सूचना और प्रसारण मंत्रालय
प्रसारण के दो दशक पूरे होने के अवसर पर कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों का गुवाहाटी में सम्मेलन
प्रविष्टि तिथि:
10 DEC 2025 5:49PM by PIB Delhi
दो दिवसीय क्षेत्रीय कम्युनिटी रेडियो सम्मेलन (पूर्वी) का आज गुवाहाटी में उद्घाटन हुआ। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी), नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन की थीम है “ भारत में सामुदायिक रेडियो के 20 वर्ष पूरे होने का समारोह ”। पूर्वी और उत्तरपूर्वी क्षेत्र के 65 से अधिक कम्युनिटी रेडियो स्टेशन इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।
नई दिल्ली स्थित आईआईएमसी की कुलपति डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौर ने सभा का स्वागत करते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए मंत्रालय के साथ साझेदारी करना आईआईएमसी के लिए सम्मान की बात है। उन्होंने कम्युनिटी रेडियो प्रणाली के विकास पर प्रकाश डाला, जिसके तहत अब भारत भर में 550 से अधिक स्टेशन संचालित हो रहे हैं और पूर्वोत्तर सहित कई अन्य स्टेशनों के भी शुरू होने की प्रक्रिया में हैं। डॉ. गौर ने जेंडर संवेदनशीलता को बढ़ावा देने, आपातकालीन जानकारी प्रसारित करने, मीडिया शिक्षा के छात्रों को इसमें शामिल करने, लोक परंपराओं को संरक्षित करने और सामग्री विकास में एआई को जिम्मेदारीपूर्वक एकीकृत करने में सामुदायिक रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की। उन्होंने हितधारकों से कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से समुदाय-आधारित विकास को सुदृढ़ करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
आईआईएमसी के रजिस्ट्रार श्री एल. मधु नाग ने अपने संबोधन में भारत के रेडियो परिदृश्य में आए महत्वपूर्ण बदलावों-मुख्यधारा के एफएम प्रसारण से लेकर सामुदायिक रेडियो के एक सशक्त मंच के रूप में उभरने तक, जहां स्थानीय आवाज़ें बुलंद होती हैं- को रेखांकित किया। कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों को मजबूत बनाने के मूल स्तंभों पर बल देते हुए, उन्होंने समुदाय-आधारित सामग्री निर्माण, क्षमता निर्माण में वृद्धि और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रचनात्मक रूप से निर्मित, स्थानीय पृष्ठभूमि से जुड़ी सामग्री सामुदायिक रेडियो की सफलता के लिए केंद्रीय महत्व रखती है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सामुदायिक रेडियो निदेशक सुश्री शिल्पा राव ने सम्मेलन के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी और बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सामुदायिक रेडियो क्षेत्र के विकास और सुदृढ़ीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों से भी अवगत कराया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अवर सचिव श्री महेंद्र मीना ने कहा कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन देश के हर कोने तक संचार के लिए अपरिहार्य हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कम्युनिटी रेडियो स्टेशन समुदाय की वास्तविक आवाज़ को सशक्त करते हैं और आपात स्थितियों एवं विकासात्मक कार्यक्रमों के दौरान लोगों तक सटीक जानकारी पहुंचाने में मदद करते हैं। उन्होंने कम्युनिटी रेडियो आंदोलन के प्रति मंत्रालय की निरंतर सहायता की पुष्टि की।
सम्मेलन की संयोजक प्रोफेसर (डॉ.) संगीता प्रणवेंद्र ने गुवाहाटी आने और भारत के कम्युनिटी रेडियो आंदोलन के दो दशकों के सामूहिक उत्सव में शामिल होने के लिए सभी प्रतिभागियों को हार्दिक धन्यवाद दिया। उन्होंने सामुदायिक रेडियो कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों की प्रतिबद्धता की सराहना की, जो पूरे क्षेत्र में जमीनी स्तर पर प्रसारण को मजबूत करने में लगे हुए हैं।
सम्मेलन के पहले दिन कई तकनीकी और संवादामूलक सत्र आयोजित किए गए। दूरसंचार मंत्रालय के उप वायरलेस सलाहकार श्री मनीष शीलवंत ने ट्रांसमीटर प्रतिस्थापन और सरल संचार पोर्टल पर माइग्रेशन के बारे में विस्तार से बताया, साथ ही वॉलंटियर लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन करने के बारे में मार्गदर्शन भी दिया।
प्रोफेसर (डॉ.) कंचन के. मलिक ने जेंडर आधारित प्रोग्रामिंग की प्रासंगिकता और सीआरएस प्रोग्रामिंग में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका तथा समग्र सामग्री प्रबंधन और प्रसारण में उनकी भागीदारी पर जोर दिया।
पूर्वी क्षेत्र में कम्युनिटी रेडियो को बढ़ावा देने में राज्य सरकारों की भागीदारी पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन परियोजना निदेशक श्री अमित द्विवेदी ने किया। इस चर्चा में बिहार, मणिपुर, असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कम्युनिटी रेडियो कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
प्रथम दिन के सत्र में मैसूरु स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान की प्रोफेसर उमा पप्पुस्वामी द्वारा 'स्वदेशी भाषाओं का संवर्धन एवं संरक्षण तथा सीआरएस' विषय पर एक ज्ञानवर्धक सत्र भी आयोजित किया गया । उन्होंने कहा कि सीआरएस की प्रकृति अति-स्थानीय होने के कारण, स्वदेशी भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन सीआरएस के माध्यम से ही सर्वोत्तम ढंग से किया जा सकता है।
कार्यक्रम का समापन ओडिशा के कोणार्क स्थित रेडियो नमस्कार के निदेशक श्री एन.ए. शाह अंसारी द्वारा समुदाय आधारित कंटेंट पर दिए गए एक सत्र के साथ हुआ। उन्होंने सामुदायिक सामग्री तैयार करते समय अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम पद्धतियों पर प्रकाश डाला।
यह सम्मेलन कम्युनिटी रेडियो से जुड़े लोगों को अनुभव साझा करने, चिंताओं को लेकर आवाज उठाने, नवोन्मेषी दृष्टिकोणों का पता लगाने और पूर्वी एवं उत्तरपूर्वी क्षेत्र में जमीनी स्तर के प्रसारण के भविष्य को सामूहिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।




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पीके/केसी/एसकेजे/एसके
(रिलीज़ आईडी: 2202152)
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