• Skip to Content
  • Sitemap
  • Advance Search
Security

राफेल-मरीन: भारत की नौसेना की शक्ति में वृद्धि

Posted On: 29 APR 2025 5:57PM

सारांश:

  • भारत ने अप्रैल 2025 में 26 राफेल-मरीन जेट के लिए फ्रांस के साथ 63,000 करोड़ रुपये का समझौता किया।
  • ये जेट विमानवाहक पोतों से संचालित हो सकते हैं और इन्हें नौसेना मिशनों के लिए तैयार किया गया है।
  • इस समझौते में प्रशिक्षण, हथियार, सिमुलेटर और दीर्घकालिक सहायता शामिल है।
  • राफेल-एम को आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा।
  • भारत ने इससे पहले 2016 में वायुसेना के लिए 36 राफेल जेट खरीदे थे।
  • नए समझौते में भारतीय रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है।
  • राफेल-एम भारत की नौसेना शक्ति को अपना स्वदेशी लड़ाकू जैट तैयार होने से पूर्व और मजबूत करता है।

परिचय

28 अप्रैल 2025 को, भारत ने 26 राफेल-मरीन लड़ाकू जेट खरीदने के लिए फ्रांस के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन लड़ाकू विमानों की कीमत लगभग 63,000 करोड़ रुपये है। इसमें 22 एकल -सीट जेट और 4 दो-सीट वाले जेट शामिल हैं। यह समझौता राफेल के नौसैना संस्करण का भारत का प्रथम अधिग्रहण है, जिससे यह इस मॉडल का पहला अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटर बन गया है। इस समझौते में पायलट प्रशिक्षण, फ्लाइट सिमुलेटर, हथियार, आवश्यक उपकरण और दीर्घकालिक रखरखाव सहायता भी शामिल है। इसके अलावा, इसमें भारतीय वायु सेना द्वारा पहले से इस्तेमाल किए जा रहे राफेल जेट के लिए अतिरिक्त गियर क्षमता भी शामिल हैं। आत्मनिर्भर भारत की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, इस समझौते में भारत में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है।

Image

राफेल-मरीन: भारतीय नौसेना का अगली पीढ़ी का लड़ाकू विमान

राफेल-मरीन (राफेल-एम) एक शक्तिशाली, उन्नत लड़ाकू विमान है जिसे समुद्र में विमानवाहक पोतों से संचालित करने के लिए तैयार किया गया है। ज़मीन से उड़ान भरने वाले नियमित लड़ाकू विमानों के विपरीत, यह विमान कठिन समुद्री परिस्थितियों के बावजूद समुद्र में संचालित पोतों से उड़ान भर सकता है और उन पर उतर भी सकता है। इसे फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने बनाया है और इसका उपयोग पहले से ही फ्रांसीसी नौसेना द्वारा किया जा रहा है।

भारतीय नौसेना वर्तमान में दो विमानवाहक पोतों- आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य का संचालन करती है। फ्रांस से 26 राफेल-एम विमानों की खरीद के लिए हाल ही में हुए समझौते से नौसेना के बेड़े में वृद्धि होगी और ये जेट दोनों विमान वाहक पोतों से संचालित होने में सक्षम होंगे। राफेल-एम जेट का इस्तेमाल हवाई रक्षा, समुद्री हमले, टोही और तटीय हमलों जैसे मिशनों के लिए किया जाएगा। यह विमान नौसेना को दुश्मन के लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ बेड़े की हवाई रक्षा क्षमता में वृद्धि को भी सुनिश्चित करेगा और नौसेना को दुश्मन के हथियारों की सीमा से बाहर रहते हुए समुद्र पर नियंत्रण रखने में सहायक सिद्ध होगा। राफेल-एम जेट लड़ाकू विमान शत्रुओं को नौसेना के समुद्री क्षेत्र की जानकारी प्राप्त करने से रोकने में भी सक्षम है। इससे शत्रु पक्ष को अन्य प्लेटफार्मों को लक्ष्य बनाने से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने में मुश्किलें पैदा होंगी। इन विमानों के शामिल होने से नौसेना की समग्र परिचालन पहुंच और क्षमता में अत्याधिक वृद्धि होगी।

 

 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image004IO3X.jpghttps://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image005NEU8.jpg

मुख्य विशेषताएं:

