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2025: भारत के विकास की नई परिभाषा का वर्ष


भारत की संतुलित अर्थव्यवस्था की ऊंची उड़ान: उच्च विकास, नियंत्रित महंगाई

प्रविष्टि तिथि: 29 DEC 2025 2:44PM by PIB Delhi
  • भारत की आर्थिक विकास दर ने नई ऊँचाई छुई है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछली दो तिमाहियों के 7.8 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत के स्तर से कहीं अधिक है।
  • नवंबर 2025 में, बेरोज़गारी दर अक्टूबर 2025 के 5.2 प्रतिशत की तुलना में घटकर 4.7 प्रतिशत हो गई, जो अप्रैल 2025 (5.1 प्रतिशत) के बाद से सबसे निचला स्तर है।
  • महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत के साथ जनवरी 2025 में 4.26 प्रतिशत पर रही सीपीआई मुद्रास्फीति नवंबर 2025 तक निरंतर गिरते हुए 0.71 प्रतिशत के स्तर पर आ गई।
  • नवंबर 2025 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट बढ़कर 38.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि जनवरी 2025 में यह 36.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

विकास, स्थिरता, आत्मविश्वास: भारतीय अर्थव्यवस्था के तीन आधार स्तंभ

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इस गति को बनाए रखने के लिए पूरी तरह तैयार है। अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष—2047 तक—उच्च मध्य-आय हासिल करने के लक्ष्य के साथ, देश आर्थिक विकास, संरचनात्मक सुधारों और सामाजिक प्रगति की मजबूत नींव पर आगे बढ़ रहा है।

4.18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ, भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। साथ ही, अगले 2.5 से 3 वर्षों में भारत जर्मनी को पछाड़कर तीसरे स्थान पर आने के लिए तैयार है, जबकि 2030 तक भारत की जीडीपी 7.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचने का अनुमान है। आर्थिक विकास की इस गति ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है, जहाँ वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी छह तिमाहियों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। यह वैश्विक व्यापार में जारी अनिश्चितताओं के बीच भारत की मजबूती को दर्शाता है। इस विस्तार में घरेलू कारकों, विशेष रूप से मजबूत निजी खपत ने केंद्रीय भूमिका निभाई है।

हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स निरंतर आर्थिक गतिविधि की ओर इशारा करते हैं: मुद्रास्फीति लोअर टॉलरेंस थ्रेशहोल्ड से नीचे बनी हुई है, बेरोजगारी में गिरावट का रुझान है और निर्यात के प्रदर्शन में लगातार सुधार हो रहा है। इसके अलावा, वित्तीय स्थितियाँ अनुकूल बनी हुई हैं और वाणिज्यिक क्षेत्र में मजबूत क्रेडिट फ्लो है। वहीं, शहरी खपत में और मजबूती आने से मांग की स्थिति भी सुदृढ़ बनी हुई है।

विकास की गति में मजबूती

वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच मजबूत घरेलू मांग के चलते, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछली तिमाही के 7.8 प्रतिशत और 2024-25 की चौथी तिमाही के 7.4 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में आए उछाल के कारण वास्तविक सकल मूल्य वर्धन में 8.1 प्रतिशत का विस्तार हुआ।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को पिछले 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। भारत की घरेलू विकास दर कई कारकों के कारण ऊपर की ओर बढ़ रही है, जैसे—मजबूत घरेलू मांग, आयकर और वस्तु एवं सेवा कर का का सरलीकरण, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाना और कम मुद्रास्फीति  के कारण अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय स्थितियाँ।

भविष्य की ओर देखें तो, घरेलू कारक—जैसे कृषि की बेहतर संभावनाएं, जीएसटी सरलीकरण के निरंतर प्रभाव, कम मुद्रास्फीति और कॉर्पोरेट्स एवं वित्तीय संस्थानों की मजबूत बैलेंस शीट—अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय स्थितियों के साथ मिलकर आर्थिक गतिविधियों को मजबूती देना जारी रखेंगे। बाहरी कारकों में, सेवाओं के निर्यात के मजबूत बने रहने का अनुमान है, जबकि वर्तमान व्यापार और निवेश वार्ताओं के शीघ्र संपन्न होने से विकास की अतिरिक्त संभावनाएं दिखती हैं। जारी सुधारों से विकास की संभावनाओं को और बल मिलने की उम्मीद है। वर्तमान मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिति एक दुर्लभ "गोल्डीलॉक्स पीरियड" को दर्शाती है, जहाँ उच्च विकास और कम महंगाई का एक अनूठा संगम है।

