महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
महिला और बाल विकास मंत्रालय वर्षांत समीक्षा 2019
बेहतर पोषण के लिए भारतीय पोषण कृषि कोष का शुभारम्भ
सितंबर 2019 में पोषण माह के दौरान 8.5 करोड़ लाभार्थियों को मिला लाभ
त्वरित न्याय के लिए पोस्को अधिनियम में किया गया संशोधन
Posted On:
23 DEC 2019 4:04PM by PIB Delhi
बाल विकास, सुरक्षा एवं कल्याण
बच्चों का विकास, देखरेख और सुरक्षा सुनिश्चित करने के क्रम में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोग देने के वास्ते बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता और शिक्षा, पोषण, संस्थागत और कानूनी सहयोग उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय ने भारतीय पोषण कृषि कोष का किया शुभारम्भ
केंद्रीय महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) और कपड़ा मंत्री स्मृति जुबीन ईरानी ने बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह अध्यक्ष बिल गेट्स के साथ 18 दिसंबर, 2019 को नई दिल्ली में भारतीय पोषण कृषि कोष (बीपीकेके) का शुभारम्भ किया। बीपीकेके बेहतर पोषण के लिए भारत में 128 कृषि जलवायु क्षेत्रों की विविध फसलों के लिए भंडार गृह होगा।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय की तरफ से हार्वर्ड चान स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ के माध्यम से अपने भारतीय शोध केंद्र और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन क्षेत्रीय आहार पद्धतियों को लेखनीबद्ध और उनका आकलन करेगा। इसके साथ ही इससे जुड़े संदेशों का प्रसार किया जाएगा और क्षेत्रीय कृषि खाद्य प्रणालियों पर खाद्य मानचित का विकास होगा। दोनों प्रयासों का उद्देश्य समाज के विविध क्षेत्रों को संगठित करना है।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ परामर्श में परियोजना दल 12 राज्यों का चयन करेगा, जो भारत की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और ढांचागत विविधता का प्रतिनिधित्व करते हों। हर राज्य या राज्यों के समूह में परियोजना दल स्थानीय स्तर पर भागीदार की पहचान करेगा, जिसे सामाजिक और व्यावहारिक बदलाव संवाद (एसबीसीसी) और खाद्य मानचित्र के विकास के लिए पोषण में अनुभव हो।
पोषण माह के रूप में मनाया गया सितंबर 2019
इस साल सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया गया और देश भर में एक महीने में 3.6 करोड़ पोषण से संबंधित गतिविधियां हुईं।
पोषण माह के दौरान 13 लाख आंगनवाड़ी कार्यकत्री, 12 लाख आंगनवाड़ी सहायक और राज्य एजेंसियों ने 8.5 करोड़ लाभार्थियों से संपर्क किया।
बीते तीन साल के दौरान पोषण अभियान के अंतर्गत धनराशि का आवंटन 2017-18 के 950 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 3,061.30 करोड़ रुपये और 2019-20 में 3,400 करोड़ रुपये हो गया।
पोषण अभियान के अंतर्गत पोषक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं है। पूरक पोषण उपलब्ध कराना आंगनवाड़ी सेवा योजना का एक हिस्सा है। पोषण अभियान विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न पोषण संबंधी योजनाओं/पहलों एक साथ लाना सुनिश्चित करता है।
2017-18, 2018-19 और चालू वित्त वर्ष के दौरान पोषण अभियान के अंतर्गत जारी धनराशि का विवरण निम्नलिखित हैं:
|
|
|
धनराशि लाख रुपये में
|
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
वित्त वर्ष 2017-18 में जारी धनराशि
|
वित्त वर्ष 2018-19 में जारी धनराशि
|
वित्त वर्ष 2019-20 में जारी धनराशि
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
1284.63
|
8604.68
|
5582.52
|
2
|
बिहार
|
6724.06
|
15001.67
|
10000
|
3
|
छत्तीसगढ़
|
965.45
|
9629.51
|
0
|
4
|
दिल्ली
|
945.95
|
2206.88
|
0
|
5
|
गोवा
|
238.07
|
197.78
|
0
|
6
|
गुजरात
|
3036.66
|
11228.04
|
7531
|
7
|
हरियाणा
|
400.97
|
5992.46
|
0
|
8
|
हिमाचल प्रदेश
|
1557.26
|
4153.15
|
2480
|
9
|
जम्मू और कश्मीर
|
388.59
|
8343.52
|
0
|
10
|
झारखंड
|
1555.35
|
5110.45
|
0
|
11
|
कर्नाटक
|
3351.05
|
9870.89
|
0
|
12
|
केरल
|
1273.37
|
6491.91
|
0
|
13
|
मध्य प्रदेश
|
3441.49
|
15894.17
|
17883
|
14
|
महाराष्ट्र
|
2572.31
|
20989.28
|
33061.47
|
15
|
ओडिशा
|
