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भारत में बना, दुनिया भर में पहुँचा: व्यापार समझौतों से निर्यात को मिली नई शक्ति

प्रविष्टि तिथि: 18 DEC 2025 7:17PM by PIB Delhi

प्रमुख बिंदु

  • नवंबर 2024 और नवंबर 2025 के बीच, भारत का कुल निर्यात 64.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 73.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें 15.52% की मजबूत तेजी दर्ज की गई।
  • भारत ने कई बड़े मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) किए हैं, जिनमें सबसे नया ओमान के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) है। कई दूसरे देशों के साथ भी चर्चा चल रही है।
  • वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निर्यात में विविधता लाने से व्यापार में स्थिरता, प्रतिस्पर्धा और लंबे समय की आर्थिक सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।

 

भारत की व्यापार कहानी एक नजर में

 

वैविध्यता, नवाचार और रणनीतिक व्यापार सुधारों की वजह से भारत वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति को लगातार मजबूत कर रहा है। महामारी के बाद मजबूत रिकवरी से लेकर लगातार बनी हुई वैश्विक अनिश्चितताओं तक, भारत का निर्यात सिर्फ बढ़ ही नहीं रहा है, बल्कि नए कीर्तिमान भी बना रहा है। नवंबर 2024 से नवंबर 2025 तक सालाना आधार पर बढ़ोतरी भारत को वैश्विक व्यापार में एक भरोसेमंद और विश्वसनीय पार्टनर के तौर पर दिखाती है।

नवंबर 2024 और नवंबर 2025 के बीच, भारत का कुल निर्यात 64.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 73.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें 15.52% की मजबूत तेजी दर्ज की गई, जबकि आयात लगभग 80.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर स्थिर रहा। नतीजतन, व्यापार घाटे में 61.07% की बड़ी कमी आई, जो 17.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 6.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। व्यापार में रुकावटों के बावजूद, यह तेजी भारत की मजबूती को दिखाती है, जिसमें अधिक कीमत वाली वस्तुएं, बढ़ती वैश्विक साझेदारी और पॉलिसी में सुधार से अधिक संतुलित और वैश्विक स्तर पर एकीकृत व्यापार मार्ग को सहयोग कर रही हैं।

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निर्यात में प्रगति के लिए भारत अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत के व्यापार समझौते समावेशी विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हैं, जिससे किसानों, कारीगरों, मजदूरों, एमएसएमई को लाभ होता है, साथ ही देश के मुख्य हितों की भी रक्षा होती है। हाल ही में, भारत-ओमान समझौता लंबे समय से चले आ रहे द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाता है, जिससे एक दूरदर्शी और संतुलित आर्थिक फ्रेमवर्क बनता है।

 

वैश्विक व्यापार का सशक्तिकरण: भारत की निर्यात यात्रा

 

नवंबर 2025 में भारत के निर्यात में सालाना आधार पर तेजी दर्ज की गई, जो बाहरी व्यापार में लगातार बढ़ोतरी को दिखाता है। यह बढ़ोतरी मुख्य सामान और सेवा क्षेत्र में अधिक निर्यात मूल्य के साथ-साथ प्रमुख सहयोगी देशों से लगातार मांग के कारण हुई। यह प्रदर्शन बदलते वैश्विक व्यापार हालात के बीच भारत के निर्यात क्षेत्र की मजबूती को प्रदर्शित करता है।

  • नवंबर 2025 में मर्चेंडाइज निर्यात 38.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि नवंबर 2024 में यह 31.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो सालाना आधार पर 19.38% की बढ़ोतरी दिखाता है।
  • नवंबर 2025 में सेवा निर्यात 35.86 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि नवंबर 2024 में यह 32.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो एक साल में 11.67% की बढ़ोतरी दिखाता है।
  • नवंबर 2025 में कुल निर्यात में मर्चेंडाइज निर्यात का हिस्सा 51.53% था, जबकि सेवा निर्यात का हिस्सा 48.47% था।

