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पेट्रोलियम उद्योग को नई श्रम संहिताओं से मिलेगी दोहरी शक्ति: कारोबार में सुगमता और श्रमिकों को सुरक्षा का कवच
प्रविष्टि तिथि:
01 DEC 2025 09:40 AM
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी) एक एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा स्थापित करती है, जिसमें पेट्रोलियम की सभी इकाइयाँ, रिफाइनरियों से लेकर ईंधन डिपो तक, व्यापक रूप से शामिल हैं।
- श्रमिकों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य चिकित्सा निगरानी, योग्यता-आधारित प्रशिक्षण एवं प्रमाणन, आधुनिक सुरक्षा मानकों और प्रवर्तनीय आपातकालीन तैयारी के माध्यम से बढ़ाया गया है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 कर्मचारी राज्य बीमा निगम के दायरे का विस्तार करती है और डिजिटल, सुव्यवस्थित अनुपालन प्रक्रियाएँ शुरू करती है, जिससे पेट्रोलियम क्षेत्र में कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी और गवर्नेंस में सुधार होता है।
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भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं—व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी), सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और वेतन संहिता, 2019—को लागू करके श्रम कानूनों का एक ऐतिहासिक एकीकरण किया है। ये सुधार औद्योगिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा, कार्य स्थितियां और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक व्यापक और सुसंगत संरचना स्थापित करते हैं। इस संदर्भ में, पेट्रोलियम उद्योग एक प्रमुख क्षेत्र है जहाँ इन एकीकृत नियामक प्रावधानों की भूमिका अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण है।
नए श्रम संहिताओं के कारण, पेट्रोलियम उद्योग पुराने, बिखरे हुए कानूनों और सिर्फ दंड देने वाले निरीक्षकों पर निर्भरता वाले माहौल से बाहर निकलकर, अब एक ऐसे आधुनिक सिस्टम में प्रवेश करेगा जो सरल, प्रौद्योगिकी-आधारित है और जहाँ कानूनों का पालन करना आसान होगा। ये नियम विशेष रूप से तेल और गैस जैसे खतरनाक एवं उच्च जोखिम वाले उद्योगों के लिए बनाए गए हैं, ताकि उत्पादन से लेकर वितरण तक, हर चरण में सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
पेट्रोलियम उद्योग के बदलते आयाम और संरचना
पेट्रोलियम उद्योग बहुत ही जोखिम भरा क्षेत्र है क्योंकि यहाँ लगातार ज्वलनशील तेल-गैस, खतरनाक गैसें जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड, कैंसर पैदा करने वाली बेंजीन वाष्प, क्रायोजेनिक एलएनजी, उच्च दबाव वाली एलपीजी और गर्म तरल पदार्थों का काम होता है। इस वजह से, कर्मचारियों को थर्मल रेडिएशन के खतरों और इन रसायनों के संपर्क से होने वाली बीमारियों का बड़ा जोखिम बना रहता है।
पहले, इस क्षेत्र में सुरक्षा नियम मुख्य रूप से कारखाना अधिनियम, 1948 पर आधारित थे। यह अधिनियम, हालांकि ऐतिहासिक रूप से प्रगतिशील था, लेकिन पेट्रोलियम उद्योग के लिए अपर्याप्त थे क्योंकि वे केवल कारखाने तक सीमित थे। इन प्रावधानों में चिकित्सा निगरानी सीमित थी, आपातकालीन आवश्यकताएँ बिखरी हुई थीं और प्रवर्तन तंत्र परिवर्तनशील थे। इन सभी को अन्वेषण और उत्पादन, रिफाइनरियों, पेट्रोकेमिकल संयंत्रों, एलएनजी टर्मिनलों, पाइपलाइनों, टैंक फार्मों और खुदरा ईंधन सुविधाओं में मौजूद जटिल जोखिमों से निपटने के लिए विकसित होने की आवश्यकता थी। वर्तमान व्यवस्था के तहत प्रवर्तन मुख्य रूप से इंस्पेक्टर द्वारा ड्रिवन था, डॉक्यूमेंटेशन फिजिकल था, आपातकालीन प्रबंधन अलग-अलग इकाइयों में संचालित होता था और रिकॉर्ड-कीपिंग में पेट्रोलियम के दीर्घकालिक खतरों के संपर्क में आने वाले श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की कमी थी। इसके अलावा, क्रॉस-कंट्री पाइपलाइनों, खुदरा ईंधन आउटलेट्स और बहु-स्थान भंडारण केंद्रों को अलग-अलग स्थानों पर अनुमोदन के लिए कई विभागों की आवश्यकता होती थी, जिससे सुरक्षा निगरानी बंटी हुई रहती थी। ये सब जटिल जोखिमों से निपटने के लिए कारगर नहीं थे।