घटती बेरोजगारी दर

रोजगार, विकास और समृद्धि के बीच की वह महत्वपूर्ण कड़ी है जो इन दोनों को जोड़ती है। भारत में, जहाँ लगभग ~26 प्रतिशत जनसंख्या 10 से 24 वर्ष की आयु वर्ग की है, यह जनसांख्यिकीय दौर पीढ़ी में एक बार मिलने वाला अवसर प्रस्तुत करता है। दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक के रूप में, भारत की विकास गाथा इस क्षमता से आकार ले रही है कि वह कैसे गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करता है, जो उसके बढ़ते कार्यबल को उत्पादक रूप से समाहित कर सके और समावेशी व सतत विकास सुनिश्चित कर सके।

प्रभावी नीति-निर्माण के लिए रोजगार के रुझानों पर नजर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य से, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2017–18 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की शुरुआत की, जो श्रम बल भागीदारी दर (एलएपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे प्रमुख श्रम संकेतकों पर समयबद्ध जानकारी प्रदान करता है। विशेष रूप से, 2025 का पीएलएफएस सर्वेक्षण बेरोजगारी में भारी गिरावट के साथ-साथ भागीदारी और श्रमिक जनसंख्या अनुपात में उल्लेखनीय सुधार दर्शाता है, जो रोजगार की स्थितियों के मजबूत होने का संकेत है।

बेरोजगारी दर श्रम बल का वह हिस्सा है जिसके पास रोजगार नहीं है और जो काम की तलाश में है और/या काम के लिए उपलब्ध है।

बेरोजगारी दर में निरंतर गिरावट का रुझान

भारत में बेरोजगारी दर में गिरावट का रुझान लगातार बना हुआ है, जो उत्पादक रोजगार में ज़्यादा लोगों के शामिल होने का संकेत देता है।

बेरोजगारी और आर्थिक गतिविधि की गति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं। जैसे-जैसे विकास की रफ्तार बढ़ती है, वस्तुओं और सेवाओं के अधिक उत्पादन से श्रम की मांग बढ़ती है, जिससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होते हैं और बेरोजगारी कम होती है। इस संदर्भ में, भारत की घटती बेरोजगारी दर इसकी आर्थिक गति की मजबूती को दर्शाती है। विकास की निरंतरता को देखते हुए, भारत के  बेहतर होते रोजगार परिणाम निरंतर विकास और रोजगार सृजन के बीच अच्छे तालमेल को दिखाते हैं।

  • नवंबर 2025 में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर (सीडब्ल्यूएस के अनुसार) घटकर 4.8 प्रतिशत रह गई, जो अक्टूबर 2025 में 5.4 प्रतिशत थी। यह अप्रैल 2025 (5.1 प्रतिशत) के बाद का सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट का मुख्य कारण महिलाओं की बेरोजगारी दर में आई भारी कमी है। शहरी महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर 9.7 प्रतिशत से घटकर 9.3 प्रतिशत हो गई, जबकि ग्रामीण महिलाओं के लिए यह 4.0 प्रतिशत से गिरकर 3.4 प्रतिशत पर आ गई।
  • कुल मिलाकर, ग्रामीण बेरोजगारी दर गिरकर 3.9 प्रतिशत के नए निचले स्तर पर आ गई है, जबकि शहरी बेरोजगारी दर घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई है।

श्रम बल और श्रमिक भागीदारी में वृद्धि

बेरोजगारी के रिकॉर्ड निचले स्तरों के साथ-साथ, अन्य दो प्रमुख संकेतक—एलएफपीआर (श्रम बल भागीदारी दर) और डब्ल्यूपीआर (श्रमिक जनसंख्या अनुपात)—भी (सीडब्ल्यूएस के अनुसार) एक मजबूत और समावेशी श्रम बाजार का भरोसा देते हैं।