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सभी तरह के टेक्सटाइल के रेडीमेड कपड़े, जो एक गहन-श्रम का क्षेत्र है, लगातार अच्छा योगदान दे रहे हैं। बीते वर्ष के मुकाबले नवंबर 2025 में निर्यात 11.27% बढ़कर 1247.37 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। भारत के कुछ बड़े निर्यात बाजार, जिन्होंने शानदार प्रगति दर दर्ज की, वे यूएई (14.5%), यूके (1.5%), जापान (19.0%), जर्मनी (2.9%), स्पेन (9.0%) और फ्रांस (9.2%) थे। दूसरी ओर, कुछ अन्य बाजार, जिन्होंने अधिक प्रगति दर दर्ज की, वे मिस्र (27%), सऊदी अरब (12.5%), हॉन्ग कॉन्ग (69%) आदि थे। यह प्रदर्शन वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद इस क्षेत्र की अनुकूलन क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता को दिखाता है।

इसी तरह, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक केमिकल्स के निर्यात में नवंबर 2025 में सालाना आधार पर 18.49% की बढ़ोतरी हुई। भारत का दवा और फार्मास्युटिकल क्षेत्र, जिसे दुनिया की फार्मेसी के तौर पर जाना जाता है, ने सालाना आधार पर निर्यात में 20.19% की तेजी देखी। भारतीय फार्मा निर्यात दुनिया भर के 200 से अधिक देशों में होता है, जिसमें अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे अत्यधिक नियामक बाजार भी शामिल हैं, जो इस क्षेत्र में भी विविधता को दिखाता है।

नवंबर 2025 में रत्न और आभूषणों के निर्यात में भी 27.8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारतीय आभूषण अपनी कारीगरी, डिजाइन और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए सराहे जाते हैं। अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, हॉन्ग कॉन्ग और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में, खासकर सोने, हीरे और रंगीन रत्नों के आभूषणों की मांग बढ़ रही है।

बीते एक दशक में भारत ने पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में विशेष बढ़ोतरी देखी है। भारत रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक है, और अपने मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति के कारण वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच रिफाइनिंग देशों में शामिल है। बीते वर्ष के इसी महीने की तुलना में नवंबर 2025 में निर्यात में बढ़ोतरी 11.65% थी। प्रमुख निर्यात देशों में दक्षिण एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय देश शामिल हैं।

इंजीनियरिंग वस्तुएं, जो भारत के निर्यात का एक पारंपरिक आधार हैं, ने लगातार ग्रोथ दर्ज की है, जिसमें अमेरिका प्रमुख गंतव्य है, जिसके बाद यूएई, जर्मनी, यूके और सऊदी अरब हैं। इस गति को बनाए रखने के लिए, सरकार ने निर्यातकों को सहयोग करने और विदेशी राजस्व को प्रोत्साहन देने के लिए जीरो ड्यूटी ईपीसीजी और बाजार पहुंच पहल (एमएआई) जैसे तरीके शुरू किए हैं।

2030-31 तक $500 बिलियन का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम बनाने के लक्ष्य के साथ, भारत अब इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। इसमें सबसे आगे मोबाइल फोन हैं, जिनका 2014-15 में निर्यात सिर्फ ₹1,500 करोड़ का था, जो 2024-25 में ₹2 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो एक दशक में 127 गुना बढ़ गया। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएं अब बड़े बाजारों में निर्यात की जाती हैं, वित्त वर्ष 2024-25 में पांच प्रमुख गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और इटली हैं।

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निर्यात विविधीकरण: एक रणनीतिक दृष्टिकोण

 

निर्यात विविधीकरण एक सोची-समझी नीति रणनीति की मदद से उभरा है। यह भू-राजनीतिक तनाव, मांग में उतार-चढ़ाव और सप्लाई चेन में रुकावटों वाले अनिश्चित वैश्विक व्यापार माहौल में मदद कर रहा है। उत्पादों और बाजारों में विस्तार करके, देश सीमित भागीदारों पर अत्यधिक निर्भरता कम करते हैं और बाहरी झटकों के खिलाफ लचीलापन बनाते हैं। यह दृष्टिकोण वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच व्यापार स्थिरता, प्रतिस्पर्धात्मकता और दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करता है।