व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी) के तहत प्रावधान
व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी) की शुरुआत ने पेट्रोलियम सुविधाओं के लिए सुरक्षा प्रणाली में एक निर्णायक परिवर्तन को चिह्नित किया है। यह कदम अलग-अलग, फैक्ट्री-केंद्रित विनियमन से हटकर, एक एकीकृत, राष्ट्रीय और जोखिम-केंद्रित सुरक्षा प्रणाली की स्थापना की ओर बढ़ रहा है। ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता के व्यापक दायरे में अब सभी पेट्रोलियम इकाइयाँ शामिल हैं। रिफाइनरियों से लेकर ईंधन डिपो तक, ये सभी एक ही, व्यापक सुरक्षा दायरे के अधीन आ गए हैं।
- अनिवार्य जोखिम मूल्यांकन और परिचालन अनुमोदन: नए सुरक्षा मानकों का क्रियान्वयन ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता के तहत अब स्ट्रक्चर्ड हैज़र्ड आइडेंटिफिकेशन और रिस्क असेसमेंट को अनिवार्य कर दिया गया है। जोखिम वाले परिचालन शुरू करने से पहले, अब सरकारी अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा। इसके अतिरिक्त, पेट्रोलियम पदार्थों के हैंडलिंग, भंडारण, परिवहन और डिस्पोजल के लिए राष्ट्रीय मानक निर्धारित किए गए हैं। ये सुधार वैश्विक तेल और गैस की बड़ी कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले समकालीन प्रक्रिया-सुरक्षा ढाँचों के अनुरूप हैं। इनमें जोखिम-आधारित निरीक्षण, सुरक्षा ऑडिट, आपातकालीन कमान-संरचना की भागीदारी और डिजिटल अनुपालन प्लेटफॉर्म को शामिल किया गया है।
- बेहतर वर्कर प्रोटेक्शन: ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता के तहत श्रमिक सुरक्षा में पर्याप्त वृद्धि की गई है। पहले के केवल आवधिक चिकित्सा जाँच के विपरीत, अब संहिता में खतरनाक पेट्रोलियम ऑपरेशन में लगे सभी वर्कर के लिए नौकरी से पहले, समय-समय पर और काम पर लगने के बाद हेल्थ जांच की ज़रूरत है, जिसके साथ सालाना फ्री मेडिकल चेक-अप भी शामिल है।
- क्षमता-आधारित प्रशिक्षण और आधुनिक सुरक्षा मानक लागू: पेट्रोलियम श्रमिकों के लिए नई अनिवार्यताओं के साथ ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता ने पेट्रोलियम क्षेत्र में क्षमता-आधारित प्रशिक्षण और प्रमाणीकरण को अनिवार्य कर दिया है। अब कोई भी श्रमिक पेट्रोलियम या खतरनाक रसायनों को तभी संभाल सकता है जब उसके पास आवश्यक प्रशिक्षण और प्रमाणन हो। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा उपकरणों और संरक्षण मानकों को आधुनिक बनाया गया है और उन्हें लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। नियोक्ता को अब निम्नलिखित सुनिश्चित करने होंगे: श्रमिकों को सुरक्षा गियर प्रदान करना, उनका रखरखाव करना और कर्मचारियों को उनका उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित करना। आठ घंटे की कार्य-शिफ्ट की अधिकतम सीमा निर्धारित कर श्रमिकों की थकान पर नियंत्रण सुनिश्चित करना। यह प्रावधान विशेष रूप से निरंतर प्रक्रिया वाले संयंत्रों के लिए एक प्रमुख सुरक्षा उपाय है। ये सुधार पेट्रोलियम क्षेत्र में परिचालन सुरक्षा और श्रमिक कल्याण को उच्च स्तर पर ले जाते हैं।