  • श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) कुल जनसंख्या में श्रम बल (यानी वे लोग जो काम कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं या काम के लिए उपलब्ध हैं) का प्रतिशत है। बढ़ता हुआ एलएफपीआर श्रम बाजार में बेहतर जुड़ाव का संकेत देता है, क्योंकि अधिक लोग कार्यबल में प्रवेश कर रहे हैं। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए कुल एलएफपीआर नवंबर 2025 में सात महीने के उच्चतम स्तर 55.8 प्रतिशत पर पहुँच गया (जो जून 2025 में 54.2 प्रतिशत था)।
  • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) कुल जनसंख्या में नियोजित (काम कर रहे) व्यक्तियों का प्रतिशत है। बढ़ता हुआ डब्ल्यूपीआर इस बात का प्रमुख संकेतक है कि वास्तव में कितने लोग काम कर रहे हैं और बेरोजगार नहीं हैं। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए कुल डब्ल्यूपीआर नवंबर 2025 में सुधरकर 53.2 प्रतिशत हो गया, जो अक्टूबर में 52.5 प्रतिशत और जून 2025 में 51.2 प्रतिशत था।

ये रुझान श्रम बाजार की मजबूत होती स्थितियों का संकेत देते हैं, जिसे ग्रामीण रोजगार में वृद्धि, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और शहरी श्रम मांग में क्रमिक सुधार से समर्थन मिल रहा है।

2025 में मुद्रास्फीति (महंगाई) में महत्वपूर्ण कमी

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) वस्तुओं और सेवाओं की उस बास्केट की कीमतों में होने वाला बदलाव है, जिन्हें आमतौर पर परिवारों के विशिष्ट समूहों द्वारा खरीदा जाता है। साल 2025 में, भारत ने समग्र रूप से एक अनुकूल मुद्रास्फीति वातावरण का अनुभव किया। वर्ष की शुरुआत में, जनवरी में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.26 प्रतिशत थी और साल के बीच तक इसमें क्रमिक रूप से कमी आई, जिसके बाद वर्ष की दूसरी छमाही में यह कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुँच गई। जून में, सीपीआई मुद्रास्फीति 2.10 प्रतिशत दर्ज की गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के मुद्रास्फीति लक्ष्य (जिसमें +/- 2 प्रतिशत का टॉलरेंस बैंड शामिल है) के भीतर थी। हेडलाइन सीपीआई ने गिरावट का रुख जारी रखा और अक्टूबर में लगभग 0.25 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुँच गई। मुद्रास्फीति में उम्मीद से अधिक तेज गिरावट का मुख्य कारण खाद्य कीमतों में सुधार (गिरावट) था, जो सितंबर-अक्टूबर के महीनों में देखे जाने वाले सामान्य रुझान के विपरीत था। नवंबर तक, सीपीआई मुद्रास्फीति मामूली बढ़कर 0.71 प्रतिशत हो गई, जो व्यापक उपभोग श्रेणियों में निरंतर मूल्य स्थिरता को रेखांकित करती है

आरबीआई ने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2.0 प्रतिशत कर दिया है।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो आरबीआई के 2–6 प्रतिशत के लक्ष्य दायरे के भीतर है। वित्त वर्ष 2026 के लिए तिमाही मुद्रास्फीति का पथ तीसरी तिमाही में 0.6 प्रतिशत और उसके बाद चौथी तिमाही में 2.9 प्रतिशत रहने का संकेत देता है। वित्त वर्ष 2027 के लिए, पहली तिमाही में इसके 3.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

