2बी ट्रेड कनेक्ट फॉर्म दायर किए गए थे। अंतर्राष्ट्रीय बी2बी मिलान के लिए कुल 3015 अनुरोध प्राप्त हुए जिसके लिए एक अंतर्राष्ट्रीय एसएमई द्वार की योजना बनाई जा रही है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और पुडुचेरी में एक प्लांट स्थापित करने के लिए स्पेनिश कंपनी एमसीयू कोटिंग्स और भारतीय कंपनी हाईटेक इंजीनियर्स के बीच 10 मिलियन डॉलर के संयुक्त निवेश के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
· एमएसएमई मंत्रालय ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) नई दिल्ली के साथ साझेदारी में 24-25 सितंबर 2019 को 16वें वैश्विक एसएमई व्यापार शिखर सम्मेलन 2019 का आयोजन किया। इसका उद्देश्य था नवीन प्रौद्योगिकियों को स्वीकार करते हुए एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और स्थायी व महत्वपूर्ण वैश्विक भागीदारियों के निर्माण के माध्यम से उनकी तरक्की को प्रोत्साहित करना।
खादी को लोकप्रिय करना और ग्रामीण उद्योगों को सशक्त बनाना:
· खादी को अलग एचएस कोड प्राप्त होता है, बढ़ावा पाने के लिए निर्यात भी: खादी को निर्यात में अपने उत्पादों को वर्गीकृत करने के लिए 4 नवंबर को केंद्र सरकार द्वारा जारी एक विशेष एचएस कोड मिला है। कपड़ा उत्पादों के सामान्य वर्ग से विशेष रूप से वर्गीकृत खादी का निर्यात करने का कदम लंबे समय से प्रतीक्षित था, उसके लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इस सप्ताह भारत के हस्ताक्षर वाले इस कपड़े के लिए अलग से एचएस कोड आवंटित किया है।
सरकार के इस फैसले से खादी निर्यात के क्षेत्र में एक नया अध्याय खुलेगा। इससे पहले खादी का अपना विशिष्ट एचएस कोड नहीं था। नतीजतन इस सिग्नेचर फैब्रिक के निर्यात के बारे में सभी आंकड़े टेक्सटाइल श्रेणी के अंतर्गत एक सामान्य कपड़े के रूप में आते थे। अब मंत्रालय निर्यात के आंकड़ों पर लगातार नजर रख सकेगा जिससे उस अनुसार निर्यात रणनीतियों की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
· गेल और पीएफसी से 6 करोड़ रुपये मूल्य के केवीआईसी थैलों का ताजा ऑर्डरः खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) से 5.88 करोड़ रुपये और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, नई दिल्ली (पीएफसी) से 75 लाख रुपये के ऑर्डर खादी उपहार कूपन के रूप में प्राप्त किए हैं। केवीआईसी के सभी विभागीय बिक्री आउटलेट से कर्मचारी साल भर इन उपहार कूपनों को भुना सकते हैं। यह कदम निश्चित रूप से खादी के उत्पाद बाजार का विस्तार करेगा।
· केवीआईसी द्वारा गोवा में नई पहल की गईं: केवीआईसी ने हाल ही में गोवा में 160 परिवारों को मिट्टी के बर्तन बनाने वाली मशीन (इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील) और 50 प्रशिक्षित महिलाओं को नए मॉडल चरखे वितरित किए। इससे 700 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। केवीआईसी गोवा में एक लिज्जत पापड़ इकाई भी स्थापित कर रहा है जो स्थानीय महिलाओं के लिए 200 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा। यह ध्यान देने की बात है कि ये पहल गोवा में अपनी तरह की पहली पहल है क्योंकि पहले यहां कोई भी कताई और बुनाई की गतिविधि नहीं थी, कोई लिज्जत पापड़ की इकाई नहीं थी। इसके अलावा पहली बार इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील्स दिए गए हैं जो मिट्टी के बर्तन बनाने वाली पारंपरिक चाकों की जगह लेंगे जिनमें बहुत श्रम लगता था और उत्पादन के लिहाज से भी पारंपरिक चाक कम कुशल थे। गोवा राज्य में 43 मधुमक्खी पालकों को 215 मधुमक्खी-बॉक्स वितरित किए गए।
· जम्मू एवं कश्मीर की आतंकवाद से प्रभावित महिलाओं द्वारा बनाए गए खादी रुमाल की बिक्री की शुरुआतः केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी ने 17 दिसंबर 2019 को उन खादी रुमालों की बिक्री की शुरुआत की जिन्हें जम्मू एवं कश्मीर की आतंकवाद से प्रभावित महिलाओं ने बनाया है। खादी रुमाल की बिक्री पूरे जम्मू एवं कश्मीर की महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी और उन्हें स्वतंत्र और सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम करेगी। केवीआईसी ने अपने ऑनलाइन मंच और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से खादी रुमाल के 2 करोड़ पैकेट बेचने के लिए पेटीएम के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/जीएसबी-5051