4600.46
|
10571.65
|
0
|
16
|
पुडुचेरी
|
39.24
|
393.7
|
497
|
17
|
पंजाब
|
819.51
|
6090.33
|
0
|
18
|
राजस्थान
|
2045.73
|
9680.99
|
0
|
19
|
तमिलनाडु
|
1340.51
|
12210.93
|
0
|
20
|
तेलंगाना
|
1736.94
|
8595.7
|
7003
|
21
|
उत्तर प्रदेश
|
8440.6
|
29582.87
|
0
|
22
|
उत्तराखंड
|
1866.25
|
4301.57
|
3696
|
23
|
पश्चिम बंगाल
|
5545.27
|
19294.11
|
0
|
24
|
अरुणाचल प्रदेश
|
52.93
|
2663.35
|
0
|
25
|
असम
|
2298.27
|
15492.36
|
14171
|
26
|
मणिपुर
|
340.46
|
3865.37
|
0
|
27
|
मेघालय
|
462.98
|
1713.27
|
1706.8
|
28
|
मिजोरम
|
119.38
|
957.65
|
902
|
29
|
नगालैंड
|
163.74
|
1251.97
|
1445.17
|
30
|
सिक्किम
|
98.59
|
328.47
|
544
|
31
|
त्रिपुरा
|
277.91
|
3695.72
|
0
|
32
|
अंडमान निकोबार
|
100.22
|
416.89
|
307.62
|
33
|
चंडीगढ़
|
158.88
|
306.82
|
526.97
|
34
|
दादर नगर हवेली
|
108.83
|
129.32
|
431.16
|
35
|
दमन और दीव
|
42.06
|
197.66
|
446.98
|
36
|
लद्दाख
|
-
|
-
|
-
|
37
|
लक्षद्वीप
|
60
|
138.9
|
126.75
|
|
कुल
|
58453.97
|
255593.98
|
108342.44
|
पोषण अभियान के लिए सॉफ्टवेयर और डैशबोर्ड
पोषण अभियान स्मार्टफोन उपलब्ध कराकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला सुपरवाइजरों जैसे कर्मचारियों को सशक्त बनाता है। पोषण अभियान के अंतर्गत आईसीडीएस-कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जो डाटा हासिल करने में सक्षम बनाता है और सेवाओं की डिलिवरी और जरूरत पड़ने पर जरूरी कदम उठाना सुनिश्चित करता है।
विकासखंड, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी कर्मचारियों के लिए यह डाटा/जानकारी वेब आधारित आईसीडीएस-सीएएस डैशबोर्ड पर रियल टाइम आधार पर उपलब्ध है, जिससे वह जरूरी फैसला ले सकें। डैशबोर्ड डाटा का प्रदर्शन करता है और प्रशासनिक अधिकारियों को विभिन्न कार्यक्रमों पर रिपोर्ट उपलब्ध कराता है, जिससे सेवाओं की डिलिवरी में सुधार के वास्ते सूचनाओं का उपयोग किया जा सके। 31.10.2019 तक कुल 5.10 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और आईसीडीएस-सीएएस एप्लीकेशन का उपयोग करने वाले 26 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों का ब्योरा निम्नलिखित हैः
(31.10.2019 तक)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
आंगनवाड़ी केंद्र जिनमें आईसीडीएस-सीएएस एप्लीकेशन की शुरुआत की
|
1
|
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
|
713
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
55582
|
3
|
असम
|
681
|
4
|
बिहार
|
49168
|
5
|
चंडीगढ़
|
450
|
6
|
छत्तीसगढ़
|
10473
|
7
|
दादर नगर हवेली
|
303
|
8
|
दमन और दीव
|
102
|
9
|
दिल्ली
|
4118
|
10
|
गोवा
|
770
|
11
|
गुजरात
|
52801
|
12
|
हिमाचल प्रदेश
|
18860
|
13
|
झारखंड
|
11090
|
14
|
केरल
|
8614
|
15
|
मध्य प्रदेश
|
27810
|
16
|
महाराष्ट्र
|
109586
|
17
|
मेघालय
|
5776
|
18
|
मिजोरम
|
2244
|
19
|
नगालैंड
|
3595
|
20
|
पुडुचेरी
|
848
|
21
|
राजस्थान
|
20559
|
22
|
सिक्किम
|
821
|
23
|
तमिलनाडु
|
54397
|
24
|
तेलंगाना
|
11157
|
25
|
उत्तर प्रदेश
|
51759
|
26
|
उत्तराखंड
|
8140
|
|
कुल
|
5,10,417
|
पोषण अभियान का लक्ष्य 2017-18 की शुरुआत से तीन वर्ष के दौरान चरणबद्ध तरीके से बच्चों (0-6 वर्ष) और गर्भवती महिलाओं व के पोषण स्तर में सुधार और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्ल्यूएंडएलएम) में पोषण के स्तर में सुधार करना है, जिसके लिए लक्ष्य इस प्रकार हैं:
क्रम संख्या
|
उद्देश्य
|
लक्ष्य
|
1.
|
बच्चों (0-6 वर्ष) को अवरुद्ध विकास से बचाना और कमी करना
|
प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से 6 प्रतिशत
|
2.
|
बच्चों (0-6 वर्ष) को कुपोषण (कम वजन) से बचाना और कमी करना
|
प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से 6 प्रतिशत
|
3.
|
छोटे बच्चों (6 से 59 महीने तक) में एनीमिया को कम करना
|
प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से 9 प्रतिशत
|
4.
|
15-49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया का प्रसार कम करना
|
प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से 9 प्रतिशत
|
5.
