पर्यटन मंत्रालय
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पर्यटन स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा

प्रविष्टि तिथि: 11 DEC 2025 2:40PM by PIB Delhi

पर्यटकों की सुरक्षा मूलतः राज्य का विषय है। पर्यटन मंत्रालय में महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में कोई राष्ट्रीय नीति बनाने का प्रस्ताव नहीं है।

हालांकि, पर्यटन मंत्रालय पर्यटकों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए समर्पित पर्यटक पुलिस की स्थापना हेतु सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों के साथ लगातार इस मामले को उठा रहा है। पर्यटन मंत्रालय के प्रयासों से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पर्यटक पुलिस तैनात कर दी है।

पर्यटन मंत्रालय पर्यटकों की यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के निरंतर प्रयासों के तहत, भारत में यात्रा संबंधी जानकारी प्रदान करने और भारत के भीतर यात्रा के दौरान संकट में फंसे पर्यटकों को उचित मार्गदर्शन देने के लिए घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए 12 भाषाओं में चौबीसों घंटे बहुभाषी पर्यटक हेल्पलाइन (टोल फ्री नंबर 1800111363 या शॉर्ट कोड 1363) स्थापित की है, जिसमें 10 अंतरराष्ट्रीय भाषाएं (जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश, इतालवी, पुर्तगाली, रूसी, चीनी, जापानी, कोरियाई, अरबी), हिन्‍दी और अंग्रेजी शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, यह कहा गया है कि सरकार ने एक समर्पित नॉन-लैप्‍सेबल कॉरपस फंड- निर्भया कोष - की स्थापना की है, जिसका प्रबंधन वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है, जिसका उपयोग विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए डिजाइन की गई परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है।

पर्यटन मंत्रालय समय-समय पर सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से निर्भया निधि के अंतर्गत 'महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यटन स्थल' योजना का लाभ उठाने का अनुरोध करता रहा है, जिसका उपयोग विशेष रूप से महिला पर्यटकों की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए डिजाइन की गई परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है।

पर्यटन मंत्रालय ने सभी हितधारकों के साथ, जिनमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन विभाग शामिल हैं, 'सुरक्षित और सम्मानजनक पर्यटन के लिए आचार संहिता' को अपनाया है, जो पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए दिशा-निर्देशों का एक समूह है, ताकि पर्यटकों और स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के सम्मान, सुरक्षा और शोषण से मुक्ति जैसे बुनियादी अधिकारों का सम्मान किया जा सके।

गृह मंत्रालय के महिला सुरक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत 'पुलिस' और 'सार्वजनिक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने, नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, और राज्य सरकारें मौजूदा कानूनों के प्रावधानों के तहत ऐसे अपराधों से निपटने के लिए सक्षम हैं। हालांकि, गृह मंत्रालय इस संबंध में विभिन्न पहल और उपाय करके राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों में सहयोग कर रहा है, जिनका सारांश नीचे दिया गया है:

(i) गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रत्येक पुलिस स्टेशन में महिला सहायता डेस्क (डब्ल्यूएचडी) स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, लक्षित 16,469 पुलिस स्टेशनों में से 14,658 डब्ल्यूएचडी स्थापित किए जा चुके हैं और 13,743 डब्ल्यूएचडी का नेतृत्व महिला पुलिस अधिकारी कर रही हैं। महिला सहायता डेस्क की स्थापना के उद्देश्य हैं: पुलिस स्टेशनों को महिलाओं के लिए अधिक सुलभ और अनुकूल बनाना; महिला सहायता डेस्क महिलाओं के लिए संपर्क का एकमात्र बिंदु होगा; महिला सहायता डेस्क के अधिकारियों को महिलाओं की शिकायतों से संवेदनशीलतापूर्वक निपटने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।

(ii) गृह मंत्रालय महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों से निपटने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी करता रहा है। इन परामर्शों में अन्य बातों के अलावा, अपराध की रोकथाम, जांच और अभियोजन में पुलिस द्वारा उठाए जाने वाले विस्तृत कदम/कार्रवाई, अपराध की रोकथाम के उपाय, एफआईआर दर्ज करना, पुलिस कर्मियों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाना, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से निपटने के लिए पुलिस को प्रशिक्षण प्रदान करना, आपराधिक कानूनों की विशेषताएं, रात्रि गश्त आदि शामिल हैं। ये परामर्श गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर उपलब्ध हैं।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज राज्यसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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