सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की झांकी "भारतीय सांकेतिक भाषा", इस वर्ष के गणतंत्र दिवस परेड में विशेष आकर्षण होगी

Posted On: 25 JAN 2021 4:33PM by PIB Delhi

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) की झांकी, 'भारतीय सांकेतिक भाषा - एक राष्ट्र, एक सांकेतिक भाषा' कल होने वाली गणतंत्र दिवस परेड़ का मुख्य आकर्षण होगी। यह देश में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) की एकीकृत प्रकृति को उजागर करेगा, जहाँ बोली जाने वाली भाषाओं में अनेक विविधताएं मौजूद है। झांकी का उद्देश्य आईएसएल के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ सुनने में अक्षम दिव्यांगजनों के लिए एक बाधा रहित वातावरण बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करना है।

 

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झांकी में, 20 से 23 आयु वर्ग के 12 कलाकार शामिल होंगे। झांकी पर कलाकारों के नाम इस प्रकार हैं: उत्कर्ष चौरसिया, अभिषेक गौतम, गार्गी शुक्ला, और स्तुति कुमारी। मैदान पर कलाकारों के नाम हैं : दिव्यांशा, दीपाली, त्रिलोक, पंकज, नेहा, रिंकू, रितु, और साक्षी। ये कलाकार भारतीय सांकेतिक भाषा के विषय गीत का प्रदर्शन करते हुए झांकी पर दिखाई देंगे।

सांकेतिक भाषा एक दृश्य भाषा है जो सुनने में अक्षम दिव्यांगजनों के लिए संचार के साधन के रूप में हाथों, चेहरे और शरीर के भावों का उपयोग करती है। यह एक अनोखी भाषा है जो देश में सुनने में अक्षम व्यक्तियों को एकीकृत करती है। देश में कई बोली जाने वाली भाषाएँ हैं, लेकिन भारतीय सांकेतिक भाषा केवल एक ही है। देश में श्रवण बाधित लोगों के लिए सुलभता बढ़ाने की दृष्टि से, भारतीय सांकेतिक भाषा के विकास और महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक संस्थान स्थापित करने की आवश्यकता भी महसूस की गई।

इसके अनुसार 28 सितंबर, 2015 को नई दिल्ली में भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) की स्थापना की गई जो की  सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अंतर्गत है और एक स्वायत्त संस्थान है। केंद्र का मुख्य उद्देश्य भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को लोकप्रिय बनाने और भारतीय सांकेतिक भाषा में शिक्षण तथा अनुसंधान हेतु मानव शक्ति के विकास की दिशा में कार्य करना है।

आईएसएलआरटीसी का मुख्य उद्देश्य भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में शिक्षण एवं अनुसंधान के लिए मानव संसाधन का विकास करना, भारतीय सांकेतिक भाषा को शैक्षणिक माध्यम के रूप में विकसित करना और विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों के लिए संगठनों को व्याख्या सेवाएं प्रदान करता है। साथ ही आईएसएल का एक शब्दकोश भी विकसित किया गया है जिसमें रोजमर्रा के उपयोग के अलावा 6000 शैक्षणिक, चिकित्सा, कानूनी और कृषि शब्द शामिल हैं। यह केंद्र बुनियादी आईएसएल संचार कौशल पर लघु अवधि प्रशिक्षण का एक कार्यक्रम भी संचालित करता है। सुनने में अक्षम बच्चों के लिए शैक्षणिक सामग्री की उपलब्धता को सुलभ बनाने के लिए, आईएसएलआरटीसी ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौता ज्ञापन के तहत कक्षा I से XII की सभी विषयों (हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों) की स्कूली पाठ्य पुस्तकों की शैक्षिक प्रिंट सामग्री को आईएसएल में परिवर्तित किया जा रहा है।

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