|
जन्म के समय कम वजन (एलबीडब्ल्यू) के मामले कम करना
|
प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से 6 प्रतिशत
|
उक्त लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पोषण अभियान लक्षित आबादी तक महिला और बाल विकास मंत्रालय की पोषण संबंधी सभी योजनाएं पहुंचाना सुनिश्चित करता है। इसमें आंगनवाड़ी सेवाएं, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की किशोरी योजना; स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), जल शक्ति मंत्रालय का स्वच्छ भारत मिशन; उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (सीएएफएंडपीडी) की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, पंचायती राज मंत्रालय, आदिवासी मामलों के मंत्रालय और आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रम शामिल हैं। इससे संबंधित एकीकृत कार्ययोजना दिशानिर्देश सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों व संबंधित मंत्रालयों को जारी किए जा चुके हैं।
पोषण अभियान के वास्ते तीन साल के लिए 9,046 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। वर्ष 2019-20 के लिए पोषण अभियान के लिए 3,400 करोड़ रुपये की धनराशि का आवंटन किया गया है।
पोषण गान (एंथेम)
राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 3 दिसंबर 2019 को पोषण गान पेश किया है। पोषण गान का उद्देश्य लोगों को प्रेरित कर कुपोषण से लड़ने के लिए इस आंदोलन से जोड़ना है। इस अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति ने इस गीत के गीतकार प्रसून जोशी और संगीतकार व गायक शंकर महादेवन को बधाई दी। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि इस गीत के माध्यम से पोषण का संदेश देश के हर कोने तक पहुंचेगा।
इस बीच उन्होंने पोषण का संदेश देने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अभिनव प्रयासों की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने आग्रह करते हुए कहा कि जितना संभव हो सके, इस गीत को क्षेत्रीय भाषाओं में गाया जाए ताकि यह जन-जन का गीत बन जाए। साथ ही उपराष्ट्रपति ने कहा सभी विधायकों, प्रशासकों, सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं और नागरिकों की अधिमान्यता यह सुनिश्चित करने के लिए होनी चाहिए कि देश के सभी बच्चों को सबसे अच्छा बचपन मिले। उन्होंने कहा कि 13 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक प्रकार से पोषण योद्धा और परिवर्तन के एजेंट हैं जो कुपोषण के खिलाफ इस लड़ाई में सबसे आगे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह गीत जल्द जन-जन का गाना बन जाएगा और 2022 तक भारत कुपोषण मुक्त देश बन जाएगा।
यौन अपराधों से बच्चों की रक्षा (पोक्सो)
पोक्सो अधिनियम 2012 की धारा-28 में त्वरित मुकदमा सुनिश्चित और उससे जुड़ी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विशेष न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है। इसके अलावा पोक्सो अधिनियम की धारा-35 में प्रावधान है कि बच्चे की गवाही को विशेष न्यायालय द्वारा अपराध के संज्ञान के तीस दिनों की समय सीमा के अंदर दर्ज किया जाना चाहिए और यदि किसी कारण विलंब होता है तो इसे न्यायालय द्वारा दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा धारा-35 यह भी कहती है कि विशेष अदालत अपराध का संज्ञान लेने की तिथि से एक वर्ष की समयसीमा के अंदर मुकदमा पूरा करेगी।
भारत सरकार ने त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को आगे बढ़ाते हुए केंद्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत समयबद्ध तरीके से बलात्कार और पोक्सो अधिनियम, 2012 से जुड़े लंबित मामलों में तेजी से मुकदमे और त्वरित निस्तारण के लिए अगस्त 2018 में देश भर में कुल 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें (एफसीएस) की स्थापना की योजना को अंतिम रूप दिया है। यह योजना दो वित्त वर्षों यानी 2019-20 और 2020-21 के लिए है।
यौन अपराधों के खिलाफ प्रभावी रोक के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को लागू किया गया था। इसके अलावा 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की से बलात्कार के लिए मौत की सजा सहित और भी कड़े दंड प्रावधानों वाले आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को लागू किया गया था। यह अधिनियम 2 महीने के भीतर जांच और परीक्षण पूरा किया जाना सुनिश्चित करता है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने देश भर में यौन अपराधियों की जांच और निगरानी की सुविधा के लिए 20 सितंबर, 2018 को "यौन अपराधियों पर एक राष्ट्रीय डेटाबेस" लॉन्च किया गया है।
आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के क्रम में यौन हिंसा के मामलों की निगरानी और समयबद्ध जांच के लिए 19.02.2019 को ऑनलाइन विश्लेषणात्मक साधन “यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली” लॉन्च किया गया था।
जांच प्रक्रिया में सुधार के लिए, केंद्रीय और राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में डीएनए विश्लेषण इकाइयों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसमें केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, चंडीगढ़ में एक अत्याधुनिक डीएनए जांच इकाई की स्थापना शामिल है।
यौन उत्पीड़न मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने और यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह किट में मानक रचना के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित किए गए हैं। पुलिस शोध एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) और राष्ट्रीय लोक नायक जयप्रकाश नारायण आपराधिक और फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान द्वारा कुल 6023 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। बीपीआरएंडडी ने प्रशिक्षण के तहत राज्य सरकारों/ संघ शासित क्षेत्रों में 3,120 यौन हिंसा प्रमाण संग्रह किट वितरित किए हैं।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी) नामक एक योजना को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत 20 सितंबर, 2018 को एक ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्ट (www.cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है, ताकि जनता को बाल यौन अपराध/ बाल यौन सामग्री, बलात्कार/ सामूहिक बलात्कार काल्पनिक चित्र या यौन सामग्री से संबंधित शिकायतों की सूचना देने में सक्षम बनाया जा सके।
महिला सशक्तीकरण और सुरक्षा
सशक्त महिलाएं गरिमापूर्ण जीवन बिताएं और हिंसा व भेदभाव से मुक्त वातावरण में विकास में समान भागीदारी करें; सुरक्षित माहौल में वृद्धि और विकास के लिए पूर्ण अवसरों के साथ बच्चों का पालन-पोषण हो।
सरल नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं में सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण को प्रोत्साहन, लैंगिक चिंताओं को दूर करने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रसार, संस्थागत और कानूनी सहयोग प्रदान करना जिससे उन्हें उनके मानव अधिकारों के बारे में बता जा सके और उन्हें पूर्ण विकास के अवसर मिलें।
राज्यों और देश भर में एएचटीयू और डब्ल्यूएचडी को मजबूती प्रदान करना
निर्भया व्यवस्था के अंतर्गत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव की अध्यक्षता में गठित अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) ने तस्करी की पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से मानव तस्करी रोधी इकाइयों (एएचटीयू) की स्थापना की सिफारिश की है।
एमएचए के प्रस्ताव के तहत इन एएचटीयू की स्थापना पर आने वाली 100 प्रतिशत लागत का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। ईसी ने इन एएचटीयू के माध्यम से लाभार्थियों को मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श और कानूनी परामर्श दिए जाने का भी सुझाव दिया।
ईसी ने सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के पुलिस थानों में 100 करोड़ रुपये की लागत से महिला सहायता डेस्कों (डब्ल्यूएचडी) की स्थापना की भी सिफारिश की, जिनका 100 प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा निर्भया कोष के अंतर्गत किया जाएगा।
डब्ल्यूएचडी पुलिस प्रणाली के माध्यम से महिलाओं की शिकायतों के समाधान के लिए बनी लैंगिक संवेदनशील डेस्क होगी, इसके साथ ही यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर केंद्रित पुलिस के सामुदायिक संवाद में सुधार पर भी काम करेगी। इन डेस्कों से परेशान महिलाएं और बालिकाओं को बिना किसी संकोच और भय के पुलिस थानों में संपर्क के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने में भी मदद मिलेगी।
ईसी ने सुझाव दिया कि इन डब्ल्यूएचडी की कमान हेड कॉन्स्टेबल रैंक से ऊपर की महिला पुलिस अधिकारियों को दी जानी चाहिए, हालांकि जेएसआई या एएसआई रैंक से ऊपर की महिला अधिकारियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इसके अलावा पुलिस थानों में डब्ल्यूएचडी से संबंधित कार्य करने वाले पुरुष और महिला दोनों पुलिस अधिकारियों प्रशिक्षण और संवेदनशील बनाने पर काम होना चाहिए।
वर्तमान में 10 हजार पुलिस थानों में डब्ल्यूएचडी को स्वीकृति दी गई है। हालांकि ईसी ने सुझाव दिया है कि इस सुविधा का विस्तार बाद में या चरणबद्ध तरीके से देश के सभी पुलिस थानों में किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ हुई।