बदलते व्यापक आर्थिक और वित्तीय घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में, आरबीआई ने तटस्थ दृष्टिकोण अपनाते हुए नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया है। यह कदम विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन का संकेत देता है, क्योंकि हेडलाइन और कोर दोनों स्तरों पर अनुकूल मुद्रास्फीति परिदृश्य बना हुआ है, जो विकास की गति को सहारा देने के लिए नीतिगत गुंजाइश प्रदान करना जारी रखता है। 2025 में मुद्रास्फीति के समग्र पथ ने भारत के इन्फ्लेशन-टारगेटिंग फ्रेमवर्क की प्रभावशीलता की पुष्टि की है, क्योंकि पूरे वर्ष के अधिकांश समय में सीपीआई के परिणाम आरबीआई द्वारा निर्धारित दायरे के भीतर रहे।

2025 में थोक मूल्य की गतिशीलता ने भी मुद्रास्फीति में कमी के इसी रुझान को दर्शाया। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति, जो अर्थव्यवस्था के लिए औसत थोक मूल्य उतार-चढ़ाव का पैमाना है, की शुरुआत जनवरी में सकारात्मक रूप से 2.31 प्रतिशत पर हुई। इसे खाद्य उत्पादों के निर्माण, खाद्य वस्तुओं, अन्य विनिर्माण, गैर-खाद्य वस्तुओं और वस्त्र निर्माण आदि की उच्च कीमतों से समर्थन मिला। अप्रैल की 0.85 प्रतिशत की कम मुद्रास्फीति के बाद, डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति हल्के सकारात्मक स्तरों के बीच उतार-चढ़ाव और अंततः नवंबर 2025 में यह -0.32 प्रतिशत की अनंतिम वार्षिक दर पर पहुँच गईये घटनाक्रम खुदरा और थोक दोनों स्तरों पर मूल्य दबाव में समग्र नरमी को रेखांकित करते हैं, जो नीतिगत सुधारों और विकास के लिए एक अनुकूल व्यापक  मैक्रोइकोनॉमिक वातावरण में योगदान देते हैं

व्यापारिक गतिविधियों में बेहतर प्रदर्शन

जनवरी 2025 में, भारत के विदेशी व्यापार की शुरुआत काफी ठोस रही, जहाँ कुल निर्यात (वस्तु और सेवा निर्यात मिलाकर) अनुमानित $74.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो जनवरी 2024 की तुलना में 9.72 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। जून 2025 तक, कुल निर्यात (अप्रैल-जून 2025) $210.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर (5.94 प्रतिशत की वृद्धि) तक पहुँच गया, जबकि गैर-पेट्रोलियम निर्यात ने भी अपनी अच्छी गति बनाए रखी। वर्ष की शुरुआत और मध्य के इन रुझानों ने निरंतर निर्यात विस्तार और विविध विदेशी मांग का प्रदर्शन किया। नवंबर 2025 तक, वर्ष के व्यापारिक पथ ने बाहरी सेक्टर में निरंतर जुड़ाव को प्रतिध्वनित किया।

2025 में भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट के प्रदर्शन को प्रमुख उत्पाद समूहों और वैश्विक बाजारों में मजबूती मिली। वर्ष की शुरुआत में, जनवरी 2025 में 36.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के निर्यात के साथ, भारतीय निर्यातकों ने पूरे वर्ष बाहरी शिपमेंट को बनाए रखने के लिए विविध मांग स्थितियों का लाभ उठाया। इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे क्षेत्रों के मजबूत योगदान के समर्थन से, वस्तु निर्यात ने एक पॉजिटिव मोमेंटम बनाए रखा। यह भारतीय विनिर्माण की प्रतिस्पर्धात्मकता और  ग्लोबल वैल्यू चेन के साथ व्यापार संबंधों को दर्शाता है। नवंबर 2025 तक, वस्तु निर्यात का मूल्य बढ़कर 38.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वैश्विक व्यापारिक बाधाओं के बावजूद बाहरी सेक्टर के प्रदर्शन में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।

वर्ष 2025 में वस्तु निर्यात की मजबूत वृद्धि में योगदान देने वाली प्रमुख वस्तुएं काजू, समुद्री उत्पाद, अन्य अनाज, इलेक्ट्रॉनिक सामान, इंजीनियरिंग सामान और पेट्रोलियम उत्पाद थीं, जिन्होंने पिछले 11 वर्षों में 10 प्रतिशत से अधिक की अपनी उच्चतम वृद्धि दर दर्ज की।