निर्यात में अस्थिरता से बचना और निर्भरता कम करना

कमोडिटी पर निर्भर निर्यात में स्वाभाविक रूप से कीमतों में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है, जिससे अगर देश कुछ ही उत्पादों पर निर्भर रहते हैं तो निर्यात से होने वाली कमाई में अस्थिरता आ सकती है। इस तरह की अस्थिरता व्यापक आर्थिक अनिश्चितता को बढ़ा सकती है और लंबे समय के निवेश के फैसलों को धीमा कर सकती है। निर्यात में विविधता उत्पादों और बाजारों में जोखिम को फैलाकर अधिक स्थिरता का रास्ता दिखाती है, जिससे लगातार निर्यात में बढ़ोतरी और लंबे समय तक आर्थिक मजबूती को प्रोत्साहन मिलता है।

वैश्विक मांग के झटकों के खिलाफ लचीलेपन का निर्माण

वैश्विक मांग के झटकों के खिलाफ लचीलापन बनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि सीमित निर्यात विविधीकरण अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक मांग में अचानक गिरावट के प्रति संवेदनशील बना सकता है। निर्यात में विविधता लाने से जोखिम को कई क्षेत्रों और बाजारों में फैलाकर ऐसे आर्थिक झटकों को झेलने की क्षमता बढ़ती है, जिससे निर्यात प्रदर्शन में अधिक स्थिरता सुनिश्चित होती है।

जानकारी फैलाने को प्रोत्साहन

निर्यात विविधीकरण नए उत्पादन तकनीकों, प्रबंधन प्रथाओं और मार्केटिंग क्षमताओं को अपनाने को प्रोत्साहित करके विचारों, कौशल और सूचना के प्रवाह को बढ़ावा देता है, जो उद्योगों में फैल सकते हैं। निर्यात उत्पादों की श्रृंखला का विस्तार करके, अर्थव्यवस्थाएं सीखने, नवाचार और उत्पादकता को मजबूत करती हैं, जो लंबे समय में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी में मदद करती हैं।

व्यापक आर्थिक स्थिरता का सशक्तिकरण

2024 में भारत की जीडीपी में केवल निर्यात का योगदान 21.2% था। सीमित विविधीकरण अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं और निर्यात की कमी के संपर्क में ला सकता है, जिससे व्यापक आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। निर्यात विविधीकरण आर्थिक गतिविधि को व्यापक बनाकर, बाहरी झटकों के भेदने को कम करके और स्थायी विकास और बेहतर जीवन स्तर का सहयोग करके स्थिरता को मजबूत करता है।

 

वैश्विक संबंधों का विस्तार: भारत के लिए व्यापार के अवसरों को खोलना

 

जैसे-जैसे भारत की आर्थिक मौजूदगी दुनिया भर में बढ़ रही है, यह गहरे व्यापार और आर्थिक सहयोग के लिए एक पसंदीदा भागीदार के तौर पर उभरा है।

भारत और ओमान ने सीईपीए पर हस्ताक्षर किए: पिछले 6 महीनों में यूके के बाद भारत का दूसरा मुक्त व्यापार समझौता

भारत ने 18 दिसंबर 2025 को ओमान के साथ एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए, जो खाड़ी क्षेत्र के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि दोनों देश राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे कर रहे हैं। यह समझौता एक भरोसेमंद और विश्वसनीय वैश्विक व्यापार सहयोगी के तौर पर भारत की बढ़ती मौजूदगी को दिखाता है।