सरकार की गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए एक प्रमुख योजना प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) ने एक करोड़ लाभार्थियों के साथ बड़ी उपलब्धि हासिल की। इस योजना के तहत लाभार्थियों को बांटी गई कुल धनराशि 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हुई।
पीएमएमवीवाई एक प्रत्यक्ष नकदी लाभ (डीबीट) योजना है, जिसके अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए और वजन कम होने की आंशिक भरपाई के लिए उनके बैंक खाते में सीधे पैसा जमा किया जाता है। इस योजना का शुभारम्भ 01.01.2017 को किया गया था। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्ल्यूएंडएलएम) को गर्भावस्था का जल्दी पंजीकरण, बच्चे के जन्म का पंजीकरण और परिवार के पहले बच्चे का पहला टीकाकरण चक्र पूरा होने जैसी शर्तों को पूरा करने के बाद तीन किस्तों में 5,000 रुपये का नकदी लाभ मिलता है। जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को नकदी लाभ भी मिलता है। इस प्रकार एक महिला को औसतन 6,000 रुपये मिलते हैं।
वन स्टॉप केंद्र (ओएससी) योजना
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना (आईजीएमएसवाई) 31 मार्च, 2017 को बंद कर दी गई। वन स्टॉप केंद्र (ओएससी) योजना के तहत हिंसा प्रभावित महिलाओं को एक ही जगह पर पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श, कानूनी परामर्श और अस्थायी आश्रय सहित कई सेवाएं उपलब्ध कराता है। अभी तक 728 ओएससी को मंजूरी दी जा चुकी है और 595 ओएससी का परिचालन शुरू किया जा चुका है। स्वीकृत ओएससी, परिचालित ओएससी और ओएससी के लिए जारी धनराशि का ब्योरा निम्नलिखित हैः
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
स्वीकृत ओएससी की संख्या
|
परिचालित ओएससी की संख्या
|
वर्ष वार जारी धनराशि (रुपये में)
|
2016-17
|
2017-18
|
2018-19
|
1
|
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
|
3
|
3
|
0
|
31,20,663
|
36,87,641
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
14
|
13
|
2,68,97,400
|
3,30,13,744
|
3,90,63,148
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
25
|
13
|
28,41,450
|
53,19,517
|
7,82,02,084
|
4
|
असम
|
33
|
31
|
75,65,800
|
0
|
7,86,95,087
|
5
|
बिहार
|
38
|
38
|
1,98,90,150
|
0
|
3,08,32,455
|
6
|
चंडीगढ़
|
1
|
1
|
0
|
0
|
9,30,799
|
7
|
छत्तीसगढ़
|
27
|
27
|
7,34,27,815
|
1,67,04,440
|
6,62,44,372
|
8
|
दादर नगर हवेली
|
1
|
1
|
0
|
43,41,482
|
50,000
|
9
|
दमन और दीव
|
2
|
1
|
0
|
0
|
0
|
10
|
दिल्ली
|
11
|
0
|
0
|
0
|
0
|
11
|
गोवा
|
2
|
1
|
19,41,450
|
10,84,917
|
4,92,000
|
12
|
गुजरात
|
33
|
27
|
38,82,900
|
1,27,15,269
|
5,62,69,778
|
13
|
हरियाणा
|
22
|
18
|
1,16,48,700
|
38,30,247
|
4,79,60,546
|
14
|
हिमाचल प्रदेश
|
12
|
12
|
0
|
15,00,450
|
1,01,18,850
|
15
|
जम्मू और कश्मीर
|
22
|
8
|
95,65,800
|
87,52,272
|
1,50,20,425
|
16
|
झारखंड
|
24
|
24
|
56,82,900
|
18,47,152
|
7,04,36,941
|
17
|
कर्नाटक
|
30
|
30
|
85,24,350
|
62,73,675
|
5,94,44,419
|
18
|
केरल
|
14
|
5
|
1,13,65,800
|
11,80,007
|
2,83,31,849
|
19
|
लक्षद्वीप
|
1
|
0
|
0
|
0
|
0
|
20
|
मध्य प्रदेश
|
51
|
51
|
7,73,47,650
|
1,31,27,264
|
11,23,91,390
|
21
|
महाराष्ट्र
|
37
|
36
|
2,13,55,950
|
4,37,69,662
|
3,89,29,425
|
22
|
मणिपुर
|
16
|
1
|
0
|
0
|
3,57,22,445
|
23
|
मेघालय
|
11
|
11
|
28,41,450
|
7,75,391
|
1,86,39,947
|
24
|
मिजोरम
|
8
|
8
|
0
|
61,40,951
|
2,72,64,535
|
25
|
नगालैंड
|
11
|
11
|
55,41,679
|
80,41,940
|
4,54,87,024
|
26
|
ओडिशा
|
30
|
30
|
15,00,450
|
1,20,32,854
|
7,74,59,998
|
27
|
पुडुचेरी
|
4
|
1
|
0
|
19,41,450
|
47,66,836
|
28
|
पंजाब
|
22
|
22
|
97,07,250
|
3,35,87,668
|
5,26,33,488
|
29
|
राजस्थान
|
33
|
21
|
3,41,23,174
|
28,95,721
|
3,08,60,275
|
30
|
सिक्किम
|
4
|
1
|
0
|
30,71,148
|
39,23,225
|
31
|
तमिलनाडु
|
34
|
32
|
0
|
38,82,900
|
11,39,95,447
|
32
|
तेलंगाना
|
33
|
25
|
1,55,31,600
|
3,01,72,230
|
5,89,48,915
|
33
|
त्रिपुरा
|
8
|
4
|
0
|
0
|
2,69,01,349
|
34
|
उत्तर प्रदेश
|
75
|
75
|
4,54,63,200
|
2,66,22,936
|
22,28,30,497
|
35
|
उत्तराखंड
|
13
|
13
|
58,24,350
|
1,38,86,307
|
2,72,25,409
|
36
|
पश्चिम बंगाल
|
23
|
0
|
0
|
0
|
0
|
|
कुल
|
728
|
595
|
40,24,71,268
|
29,96,32,257
|
1,48,37,60,599
|
महिलाओं को शोषण से बचाने और उनके पुनरुद्धार व पुनर्वास में सहयोग करने के वास्ते महिलाओं और बालिकाओं के लिए समाज कल्याण विभाग ने 1969 में सामाजिक रक्षा व्यवस्था के तहत शॉर्ट स्टे होम की पेशकश की थी।