2025 में मर्चेंडाइज निर्यात वृद्धि (मिलियन अमेरिकी डॉलर में)

कमोडिटीज़

जनवरी 2025

नवंबर 2025

वृद्धि

काजू

34.93

57.42

64.39%

समुद्री उत्पाद

540.75

877.65

62.30%

अन्य अनाज

28.36

37.53

32.33%

इलेक्ट्रॉनिक सामान

4105.46

4813.66

17.25%

इंजीनियरिंग सामान

9418.06

11012.2

16.93%

कॉफी

115.73

134.83

16.50%

पेट्रोलियम उत्पाद

3561.76

3931.52

10.38%

सिरेमिक उत्पाद और कांच के बर्तन

326.43

355.17

8.80%

 

मसाले

343.01

358.46

4.50%

फल और सब्जियां

303.16

314.47

3.73%

2025 में यूनाइटेड किंगडम, ओमान और न्यूजीलैंड के साथ व्यापार साझेदारी को मजबूत करके, भारत ने अपने ग्लोबल एक्सपोर्ट का विस्तार किया और अपने निर्यात के लिए उभरते बाजारों तक पहुंच बढ़ाई। जनवरी 2025 से, भारत ने व्यापार विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीन, हांगकांग, ब्राजील, इटली, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, बेल्जियम, जर्मनी और कई अन्य देशों के साथ अपने व्यापार को बढ़ावा दिया।

सेवा निर्यात लचीलेपन का एक प्रमुख स्तंभ बना रहा, जो अप्रैल-नवंबर 2025 में 8.65 प्रतिशत बढ़कर अनुमानित 270.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जबकि अप्रैल-नवंबर 2024 में यह 248.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह कंप्यूटर सेवाओं और व्यावसायिक सेवाओं में भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करता है। कुल मिलाकर, निर्यात क्षेत्र भारत की आर्थिक स्थिरता और विकास के दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करना जारी रखता है।

भारत का बाहरी सेक्टर: वैश्विक लहरों के बीच अडिग और अटूट

28 नवंबर, 2025 तक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 686.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया, जो 11 महीने से अधिक के आयात खर्च को कवर करने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करता है।

 

भारत का बाहरी सेक्टर मजबूत बना हुआ है। मजबूत सेवा निर्यात और अच्छे रेमिटेंस के बल पर, चालू खाता घाटा (सीएडी) जो वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में घटकर 1.3 प्रतिशत रह गया है। इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में इनवर्ड रेमिटेंस में 10.7 प्रतिशत (साल-दर-साल) की वृद्धि हुई। सेवा निर्यात के सकारात्मक परिदृश्य और बढ़ते प्रेषण के साथ, 2025-26 के दौरान सीएडी के मामूली स्तर पर रहने की उम्मीद है।

बाहरी वित्तपोषण के मोर्चे पर, वर्ष की पहली छमाही के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) ने जबरदस्त गति पकड़ी। अप्रैल से सितंबर 2025-26 की समयावधि के दौरान, पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में; जहाँ सकल एफडीआई 19.4 प्रतिशत बढ़कर 43.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 51.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, वहीं शुद्ध एफडीआई  127.6 प्रतिशत की भारी वृद्धि के साथ 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 7.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह महत्वपूर्ण वृद्धि मुख्य रूप से 'रिपेट्रिएशन' (पूँजी की स्वदेश वापसी) में आई कमी के कारण हुई, जबकि इस दौरान बाहरी एफडीआई में वृद्धि देखी गई थी।

भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक (अप्रैल से 03 दिसंबर तक) 0.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की शुद्ध निकासी दर्ज की है, जिसका मुख्य कारण इक्विटी सेगमेंट (शेयर बाजार) से होने वाली निकासी है।

इसके अलावा, एक्सटर्नल कमर्शियल बोरिंग और नॉन-रेजिडेंट डिपॉजिट अकाउंट्स के तहत होने वाला प्रवाह अप्रैल-अक्टूबर 2025-26 के दौरान घटकर 6.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। नॉन-रेजिडेंट डिपॉजिट में अप्रैल-सितंबर 2025-26 के दौरान 6.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 10.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में कम है।

