आयुष
नई दिल्ली में डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन 16 देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों के माध्यम से भारत ने पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक नेतृत्व को सुदढ़ किया
केंद्रीय मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस से मुलाकात कर पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए आभार व्यक्त किया
वैश्विक शिखर सम्मेलन में 16 देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों ने पारंपरिक चिकित्सा में भारत की भूमिका को सुदृढ़ किया
ऑस्ट्रेलिया, मोरक्को, ईरान, युगांडा, कनाडा, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, कोलंबिया, ब्राजील, न्यूजीलैंड, जर्मनी, नेपाल, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका के विशेषज्ञों ने शिखर सम्मेलन के दूसरे, तीसरे और समानांतर सत्रों में अपने विचार साझा किए
भारत और क्यूबा ने एआईआईए के नेतृत्व वाले संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से आयुर्वेद सहयोग को मजबूत करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 के तहत वैश्विक लीडर्स ने साक्ष्य-आधारित निवेश, मजबूत विनियमन और अनुकूल स्वास्थ्य व्यवस्था का आह्वान किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक शिखर सम्मेलन के सभी सत्रों में पारंपरिक चिकित्सा के लिए अनुसंधान, संचालन और साक्ष्य-आधारित मार्गों पर प्रकाश डाला गया
प्रविष्टि तिथि:
18 DEC 2025 8:26PM by PIB Delhi
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस से मुलाकात की और पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा (टीसीआईएम) को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने में डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व के लिए भारत का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में शामिल होंगे।
शिखर सम्मेलन ने विज्ञान, अनुसंधान निवेश, नवाचार, सुरक्षा, विनियमन और स्वास्थ्य प्रणाली एकीकरण पर उच्च-स्तरीय विचार-विमर्श के साथ एक निर्णायक चरण में प्रवेश किया, जो एक न्यायसंगत, अनुकूल और जन-केंद्रित वैश्विक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को साबित करना करता है। 'संतुलन बहाल करना : स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास' विषय के मार्गदर्शन में आयोजित ये सत्र हाल ही में अपनाई गई डब्ल्यूएचओ की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 के अनुरूप थे, जो रणनीतिक दृष्टिकोण को देश और समूहों के लिए लागू करने योग्य मार्गों में परिवर्तित करते हैं।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस के साथ मुलाकात
केंद्रीय मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने नेपाल, श्रीलंका, माइक्रोनेशिया, मॉरीशस और फिजी के प्रतिनिधिमंडलों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, जबकि आयुष मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने बाकी देशों के साथ बातचीत की। कुल मिलाकर आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक चिकित्सा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से ब्राजील, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, माइक्रोनेशिया, मॉरीशस, फिजी, केन्या, संयुक्त अरब अमीरात, मैक्सिको, वियतनाम, भूटान, सूरीनाम, थाईलैंड, घाना और क्यूबा के प्रतिनिधिमंडलों के साथ सोलह द्विपक्षीय बैठकें कीं।

फिजी के साथ द्विपक्षीय बैठक

श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय बैठक

मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय बैठक

माइक्रोनेशिया के साथ द्विपक्षीय बैठक

नेपाल के साथ द्विपक्षीय बैठक

नेपाल के साथ द्विपक्षीय बैठक
इसके साथ ही भारत और क्यूबा के बीच अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) को शामिल करते हुए संस्थान-स्तरीय समझौता ज्ञापन को भी विस्तारित किया गया है, जिसमें आयुर्वेद में पाठ्यक्रम विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य एकीकरण, पंचकर्म प्रशिक्षण और नियामक सामंजस्य में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की गई है।

शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन पूर्ण सत्र आयोजित किए गए, जहां ऑस्ट्रेलिया, मोरक्को, ईरान, युगांडा, कनाडा, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, कोलंबिया, ब्राजील, भारत, न्यूजीलैंड, जर्मनी, नेपाल, दक्षिण कोरिया गणराज्य और श्रीलंका के विशेषज्ञों ने अपने विचार और अनुभव साझा किए, जिससे वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा की उन्नति पर गहन चर्चा में योगदान मिला।
'पारंपरिक चिकित्सा की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए विज्ञान में निवेश' विषय पर आधारित दूसरे सत्र का उद्घाटन इसी केंद्रीय विषय 'पारंपरिक चिकित्सा की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए विज्ञान में निवेश' के साथ हुआ। इसमें वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने में वैज्ञानिक अनुसंधान की भूमिका पर जोर दिया गया। इस सत्र में पारंपरिक चिकित्सा को साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए निरंतर निवेश, नवाचार, कार्यप्रणालीगत सामंजस्य और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला गया। चर्चा में संसाधन जुटाने, राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में अनुसंधान को एकीकृत करने और वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान कार्यसूची में तेजी लाने, पारंपरिक चिकित्सा को सतत विकास और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

'डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान रोडमैप को वैश्विक अभियान में बदलना' विषय पर आधारित समानांतर सत्र 2ए में डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान रोडमैप को क्रियान्वित करने, अनुसंधान की जटिलता को दूर करने, ज्ञान प्रणालियों के वर्गीकरण और वैश्विक क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया। विविध क्षेत्रीय अनुभवों के माध्यम से हुई चर्चा में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान सतत विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठा सकता है, जन-केंद्रित देखभाल का सहयोग कर सकता है और स्वास्थ्य व्यवस्था के एकीकरण और आर्थिक मूल्यांकन में योगदान दे सकता है।

'अनुसंधान पद्धतियां और एप्लिकेशन' विषय पर आधारित समानांतर सत्र 2बी में पारंपरिक चिकित्सा ज्ञानमीमांसा के अनुरूप पद्धतिगत रूप से उपयुक्त और नवीन अनुसंधान दृष्टिकोण का परीक्षण किया गया। इसमें संपूर्ण प्रणाली और बहुआयामी नैदानिक परीक्षण, अंतःविषयक पूर्व-नैदानिक डिजाइन, सामाजिक विज्ञान और कार्यान्वयन अनुसंधान, और स्वदेशी उपनिवेशवाद-विरोधी पद्धतियों को शामिल किया गया, साथ ही नैतिक विचारों, गलत सूचना और साक्ष्य को नीति और व्यवहार में रूपांतरित करने जैसे मुद्दों को भी संबोधित किया गया।

सत्र 2सी जिसका विषय 'कल्याण का विज्ञान - पारंपरिक चिकित्सा के प्रमाण' था ने मानसिक स्वास्थ्य, दर्द प्रबंधन, कैंसर देखभाल, स्व-देखभाल, एंटीबायोटिक प्रतिरोध और स्वस्थ दीर्घायु में पारंपरिक चिकित्सा के योगदान पर वैज्ञानिक प्रमाणों का पता लगाया। इसमें पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को जैव चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र से जोड़ने वाले तंत्रों का परीक्षण किया गया और आबादी के बीच सुरक्षित, समान पहुंच को व्यापक बनाने के लिए रास्ते बताए गए।

'नवाचार से निवेश तक - व्यापक स्तर पर और समानता के लिए पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का निर्माण' विषय पर आधारित सत्र 2डी में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि पारंपरिक चिकित्सा के नवाचार स्थानीय पद्धतियों से वैश्विक स्तर पर लागू होने योग्य समाधानों तक कैसे पहुंच सकते हैं। इस सत्र में स्वास्थ्य और आर्थिक परिणामों में सुधार करते हुए समानता, सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक शासन ढांचे, सत्यापन मानदंड और निवेश मार्गों का परीक्षण किया गया।

'स्वास्थ्य पर ध्यान का प्रभाव - व्यक्तिगत से सामाजिक और पारिस्थितिक कल्याण तक संतुलन बहाल करना' विषय पर आयोजित सत्र 2ई में ध्यान पर उभरते तंत्रिका वैज्ञानिक, नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य साक्ष्यों का संश्लेषण किया गया, जिसमें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक कल्याण पर इसके प्रभाव को उजागर किया गया। प्रतिभागियों ने स्वास्थ्य प्रणालियों, शिक्षा, कार्यस्थलों और सामुदायिक कार्यक्रमों में ध्यान को एकीकृत करने के अवसरों का पता लगाया, साथ ही नीतिगत मार्गों, अनुसंधान कमियों और सहयोग के अवसरों की पहचान की।