इस योजना का उद्देश्य पारिवारिक समस्याओं, अपराध, हिंसा, मानसिक तनाव, सामाजिक कुरीतियों के कारण निराश्रित या वैश्यावृत्ति में धकेली गई महिलाओं और बालिकाओं को अस्थायी आश्रय, देखरेख और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराना है। मुश्किल हालात से जूझ रही महिलाओं के लिए महिला और बाल विकास विभाग ने 2001-02 में समान उद्देश्यों वाली स्वाधार नाम की योजना का शुभारम्भ किया था। इस योजना के माध्यम से मुश्किलों से जूझ रही महिलाओं के पुनर्वास के लिए आश्रय, खाना, कपड़े, परामर्स, प्रशिक्षण, चिकित्सा और कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के प्रावधान हैं। बाजार अनुसंधान और सामाजिक विकास केंद्र, नई दिल्ली में इन दोनों योजनाओं के प्रदर्शन के आकलन के लिए वर्ष 2007 में इनका मूल्यांकन किया। मूल्यांकन रिपोर्ट का निष्कर्ष था कि दोनों योजनाओं का विवरण और नागरिकों की श्रेणी, प्रवेश प्रक्रिया, परामर्श, सेवा की गुणवत्ता, व्यावसायिक प्रशिक्षण, पुनर्वास और बाद की प्रक्रियाओं काफी हद तक समान थीं। इस प्रकार बेहतर कामकाज और नतीजों के साथ प्रशासनिक बोझ व प्रक्रियाओं में कमी लाने के लिए दोनों योजनाओं के विलय की सिफारिश की गई। वर्ष 2013-14 में कुल 307 शॉर्ट स्टे होम और 311 स्वाधार गृह कार्यरत थे।
वन स्टॉप केंद्र (ओएससी) योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों और जिलों को एसओपी और ओएससी से जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। राज्य सरकारों/ संघ शासित क्षेत्रों द्वारा समय-समय पर वन स्टॉप केंद्र योजना से संबंधित जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
निर्भया कोष
भारत सरकार ने देश में महिलाओं की सुरक्षा में बढ़ोतरी के उद्देश्य से निर्भया कोष नाम के एक कोष की स्थापना की। निर्भया कोष के अंतर्गत प्रस्तावित परियोजनाएं महिलाओं की सुरक्षा से सीधे तौर पर संबंधित, मौजूदा बुनियादी ढांचे के उचित इस्तेमाल, तकनीक के नवीन उपयोग, सरकारी योजनाएं/कार्यक्रमों के दोहराव से बचाने, जहां तक संभव हो समय पर दखल के प्रावधान पर केंद्रित होनी चाहिए। साथ ही महिलाओं की पहचान और उनसे संबंधित जानकारी की गोपनीयता का पालन होना चाहिए और निगरानी होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्रालय/विभाग, राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों, स्वायत्त और अन्य सरकारी संस्थाएं को सुझाई गई प्रक्रिया के आधार पर प्रस्ताव जमा कर सकती हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत निर्भया कोष के अंतर्गत मिली योजनाओं/प्रस्तावों के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय प्रमुख प्राधिकरण है। निर्भया कोष से वित्तपोषित विभिन्न योजनाओं/ परियोजनाओं के मूल्यांकन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय में सचिव की अध्यक्षता वाली अधिकारियों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) का गठन किया गया है।
विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा निर्भया कोष के अंतर्गत राज्यों/संघ शासित क्षेत्रवार लागू परियोजनाओं के लिए स्वीकृत/आवंटित और उपयोग की गई धनराशि का विवरण निम्नलिखित हैः
गृह मंत्रालय
निर्भया कोष से वित्तपोषित परियोजाओं के लिए राज्य/संघ शासित क्षेत्रवार स्वीकृत/आवंटित और उपयोग की गई कुल धनराशि का विवरण। (लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को स्वीकृत/आवंटित कुल धनराशि
|
प्राप्त उपयोग प्रमाण पत्र *
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
2085.00
|
814.01
|
2
|
अरुणाचल प्रदेश
|
768.86
|
224.03
|
3
|
असम
|
2072.63
|
305.06
|
4
|
बिहार
|
2258.60
|
702.00
|
5
|
छत्तीसगढ़
|
1687.41
|
745.31
|
6
|
गोवा
|
776.59
|
221.00
|
7
|
गुजरात
|
7004.31
|
118.50
|
8
|
हरियाणा
|
1671.87
|
606.00
|
9
|
हिमाचल प्रदेश
|
1147.37
|
291.54
|
10
|
जम्मू और कश्मीर
|
1256.02
|
324.53
|
11
|
झारखंड
|
1569.81
|
405.33
|
12
|
कर्नाटक
|
19172.09
|
1362.00
|
13
|
केरल
|
1971.77
|
472.00
|
14
|
मध्य प्रदेश
|
4316.96
|
639.50
|
15
|
महाराष्ट्र
|
14940.06
|
0
|
16
|
मणिपुर
|
878.78
|
0
|
17
|
मेघालय
|
675.39
|
0
|
18
|
मिजोरम
|
883.57
|
543.68
|
19
|
नगालैंड
|
689.55
|
357.84
|
20
|
ओडिशा
|
2270.53
|
58.00
|
21
|
पंजाब
|
2047.08
|
300.00
|
22
|
राजस्थान
|
3373.2
|
1011.00
|
23
|
सिक्किम
|
613.33
|
0
|
24
|
तेलंगाना
|
10351.88
|
419.00
|
25
|
तमिलनाडु
|
19068.36
|
600.00
|
26
|
त्रिपुरा
|
766.59
|
0
|
27
|
उत्तर प्रदेश
|
11939.85
|
393.00
|
28
|
उत्तराखंड
|
953.27
|
679.41
|
29
|
पश्चिम बंगाल
|
7570.80
|
392.73
|
30
|
अंडनाम और निकोबार द्वीप समूह
|
653.08
|
147.05
|
31
|
चंडीगढ़
|
746.02
|
260.83
|
32
|
दादर नगर हवेली
|
420.00
|
158.00
|
33
|
दमन दीव
|
420.00
|
0
|
34
|
दिल्ली
|
39090.12
