वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

वाणिज्य विभाग की 2025 के लिए वर्षान्त समीक्षा


वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ निर्यात प्रदर्शन
भारत के निर्यात इकोसिस्टम को बदलने के लिए ₹25,060 करोड़ के मिशन का अनावरण
ब्रिटेन के साथ सीईटीए समझौते से भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की बाजार तक पहुंच में बड़ा उछाल आया

वाणिज्य मंत्रालय के डिजिटल सुधार से व्यापार अनुपालन और इंटेलीजेंस को सुव्यवस्थित किया गया
जेईएम ₹16.41 लाख करोड़ के जीएमवी के साथ भारत का सबसे बड़ा खरीद मंच बनकर उभरा
अमेरिका, यूरोपीय संघ, जीसीसी और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती भागीदारी के साथ विदेशी व्यापार समझौतों (एफटीए) को गति मिली

वर्ल्ड एक्सपो ओसाका 2025 में मिली प्रमुख मान्यता के साथ भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली

प्रविष्टि तिथि: 10 DEC 2025 11:05AM by PIB Delhi

व्यापार प्रदर्शन

भारत ने विदेश व्यापार में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। कुल निर्यात (वस्तु और सेवाएं) 2024-25 में 825.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो 6.05% की मजबूत सालाना बढ़ोतरी को प्रदर्शित करता है। यह तेज चाल नए वित्त वर्ष में भी जारी रही, जिसमें अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान निर्यात बढ़कर 418.91 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 5.86% की बढ़ोतरी है, यह भारत के निरंतर बढ़ते निर्यात पथ को और सुदृढ़ करता है। विशेष तौर पर, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में भारत का व्यापार प्रदर्शन अब तक का उच्चतम रिकॉर्ड है। इसके साथ ही, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) दोनों ने अपनी-अपनी तिमाहियों में अब तक का उच्चतम स्तर दर्ज किया है।

 

भारत के सेवा क्षेत्र ने देश के कुल निर्यात को सहयोग देना जारी रखा और 2024-25 में 387.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो 13.63% की मजबूत बढ़ोतरी को दर्शाता है। चालू वित्त वर्ष में भी यह सकारात्मक रुझान बरकरार रहा, अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान सेवा निर्यात बढ़कर 199.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो बीते वर्ष की इस अवधि के मुकाबले 9.34% अधिक है।

 

भारत का माल निर्यात 2024-25 में 437.70 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर स्थिर रहा, जबकि गैर-पेट्रोलियम निर्यात ऐतिहासिक 374.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो 6.07% की बढ़ोतरी दिखाता है। मौजूदा वित्त वर्ष में भी यह रुझान सकारात्मक तौर पर जारी रहा, अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान माल निर्यात बढ़कर 219.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 2.90% अधिक है।

 

अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान निर्यात के प्रमुख कारकों में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं (41.94%), इंजीनियरिंग वस्तुएं (5.35%), दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स (6.46%), समुद्री उत्पाद (17.40%) और चावल (10.02%) शामिल हैं, जिन्होंने मिलकर भारत के मजबूत हो रहे निर्यात को गति दी।

 

भारत के निर्यात प्रदर्शन को अमेरिका (13.34%), संयुक्त अरब अमीरात (9.34%), चीन (21.85%), स्पेन (40.30%) और हॉन्ग कॉन्ग (23.53%) जैसे निर्यात स्थलों से भरपूर सहयोग मिला, जिनमें से प्रत्येक ने बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले अप्रैल-सितंबर 2025 में मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की।

 

निर्यात प्रोत्साहन मिशन (ईपीएम)

 

निर्यात प्रोत्साहन मिशन (ईपीएम) भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक बड़ी पहल है। यह मिशन वाणिज्य विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और वित्तीय इकाइयों, निर्यात प्रोत्साहन परिषदों, कमोडिटी बोर्ड, उद्योग संघों और राज्य सरकारों सहित अन्य प्रमुख हितधारकों के सहयोगी फ्रेमवर्क पर आधारित है। यह एक दूरदर्शी सुधार है, जो भारत के वैश्विक व्यापार ढांचे को मजबूत करता है और साथ ही 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे देश एक आधुनिक, प्रौद्योगिकी-आधारित और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के तौर पर स्थापित हो सके।

 

यह मिशन निर्यात प्रोत्साहन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित फ्रेमवर्क प्रदान करेगा, जिसके लिए वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक कुल ₹25,060 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। ईपीएम कई खंडित योजनाओं से एक एकल, परिणाम-आधारित और अनुकूलनीय तंत्र की ओर एक रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है, जो वैश्विक व्यापार चुनौतियों और निर्यातकों की बदलती जरूरतों का तेजी से हल निकाल सकता है।

 

यह मिशन दो एकीकृत उप-योजनाओं के जरिए हो सकेगा:

 

  1. निर्यात प्रोत्साहन – ब्याज सब्सिडी, निर्यात फैक्टरिंग, संपार्श्विक गारंटी, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण के लिए क्रेडिट को बेहतर करने की सहायता जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार लाने पर केंद्रित है।

 

  1. निर्यात दिशा – गैर-वित्तीय सहायक उपायों पर केंद्रित है, जो बाजार की तैयारी और प्रतिस्पर्धात्मकता को बेहतर करते हैं, जिनमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी के लिए सहायता, निर्यात भंडारण और रसद, अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति और व्यापार इंटेलीजेंस एवं क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।

 

ईपीएम, ब्याज समतुल्यकरण योजना (आईईएस) और बाजार पहुंच पहल (एमएआई) जैसी प्रमुख निर्यात सहायता योजनाओं को जोड़ता है और उन्हें इस समय के व्यापार के जरूरतों के मुताबिक बनाता है।

 

डिजिटल रूपांतरण

 

वाणिज्य विभाग ने डेटा से मिले समाधानों के जरिए व्यापार में सरलता और इंटेलीजेंस को मजबूत करने के लिए अपने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एजेंडा को आगे बढ़ाया है। ट्रेड ई-कनेक्ट और ट्रेड इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स (टीआईए) पोर्टल जैसी पहल सभी हितधारकों के लिए विभिन्न स्तरों पर साक्ष्य-आधारित फैसले लेने के लिए एक मजबूत आधार बनाती हैं। ट्रेड ई-कनेक्ट निर्यातकों के लिए एक ही जगह पर सभी सुविधाओं वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करता है, जबकि टीआईए पोर्टल लगभग त्वरित समय में बाजार की जानकारी और स्वचालित रिपोर्टिंग प्रदान करता है। 24x7 ई-आईईसी निर्माण, ई-सीओओ 2.0 में बदलाव और परिशिष्ट 4एच प्रमाणपत्रों के डिजिटलीकरण जैसे प्रमुख बिंदुओं ने अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को विशेष तौर पर बेहतर बनाया है।

 

इनसेंट लैब निर्मित डायमंड (एलजीडी) परियोजना

 

एलजीडी सीड और मशीनों के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए पांच वर्ष का अनुसंधान एवं विकास अनुदान मंजूर किया गया है और मार्च 2023 में ₹242.96 करोड़ के अनुदान के साथ आईआईटी मद्रास को सौंप दिया गया है। इस संबंध में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की जा चुकी हैं:

 

  1. तीन जगहों पर अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एलजीडी में पूर्ण रूप से कार्यशाली राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र।
  2. पांच वाणिज्यिक सीवीडी मशीनों क स्थापन और प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। विकास परीक्षण जारी हैं।
  3. दो व्यावसायिक एचपीएचटी मशीनों की स्थापना और प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ। मशीनों में शुरुआती वृद्धि परीक्षण जारी हैं।
  4. स्वदेशी एचपीएचटी मशीनों का निर्माण कार्य (पूर्ण मॉडल के डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा चुका है) प्रगति पर है।
  5. सीवीडी मशीन के एक प्रमुख घटक, सॉलिड-स्टेट माइक्रोवेव जनरेटर (एसएसएमजी) का डिजाइन, विकास, निर्माण और कार्यान्वयन परीक्षण प्रगति पर है।

 

मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर बातचीत

 

हाल ही में हुए कई व्यापार समझौतों के जरिए भारत की वैश्विक आर्थिक साझेदारियों को महत्त्वपूर्ण गति मिली है, जो इसके निर्यात परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भारत के निर्यात के 99% हिस्से को शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है, जिससे 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का रास्ता मिलता है। ब्रिटेन के साथ ही, भारत ने यूएई-भारत व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए), ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ईसीटीए) और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) जैसे रणनीतिक समझौतों के माध्यम से अपनी पहुंच का विस्तार किया है। इसके अतिरिक्त, भारत अभी कई प्रमुख देशों और क्षेत्रों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। ये साझेदारियां कई क्षेत्रों में नए अवसर खोल रही हैं और साथ ही वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत के एकीकरण को भी मजबूत कर रही हैं।

 

वर्तमान में चल रही मुक्त व्यापार समझौतों की वार्ता में निम्नलिखित शामिल हैं:

 

  1. भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
  2. भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए)
  3. भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए)
  4. भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
  5. भारत-चिली मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
  6. भारत-कोरिया सीईपीए (प्रमुख स्तर पर बातचीत)
  7. भारत-पेरू मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
  8. भारत-श्रीलंका आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौता (ईटीसीए)
  9. भारत-ईएईयू मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
  10. भारत-मालदीव मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
  11. आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (एआईटीआईजीए)

