सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए ‘एएसपीआईआरई’ (नवाचार, ग्रामीण उद्योग एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन देने की योजना) लागू कर रही है
देश भर में 109 एलबीआई को मंजूरी दी गई; 1,16,726 लाभार्थी प्रशिक्षित किए गए
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय महिला एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों को कार्यान्वित कर रहा है
प्रविष्टि तिथि:
16 DEC 2025 2:07PM by PIB Delhi
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित 'नवाचार, ग्रामीण उद्योग एवं उद्यमिता प्रोत्साहन योजना (एएसपीआईआरई)' का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना है। इसका मुख्य लक्ष्य कौशल विकास, इनक्यूबेशन और सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान करके रोजगार सृजन के लिए एक सक्षम इको-सिस्टम का निर्माण करना है। वर्तमान में, देश भर में 109 आजीविका व्यवसायी इन्क्यूबेटर स्वीकृत किये जा चुके हैं। इस योजना के तहत कुल 1,16,726 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें से 18,444 स्वरोजगार प्राप्त कर चुके हैं, 13,824 लोगों को वेतनभोगी रोजगार मिला है और 1,141 सूक्ष्म उद्यम स्थापित किए गए हैं। मंत्रालय ने 2022 से श्रेणीवार (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/सामान्य) और लिंगवार आंकड़े एकत्र करना शुरू किया। 2022 से अब तक प्रशिक्षित कुल 56,721 लाभार्थियों में से 27,970 महिलाएं हैं, 8,365 अनुसूचित जाति वर्ग से और 9,311 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं।
सरकार ने महिला एवं अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए, अन्य बातों के साथ, निम्नलिखित पहल की हैं:
- i. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिलाओं सहित देश के उद्यमियों तक पहुंच बढ़ाने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के एमएसएमई/उद्योग विभागों तथा सीजीटीएमएसई, एसआईडीबीआई, बैंकों, एमएसएमई संघों आदि जैसे अन्य हितधारकों के समन्वय से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- एमएसएमई मंत्रालय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमियों की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति हब योजना लागू करता है। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए विक्रेता विकास कार्यक्रम (वीडीपी) पीएमएसएस के तहत आयोजित किए जाते हैं। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी ऐसे वीडीपी आयोजित करते हैं।
- एमएसएमई मंत्रालय ने 27.06.2024 को 'यशस्विनी अभियान' शुरू किया, जिसका उद्देश्य औपचारिकीकरण, ऋण तक पहुंच, क्षमता निर्माण और मार्गदर्शन जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूरे भारत में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना है, साथ ही इन योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
- केंद्रीय बजट 2025 में एमएसएमई के संवर्धन एवं विकास के लिए महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पहली बार के उद्यमियों को 2 करोड़ रुपये तक के सावधि ऋण उपलब्ध कराने की एक नई योजना की घोषणा की गई है।
- v. एमएसएमई मंत्रालय प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) का कार्यान्वयन करता है, जो एक ऋण-आधारित सब्सिडी कार्यक्रम है और इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और ग्रामीण/शहरी बेरोजगार युवाओं की सहायता करके गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर पैदा करना है। पीएमईजीपी के कुल लाभार्थियों में से 39 प्रतिशत महिलाएं हैं और उन्हें सामान्य श्रेणी के सूक्ष्म उद्यमों (25 प्रतिशत तक) की तुलना में अधिक सब्सिडी (35 प्रतिशत) प्रदान की जाती है।
- एमएसएमई मंत्रालय एमएसएमई चैंपियंस योजना लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य विभिन्न योजनाओं को एकीकृत, समन्वित और अभिसरित करना है। इसका अंतिम लक्ष्य उद्यमों का चयन करना, उनकी प्रक्रियाओं का आधुनिकीकरण करना, अपव्यय को कम करना, व्यावसायिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना तथा उनकी राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहुंच और उत्कृष्टता को सुगम बनाना है। इस योजना के तीन घटक हैं: एमएसएमई-सतत (ज़ेडईडी) प्रमाणन योजना, एमएसएमई-प्रतिस्पर्धी (एलईएएन) योजना और एमएसएमई-इनोवेटिव (इनक्यूबेशन, डिजाइन एवं बौद्धिक संपदा अधिकार) योजना।
- एमएसएमई मंत्रालय ने देश भर में 65 निर्यात सुविधा केंद्र (ईएफसी) स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को उनके उत्पादों और सेवाओं के निर्यात में आवश्यक मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करना है। निर्यात सुविधा केंद्र (ईएफसी) प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक सहायता के माध्यम से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम निर्यातकों को सहयोग प्रदान करते हैं। इनमें निर्यात संबंधी योजनाओं और लाभों की जानकारी का प्रसार, निर्यात अनुपालन पर प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं, निर्यात दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन, उद्योग संघों, राज्य सरकारों और डीजीएफटी के साथ मिलकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को सुविधा प्रदान करना शामिल है।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने यह जानकारी राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/आईएम/एसके
(रिलीज़ आईडी: 2204612)
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