|
1941.57
|
35
|
लक्षद्वीप
|
614.71
|
76.93
|
36
|
पुडुचेरी
|
496.16
|
128.55
|
*राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को सहयोग और संबंधित राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों में पूरक पीड़ित मुआवजा योजनाओं के लिए एक मुश्त अनुदान के रूप में सीवीसीएफ जारी की गई है और इस धनराशि से राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को गैर बजटीय संसाधान के उपयोग के बाद खर्च की अनुमति होती है। सुरक्षित शहर परियोजनाओं और राज्य. फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाने के संबंध में उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित नहीं है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
निर्भया कोष से वित्तपोषित परियोजाओं के लिए राज्य/संघ शासित क्षेत्रवार स्वीकृत/आवंटित कुल धनराशि का विवरण। (लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को जारी कुल धनराशि
|
उपयोगिता
|
|
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
5864.00
|
0.00
|
|
2
|
उत्तर प्रदेश
|
4020.00
|
3110.00
|
|
3
|
कर्नाटक
|
3364.00
|
220.00
|
|
न्याय विभाग
निर्भया कोष से वित्तपोषित परियोजाओं के लिए राज्य/संघ शासित क्षेत्रवार स्वीकृत/आवंटित कुल धनराशि का विवरण। (लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को जारी कुल धनराशि
|
उपयोग की गई धनराशि
|
-
|
झारखंड
|
495.00
|
0.00
|
-
|
कर्नाटक
|
697.50
|
0.00
|
-
|
केरल
|
630.00
|
0.00
|
-
|
मध्य प्रदेश
|
1507.50
|
0.00
|
-
|
महाराष्ट्र
|
3105.00
|
0.00
|
-
|
मणिपुर
|
67.50
|
0.00
|
-
|
नगालैंड
|
33.75
|
0.00
|
-
|
ओडिशा
|
540.00
|
0.00
|
-
|
राजस्थान
|
585.00
|
0.00
|
-
|
त्रिपुरा
|
101.25
|
0.00
|
-
|
उत्तराखंड
|
135.00
|
0.00
|
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
1. महिला पुलिस स्वैच्छिक योजना- इस योजना के अंतर्गत 12 राज्यों ने प्रस्ताव जमा किए और उन्हें मंजूरी दी गई। 12 राज्यों को जारी धनराशि और उपयोगिता का विवरण निम्नलिखित हैः
(लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को जारी कुल धनराशि
|
उपयोग की गई धनराशि
|
1
|
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
|
0.00
|
0.00
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
521.39
|
75.82
|
3
|
छत्तीसगढ़
|
715.55
|
152.78
|
4
|
गुजरात
|
76.20
|
41.65
|
5
|
हरियाणा
|
77.52
|
88.45
|
6
|
झारखंड
|
2.64
|
0.00
|
7
|
कर्नाटक
|
56.13
|
0.00
|
8
|
मध्य प्रदेश
|
30.18
|
0.00
|
9
|
मिजोरम
|
35.85
|
0.00
|
10
|
नगालैंड
|
9.40
|
0.00
|
11
|
त्रिपुरा
|
30.16
|
0.00
|
12
|
उत्तराखंड
|
68.82
|
0.00
|
2. वन स्टॉप केंद्र (ओएससी) योजना
(लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को जारी कुल धनराशि
|
उपयोग की गई धनराशि
|
1
|
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
|
96.28
|
38.95
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
1167.98
|
430.47
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
981.85
|
94.37
|
4
|
असम
|
1408.23
|
122.79
|
5
|
बिहार
|
1187.90
|
0.00
|
6
|
चंडीगढ़
|
37.50
|
6.99
|
7
|
छत्तीसगढ़
|
2017.19
|
928.67
|
8
|
दादर नगर हवेली
|
87.33
|
35.22
|
9
|
दमन और दीव
|
89.18
|
8.08
|
10
|
दिल्ली
|
201.18
|
0.00
|
11
|
गोवा
|
96.07
|
12.11
|
12
|
गुजरात
|
1246.51
|
56.89
|
13
|
हरियाणा
|
1011.31
|
189.09
|
14
|
हिमाचल प्रदेश
|
310.96
|
15.00
|
15
|
जम्मू कश्मीर
|
402.29
|
48.69
|
16
|
झारखंड
|
1078.85
|
48.43
|
17
|
कर्नाटक
|
1205.41
|
0.00
|
18
|
केरल
|
468.86
|
41.00
|
19
|
लक्षद्वीप
|
0.00
|
0.00
|
20
|
मध्य प्रदेश
|
2797.60
|
590.73
|
21
|
महाराष्ट्र
|
1446.54
|
19.41
|
22
|
मणिपुर
|
590.45
|
12.89
|
23
|
मेघालय
|
436.93
|
58.17
|
24
|
मिजोरम
|
416.75
|
64.63
|
25
|
नगालैंड
|
693.28
|
211.73
|
26
|
ओडिशा
|
1038.82
|
54.46
|
27
|
पुडुचेरी
|
104.08
|
0.00
|
28
|
पंजाब
|
1185.37
|
65.62
|
29
|
राजस्थान
|
1078.37
|
171.86
|
30
|
सिक्किम
|
132.06
|
38.90
|
31
|
तमिलनाडु
|
1672.64
|
45.88
|
32
|
तेलंगाना
|
1396.91
|
138.07
|
33
|
त्रिपुरा
|
374.91
|
44.66
|
34
|
उत्तर प्रदेश
|
4088.39
|
540.02
|
35
|
उत्तराखंड
|
566.69
|
164.31
|
36
|
पश्चिम बंगाल
|
0.00
|
0.00
|
3. महिला हेल्पलाइन योजना
(लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को जारी कुल धनराशि
|
उपयोग की गई धनराशि
|
1
|
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
|
102.03
|
0.13
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
146.26
|
106.50
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