  • यह समझौता भारत के गहन-श्रम क्षेत्रों - जैसे कृषि, कपड़ा, चमड़ा, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल - के लिए नए निर्यात के मौके खोलता है, जिससे रोजगार निर्माण करने और कारीगरों, महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों और एमएसएमई को सशक्त बनाने में मदद मिलती है।
    • 2024 में ओमान के कृषि आयात में भारत की हिस्सेदारी 10.24% थी, और आपूर्तिकर्ताओं में यह दूसरे स्थान पर था। मुख्य निर्यात वस्तुओं में बासमती चावल, उबले चावल, केले, आलू, प्याज, सोयाबीन का आटा, मीठे बिस्कुट, काजू, मिक्स मसाले, मक्खन, मछली का तेल, झींगा और श्रिम्प्स का चारा, फ्रोजन बिना हड्डी का बोवाइन मांस, और फर्टिलाइज्ड अंडे शामिल हैं।
    • बोवाइन जानवरों के बिना हड्डी के मांस, अन्य ताजे अंडे, मीठे बिस्कुट, काजू, दूध से बने अन्य वसा और तेल, अन्य मिक्स मसाले और सीजनिंग, तैयार/ संरक्षित आलू, सूखे नहीं हुए अंडे की जर्दी, ग्वार गम, काबुली चना और अन्य पनीर पर ड्यूटी-फ्री पहुंच ओमान को निर्यात करने वाले अन्य देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बढ़त देता है।
    • मक्खन, चीनी की मिठाइयों, बेकरी उत्पादों, पोल्ट्री मांस और ऑफल, मिक्स मसालों और मिक्स सीजनिंग, तैयार/ संरक्षित अन्य फलों के स्क्वाश, प्राकृतिक शहद से टैरिफ हटाने से ओमान के बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होती है।
  • सीईपीए भारतीय सामानों के लिए अभूतपूर्व बाजार पहुंच प्रदान करता है, जिसमें ओमान की 98.08% टैरिफ लाइनों पर जीरो-ड्यूटी पहुंच है, जो मूल्य के हिसाब से भारत के 99.38% निर्यात को कवर करता है।
  • यह सभी तरीकों से पारंपरिक चिकित्सा पर किसी भी देश की ओर से पहली बार की गई प्रतिबद्धता है, जो भारत के वेलनेस क्षेत्रों और आयुष के लिए बड़े मौके खोलती है, जो एक व्यापक संस्थागत ढांचे के माध्यम से भारत के पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र को मजबूती देता है।
  • पहली बार, ओमान ने प्रमुख मोड 4 कैटेगरी में कमिटमेंट दिए हैं, जिसमें इंट्रा-कॉरपोरेट ट्रांसफर होने वालों और कॉन्ट्रैक्ट वाले सेवा प्रदाता, बिजनेस विजिटर्स और स्वतंत्र पेशेवरों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली अस्थायी प्रवेश और अस्थायी रूप से ठहरने की सुविधा शामिल है, साथ ही अकाउंटेंसी, टैक्सेशन, आर्किटेक्चर, मेडिकल और संबंधित क्षेत्रों के पेशेवरों के लिए प्रवेश और ठहरने को आसान बनाया गया है।

इसके साथ ही, भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ कई बड़े मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) साइन किए हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उसकी स्थिति मजबूत हुई है और भारतीय व्यापार के लिए नए बाजार खुले हैं।