 

द्विपक्षीय सहयोग

 

  1. उत्तरी अमेरिका

 

      1. भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के माननीय राष्ट्रपति श्री डोनॉल्ड ट्रंप ने 13 फरवरी 2025 को 'मिशन 500' की घोषणा की, जिसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुने से अधिक बढ़ाकर 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। इसलिए, मिलकर लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते को तेजी से संपन्न करने के लिए भारतीय और अमेरिकी व्यापार दलों के बीच चर्चा जारी है।

 

      1. भारत-कनाडा के बीच व्यापार एवं निवेश पर सातवीं मंत्रिस्तरीय वार्ता 13 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। इसकी सह-अध्यक्षता भारत के माननीय व्यापार एवं वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और कनाडा के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री श्री मनिंदर सिद्धू ने की। इस बैठक ने द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों को पुनर्जीवित करने और सहयोग के लिए एक दूरदर्शी एजेंडा निर्धारित करने के उद्देश्य से किए गए सम्मिलन के एक नए चरण की शुरुआत की। चर्चा द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर केंद्रित रही। मंत्रियों ने वस्तु और सेवा के व्यापार से जुड़े हालिया व्यापार नीतिगत घटनाक्रमों की समीक्षा की और पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा की।

 

      1. व्यापार एवं वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 10 सितंबर, 2025 को मैक्सिको के व्यापार समन्वय परिषद् (कोनसेहो कोरदिनादोर एम्परेसारियार- सीसीई) के अध्यक्ष श्री फ्रांसिस्को सर्वेंटेस के साथ बैठक की। बैठक का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों को मजबूत करना था, जिसमें व्यापार, निवेश, आर्थिक सहयोग का विस्तार, व्यावसायिक सहयोग को प्रोत्साहन देना और कई दूसरे क्षेत्रों में अवसरों को खोजने पर चर्चा हुई।

 

  1. यूरोप

 

      1. भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) पर जुलाई 2025 में हस्ताक्षर हुए। यह समझौता वस्त्र, चमड़ा और जवाहरात जैसे प्रमुख भारतीय श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए तत्काल शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है, जबकि ब्रिटेन को कोटा के अंतर्गत व्हिस्की और ऑटोमोबाइल जैसी उच्च श्रेणी की वस्तुओं पर चरणबद्ध शुल्क कटौती का लाभ मिलता है। सेवाओं और गतिशीलता को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख विशेषताओं में कई क्षेत्रों में बाजार पहुंच, अल्पकालिक ब्रिटेन असाइनमेंट पर भारतीय पेशेवरों के लिए लागत बचत हेतु एक विशिष्ट दोहरा योगदान समझौता और व्यावसायिक आगंतुकों, शेफ और संगीतकारों के लिए सुगम प्रवेश शामिल हैं, जो सभी एक व्यापक "विजन 2035" रणनीतिक रोडमैप की ओर से सहयोगी हैं।

 

      1. भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत के 14 दौर पूरे हो चुके हैं। 3-7 नवंबर 2025 के दौरान नई दिल्ली में तकनीकी चर्चाएं भी हुईं और आने वाली चर्चा 3-9 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में निर्धारित है। इसके साथ ही, इस साल कई उच्च स्तरीय वार्ताएं भी हुईं, जिनमें यूरोपीय संघ के आयुक्तों के बीच बातचीत हुई।

 

      1. संयुक्त व्यापार और निवेश समिति की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर 13 मई 2025 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और नीदरलैंड के विदेश मंत्रालय के बीच हस्ताक्षर किए गए।

 

      1. भारत-पुर्तगाल संयुक्त आर्थिक आयोग का छठा सत्र 23 जनवरी 2025 को वर्चुअल आधार पर आयोजित किया गया।

 

      1. स्लोवाकिया-भारत संयुक्त आर्थिक समिति का 12वां सत्र 19 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

 

      1. भारत-बेल्जियम-लक्जमबर्ग आर्थिक संघ (बीएलईयू) संयुक्त आर्थिक आयोग (जेईसी) का 18वां सत्र 9 अप्रैल, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित हुआ।

 

      1. भारत-इटली आर्थिक सहयोग संयुक्त समिति का 22वां सत्र 5 जून, 2025 को इटली के ब्रेशिया में आयोजित हुआ।

 

      1. भारत-फिनलैंड संयुक्त आयोग का 21वां सत्र 17 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित हुआ।

 

      1. भारत-रोमानिया संयुक्त आयोग की 19वीं बैठक 5 नवंबर, 2025 को बुखारेस्ट में आयोजित हुई।

 

      1. भारत-स्लोवेनिया व्यापार और आर्थिक सहयोग संयुक्त समिति (जेसीटीसी) का 10वां सत्र 25 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित हुआ।

 

      1. ईएफटीए: भारत-ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) के आधिकारिक तौर पर लागू होने के मौके पर 1 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली में "समृद्धि शिखर सम्मेलन 2025" नामक एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। ईएफटीए की ओर से स्विस राज्य सचिव सुश्री हेलेन बुडलिगर आर्टिडा, आइसलैंड के विदेश मंत्रालय में विदेश व्यापार एवं आर्थिक मामलों के महानिदेशक श्री राग्नार क्रिस्टजानसन, लिकटेंस्टीन के विदेश मामलों के कार्यालय की उप निदेशक सुश्री क्रिस्टीन लिंग, भारत में नॉर्वे की राजदूत सुश्री मे-एलिन स्टेनर और ईएफटीए के उप महासचिव श्री मार्कस श्लागेनहोफ मौजूद थे। गणमान्यों ने आने वाले पंद्रह वर्ष में भारत में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाने और दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार निर्माण करने के साझा उद्देश्यों का स्वागत किया, साथ ही कार्यान्वयन और प्रगति पर नजर के लिए एक निवेश सुविधा तंत्र की स्थापना का भी स्वागत किया। इस आयोजन में सभी दलों के विभिन्न व्यावसायिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिससे नए संबंध स्थापित करने और मौजूदा साझेदारियों को मजबूत करने का मौका मिला। समृद्धि शिखर सम्मेलन में व्यावसायिक सहभागिता के परिणामस्वरूप ईएफटीए देशों की कंपनियों की ओर से कई प्रमुख क्षेत्रों जैसे समुद्री क्षेत्र, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव रसायन और विनिर्माण स्वचालन में कई निवेश घोषणाएं की गईं।

 

  1. दक्षिण एशिया

 

      1. भारत और नेपाल के बीच अनधिकृत व्यापार को नियंत्रित करने हेतु व्यापार, पारगमन और सहयोग पर अंतर-सरकारी समिति (आईसीसी) की बैठक 10-11 जनवरी 2025 को काठमांडू, नेपाल में आयोजित की गई। इसके साथ ही, दूसरे संयुक्त व्यापार मंच की बैठक भी 11 जनवरी 2025 को चंद्रगिरी, काठमांडू में आयोजित की गई।

 

      1. भारत और नेपाल के बीच पारगमन संधि के प्रोटोकॉल में संशोधन करके, जोगबानी (भारत) और बीराटनगर (नेपाल) के बीच रेल आधारित माल ढुलाई को आसान बनाने के लिए विनिमय पत्र (एलओई) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें विस्तारित परिभाषा में थोक माल ढुलाई भी शामिल है। दोनों देशों ने 13 नवंबर 2025 को विनिमय पत्र (एलओई) का आदान-प्रदान किया, जिससे जोगबानी (भारत) और बीराटनगर (नेपाल) के बीच रेल आधारित माल ढुलाई को आसान बनाया जा सके, जिसमें विस्तारित परिभाषा में थोक माल ढुलाई भी शामिल है। यह उदारीकरण प्रमुख पारगमन गलियारों - कोलकाता-जोगबानी, कोलकाता-नौतनवा (सुनाउली) और विशाखापट्टनम-नौतनवा (सुनौली) तक फैला है, जिससे दोनों देशों के बीच बहुआयामी व्यापार संपर्क और नेपाल का तीसरे देशों के साथ व्यापार मजबूत होता है।

 

      1. भारत और मालदीव के बीच एफटीए के संदर्भ की शर्तों (टीओआर) पर 3 जुलाई, 2025 को मालदीव के माले में हस्ताक्षर किए गए। टीओआर आगामी एफटीए चर्चा के लिए फ्रेमवर्क और दायरा निर्धारित करता है। भारत के प्रधानमंत्री की 25-26 जुलाई, 2025 को मालदीव यात्रा के दौरान भारत-मालदीव मुक्त व्यापार समझौते (आईएमएफटीए) के संदर्भ की शर्तों का आदान-प्रदान किया गया और बातचीत शुरू की गई।

 

 

  1. उत्तर पूर्व एशिया (एनईए)

 

भारत-ताइवान व्यापार कार्य समूह (डब्ल्यूजीटी) की 10वीं बैठक 8 अक्टूबर, 2025 को वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई। बैठक में आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण, बाजार पहुंच, गैर-शुल्क बाधाएं और हस्ताक्षरित/ कार्यान्वयन के तहत समझौता ज्ञापनों समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। जैविक समतुल्यता पर एक समझौता ज्ञापन, जिस पर 2021 में हस्ताक्षर किए गए थे और जुलाई 2024 में लागू किया गया था, की वजह से सितंबर 2025 में भारत से ताइवान को जैविक चाय की पहली खेप का निर्यात हुआ।