224.64
|
167.84
|
4
|
असम
|
112.63
|
78.55
|
5
|
बिहार
|
202.21
|
133.36
|
6
|
चंडीगढ़
|
199.16
|
132.80
|
7
|
छत्तीसगढ़
|
272.57
|
204.41
|
8
|
दादर नगर हवेली
|
0.00
|
0.00
|
9
|
दमन और दीव
|
85.16
|
20.64
|
10
|
दिल्ली
|
49.78
|
0.00
|
11
|
गोवा
|
27.90
|
0.00
|
12
|
गुजरात
|
377.40
|
241.50
|
13
|
हरियाणा
|
51.58
|
7.11
|
14
|
हिमाचल प्रदेश
|
49.70
|
0.00
|
15
|
जम्मू कश्मीर
|
119.49
|
51.33
|
16
|
झारखंड
|
34.54
|
0.23
|
17
|
कर्नाटक
|
62.70
|
0.00
|
18
|
केरल
|
174.96
|
106.79
|
19
|
लक्षद्वीप
|
0.00
|
0.00
|
20
|
मध्य प्रदेश
|
62.70
|
0.00
|
21
|
महाराष्ट्र
|
62.70
|
0.00
|
22
|
मणिपुर
|
49.70
|
49.70
|
23
|
मेघालय
|
116.48
|
49.70
|
24
|
मिजोरम
|
255.56
|
187.40
|
25
|
नगालैंड
|
257.39
|
189.23
|
26
|
ओडिशा
|
191.76
|
140.64
|
27
|
पुडुचेरी
|
51.08
|
0.00
|
28
|
पंजाब
|
90.13
|
28.86
|
29
|
राजस्थान
|
109.20
|
0.00
|
30
|
सिक्किम
|
115.14
|
47.25
|
31
|
तमिलनाडु
|
155.70
|
62.70
|
32
|
तेलंगाना
|
157.25
|
123.17
|
33
|
त्रिपुरा
|
49.70
|
0.00
|
34
|
उत्तर प्रदेश
|
237.86
|
146.66
|
35
|
उत्तराखंड
|
207.90
|
139.74
|
36
|
पश्चिम बंगाल
|
62.70
|
0.00
|
4. अन्य राज्य/संघ शासित क्षेत्रों की परियोजनाएं
(लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्र
|
राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को जारी कुल धनराशि
|
उपयोग की गई धनराशि
|
|
|
1
|
मध्य प्रदेश
|
104.70
|
0.00
|
|
2
|
नगालैंड
|
255.60
|
0.00
|
|
3
|
राजस्थान
|
470.97
|
108.89
|
|
4
|
उत्तराखंड
|
32.40
|
0.00
|
|
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की अधिकार प्राप्त समिति ने 22.10.2019 को हुई अपनी एक बैठक में निर्भया कोष के अंतर्गत गृह मंत्रालय की 100 करोड़ रुपये की लागत से राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के पुलिस थानों में महिला सहायता डेस्कों की स्थापना/मजबूती से संबंधित परियोजना का आकलन किया।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध सुरक्षा (सीसीपीडब्ल्यूसी) के लिए जारी धनराशि की राज्य/संघ शासित क्षेत्रवार उपयोगिता निम्नलिखित हैः
राज्यों जिन्होंने सीसीपीडब्ल्यूसी योजना में धनराशि का उपयोग कर लिया है
(लाख रुपये में)
क्रम संख्या
|
राज्य/ संघ शासित क्षेत्र
|
उपयोग की गई धनराशि
|
1
|
हरियाणा
|
231.00
|
2
|
हिमाचल प्रदेश
|
147.00
|
3
|
कर्नाटक
|
282.00
|
4
|
केरल
|
135.00
|
5
|
मध्य प्रदेश
|
156.00
|
6
|
मिजोरम
|
111.00
|
7
|
नगालैंड
|
148.00
|
8
|
ओडिशा
|
58.00
|
9
|
तेलंगाना
|
394.00
|
10
|
उत्तर प्रदेश
|
393.00
|
11
|
उत्तराखंड
|
147.00
|
यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक- बॉक्स (शी-बॉक्स)
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने सरकारी और निजी कर्मचारियों सहित कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली विकसित की है। शी-बॉक्स पोर्टल एक बार शिकायत दर्ज होने के बाद यह मामले में कार्रवाई के लिए सीधे संबंधित विभाग के पास पहुंच जाती है।
अभी तक केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र से जुड़ी 203 मामलों का निस्तारण किया जा चुका है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराने की सुविधा देने के लिए शी-बॉक्स पोर्टल विकसित किया गया है।
राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में वर्ष 2017 में निजी/सरकारी संस्थानों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों का विवरण निम्नलिखित हैः
Sl. No.
|
State
|
Total complaints
|
1
|
अंडमान निकोबार द्वीप समूह
|
0
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
18
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
2
|
4
|
असम
|
3
|
5
|
बिहार
|
20
|
6
|
चंडीगढ़
|
2
|
7
|
छत्तीसगढ़
|
7
|
8
|
दादर नगर हवेली
|
0
|
9
|
दमन और दीव
|
0
|
10
|
दिल्ली
|
50
|
11
|
गोवा
|
0
|
12
|
गुजरात
|
21
|
13
|
हरियाणा
|
29
|
14
|
हिमाचल प्रदेश
|
3
|
15
|
जम्मू कश्मीर
|
5
|
16
|
झारखंड
|
2
|
17
|
कर्नाटक
|
34
|
18
|
केरल
|
11
|
19
|
लक्षद्वीप
|
0
|
20
|
मध्य प्रदेश
|
30
|
21
|
महाराष्ट्र
|
82
|
22
|
मणिपुर
|
0
|
23
|
मेघालय
|
1
|
24
|
मिजोरम
|
0
|
25
|
नगालैंड
|
0
|
26
|
ओडिशा
|
5
|
27
|
पुडुचेरी
|
3
|
28
|
पंजाब
|
9
|
29
|
राजस्थान
|
23
|
30
|
सिक्किम
|
0
|
31
|
तमिलनाडु
|
48
|
32
|
तेलंगाना
|
20
|
33
|
त्रिपुरा
|
1
|
34
|
उत्तर प्रदेश
|
65
|
35
|
उत्तराखंड
|
6
|
36
|
पश्चिम बंगाल
|
13
|
कुल
|
513
|
***
आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एमपी –
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