  • भारत ने 2025 में यूनाइटेड किंगडम के साथ एक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) किया। सीईटीए भारत के 99% निर्यात को यूके में बिना किसी शुल्क के पहुंच देता है, जो लगभग 100% व्यापार मूल्य को कवर करता है, जिससे कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न, इंजीनियरिंग वस्तुएं, केमिकल और ऑटो कलपुर्जों जैसे क्षेत्र को लाभ होगा।
    • खास बात यह है कि यह समझौता सिर्फ वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवाओं को भी शामिल करता है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की एक मुख्य ताकत है। भारत ने 2023 में यूके को 19.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सेवाओं का निर्यात किया था, और सीईटीए इसे और बढ़ाने का वादा करता है।
    • इसके अतिरिक्त, यूके में पहली बार, सीईटीए के माध्यम से आईटी, हेल्थकेयर, फाइनेंस और शिक्षा क्षेत्रों के पेशेवरों के लिए गतिशीलता आसान बनाई जा रही है। यह संविदा पर काम करने वाले सेवा प्रदाताओं, बिजनेस विजिटर्स, इंट्रा-कॉरपोरेट ट्रांसफर होने वालों और स्वतंत्र पेशेवरों के लिए आसान प्रवेश देता है।
    • एक और बड़ी सफलता डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन है - जो दोहरी सामाजिक सुरक्षा योगदान की जरूरत को खत्म करके भारतीय फर्मों और कर्मचारियों के ₹4,000 करोड़ से अधिक बचाएगा।
  • चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ अपना पहला एफटीए करते हुए, भारत ने 2024 में ईएफटीए देशों - स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन - के साथ एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाजार पहुंच को बेहतर बनाता है, जिसे मजबूत निवेश प्रतिबद्धताओं का सहयोग मिला है, जिसमें 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश और भारत में दस लाख नौकरियों का निर्माण शामिल है।
  • 2022 में संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) ने 90% से अधिक भारतीय निर्यात पर टैरिफ को काफी कम कर दिया है - खासकर रत्न और आभूषण, टेक्सटाइल, चमड़ा और इंजीनियरिंग सामान में - जिससे द्विपक्षीय व्यापार में $100 बिलियन से अधिक के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिली है।
  • ऑस्ट्रेलिया के साथ, भारत ने 2022 में आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ईसीटीए) किया, जिससे अधिकतर व्यापार किए जाने वाले सामानों पर टैरिफ खत्म या कम हो गए। इस समझौते ने भारतीय कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स और एग्रीकल्चर के लिए ऑस्ट्रेलियाई बाजार खोल दिया है।
  • अफ्रीका में, भारत ने 2021 में मॉरीशस के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौते (सीईसीपीए) के जरिए इस महाद्वीप के साथ अपना पहला व्यापार समझौता किया। यह समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार तक आसान पहुंच को संभव बनाता है, साथ ही अफ्रीकी बाजारों के लिए गेटवे के तौर पर मॉरीशस की भूमिका को भी मजबूत करता है।

इन पूरे हो चुके समझौतों के अलावा, कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं वर्तमान में भारत के साथ एफटीए और व्यापक आर्थिक साझेदारियों के जरिए व्यापार और निवेश संबंधों को गहरा करने के लिए सक्रिय बातचीत के मध्य में हैं।

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  • भारत और इजराइल ने नवंबर 2025 में एफटीए के लिए संदर्भ की शर्तों पर हस्ताक्षर किए। उम्मीद है कि यह प्रस्तावित समझौता फिनटेक, एग्री-टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग, फार्मास्यूटिकल्स, स्पेस और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करेगा।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी रखे हुए हैं, 2025 में बातचीत के कई दौर हुए। महत्वाकांक्षी "मिशन 500" के अंतर्गत, दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक अमेरिका-भारत व्यापार को दोगुने से अधिक करके $500 बिलियन तक पहुंचाना है, जिसे कई क्षेत्रों में व्यापार संबंधों को गहरा करके हासिल किया जाएगा।
  • भारत भी यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ एफटीए के लिए बातचीत कर रहा है। एफटीए के मुख्य विषयों जैसे वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच, उद्गम के नियम, सेवाएं, व्यापार में तकनीकी रुकावटें, व्यापार और संपोषित विकास वगैरह पर दिसंबर 2025 में तकनीकी बातचीत हुई।
  • आसियान-भारत व्यापार माल समझौता (एआईटीआईजीए) के लिए भी बातचीत चल रही है, जिसमें सदस्य देशों की पूरी आर्थिक क्षमता को सामने लाने और क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूत करने की क्षमता है।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) की बातचीत आगे बढ़ रही है, जिसमें वस्तुओं, सेवाओं और गतिशीलता, डिजिटल व्यापार, मूल नियम, कानूनी और संस्थागत प्रावधान, पर्यावरण, श्रम और जेंडर सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिससे बाकी प्रावधानों में तालमेल के लिए बेहतर समझ बन रही है।
  • भारत और मैक्सिको की बैठकें द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही हैं, जिसमें व्यापार, निवेश, आर्थिक सहयोग बढ़ाने, व्यावसायिक सहयोग को प्रोत्साहन देने और विभिन्न क्षेत्रों में मौकों की तलाश करने पर चर्चा हुई है।
  • न्यूजीलैंड के साथ भी एफटीए या कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एग्रीमेंट के लिए बातचीत चल रही है, जिसमें सामानों का व्यापार, सेवाओं का व्यापार, आर्थिक और व्यापार सहयोग, और मूल के नियम जैसे मुख्य ट्रैक शामिल हैं। उम्मीद है कि प्रस्तावित एफटीए व्यापार प्रवाह को काफी बढ़ाएगा, निवेश संबंधों को गहरा करेगा, सप्लाई-चेन की मज़बूती को बढ़ाएगा, और बिज़नेस के लिए ज़्यादा अनुमानितता और मार्केट एक्सेस देगा।
  • कनाडा के साथ, भारत की सहमत शर्तों के आधार पर एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर बातचीत जारी है। इस प्रस्तावित समझौते का उद्देश्य टैरिफ में कमी और सेवाओं और निवेश के लिए स्पष्ट फ्रेमवर्क के जरिए 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को लगभग $50 बिलियन तक बढ़ाना है।
  • भारत गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) के साथ एक एफटीए पर सक्रिय तौर पर चर्चा कर रहा है और व्यापार, ऊर्जा, निवेश और सुरक्षा के क्षेत्र में संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से कतर के साथ भी इसी तरह की व्यवस्था की संभावना तलाश रहा है।