  • वाहक अनुकूलता: मजबूत लैंडिंग गियर और टेल हुक इसे विमान वाहक से सुरक्षित उड़ान भरने और उतरने में सक्षम बनाते हैं।
  • उन्नत वैमानिकी: स्थिति के अनुरूप बेहतर जागरूकता और लंबे समय तक मजबूती से काम करने की क्षमता बनाए रखने के लिए थेल्स आरबीई2 एईएसए रडार और स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस।
  • बहु-भूमिका क्षमता: हवाई श्रेष्ठता, जमीनी हमले, टोही और पोत-रोधी मिशनों में सक्षम।
  • आयुध: वायु से वायु में मार करने वाली मिसाइलों (एमआईसीए, उल्का), वायु से भूमि पर मार करने वाली मिसाइलों (एससीएएलपी-ईजी) और पोत-रोधी मिसाइलों (एक्सोसेट एएम 39) सहित कई तरह के हथियार ले जाने में सक्षम।
  • प्रदर्शन: मैक 1.8 की अधिकतम गति (लगभग 1,912 किमी/घंटा) और 50,000 फीट की सर्विस सीलिंग।

भारत द्वारा राफेल समझौता

राफेल लड़ाकू विमान के साथ भारत की यात्रा की शुरूआत वर्ष 2016 में हुई, जब सरकार ने देश की रक्षा को मजबूत करने और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से 36 जेट खरीदने के लिए फ्रांस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। जुलाई 2020 में पहले पांच राफेल जेट भारत पहुंचे और उन्हें वायु सेना स्टेशन अंबाला में तैनात किया गया,  इसके बाद, इन्हें पश्चिम बंगाल में 101 स्क्वाड्रन में शामिल किया गया। इन जेट विमानों का इस्तेमाल शुरू में भारतीय पायलटों और तकनीशियनों को भारतीय वायु सेना में शामिल किए जाने से पहले फ्रांस में प्रशिक्षण देने के लिए किया गया था।

इन 36 राफेल जेट के लिए किया गया समझौता, 126 विमान खरीदने की पिछली योजना से अलग था जबकि मूल योजना में भारत में 108 विमान बनाने की बात थी। नए समझौते में 36 जेट विमानों को सीधे फ्रांस से डिलीवर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस समझौते में बेहतर मूल्य निर्धारण, रखरखाव की शर्तें और हथियार एवं सिमुलेटर जैसे अतिरिक्त समर्थन शामिल थे। पिछले कुछ वर्षों में, भारत और फ्रांस के बीच अन्य रक्षा परियोजनाओं जैसे पनडुब्बियों तक में भी सहयोग क्षेत्र में वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक भारत के पास कुल 62 राफेल जेट होंगे, जिनमें 26 राफेल-एम विमान शामिल हैं। इस समझौते के बाद भारत, फ्रांस के बाद राफेल विमान के दोनों संस्करणों का संचालन करने वाला पहला देश बन जाएगा। राफेल-एम के शामिल होने से भारत की वायु और नौसैन्य शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे आकाश और समुद्र दोनों में प्रभुत्व को सुनिश्चित करने के साथ-साथ देश की संप्रभुता भी सशक्त होगी।

भारत के लिए सामरिक महत्व

नौसेना की क्षमताओं में वृद्धि: राफेल-मरीन की शुरूआत से विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी। यह वर्तमान मिग-29 के बेड़े की सीमित क्षमताओं का समाधान भी है और विभिन्न मिशनों के लिए एक आधुनिक, विश्वसनीय आधार प्रदान करता है।

स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना: इस समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ-साथ भारत में रखरखाव और निर्माण सुविधाओं की स्थापना के प्रावधान शामिल हैं। इस पहल से हजारों रोज़गारों के सृजन और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलने की आशा है। राफेल-मरीन विमानों के शामिल होने से नौसेना की शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी और इन लड़ाकू विमानों को आएएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत जैसे विमानवाहक पोतों पर तैनात किया जाएगा। राफेल उन्नत हथियार प्रणालियों और मिसाइलों से लैस होगा।

भविष्य के विकास के लिए अंतरिम समाधान: हालांकि भारत अपना स्वयं का ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर (टीईडीबीएफ) विकसित कर रहा है और इस स्वदेशी लड़ाकू विमान के तैयार होने तक राफेल-मरीन नौसेना की वायु शक्ति को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए एक अंतरिम समाधान के रूप में कार्य करता है।

निष्कर्ष

राफेल-मरीन एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है और यह समुद्री पोतों से उड़ान भरने के साथ ही उन पर आसानी से उतर सकता है। राफेल-मरीन की इस क्षमता के कारण यह एक सशक्त और आधुनिक नौसेना के लिए एकदम फिट है। फ्रांस के साथ भारत का समझौता न केवल नौसेना को एक महत्वपूर्ण उन्नयन प्रदान करता है अपितु भारत के भीतर कौशल, रोज़गारों और क्षमताओं का निर्माण करने में भी सहायता करता है। यह देश की विशाल समुद्री सीमाओं की रक्षा करने में भारतीय नौसेना को मज़बूत और अधिक आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

संदर्भ:

Rafale-Marine: Enhancing India's Naval Strength

***

एमजी/केसी/एसएस/एमबी

(Backgrounder ID: 154380) Visitor Counter : 261
Read this release in: English
Link mygov.in
National Portal Of India
STQC Certificate