 

  1. पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका (डब्ल्यूएएनए)

 

      1. भारत-इजराइल मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए): भारत और इजराइल 2010 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिसमें 280 शुल्क लाइनों को कवर करते हुए दस दौर पूरे हो चुके हैं। हालांकि, दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2021 में बातचीत दोबारा शुरू करने पर सहमति जताई थी, लेकिन भारत की ओर से अपेक्षित सार्थक सेवा बाजार पहुंच प्रदान करने में इजराइल की अनिच्छा के चलते प्रगति रुक ​​गई, विशेष रूप से आईटी पेशेवरों और उच्च कुशल श्रमिकों के अस्थायी आवागमन के संबंध में। इस चिंता को सीआईएम ने अप्रैल 2023 में एक द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोहराया था। तब से बातचीत को दोबारा शुरू किया गया है, और नवंबर 2025 में, भारत और इजराइल ने प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए संदर्भ की शर्तों पर हस्ताक्षर किए, जिससे औपचारिक रूप से चर्चा फिर से शुरू करने का रास्ता खुला।

 

      1. भारत मार्ट, दुबई: भारत मार्ट दुबई के जाफजा में निर्माणाधीन एक महत्त्वपूर्ण भौतिक व्यापार केंद्र है, जिसे भारतीय निर्यातकों को संयुक्त बिलियन अमीरात, मध्य पूर्व, अफ्रीका, मध्य एशिया और यूरोप की सेवा करने वाला एक समर्पित थोक और खुदरा मंच प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। इसकी आधारशिला माननीय प्रधानमंत्री जी ने फरवरी 2024 में रखी गई थी। 2024 की पहली छमाही में छः रोड शो और अठारह निवेशक बैठकों सहित व्यापक प्रचार-प्रसार कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस सुविधा का निर्माण कार्य 2025 के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है, जिसका 2027 तक पूरा होना और पूर्णतः 2027 की तीसरी तिमाही तक चालू होने का लक्ष्य है।

 

      1. भारत-यूएई सीईपीए: संयुक्त समिति की तीसरी बैठक: भारत-यूएई सीईपीए के अंतर्गत संयुक्त समिति की तीसरी बैठक 26 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में अतिरिक्त सचिव श्री अजय भादू और महामहिम जुमा अल कैत की सह-अध्यक्षता में आयोजित की गई। दोनों पक्षों ने वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार में 19.6% की बढ़ोतरी दर्ज करते हुए 100.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का स्वागत किया। बैठक में सीईपीए के कार्यान्वयन की व्यापक समीक्षा की गई, जिसमें बाजार पहुंच, डेटा साझाकरण, स्वर्ण टीआरक्यू आवंटन, एंटी-डंपिंग मामले, मूल नियम, सेवाएं और बीआईएस समन्वय शामिल थे। चर्चा में फार्मास्यूटिकल्स में नियामक सहयोग, मूल प्रमाण पत्र संबंधी मुद्दों के समाधान और खाद्य सुरक्षा और तकनीकी आवश्यकताओं पर एपीईडीए-एमओसीसीएई समझौता ज्ञापन पर जल्द हस्ताक्षर करने पर भी जोर दिया गया। दोनों पक्ष व्यापार सुगमता, नियामक सहयोग और डेटा साझाकरण प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने और सेवा उपसमिति की बैठक को जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए।

 

      1. भारत-सऊदी अरब व्यापार कार्य समूह (टीडब्ल्यूजी): भारत और सऊदी अरब ने सामरिक साझेदारी परिषद की मंत्री स्तरीय अर्थव्यवस्था और निवेश समिति के अंतर्गत व्यापार, अर्थव्यवस्था और वित्त पर एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना के लिए 2025 में सैद्धांतिक सहमति जताई है। भारत ने अतिरिक्त सचिव स्तर पर सह-अध्यक्षता का प्रस्ताव करते हुए टीओआर साझा किया है। इस तंत्र को सक्रिय करने के लिए टीडब्ल्यूजी की पहली बैठक आयोजित करने पर दोनों पक्ष विचार कर रहे हैं।

 

      1. भारत-बहरीन व्यापार और निवेश संयुक्त कार्य समूह: भारत-बहरीन व्यापार और निवेश संयुक्त कार्य समूह की स्थापना प्रक्रियाधीन है। भारत ने संयुक्त सचिव स्तर पर जीडब्ल्यूजी की संरचना साझा की है और टीओआर का मसौदा प्रस्तुत किया है, जिस पर बहरीन ने अपनी बात रखी हैं। वाणिज्य विभाग की ओर से संशोधित टीओआर की वर्तमान में जांच की जा रही है। दोनों पक्षों ने सीईपीए वार्ता शुरू करने के लिए टीओआर के मसौदे का भी आदान-प्रदान किया है।

 

      1. भारत-कतर संयुक्त आयोग की बैठक: 6-7 अक्टूबर 2025 को कतर में वाणिज्य और उद्योग मंत्री स्तर पर आयोजित अपग्रेडेड भारत-कतर संयुक्त आयोग की बैठक में 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की समीक्षा की गई और 2030 तक व्यापार को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया। दोनों पक्षों ने भारत-कतर सीईपीए के लिए नियमों और शर्तों को अंतिम रूप देने में तेजी लाने और डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, पर्यटन, संस्कृति और पर्यावरण स्थिरता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इस बैठक के दौरान एफआईसीआई, सीआईआई, एसोचैम और कतर चैंबर की ओर से संयुक्त तौर पर आयोजित पहली संयुक्त व्यापार परिषद की बैठक भी हुई, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी को मजबूती मिली।

 

      1. भारत-कतर मुक्त व्यापार समझौता: 7 दिसंबर 2024 को भारत के विदेश मंत्री के साथ हुई बैठक के दौरान कतर ने संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के साथ भारत के केंद्रीय व्यापार समझौतों (सीईपीए) के समान मुक्त व्यापार समझौता करने में रुचि व्यक्त की। भारत ने कतर के पूर्व संस्करण पर प्राप्त टिप्पणियों को शामिल करते हुए एक मसौदा अनुबंध साझा किया है। अनुबंध को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है और दोनों पक्ष सक्रिय रूप से चर्चा में लगे हैं।
      2. भारत-ओमान सीईपीए: भारत और ओमान ने नवंबर 2023 में सीईपीए वार्ता शुरू की। गहन बातचीत के तीन दौर (नवंबर 2023-मार्च 2024) के बाद, दोनों पक्ष सीईपीए के सभी घटकों, जिनमें टेक्स्ट और बाजार पहुंच का प्रस्ताव शामिल है, पर सहमत हुए। मार्च 2024 में प्रस्तुत कैबिनेट प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया, जिसके कारण आगे की चर्चा की जरूरत पड़ी। चौथे दौर (सितंबर 2024) और पांचवें दौर (13-14 जनवरी 2025) में संशोधित प्रस्तावों पर ध्यान केंद्रित किया गया। सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद, हस्ताक्षर और पुष्टि हेतु कैबिनेट नोट का मसौदा संबंधित मंत्रालयों को भेजा गया। दोनों पक्ष अब आंतरिक मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं।
      3. भारत-ओमान संयुक्त आयोग की बैठक: 11वीं संयुक्त आयोग की बैठक 27-28 जनवरी 2025 को ओमान में माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमें व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, खाद्य सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और अन्य प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा हुई। मंत्री ने एफआईसीआई की ओर से सहयोगी भारत-ओमान संयुक्त व्यापार परिषद् की बैठक को भी संबोधित किया और ओमान के प्रमुख सीईओ के साथ एक व्यापारिक गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया। 12वीं संयुक्त आयोग की बैठक 2026 में निर्धारित है।
      4. भारत-कुवैत व्यापार एवं वाणिज्य संयुक्त समूह: नवगठित भारत-कुवैत संयुक्त समूह की पहली बैठक 23 अक्टूबर 2025 को वर्चुअल तौर पर हुई। चर्चा में द्विपक्षीय व्यापार प्रदर्शन की समीक्षा, व्यापार उत्पादों में विविधता लाना और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना शामिल था। दोनों पक्षों ने मशीनरी, ऑटोमोबाइल, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, निर्माण सामग्री और विद्युत उपकरणों में भारत के लिए नए निर्यात के मौकों पर चर्चा की। उन्होंने महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की संभावनाओं और व्यापार सहयोग बढ़ाने के लिए संभावित समझौता ज्ञापनों पर भी विचार किया।

 

      1. भारत-जीसीसी मुक्त व्यापार समझौता: भारत और जीसीसी के बीच मुक्त व्यापार समझौता वार्ता 2004 में एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर के साथ शुरू हुई, जिसके बाद 2006 और 2008 में दो दौर की बातचीत हुई। जीसीसी ने 2011 में वैश्विक स्तर पर बातचीत रोक दी थी। नवंबर 2022 में जीसीसी महासचिव की भारत यात्रा के बाद बातचीत फिर से शुरू हुई। अक्टूबर 2023 में जीसीसी की ओर से संशोधित अनुबंध शर्तों (टीओआर) को साझा किया, और तब से दोनों पक्षों ने नए संस्करणों का आदान-प्रदान किया है। अनुबंध शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत जारी है।

 

  1. अफ्रीका

 