पूरे हो चुके समझौतों और चल रही बातचीत का बढ़ता नेटवर्क भारत के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक जुड़ाव में एक बड़े बदलाव को दिखाता है। साथ मिलकर, ये पार्टनरशिप भारत को आपसी विकास, मजबूती और रणनीतिक भरोसे पर आधारित आज की व्यापार संरचना को आकार देने में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार करती हैं।

 

भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन

सरकार ने भारत के निर्यात इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए कई तरह के नीतिगत और संस्थागत उपाय लागू किए हैं। ये उपाय भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा और वैश्विक बाजारों के साथ जुड़ाव को मजबूत कर रहे हैं।

निर्यात प्रोत्साहन मिशन

निर्यात प्रोत्साहन मिशन को 12 नवंबर, 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 के लिए कुल 25,060 करोड़ रुपये के खर्च के साथ मंजूरी दी गई थी। यह मिशन दो एकीकृत उप-योजनाओं, निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा के माध्यम से काम करता है। निर्यात प्रोत्साहन कई तरह के तरीकों से एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। निर्यात दिशा उन गैर-वित्तीय चीजों, जैसे कि निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन मदद, अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और अन्य के लिए मदद, पर फोकस करता है जो बाजार की तैयारी और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं।

श्रम सुधार

29 श्रम कानूनों को चार लेबर कोड में मिलाने से अनुपालन आसान हुआ है, औद्योगिक दक्षता बढ़ी है और मजदूरों की सुरक्षा सुदृढ़ हुई है। ये सुधार निर्यात-आधारित उद्योगों को आसान नियम, लचीली हायरिंग के प्रावधान, एक जैसे रजिस्ट्रेशन और रिटर्न, और बढ़ी हुई सामाजिक सुरक्षा कवरेज देते हैं, साथ ही काम की जगह पर सुरक्षा और वेलफेयर भी सुनिश्चित करते हैं। इसी के साथ, मजदूरों को सार्वभौमिक न्यूनतम मजदूरी, समय पर और पारदर्शी वेतन भुगतान, अनिवार्य नियुक्ति पत्र, शिकायत निवारण तंत्र और व्यापक सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है।

अगली पीढ़ी का जीएसटी 2.0 सुधार

22 सितंबर 2025 से, अगली पीढ़ी के जीएसटी 2.0 सुधार लागू हो गए हैं। जीरो रेटेड सप्लाई और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर क्लेम के लिए 90% प्रोविजनल रिफंड सिस्टम-ड्रिवन, रिस्क-बेस्ड आधार पर दिए जा रहे हैं। निर्यात पर जीएसटी रिफंड के लिए वैल्यू-बेस्ड थ्रेशहोल्ड लिमिट को हटाने से छोटे निर्यातको को कम मूल्य वाले कंसाइनमेंट पर रिफंड क्लेम करने में मदद मिलती है। पैकेजिंग मटीरियल, कपड़ा, लेदर, लकड़ी, ट्रक, डिलीवरी वैन, खिलौने और स्पोर्ट्स गुड्स पर जीएसटी दरों में कमी से उत्पादन, फ्रेट और लॉजिस्टिक्स लागत कम होती है, निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को मदद मिलती है। इसके साथ ही, "मध्यस्थ सेवाओं" के लिए सप्लाई के नियमों में बदलाव से भारतीय सर्विस निर्यातको को निर्यात से जुड़े फायदे क्लेम करने में मदद मिलती है, जबकि कपड़ा और फूड प्रोसेसिंग में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार से कार्यशील पूंजी का दबाव कम होता है और रिफंड पर निर्भरता कम होती है।