'संतुलन, सुरक्षा और अनुकूलन के लिए स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पुनर्कल्पना' विषय पर केंद्रित सत्र 3 में पारंपरिक चिकित्सा को स्वास्थ्य प्रणालियों में सुरक्षित और प्रभावी ढंग से एकीकृत करने पर जोर दिया गया। इस सत्र में डब्ल्यूएचओ की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 का परिचय दिया गया। साथ ही क्षेत्रीय अनुभवों विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के अनुभवों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें सहायक नीतियों, शासन ढांचे और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के एकीकरण को प्रदर्शित किया गया। प्रमुख बिंदुओं में रोगी सुरक्षा, गुणवत्ता आश्वासन, नियामकीय सामंजस्य और वैश्विक सामंजस्य को मजबूत करने के लिए आईआरसीएच जैसे नेटवर्क के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल थे।

'वैश्विक ढांचा और देश कार्यान्वयन' विषय के साथ सत्र 3ए ने एकीकरण के चार मॉडलों-लोगों के नेतृत्व वाले, व्यवसायियों के नेतृत्व वाले, समन्वित और मिश्रित-को रेखांकित करने वाले एक नए डब्ल्यूएचओ वैचारिक ढांचे का परीक्षण किया। देशों के अनुभवों के माध्यम से प्रतिभागियों ने पता लगाया कि कैसे विभिन्न दृष्टिकोण सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को आगे बढ़ाते हुए सेवा वितरण, शासन, वित्तपोषण और कार्यबल विकास को मजबूत कर सकते हैं।

'गुणवत्ता, दक्षता और रोगी सुरक्षा' विषय के साथ समानांतर सत्र 3बी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक चिकित्सा के प्रभावी और जन-केंद्रित एकीकरण को सुनिश्चित करने में शिक्षा, प्रशिक्षण, नैतिक मानकों, सुविधाओं की मान्यता और सुरक्षा प्रणालियों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

'पारंपरिक औषधि उत्पादों का विनियमन' विषय पर आयोजित समानांतर सत्र 3सी में पारंपरिक औषधि उत्पादों के लिए नियामक ढांचे पर वैश्विक संवाद को आगे बढ़ाया गया, जिसमें गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभावकारिता और समान पहुंच जैसे मुद्दों को संबोधित किया गया। चर्चाओं में बाजार प्राधिकरण, बाजार के बाद की निगरानी, सीमा पार व्यापार, डिजिटल स्वास्थ्य एप्लिकेशन और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण जैसे विषय शामिल थे, जो वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 के अनुरूप थे।

'अभ्यास, चिकित्सक और स्वास्थ्य प्रणाली के अनुकूलन में पारंपरिक चिकित्सा की प्रासंगिकता' विषय पर आधारित सत्र 3डी में चिकित्सकों के विनियमन, न्यूनतम शिक्षा मानकों, नैतिक आचरण और निरंतर व्यावसायिक विकास के साथ-साथ साक्ष्य-आधारित नैदानिक अभ्यास दिशानिर्देशों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रतिभागियों ने इस बात का अध्ययन किया कि पारंपरिक चिकित्सा किस प्रकार स्वास्थ्य प्रणाली की अनुकूलता को बढ़ा सकती है, नियमित परिस्थितियों में देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित कर सकती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान तैयारियों को मजबूत कर सकती है।

सुरक्षित, न्यायसंगत और अनुकूल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की दिशा में आगे बढ़ते हुए शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन विज्ञान आधारित सत्यापन, मजबूत शासन, रोगी सुरक्षा और पारंपरिक चिकित्सा के न्यायसंगत एकीकरण के लिए एक साझा वैश्विक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया गया। इन चर्चाओं में पारंपरिक चिकित्सा को अनुकूल स्वास्थ्य प्रणालियों, जैव विविधता संरक्षण और समावेशी विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में स्थापित किया गया। ऐसे में सम्मेलन के अंतिम दिन के नीतिगत संवाद और सामूहिक वैश्विक प्रतिबद्धताओं को लेकर मजबूत नींव स्थापित की गई।

पीके/केसी/आरकेजे
(रिलीज़ आईडी: 2206377)
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