      1. भारत-युगांडा संयुक्त व्यापार समिति का तीसरा सत्र 25-26 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। दोनों पक्षों ने भारतीय औषध संहिता की मान्यता और लोक निर्माण एवं इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों, पारंपरिक चिकित्सा, टेली-मेडिसिन, मानकीकरण में सहयोग को सुदृढ़ करने आदि क्षेत्रों में समझौता ज्ञापनों पर विचार करने पर सहमति जताई। संयुक्त व्यापार समिति के दौरान, युगांडा प्रतिनिधिमंडल को भारत के औद्योगिक और निर्यात इकोसिस्टम की जानकारी देने के लिए नोएडा एसईजेड का दौरा आयोजित किया गया।

 

      1. दक्षिण अफ्रीका के साथ व्यापार एवं निवेश पर संयुक्त कार्य समूह का दूसरा सत्र 22-23 अप्रैल, 2025 को प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों में हाल में हुए घटनाक्रमों की विस्तारपूर्वक समीक्षा की और आगे विस्तार की अपार संभावनाओं को स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार और पारस्परिक रूप से लाभकारी निवेशों को बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की।

 

      1. भारत-जांबिया संयुक्त व्यापार समिति की तीसरी बैठक 16 जून, 2025 को वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों में हाल के घटनाक्रमों की विस्तृत समीक्षा की और आगे विस्तार की अपार संभावनाओं को स्वीकार किया। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार और पारस्परिक रूप से लाभकारी निवेशों को बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की और खनन, वित्त, कृषि, फूड प्रोसेसिंग, लघु एवं मध्यम उद्यम, फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण, विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा आदि जैसे सहयोग के संभावित क्षेत्रों की खोज की।

 

      1. सीआईआई इंडिया अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव का 20वां संस्करण 27-29 अगस्त 2025 को ताज पैलेस, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस कॉन्क्लेव में अफ्रीका के 20 वरिष्ठ मंत्रियों और 40 से अधिक वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कॉन्क्लेव में 65 देशों के 1,800 से अधिक उद्योग जगत के नेताओं ने भाग लिया, जिनमें अफ्रीका से 1,100 प्रतिनिधि और भारत से 700 प्रतिनिधि शामिल थे। कॉन्क्लेव के दौरान 2,000 से अधिक बी2बी बैठकें हुईं। कॉन्क्लेव ने भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण मार्गों के रूप में स्थानीय मूल्यवर्धन, उद्योगों के अधिक स्थानीयकरण और व्यावसायिक मॉडलों में स्थिरता को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

 

      1. कॉन्क्लेव के दौरान, माननीय उच्च मंत्री की दक्षिण अफ्रीका और मॉरीशस के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठक और व्यापार एवं उद्योग राज्य मंत्री की चाड और गांबिया के व्यापार/ वाणिज्य मंत्रियों के साथ बैठक आयोजित की गई।

 

  1. डीजीएफटी

 

      1. 2025 में, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने समय पर प्राधिकरण जारी करके, नीतिगत उपायों को तर्कसंगत बनाकर और 2023 की विदेश व्यापार नीति को बदलते व्यापार और घरेलू आवश्यकताओं के अनुरूप ढालकर भारत के व्यापार सुगमीकरण तंत्र को सुदृढ़ करना जारी रखा। क्षेत्रीय प्राधिकरणों ने निर्यातकों को महत्वपूर्ण इनपुट तक पहुंच प्रदान करने और विदेशी व्यापार संचालन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बड़ी संख्या में अग्रिम प्राधिकरण, ईपीसीजी लाइसेंस और आईईसी को संसाधित किया।

 

      1. वर्ष के दौरान, डीजीएफटी ने कई महत्वपूर्ण नीतिगत अपडेट प्रस्तुत किए, जिनमें जवाहरात और आभूषण क्षेत्र को सहयोग देने के लिए डायमंड इम्प्रेस्ट प्राधिकरण की शुरुआत, घरेलू बाजारों को स्थिर करने के लिए प्रमुख दालों के लिए "मुक्त" आयात नीति का विस्तार और सिंथेटिक बुने हुए कपड़े, यूरिया, प्लैटिनम, सुपारी, कृषि उत्पादों और संवेदनशील खाद्य पदार्थों से संबंधित आयात और निर्यात नीतियों में नियामक समायोजन शामिल हैं। नेपाल को गेहूं और सेनेगल को टूटे चावल के निर्यात की मंजूरी दी गई, जबकि भारत की पड़ोसी प्रतिबद्धताओं के अंतर्गत मालदीव को आवश्यक आपूर्ति की सुविधा प्रदान की गई।

 

      1. डीजीएफटी ने एफटीपी में पैरा 1.07ए और 1.07बी को शामिल करके नीतिगत पारदर्शिता और हितधारकों की सहभागिता को मजबूत किया, जिससे भविष्य के नीतिगत परिवर्तनों के लिए औपचारिक परामर्श को संस्थागत रूप दिया गया। कई अधिसूचनाओं ने भारत की आयात और निर्यात नीति अनुसूचियों को 2024 और 2025 के सीमा शुल्क टैरिफ और वित्त अधिनियमों के अपडेशन के साथ संरेखित किया, जिससे नियामक सामंजस्य सुनिश्चित हुआ।

 

      1. एक प्रमुख सुविधा उपाय आरओडीटीईपी लाभों की बहाली और संरेखित करना था, जिसमें अग्रिम प्राधिकरण धारकों, एसईजेड और ईओयू के लिए लाभ शामिल हैं। डीजीएफटी ने एए/ ईओयू/ एसईजेड इकाइयों को परिभाषित शर्तों के तहत अनिवार्य गुणवत्ता-नियंत्रित इनपुट आयात करने में सक्षम बनाकर क्यूसीओ-विनियमित आयातों के प्रावधानों को भी सुव्यवस्थित किया।

 

      1. इस वर्ष रणनीतिक और आपूर्ति-श्रृंखला सुरक्षा बनाए रखने के लिए निरंतर कार्रवाई की गई, जिसमें एससीओएमईटी सूची का अद्यतन, बंदरगाह प्रतिबंधों का युक्तिकरण और आईटीसी (एचएस) के अध्याय 28, 29, 38, 70-85 और 71 के अंतर्गत वस्तुओं के लिए आयात शर्तों में संशोधन शामिल हैं।

 

    1. जीएसटी अनुपालन को आसान बनाने और सीमा पार ई-कॉमर्स में लगे लघु एवं मध्यम उद्यमों और छोटे निर्यातकों के लिए धनवापसी की सुविधा में सुधार करने के लिए। [इन मामलों को डीजीएफटी की ओर से डीओआर को 8 मई 2025 को भेजा गया था]
    2. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 09/09/2025 की सार्वजनिक सूचना 22 के जरिए एक नई डिजिटल सुविधा शुरू की है, जिससे निर्यातक अप्रयुक्त और अप्रतिदेय शुल्क-मुक्त आयात प्राधिकरणों (डीएफआईए) को ऑनलाइन संशोधित कर सकते हैं।
    3. 19/08/2025 की अधिसूचना के अनुसार, डायमंड इंप्रेस्ट प्राधिकरण के लिए आवेदन करने वाले निर्यातक अब चार्टर्ड अकाउंटेंट का प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं, यदि उनका नवीनतम आयकर रिटर्न (आईटीआर) को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है, बशर्ते वे आवेदन वर्ष की 31 दिसंबर तक आईटीआर का प्रमाण प्रस्तुत करें।
    4. गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) के अंतर्गत आने वाले इनपुट वाले अग्रिम प्राधिकरणों के लिए निर्यात दायित्व (ईओ) अवधि को नियमित अग्रिम प्राधिकरणों के बराबर कर दिया गया है।
    5. क्यूसीओ इनपुट वाले अग्रिम प्राधिकरणों की पूर्व निर्यात दायित्व अवधि 180 दिनों तक सीमित थी, जबकि ऐसे इनपुट के बिना अग्रिम प्राधिकरणों की ईओ अवधि 18 महीने तक होती थी।
    6. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं और भविष्योन्मुखी नियंत्रणों को ध्यान में रखते हुए भारत की एससीओएमईटी (विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी) सूची को अपडेट करके एक सुधार किया है। यह अपडेशन वासेनार समझौते (डब्ल्यूए) में विचाराधीन 18 प्रस्तावों पर आधारित है, जिसे भारत ने अपना समर्थन दिया है।
    7. निर्यात निरीक्षण परिषद् (ईआईसी) ने अधिसूचित वस्तुओं के निर्यात में लगे ईआईसी की ओर से अनुमोदित प्रतिष्ठानों में टेक्नोलॉजिस्ट्स की वैधता अवधि को दो से बढ़ाकर तीन वर्ष करने की मंजूरी दे दी है। इन प्रतिष्ठानों के लिए यह अनिवार्य है कि उनके पास अधिकारियों की ओर से अनुमोदित योग्य टेक्नोलॉजिस्ट्स हों, जिससे निर्यात की जाने वाली वस्तु के निर्धारित गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

 

      1. -गवर्नेंस के क्षेत्र में, डीजीएफटी ने ई-गवर्नेंस और व्यापार सुविधा प्रभाग के जरिए अपने उस अग्रणी कार्य को जारी रखा है, जो 6 वर्ष पहले शुरू किया गया था।

 