भारत की अन्य निर्यात प्रचार योजना में लागत कम करने, इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, गुणवत्ता के मानक को बेहतर बनाने और निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए टारगेटेड सरकारी पहल शामिल हैं। विदेशी व्यापार नीति 2023 इंसेंटिव-आधारित मदद देती है, बाजार विविधीकरण को प्रोत्साहन देती है, और लीगेसी प्राधिकारण को बंद करने में मदद करती है, जबकि आरओडीटीईपी (निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट) योजना में छिपी हुई ड्यूटी और टैक्स की प्रतिपूर्ति की जाती है, जिसमें मार्च 2025 तक ₹58,000 करोड़ दिए गए हैं।

जिलों को निर्यात केंद्र बनाने जैसी पहलों के जरिए एक्सपोर्ट इकोसिस्टम को मजबूत किया जा रहा है, जो राज्यों और जिलों को व्यापार में बड़ा खिलाड़ी बना रहे हैं। 734 जिलों को निर्यात क्षमता वाले जिलों के तौर पर पहचाना गया है, जबकि 590 जिलों के लिए जिला निर्यात कार्य योजना (डीईएपी) तैयार की गई है। व्यापार को प्रोत्साहन देने में विशेष आर्थिक क्षेत्र की भूमिका भी जरूरी है, क्योंकि इसने वित्त वर्ष 2024-25 में ₹14.56 लाख करोड़ का निर्यात दर्ज किया।

निर्यात के लिए व्यापार अवसंरचना योजना (टीआईईएस), पीएम गतिशक्ति और राष्ट्रीय रसद नीति के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर व मैन्युफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जा रहा है। 2020 में शुरू की गई उत्पादन संबंधी पहल (पीएलआई) योजना 14 क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन दे रही है, इसने ₹1.76 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित किया है, ₹16.5 लाख करोड़ का आउटपुट जेनरेट किया है, और मार्च 2025 तक 12 लाख से अधिक नौकरियां पैदा की हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के सुधारों और नेशनल एकल खिड़की प्रणाली, व्यापार कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स निर्यात हब और आईसीईजीएटीई जैसे डिजिटल व्यापार प्लेटफॉर्म के जरिए और भी मदद दी जा रही है।

 

निष्कर्ष

 

बीते कुछ वर्ष में भारत का निर्यात प्रदर्शन लगातार तेजी दिखा रहा है, जिसमें उत्पाद और बाजार में विविधीकरण और मर्चेंडाइज और सेवा निर्यात का संतुलित योगदान शामिल है। निर्यात के हिस्से में प्रमुख कमोडिटी में अधिक निर्यात मूल्य दर्ज किया गया। निर्यात प्रगति के साथ-साथ प्रमुख पार्टनर देशों और उभरते बाजारों के साथ गहरा जुड़ाव भी रहा, जिसे लगातार पॉलिसी और प्रक्रियात्मक सुधारों से सहयोग मिला। कुल मिलाकर, ये रुझान भारत की बदलती निर्यात छवि और वैश्विक व्यापार नेटवर्क के साथ उसके बढ़ते जुड़ाव को दिखाते हैं।

 

संदर्भ

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पीआईबी आर्काइव्स

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रसायन और उर्वरक मंत्रालय

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विश्व बैंक

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

https://www.imf.org/-/media/files/publications/wp/2018/wp1886.pdf

https://www.imf.org/-/media/files/publications/dp/2024/english/eddpea.pdf

 

आसियान

https://asean.org/member-states/

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पीके/केसी/एमएम


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