- आपातकालीन तैयारी हुई सुदृढ़ और श्रमिकों को मिला सुरक्षा का अधिकार : संहिता के तहत आपातकालीन तैयारियों के प्रावधानों को अब सख्ती से लागू किया गया है। पूर्व में केवल एक अनुपालन दस्तावेज माने जाने वाली ऑन-साइट आपातकालीन योजना अब एक प्रवर्तन योग्य आपातकालीन तैयारी प्रणाली बन गई है। इसमें विस्तृत ऑन-साइट आपातकालीन योजनाओं और समय-समय पर मॉक ड्रिल आवश्यक है, जो बड़े हादसों की स्थिति में एकीकृत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करती है। श्रमिक सशक्तिकरण को भी मजबूत किया गया है, जिसके तहत श्रमिकों को खतरनाक कार्य करने से मना करने का अधिकार प्रदान किया गया है। इसके अलावा, पेट्रोलियम उद्योगों में कार्यरत गर्भवती महिलाओं और किशोरों के लिए सुरक्षा नियमों को मजबूत किया गया है, ताकि उन्हें केमिकल और थर्मल जोखिम से बचाया जा सके।
- निरीक्षण के बजाय सुविधा पर जोर- ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता के तहत इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर मॉडल, जोखिम-आधारित निरीक्षण, डिजिटल सबमिशन और सिंगल-विंडो अनुमोदन के साथ मिलकर, नियोक्ताओं के लिए प्रक्रियागत जटिलता को कम करता है। यह कदम वैश्विक पेट्रोलियम नियामक रुझानों के अनुरूप, कम्प्लायंस गवर्नेंस को मजबूत करता है और निरीक्षण के बजाय सुविधा प्रदान करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के प्रमुख प्रावधान
- विस्तारित कल्याणकारी लाभ : सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 कल्याणकारी उपायों को और अधिक संस्थागत बनाती है। यह पेट्रोलियम कार्यस्थलों तक कर्मचारी राज्य बीमा निगम के कवरेज का विस्तार करती है, जिससे श्रमिकों को चिकित्सा देखभाल, चोट लगने पर मुआवजा, डिसेबिलिटी बेनिफिट्स, आश्रितों के लिए लाभ, मातृत्व सुरक्षा, काम से जुड़ी बीमारियों और दुर्घटनाओं के लिए मुआवजा प्राप्त होता है।
- पारदर्शिता एवं कम्प्लायंस में सुधार: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत डिजिटल सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य रिकॉर्ड सुनिश्चित करते हैं कि सभी लाभ पोर्टेबल (एक जगह से दूसरी जगह पर उपयोग किए जा सकने वाले) हों। इससे लाभार्थी पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है, जिससे पूरी प्रक्रिया में स्पष्टता सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष
एक ओर, ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता एक आधुनिक, एकीकृत और सक्रिय सुरक्षा ढाँचा स्थापित करती है, जो अधिक सुरक्षित पेट्रोलियम प्रतिष्ठान, मजबूत इमरजेंसी रेजिलिएंस, स्वस्थ श्रमिक और अधिक विश्वसनीय, वैश्विक रूप से कम्प्लायंट ऑपरेशन प्रदान करती है। दूसरी ओर, सामाजिक सुरक्षा संहिता इस क्षेत्र में कल्याणकारी लाभों का विस्तार करती है और अनुपालन को मजबूत करती है। सामूहिक रूप से, ये संहिताएँ पेट्रोलियम क्षेत्र की सुरक्षा को एक प्रतिक्रियाशील, कम्प्लायंस-हैवी सिस्टम से बदलकर, एक आधुनिक, प्रिवेंशन-फोकस्ड, टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड और वेलफेयर-सेंट्रिक फ्रेमवर्क में बदल देती हैं। इन प्रावधानों से परिचालन अनुशासन, वर्कफोर्स कैपेबिलिटी, इमरजेंसी रेडीनेस, चिकित्सा निगरानी, रेगुलेटरी क्लैरिटी और समन्वय में वृद्धि होती है। इसका अंतिम परिणाम सुरक्षित परिचालन, स्वस्थ कुशल कार्यबल, उच्च उत्पादकता, कम व्यवधान और मज़बूत वैश्विक अनुपालन के रूप में सामने आता है।
सामूहिक रूप से ये परिणाम भारत के पेट्रोलियम क्षेत्र में सेफ्टी कल्चर को सुदृढ़ करते हैं और इंडस्ट्रियल रेजिलिएंस को मजबूत बनाते हैं।
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(तथ्य सामग्री आईडी: 150517)
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