    1. डीजीएफटी ने 29 अक्टूबर 2025 को एक व्यापार सूचना जारी कर ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म पर सोर्स फ्रॉम इंडिया (एसएफआई) के अंतर्गत कवरेज का विस्तार किया है। पिछले तीन वित्त वर्षों में से किसी भी वर्ष में कम से कम 100,000 अमेरिकी डॉलर का निर्यात कारोबार करने वाले निर्यातकों को अब सत्यापित एसएफआई निर्देशिका में शामिल किया जाएगा। संशोधित ढांचा प्रोफाइल की पूर्णता, मानकीकृत डेटा फील्ड, उत्पाद-स्तरीय वर्गीकरण और ईपीसी तथा भारतीय दूतावासों के साथ डिजिटल सत्यापन कार्यप्रवाह को बेहतर बनाता है। इस कदम का उद्देश्य विश्वसनीय भारतीय आपूर्तिकर्ताओं, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की वैश्विक स्तर पर पहचान को मजबूत करना है।
    2. डीजीएफटी ने भारत आयात निर्यात लैब सेतु के पायलट चरण का शुभारंभ किया है। यह एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो देश भर में मान्यता प्राप्त परीक्षण और निरीक्षण एजेंसियों को एक साथ लाता है, जिससे निर्यात और आयात वस्तुओं के लिए सुव्यवस्थित, कागज रहित प्रमाणन प्रदान किया जा सके। यह प्लेटफॉर्म निर्यातकों/ आयातकों को ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म के जरिए सुलभ एक ही ऑनलाइन इंटरफेस के जरिए डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित परीक्षण रिपोर्ट खोजने, चुनने, आवेदन करने, ट्रैक करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। प्रयोगशालाओं का ऑनबोर्डिंग 4 नवंबर 2025 से शुरू होगा और परीक्षण के लिए आवेदन 15 नवंबर 2025 से शुरू होंगे। पायलट चरण में शुरुआत में चाय बोर्ड, कॉफी बोर्ड और रबर बोर्ड के अंतर्गत आने वाली प्रयोगशालाएं शामिल हैं, और चरणबद्ध तरीके से कमोडिटी बोर्ड, ईपीसी-सूचीबद्ध और निजी प्रयोगशालाओं को भी शामिल किया जाएगा। इस प्लेटफॉर्म से निम्नलिखित लाभ मिलने की उम्मीद है:

 

      1. प्रयोगशाला संचालन की वास्तविक समय दृश्यता के जरिए बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही।
      2. परीक्षण और मंजूरी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके लगने वाले समय में कमी।
      3. नियामक अनुपालन और अंतरसंचालनीयता का सहयोग करने के लिए वैश्विक डेटा मानकीकरण को योग्य बनाना।
      4. निर्यातकों के लिए प्रयोगशाला सेवाओं तक केंद्रीकृत पहुंच।
      5. सीमा पार व्यापार तंत्र के भीतर समन्वय को मजबूत करना।

 

    1. बीते छः वर्ष में, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने विदेशी व्यापार क्षेत्र में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल और प्रक्रिया-आधारित सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की है। 13 जुलाई, 2020 को डीजीएफटी आईटी सिस्टम के पुनरुद्धार का कार्यान्वयन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य डीजीएफटी से संबंधित प्रक्रियाओं को पूरी तरह से कागज रहित, यूजर के अनुकूल और सरल बनाना था। पुनरुद्धार के उद्देश्यों में डीजीएफटी दस्तावेजों के जारी होने में लगने वाले समय को कम करना, सहयोगी विभागों के साथ वास्तविक समय में डेटा का आदान-प्रदान सक्षम करना, त्वरित समय में स्थिति की निगरानी के जरिए अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना और कागज रहित और संपर्क रहित आवेदन प्रक्रिया को प्रोत्साहन देना शामिल था।
    2. ये सुधार संपूर्ण स्वचालन, बेहतर सेवा वितरण और हितधारकों के साथ सुव्यवस्थित संपर्क पर केंद्रित रहे हैं। तरजीही और गैर-तरजीही दोनों श्रेणियों के लिए ई-प्रमाणपत्र मूल मंच की शुरुआत ने केंद्रीकृत जारीकरण, ऑनलाइन सत्यापन को सक्षम बनाया है और भौतिक दस्तावेजीकरण की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। जन-सुनवाई, एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आधारित इंटरफेस है, जिसने निर्यातकों और आयातकों को व्यापार संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए नामित अधिकारियों तक सीधी पहुंच प्रदान की है। ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म उद्यमियों और निर्यातकों को विभिन्न हितधारकों, जैसे कि ईपीसी, विदेशों में भारतीय दूतावास और डीजीएफटी कार्यालयों से जोड़ने के लिए एक डिजिटल मंच के तौर पर काम करता है।
    3. परिशिष्ट 4एच प्रमाणन के डिजिटलीकरण और अग्रिम प्राधिकरण (ईपीसीजी) एवं संबंधित एफटीपी प्रक्रियाओं के स्वचालन से प्रोसेसिंग में लगने वाले समय में कमी आई है, सत्यापन में सुधार हुआ है और अनुपालन बेहतर हुआ है। ऑनलाइन ईपीसीजी रिडेंपशन सुविधा ने समापन एवं निगरानी कार्य को और भी सुव्यवस्थित कर दिया है।
    4. स्व-प्रमाणित ईबीआरसी, आरसीएमसी एकीकरण एवं स्टेटस होल्डर प्रमाणपत्र जारी करने जैसे मॉड्यूल ने मानवीय कार्य को कम किया है और प्रक्रियात्मक पारदर्शिता को बढ़ाया है। क्यूआर कोड और विशिष्ट दस्तावेज पहचान संख्या (यूसीसी) सत्यापन जैसे दस्तावेज सत्यापन तंत्रों ने आधिकारिक दस्तावेजों तक आसान और अधिक सुरक्षित पहुंच को सक्षम बनाया है।
    5. -कॉमर्स निर्यात हब (ईसीईएच) की स्थापना से सीमा पार ई-कॉमर्स गतिविधियों के लिए भंडारण, सीमा शुल्क निकासी और लॉजिस्टिक्स में मदद मिली है। डीजीएफटी व्यापार सुविधा ऐप, ई-मीटिंग प्रबंधन प्रणाली और वर्चुअल हेल्पडेस्क जैसे अतिरिक्त डिजिटल उपकरणों ने सूचना प्रसार और आवेदन ट्रैकिंग में सहयोग प्रदान किया है।
    6. विदेशी व्यापार में रुकावटों को दूर करने के लिए, कोविड-19 और रूस-यूक्रेन संघर्ष के लिए समर्पित हेल्पडेस्क स्थापित किए गए। ब्याज समतुल्यकरण योजना के लिए निगरानी तंत्र, धनवापसी आवेदन मॉड्यूल और रुपया आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यापार निपटान की सुविधा भी लागू की गई है।

 

इन पहलों से सेवा दक्षता में सुधार, दस्तावेजों की विश्वसनीयता में सुधार और व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने में योगदान मिला है।

 

एसईजेड

 

2025 में, विशेष आर्थिक क्षेत्रों ने प्रमुख क्षेत्रों में स्थिर निवेश आकर्षित करना और रोजगार निर्माण में सहयोग देना जारी रखा। इस साल, विशेष आर्थिक क्षेत्र नियम, 2006 में अधिसूचना जी. एस. आर. 364(ई) दिनांक 3 जून, 2025 के जरिए संशोधन किया गया, जिसमें सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए न्यूनतम मिले हुए भूमि क्षेत्र की जरूरत को घटाकर 10 हेक्टेयर कर दिया गया। इसके साथ ही, एसईजेड की ओर से डीटीए को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए सॉफ्टएक्स दाखिल करने की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के कई उपाय भी किए गए, और विकास आयुक्तों को गैर-प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोसेसिंग क्षेत्र में सीमांकित करने की मंजूरी देने के लिए शक्तियां सौंपी गईं। इसके साथ ही, सेमीकंडक्टर/ इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए क्रमशः 23.06.2025, 23.09.2025 और 26.09.2025 को गुजरात के सानंद में तीन और कर्नाटक के धारवाड़ में एक एसईजेड अधिसूचित किया गया। इसके अतिरिक्त, नवा रायपुर में डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए एक आईटी/ आईटीईएस एसईजेड और अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के बालिनॉन्ग में एक बहु-क्षेत्रीय एसईजेड को क्रमशः 09.07.2025 और 30.07.2025 को अधिसूचित किया गया था।

 

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम):

 