चौतरफा विकास की गति: भारत की प्रगति गाथा का नया अध्याय

भारत का ग्रोथ आउटलुक उत्साहजनक बना हुआ है, जिसमें वैश्विक और घरेलू संस्थानों ने मजबूत आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों के आधार पर अपने आकलनों को और बेहतर किया है। प्रमुख क्षेत्रों में चौतरफा गति को देखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने जीडीपी विकास अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी इसी आशावाद को दोहराया है: विश्व बैंक ने 2026 में 6.5 प्रतिसथ विकास का अनुमान लगाया है। मूडीज को उम्मीद है कि भारत 2026 में 6.4 प्रतिशत और 2027 में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली जी-20 अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ ने 2025 के लिए अपने अनुमान बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत और 2026 के लिए 6.2 प्रतिशत कर दिए हैं। ओईसीडी ने 2025 में 6.7 प्रतिशत और 2026 में 6.2 प्रतिशत विकास का पूर्वानुमान लगाया है; एसएंडपी जारी वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाता है। एशियाई विकास बैंक ने अपने 2025 के पूर्वानुमान को बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है और फिच ने मजबूत उपभोक्ता मांग के कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमान को बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है।

कुल मिलाकर, निरंतर अंतरराष्ट्रीय विश्वास, मजबूत घरेलू मांग, गिरती बेरोजगारी और कम होती मुद्रास्फीति, देश को अपने 2047 के विकास लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ने के लिए मजबूती से खड़ा करती है।

संदर्भ

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श्रम एवं रोजगार मंत्रालय

https://dge.gov.in/dge/sites/default/files/2024-02/Employment_Situation_in_India_NOV_2023.pdf

https://labour.gov.in/sites/default/files/pib2097939.pdf

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

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https://www.commerce.gov.in/wp-content/uploads/2025/12/PIB-Release-Nov-2025.pdf

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/feb/doc2025217504101.pdf

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/dec/doc20251215732101.pdf

भारतीय रिजर्व बैंक

https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Bulletin/PDFs/DEC25A728ED88AE074D6092BB300124563772.PDF

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आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

https://www.oecd.org/en/publications/oecd-economic-outlook-volume-2025-issue-2_9f653ca1-en/full-report/india_65a8d75a.html

https://www.oecd.org/en/data/indicators/inflation-cpi.html

https://www.oecd.org/en/publications/2025/09/oecd-economic-outlook-interim-report-september-2025_ae3d418b.html

विश्व बैंक

https://www.worldbank.org/ext/en/country/india

https://openknowledge.worldbank.org/server/api/core/bitstreams/71109bfe-cb0e-47d6-b2c5-722341e42b99/content

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन

https://www.ilo.org/sites/default/files/2024-08/India%20Employment%20-%20web_8%20April.pdf

मूडीज

https://www.moodys.com/web/en/us/insights/credit-risk/outlooks/macroeconomics-2026.html

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

https://www.imf.org/external/pubs/ft/fandd/basics/unemploy.htm#:~:text=Unemployment%20is%20highly%20dependent%20on,sides%20of%20the%20same%20coin

https://www.imf.org/external/datamapper/NGDP_RPCH@WEO/IND?zoom=IND&highlight=IND

इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन

https://www.ibef.org/economy/indian-economy-overview

पीआईबी आर्काइव्स

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2195990&reg=3&lang=1

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2174773&reg=3&lang=2

https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=150328&reg=3&lang=1

एशियाई विकास बैंक

https://www.adb.org/sites/default/files/publication/1102431/ado-december-2025.pdf

अन्य

https://www.newsonair.gov.in/sps-global-rating-projects-indias-economy-to-grow-6-5-in-current-fiscal-year/

https://ddnews.gov.in/en/fitch-raises-indias-fy26-gdp-growth-forecast-to-7-4-on-strong-consumption-tax-reforms/

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पीके/केसी/डीवी


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