      1. सरकारी ई-मार्केटप्लेस एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न केंद्रीय/ राज्य मंत्रालयों, विभागों, संगठनों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), पंचायतों और सहकारी समितियों की ओर से वस्तुओं और सेवाओं की संपूर्ण खरीद प्रक्रिया को सुगम बनाता है। 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की शक्ति का इस्तेमाल करने के सरकारी प्रयासों के फलस्वरूप 2016 में जीईएम की स्थापना हुई। इस ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना का स्पष्ट उद्देश्य पुरानी, ​​मानवीय सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं को समाप्त करना था, जो अक्षमताओं और पारदर्शिता संबंधी समस्याओं से ग्रस्त थीं। जीईएम सरकारी खरीदारों के लिए एक पेपरलेस, कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस इकोसिस्टम है, जिसके जरिए वे अखिल भारतीय विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे उत्पाद और सेवाएं खरीद सकते हैं। जीईएम की परिकल्पना डिजिटल प्लेटफॉर्म की तेजी और गति का उपयोग करके सार्वजनिक खरीद प्रणालियों को दोबारा जीवित करने और सभी हितधारकों के लिए स्थायी परिवर्तन लाने के उद्देश्य से की गई थी। जीईएम खरीद प्रक्रिया के संपूर्ण दायरे को कवर करता है, जिसमें विक्रेताओं के पंजीकरण और खरीदारों की ओर से वस्तुओं के चयन से लेकर माल की प्राप्ति और समय पर भुगतान की सुविधा प्रदान करना शामिल है।
      2. जीईएम पर कुल मिलाकर लगभग 3.27 करोड़ ऑर्डर दिए गए हैं, जिनका कुल जीएमवी स्थापना के बाद से ₹16.41 लाख करोड़ से अधिक है। सेवाओं का जीएमवी ₹7.94 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जबकि उत्पादों का जीएमवी 30 नवंबर 2025 तक स्थापना के बाद से ₹8.47 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
      3. पोर्टल पर 10,894 से अधिक उत्पाद श्रेणियां और 348 से अधिक सेवा श्रेणियां हैं, और इस पर 1.67 लाख से अधिक क्रेता संगठन पंजीकृत हैं। इसके अतिरिक्त, जीईएम पर 24 लाख से अधिक पूर्ण प्रोफाइल वाले विक्रेता और सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं।
      4. सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) ने जीईएम पर बड़ा असर डाला है, कुल ऑर्डर मूल्य में उनका योगदान 44.8% है, और प्लेटफॉर्म पर 11 लाख से अधिक एमएसई पंजीकृत हैं। इन उद्यमों को 30 नवंबर 2025 तक कुल मिलाकर ₹7.35 लाख करोड़ से अधिक मूल्य के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं।
      5. वित्त वर्ष 2025-26 में प्रमुख उपलब्धियां और नई कार्यप्रणालियां

 

  • महत्वपूर्ण उपलब्धि - ₹15 लाख करोड़ का जीएमवी: स्थापना के बाद से जीईएम का संचयी जीईएम मूल्य ₹15 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर 30 नवंबर 2025 तक ₹16.41 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यह उपलब्धि सरकार के सभी स्तरों पर जीईएम के बढ़ते उपयोग और राष्ट्रीय खरीद प्रणाली में इसके बढ़ते योगदान को दर्शाती है।
  • जीईएम पर पंजीकृत एमएसई की संख्या 11 लाख से अधिक: जीईएम पर पंजीकृत एमएसई की संख्या 11 लाख से अधिक हो गई है, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीईएम मूल्य में उनकी हिस्सेदारी 44.8% है, जो अनिवार्य 25% खरीद लक्ष्य से काफी अधिक है। यह सार्वजनिक खरीद में एमएसई की भागीदारी को सक्षम बनाने में जीईएम की महत्वपूर्ण भूमिका को मजबूत करता है।
  • सुरक्षा जमा राशि में छूट: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस देने के लिए नवीनतम नीतिगत निर्णय के अनुसार, जीईएम पर सभी विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए सुरक्षा जमा राशि जमा करने की जरूरत खत्म हो गई है। जिन विक्रेताओं ने पहले ही राशि जमा कर दी है, वे जीईएम पोर्टल पर उपलब्ध सुरक्षा जमा राशि डैशबोर्ड के जरिए इसे निकाल सकते हैं। इस कदम से जीईएम पर नए विक्रेताओं की संख्या में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
  • दर अनुबंध कार्यक्षमता का परिचय: सरकारी खरीदारों की छोटी और बार-बार होने वाली खरीद की मांग को पूरा करने के लिए GeM ने दर अनुबंध कार्यक्षमता शुरू की है। इससे बार-बार निविदा जारी किए बिना दक्षता और त्वरित ऑर्डर प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।

 

      1. प्रमुख समझौता ज्ञापन:

 

  • इन-स्पेस के साथ समझौता ज्ञापन: 16 अप्रैल 2025 को, जीईएम ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस सहयोग का उद्देश्य सरकारी विभागों में स्वदेशी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उत्पादों और सेवाओं की दृश्यता, पहुंच और इस्तेमाल को बढ़ाना है।
  • डीएफआई के साथ समझौता ज्ञापन: 21 अप्रैल 2025 को, जीईएम ने ड्रोन फेडरेशन इंडिया (डीएफआई) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो देश भर में 200 से अधिक ड्रोन निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रमुख उद्योग-नेतृत्व वाला, गैर-लाभकारी संगठन है। यह रणनीतिक साझेदारी सार्वजनिक खरीद में ड्रोन इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन: #GeMSahay पहल के तहत जीईएम में पंजीकृत विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को बिना किसी गारंटी के, कम समय के लिए और किफायती कर्ज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, जीईएम ने 6 मई, 2025 को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • एजेएनआईएफएम के साथ समझौता ज्ञापन: 24 सितंबर, 2025 को जीईएम ने नई दिल्ली स्थित वित्त मंत्रालय के एक प्रमुख संस्थान, अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एजेएनआईएफएम) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • केयरएज रेटिंग्स लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन: 8 अक्टूबर, 2025 को जीईएम ने केयरएज रेटिंग्स लिमिटेड के साथ क्षमता निर्माण, क्षेत्रीय अनुसंधान, ज्ञान आदान-प्रदान और संयुक्त प्रकाशनों में सहयोग करने तथा जीईएम के कार्यक्रमों में ज्ञान भागीदार के रूप में सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • एनसीजीजी के साथ समझौता ज्ञापन: 8 अक्टूबर 2025 को, जीईएम ने अकादमिक और नीति अनुसंधान, पारदर्शी खरीद और संयुक्त प्रकाशनों में सहयोग को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय वस्तु शासन केंद्र (एनसीजीजी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • आईआईपीए, नई दिल्ली के साथ समझौता ज्ञापन: 31 अक्टूबर 2025 को, जीईएम ने भविष्य के लिए तैयार, जानकारी-आधारित सार्वजनिक खरीद प्रणाली बनाने के लिए भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • ईपीएफओ के साथ समझौता ज्ञापन: 1 नवंबर 2025 को, भारत मंडपम में ईपीएफओ स्थापना दिवस समारोह के दौरान, माननीय श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री मनसुख मांडविया की उपस्थिति में, जीईएम ने मानव संसाधन आउटसोर्सिंग सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ाने और अधिनियमों के अनुपालन को मजबूत करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी के जरिए, जीईएम और ईपीएफओ मिलकर प्रणाली-स्तरीय एकीकरण को सक्षम बनाएंगे जो सेवा प्रदाताओं द्वारा भविष्य निधि अंशदान के मासिक सत्यापन को सुगम बनाएगा, जिससे अधिनियमों का अनुपालन सुनिश्चित होगा।
  • संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन के साथ समझौता ज्ञापन: 20 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में, जीईएम ने संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य भारत के सार्वजनिक खरीद तंत्र में महिला उद्यमियों, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र की महिलाओं के सशक्तिकरण और एकीकरण को मजबूत करना है। इस सहयोग का लक्ष्य लैंगिक समानता को आगे बढ़ाना, #Womaniya पहल के अंतर्गत महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिए बाजार पहुंच का विस्तार करना और संयुक्त रूप से वकालत, संपर्क, जागरूकता और क्षमता निर्माण के प्रयास करना है। यह सार्वजनिक खरीद में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में भी सहयोग करता है और लैंगिक समानता पर संयुक्त राष्ट्र के संपोषित विकास लक्ष्य क्रमांक 5 को आगे बढ़ाता है।

 

 

      1. खरीद में बचत | प्रमुख केस स्टडी

 

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसी) ने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व पोर्टल को एकीकृत पोर्टल में बदलने के लिए ~₹13.7 करोड़ के अनुमानित मूल्य की बोली पर 18% की बचत पूरी की।
  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मल्टी-प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस) सेवाओं के लिए ~₹22.8 करोड़ के अनुमानित मूल्य की बोली पर लगभग 19% की बचत की।
  • साउथ-ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने ₹1,702 करोड़ की समग्र खनन सेवाओं पर 19% की बचत की।

 

      1. अनूठे अनुबंध | चयनित केस स्टडी

 

  • भारतीय नौसेना - 4 एआर आधारित वेल्डिंग सिमुलेटर की स्थापना और सेटअप (~₹86 लाख)।
  • वन विभाग, गुजरात - 20,000 हेक्टेयर वन भूमि का जीआईएस सर्वेक्षण और सीमांकन (₹64 लाख)।
  • ऊर्जा विभाग, ओडिशा - 10 वर्षों के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र की आपूर्ति, स्थापना और रखरखाव (₹41 करोड़)।
  • भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) - जिला स्तरीय आधार सेवा केंद्र की स्थापना और संचालन (₹3,427 करोड़)।

 

जीईएम सार्वजनिक खरीद में एक परिवर्तनकारी मंच के तौर पर अपनी स्थिति को मजबूत करना जारी रखे हुए है, जो शासन के सभी स्तरों पर पारदर्शिता, दक्षता, समावेशिता और जवाबदेही को आगे बढ़ावा देता है। निरंतर नवाचार, प्रक्रिया सुधार और हितधारकों की सहभागिता के जरिए, जीईएम डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

बागान बोर्ड (कॉफी बोर्ड, रबर बोर्ड, चाय बोर्ड और मसाला बोर्ड)

 

  • वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल से अक्टूबर तक कॉफी का निर्यात 1176.31 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो बीते वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 12% अधिक है। इसी अवधि में चाय का निर्यात 605.90 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 526.14 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 15.16% की बढ़ोतरी दर्शाता है।
  • 2021-2022 में शुरू की गई इनरोड परियोजना के अंतर्गत, जिसके अंतर्गत उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 200,000 हेक्टेयर क्षेत्र में रबर का बागान लगाने की परिकल्पना की गई है, अक्टूबर 2025 तक कुल 1,79,376 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपण कार्य पूरा हो चुका है।
  • राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड (एनटीबी) के मुख्यालय का उद्घाटन तेलंगाना के निजामाबाद में माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 29 जून 2025 को किया गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय काली मिर्च समुदाय (आईपीसी) के 53वें वार्षिक सत्र एवं बैठकें (एएसएम), अंतर्राष्ट्रीय मसाला प्रदर्शनी के साथ, स्पाइसेस बोर्ड इंडिया और अंतर्राष्ट्रीय काली मिर्च समुदाय की ओर से संयुक्त रूप से ले मेरिडियन, कोच्चि में 28 से 30 अक्टूबर, 2025 तक आयोजित की गईं।
  • सीसीएससीएच (मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर संहिता समिति) का 8वां सत्र स्पाइसेस बोर्ड की ओर से गुवाहाटी में 13 से 17 अक्टूबर, 2025 तक आयोजित किया गया। सीसीएससीएच8 के दौरान, तीन नए अंतर्राष्ट्रीय मानक, बड़ी इलायची, वेनिला और धनिया, को अंतिम रूप दिया गया और कोडक्स एलमेंटेरियस आयोग की ओर से अपनाने के लिए अनुशंसित किया गया।
  • मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर संहिता समिति का आठवां सत्र (सीसीएससीएच8):
    1. रोम स्थित कोडक्स एलमेंटेरियस आयोग (सीएसी) 194 सदस्य देशों का एक अंतर-सरकारी निकाय है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामंजस्यपूर्ण खाद्य मानकों को विकसित करता है और खाद्य सुरक्षा संबंधी व्यापार विवादों के समाधान के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ओर से मान्यता प्राप्त है। मसालों और पाक जड़ी-बूटियों के लिए सामंजस्यपूर्ण मानकों की कमी को देखते हुए, भारत ने मसाला बोर्ड के जरिए 2012 में एक समर्पित संहिता समिति की स्थापना का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को जुलाई 2013 में सीएसी के 36वें सत्र में मंजूरी मिल गई, जिसके चलते भारत को मेजबान देश और मसाला बोर्ड को मेजबान संगठन के रूप में सीसीएससीएच का गठन हुआ। समिति की अध्यक्षता भी भारत ही करता है। अपनी स्थापना के बाद से, मसाला बोर्ड ने सीसीएससीएच समिति के आठ सत्रों का आयोजन किया है।
    2. मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडक्स समिति (सीसीएससीएच) का आठवां सत्र 13-17 अक्टूबर 2025 को गुवाहाटी, असम में आयोजित किया गया। सत्र का सफल समापन 27 सदस्य देशों, एक सदस्य संगठन (ईयू) और एक पर्यवेक्षक संगठन (आईएसओ) के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ हुआ। सीसीएससीएच8 के दौरान, तीन नए अंतरराष्ट्रीय मानक, बड़ी इलायची, वेनिला और धनिया, को अंतिम रूप दिया गया और कोडक्स एलमेंटेरियस आयोग की ओर से अपनाने की सिफारिश की गई। वेनिला मानक के विकास के लिए स्वाद रसायन की जटिलता और प्रोसेसिंग विधियों की विविधता के चलते व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता थी। इसका पूरा होना वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य मानकों को प्रदान करने के लिए मजबूत वैश्विक सहयोग को दर्शाता है। बड़ी इलायची, वेनिला और धनिया के लिए सामंजस्यपूर्ण मानकों को अपनाने से स्पष्ट और एकसमान गुणवत्ता जरूरतों को प्रदान करके वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। ये घटनाक्रम भारत के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं, जो बड़ी इलायची और धनिया का एक प्रमुख निर्यातक है। वेनिला के लिए एकसमान अंतरराष्ट्रीय मानक वैश्विक व्यापार में स्थिरता और भरोसे को भी बढ़ावा देंगे, हालांकि भारत मुख्य रूप से इस वस्तु का आयातक है।
    3. आठवें सत्र के समापन पर, समिति ने अब तक 19 मसालों को कवर करते हुए 17 पूर्ण विकसित अंतर्राष्ट्रीय कोडक्स मानक तैयार किए हैं। इनमें निम्नलिखित के मानक शामिल हैं: (1) काली/ सफेद/ हरी मिर्च, (2) जीरा, (3) थाइम, (4) तुलसी, (5) अजवायन, (6) अदरक, (7) लहसुन, (8) लौंग, (9) लाल मिर्च और लाल शिमला मिर्च, (10) जायफल, (11) केसर, (12) हल्दी, (13) छोटी इलायची, (14) ऑलस्पाइस, जुनिपर बेरी और स्टार अनीस के लिए एक समूह मानक, (15) वेनिला, (16) धनिया, और (17) बड़ी इलायची।
    4. सीसीएससीएच सचिवालय के तौर पर, मसाला बोर्ड ने सत्र के आयोजन का समन्वय किया, सदस्यों की भागीदारी को सरल बनाया, सत्र के दस्तावेज तैयार किए और कोडक्स प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित किया। ये प्रयास वैश्विक मसाला मानकों के विकास में भारत के नेतृत्व और मसालों के निष्पक्ष, सुरक्षित और पारदर्शी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने की उसकी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हैं।

 

ईसीजीसी

 

  • डब्ल्यूटी-ईसीआईबी के अंतर्गत संपार्श्विक-मुक्त कवर: लघु एवं मध्यम उद्यम निर्यातकों को निर्यात ऋण के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, जो कोई संपार्श्विक या थर्ड-पार्टी गारंटी देने की स्थिति में नहीं हैं, ईसीजीसी ने 1 जुलाई, 2025 से 'संपार्श्विक-मुक्त कवर' योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य डब्ल्यूटी-ईसीआईबी के अंतर्गत बैंकों की ओर से ₹10 करोड़ तक की कार्यशील पूंजी सीमा के लिए बिना किसी अतिरिक्त प्रीमियम के संपार्श्विक-मुक्त निर्यात क्रेडिट लेंडिंग का सहयोग प्रदान करना है। इससे बैंक लघु एवं मध्यम उद्यम को उदारतापूर्वक क्रेडिट लेंडिंग प्रदान कर सकेंगे।
  • डब्ल्यूटी-ईसीआईबी के अंतर्गत बिना अतिरिक्त प्रीमियम के उन्नत कवर: बीमा लागत को कम करने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लाने के लिए, कंपनी पात्र बैंकों और खातों को उनके ₹50 करोड़ तक के निर्यात ऋण के लिए 90% का एडवांस कवर प्रदान कर रही है, जबकि पहले यह सीमा ₹20 करोड़ तक थी, और यह बिना किसी अतिरिक्त लागत के लागू होगा। यह सुविधा 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी है।
  • देशों की रणनीतिक समीक्षा: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी  के कारण संभावित व्यापार व्यवधान के मद्देनजर, ईसीजीसी ने बीमा को उदार बनाने और बाजार विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए देशों की रेटिंग की रणनीतिक समीक्षा की है। अमेरिकी टैरिफ व्यवधानों से निपटने के लिए, 24 देशों की रेटिंग 19 सितंबर, 2025 से एडवांस की गई है, जिससे इन देशों के लिए बीमा लागत कम हो गई है। इससे निर्यातकों, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसई) को अपने व्यवसाय के जोखिम को कम करने और लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व, अफ्रीका, पूर्वी एशिया और अन्य उभरते बाजारों जैसे नए निर्यात गंतव्यों की खोज करने में सहायता मिलेगी, जिससे टैरिफ, संरक्षणवादी नीतियों या प्रतिबंधित बाजार पहुंच से प्रभावित बाजारों के प्रति अत्यधिक जोखिम कम हो जाएगा।
  • दावों के निपटान की सरलीकृत प्रक्रिया: बेहतर सेवा प्रदान करने और अल्पकालिक (एसटी)-ईसीआईबी के अंतर्गत दावों के निपटान में लगने वाले समय को कम करने के लिए, कंपनी ने ₹5 करोड़ तक की सीमा के लिए ईसीआईबी दावों के निपटान की प्रक्रिया को सरल बनाया है, जिसमें दस्तावेजों की जरूरत 1 मार्च, 2024 से कम कर दी गई है। योजना के दायरे को 1 फरवरी, 2025 से आगे संशोधित किया गया, जिससे निर्यातक/ समूह के लिए ₹10 करोड़ तक के शुद्ध मूलधन बकाया वाले दावों पर विचार किया जा सके, चाहे स्वीकृत निर्यात क्रेडिट सीमा कुछ भी हो।
  • वैकल्पिक पुनर्बीमा: लागत प्रभावी और स्थिर पुनर्बीमा सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, कंपनी ने वैकल्पिक पुनर्बीमा व्यवस्था के लिए निर्यात क्रेडिट एजेंसियों (ईसीए) के साथ साझेदारी शुरू की है। बाजार में अस्थिरता के दौर में, जब निजी पुनर्बीमाकर्ता अपनी क्षमता कम कर सकते हैं या कुछ देशों को सहायता प्रदान नहीं कर सकते हैं, तब ईसीए आधारित पुनर्बीमा कवर निर्यातकों के लिए निरंतरता सुनिश्चित करते हैं और वाणिज्यिक बाजारों में मंदी आने पर भी स्थिरता प्रदान करते हैं।
  • वैकल्पिक आंतरिक पुनर्बीमा: कंपनी ने अपने व्यवसाय विस्तार और विविधीकरण रणनीति के अंतर्गत 29 मई, 2025 से वैकल्पिक आंतरिक पुनर्बीमा शुरू किया है। यह आंतरिक पुनर्बीमा उन एमएलटी परियोजनाओं के लिए उपलब्ध होगा जिनमें कुछ भारतीय घटक/ सेवाएं शामिल हैं। यह कवर कंपनी के गिफ्ट सिटी आईएफएस बीमा कार्यालय (आईआईओ) की ओर से अमेरिकी डॉलर (यूएसडी) में प्रदान किया जाएगा।

 

आईटीपीओ

 

  • भारत अंतर्राष्ट्रीय चमड़ा मेले (आईआईएलएफ) का 38वां संस्करण आईटीपीओ की ओर से चेन्नई में 1 से 3 फरवरी, 2025 तक आयोजित किया गया। यह मेला चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई), केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई), भारतीय जूता संघ (आईएसएफ), भारतीय तैयार चमड़ा निर्माता और निर्यातक संघ (आईएफएलएमईए), भारतीय फुटवियर घटक निर्माता संघ (आईएफकॉमा) और फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान (एफडीडीआई) सहित प्रमुख उद्योग संगठनों के सहयोग से आयोजित किया गया था। आईआईएलएफ 2025 में कुल 491 कंपनियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 330 भारतीय और 61 विदेशी प्रतिभागी शामिल थे, जिन्होंने सामूहिक रूप से 11,022 वर्ग मीटर के प्रदर्शनी क्षेत्र का इस्तेमाल किया। मेले में लगभग 17,245 व्यावसायिक आगंतुक आए, जिनमें 49 देशों के 248 विदेशी आगंतुक और 16,997 भारतीय आगंतुक शामिल थे।
  • असम सरकार के लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के सहयोग से 23 से 29 जनवरी, 2025 तक गुवाहाटी के चांदमारी मैदान में आयोजित 14वें पूर्वी हिमालयी व्यापार मेले और पहले पूर्वी हिमालयी कृषि एक्सपो 2025 ने पूर्वोत्तर की जीवंत व्यापार और कृषि क्षमता का प्रदर्शन किया।
  • नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला (एनडीडब्ल्यूबीएफ) 2025 का आयोजन 1 से 9 फरवरी, 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में किया गया। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पुस्तक ट्रस्ट (एनबीटी), भारत की ओर से आयोजित और भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) की ओर से सह-आयोजित इस वार्षिक आयोजन ने "रिपब्लिक@75" विषयवस्तु के साथ भारत के गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया।
  • भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) के सहयोग से 4 से 8 मार्च, 2025 तक भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य एवं आतिथ्य मेले 'आहार' का 39वां संस्करण आयोजित किया। 1,10,000 वर्ग मीटर से अधिक के कुल क्षेत्रफल में फैले 'आहार 2025' ने नेटवर्किंग, ऑनलाइन मैचमेकिंग, पूर्व-निर्धारित बैठकों और नए उत्पादों के लॉन्च के लिए उत्कृष्ट मौके प्रदान किए। इस मेले में घरेलू ऑनलाइन प्रतिभागियों, 22 देशों के विदेशी प्रतिभागियों और 13 संघों सहित 1700 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया। इटली और तुर्की की ओर से विदेशी राष्ट्रीय पवेलियन स्थापित किए गए थे। मेले में विदेशी और भारतीय आगंतुकों सहित लगभग 65,000 व्यावसायिक आगंतुकों ने शिरकत की।
  • विश्व एक्सपो, ओसाका (जापान) 2025: विश्व एक्सपो का आयोजन हर पांच साल में होता है। इस बार यह एक्सपो 13 अप्रैल से 13 अक्टूबर 2025 तक जापान के ओसाका में आयोजित किया गया। भारत पवेलियन - भारत ने मॉड्यूलर पवेलियन श्रेणी में एक्सटीरियर डिजाइन के लिए कांस्य पदक जीता। स्थानीय सर्वेक्षणों में भारत पवेलियन - भारत को 5 सबसे प्रशंसित पवेलियनों में शामिल किया गया, जिसमें 37 लाख आगंतुकों के साथ तीसरा सबसे अधिक आगंतुक संख्या दर्ज की गई, जो कुल एक्सपो आगंतुकों का लगभग 14% था। पवेलियन को इसके त्रुटिहीन निष्पादन, उच्च प्रतिष्ठा और अन्य पवेलियनों के लिए एक उदाहरण के तौर पर कार्य करने के लिए एक्सपो अधिकारियों से छः प्रशंसा पत्र मिले। भारत पवेलियन - भारत ने भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में सफलतापूर्वक स्थापित किया, जो विकास और सांस्कृतिक विरासत के बीच संतुलन को दर्शाता है। एक्सपो के दौरान देश के नाम "भारत" को वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण पहचान और लोकप्रियता मिली। कुल मिलाकर, वर्ल्ड एक्सपो ओसाका 2025 में इंडिया पवेलियन - भारत की भागीदारी एक बेहद सफल प्रयास रहा, जिसने संस्कृति, नवाचार और कूटनीति में भारत की वैश्विक छवि को आगे बढ़ाया।

 

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ)

 

  • कृषि समिति (सीओए) कृषि समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी करती है और सदस्यों को कृषि नीतियों से संबंधित प्रश्न उठाने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इसकी प्रमुख जिम्मेदारी डब्ल्यूटीओ सदस्यों की ओर से अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुपालन की निगरानी करना है। सीओए की बैठकें आमतौर पर वर्ष में चार बार होती हैं। वर्ष 2025 में, जेनेवा में सीओए की 4 बैठकें हुईं, जिनमें भारत ने विकसित देशों और कैर्न्स समूह के सदस्यों, जिनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, पैराग्वे, उरुग्वे, थाईलैंड, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, जापान और स्विट्जरलैंड शामिल हैं, की कृषि नीतियों पर कुल 143 प्रश्न उठाए थे।
  • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) वार्ता से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने और जेनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ में वर्तमान स्थिति का पूरा अवलोकन प्राप्त करने के उद्देश्य से, डब्ल्यूटीओ में भारत के स्थायी मिशन (पीएमआई) की एक बैठक 25 से 29 अगस्त, 2025 तक वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में आयोजित की गई। इस बैठक के दौरान, जेनेवा स्थित पीएमआई के अधिकारियों ने आगामी एमसी14 के लिए वार्ता के कई क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति और हुई प्रगति पर प्रस्तुतियां दीं। टीएनएम विंग, डीजीएफटी के अधिकारियों के साथ-साथ हितधारक मंत्रालयों/ विभागों जैसे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग; खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (भारतीय खाद्य निगम सहित); विदेश मंत्रालय, पूर्व सचिव/ राजदूत, विशेषज्ञ, उद्योग संघ/ निर्यात संवर्धन परिषद और सीडब्ल्यूटीओएस और सीटीआईएल के प्रमुखों ने संबंधित सत्रों में भाग लिया।
  • भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में निम्नलिखित अधिसूचनाएं प्रस्तुत की हैं:
  • घरेलू सहयोग (डीएस:1) अधिसूचना मार्केटिंग वर्ष 2023/ 2024 के लिए 25 अप्रैल 2025 को घरेलू सहयोग  (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 33)
  • निर्यात प्रतिबंध (ईआर:1) अधिसूचना 10 जून 2025 को गेहूं (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 34), चीनी (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 35) प्याज (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 36), गैर-बासमती चावल (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 37) और टूटे चावल (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 38) के लिए (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 37)
  • बाजार पहुंच (एमए:2) अधिसूचना 18 नवंबर 2025 को बाजार पहुंच प्रतिबद्धताओं के संबंध में (जी/ एजी/ एन/ आईएनडी/ 39)
  • डब्ल्यूटीओ सुधार पर विशेषज्ञों के एक समूह का गठन 16 अक्टूबर, 2025 को विभाग ने किया था, जिसमें पूर्व राजदूत और व्यापार विशेषज्ञ शामिल थे। इस समूह की पहली बैठक 7 नवंबर, 2025 को वाणिज्य सचिव की अध्यक्षता में हुई। चर्चा में भारत के लिए अपने सुधार संबंधी दृष्टिकोण को और अधिक स्पष्ट करने, सीमा रेखा निर्धारित करने और एक सुसंगत रणनीति तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया गया, क्योंकि डब्ल्यूटीओ सुधार को एमसी-14 के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता के तौर पर शुरू किया जा रहा है, जो शासन, निष्पक्षता और भविष्य के मुद्दों के तीन स्तंभों पर आधारित है।

 

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पीके/केसी/एमएम


(रिलीज़ आईडी: 2202042) आगंतुक पटल : 54
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