विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
उद्योग जगत की अग्रणी हस्तियों ने आईआईएसएफ 2025 में एआई-संचालित विकसित भारत के प्रधानमंत्री के विजन की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकसित भारत@2047 का विजन एआई और एजीआई संवाद के माध्यम से आईआईएसएफ 2025 में मजबूती से प्रतिध्वनित हुआ
आईआईएसएफ 2025 में एआई और एजीआई से संबंधित पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने मानव-मशीन सहयोग के भविष्य को परिभाषित किया
प्रविष्टि तिथि:
08 DEC 2025 5:10PM by PIB Delhi
बीते 6 दिसंबर से शुरू हुआ भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2025 इस वर्ष के विज्ञान के सबसे प्रभावशाली आयोजनों में से एक बनकर उभरा है। इस महोत्सव ने युवा प्रतिभाओं को प्रेरित किया है और विकसित भारत@2047 के देश के लक्ष्य को मजबूत किया है। इस आयोजन के तीसरे दिन, “एआई और एजीआई: बुद्धिमत्ता का भविष्य” शीर्षक एक उच्चस्तरीय पैनल चर्चा में शिक्षा जगत, उद्योग जगत और अनुसंधान जगत की अग्रणी हस्तियां एक साथ आईं और इस बात पर चर्चा की कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता से कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता तक का विकास विज्ञान, नवाचार और मानवता के भविष्य को कैसे आकार देगा।
इस सत्र के प्रमुख वक्ताओं में आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा; इंटेल के डेटा सेंटर कस्टमर इंजीनियरिंग के निदेशक गोपाल कृष्ण भट्ट; एनवीडिया के एचपीसी एवं एआई के रणनीतिक व्यवसाय के प्रमुख विवेक कुमार राय; और सर्वम एआई के सह-संस्थापक प्रत्यूष कुमार शामिल थे।
एआई मिशन प्रधानमंत्री के विकसित भारत के विजन के अनुरूप
स्कूली विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा ने कहा कि भारत युवा प्रतिभाओं और देश के डेटा के समृद्ध इकोसिस्टम के बल पर 2035 तक वैश्विक स्तर पर एआई के क्षेत्र में अग्रणी बनने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित इंडियाएआई मिशन को एक करोड़ युवाओं को एआई में प्रशिक्षित करने, राष्ट्रीय कंप्यूटिंग अवसंरचना का निर्माण करने, स्वदेशी एआई मॉडल विकसित करने और ज़िम्मेदार एवं नैतिक एआई को बढ़ावा देने की दृष्टि से डिजाइन किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत के तीन राष्ट्रीय क्षेत्रवार एआई उत्कृष्टता केन्द्रों में से एक - जो कृषि पर केन्द्रित है - आईआईटी रोपड़ में स्थित है। यह उत्कृष्टता केन्द्र डिजिटल स्वास्थ्य, स्मार्ट सिटी और एग्रीटेक जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में एआई समाधानों को तैनात करने की शिक्षा मंत्रालय की पहल का हिस्सा है।
प्रोफेसर आहूजा ने कहा कि जनशक्ति, डेटा और वैज्ञानिक जिज्ञासा के मामले में भारत की ताकत देश को सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग का वैश्विक केन्द्र बनने की स्थिति में लाती है - जो तकनीकी आत्मनिर्भरता और विकसित भारत के प्रधानमंत्री के विजन का एक आवश्यक स्तंभ है।
उद्योग जगत की अग्रणी हस्तियों ने डीप-टेक के क्षेत्र में भारत की उभरती ताकत को रेखांकित किया
इंटेल के डेटा सेंटर कस्टमर इंजीनियरिंग के निदेशक गोपाल कृष्ण भट्ट ने बताया कि भारत सर्वर डिजाइन, चिप के विकास और उच्च-प्रदर्शन करने वाले कंप्यूटिंग हार्डवेयर के क्षेत्र में किस प्रकार तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने 'रुद्र' सर्वर प्लेटफ़ॉर्म पर सीडैक के साथ इंटेल की साझेदारी जैसे वर्तमान में जारी उन सहयोगों का हवाला दिया, जो इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे भारत चिप के आयात पर निर्भरता से हटकर स्वदेशी सिस्टम डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत स्थित दर्जनों सर्वर और डेटा-सेंटर हार्डवेयर डिज़ाइन वर्तमान में प्रगति पर हैं, जो सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर और डिजिटल अवसंरचना को बढ़ावा देने से उत्पन्न गति को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए विद्यार्थियों को जिज्ञासु बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया कि जिज्ञासा ही नवाचार का आधार है।
एनवीडिया ने विज्ञान एवं समाज में एआई अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया
एनवीडिया के एचपीसी एवं एआई प्रमुख विवेक कुमार राय ने बताया कि किस प्रकार एआई दवाओं के विकास, जलवायु मॉडलिंग, सामग्री विज्ञान और ऑटोमोटिव डिजाइन सहित वैज्ञानिक खोज को बदल रहा है।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार जीपीयू-आधारित कंप्यूटिंग विभिन्न राष्ट्रीय मिशनों - मौसम की भविष्यवाणी से लेकर सुपरकंप्यूटिंग से संबंधित अवसंरचना तक - को गति दे रही है, जहां एनवीडिया भारतीय अनुसंधान संस्थानों और मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि एआई भाषाई बंधनों को तोड़ रहा है और भारत की विविध आबादी की सहायता कर रहा है – जोकि एक लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में प्रत्येक नागरिक को लाभ पहुंचाने वाली प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है।
डिजिटल समावेशन के केन्द्र में भारतीय भाषाई एआई
सर्वम एआई के सह-संस्थापक श्री प्रत्यूष कुमार ने इंडियाएआई मिशन के तहत निर्मित बहुभाषी एआई प्रणालियों का प्रदर्शन किया, जिसमें भारतीय भाषाओं के लिए भारत का पहला संप्रभु आधारभूत वृहद भाषा मॉडल (एलएलएम) भी शामिल है – जोकि इस वर्ष की शुरुआत में सरकार द्वारा चयनित एक पहल है।
उन्होंने इस सत्र की थीम “विज्ञान से समृद्धि” को वैज्ञानिक जांच, निर्णय लेने की प्रक्रिया और सार्वजनिक नीति - जिसमें कृषि, अर्थशास्त्र और जलवायु समाधान से संबंधित अनुप्रयोग शामिल हैं - को आगे बढ़ाने में एआई की भूमिका से जोड़ा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई हर पेशे का अभिन्न अंग बन जाएगा और समान समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु भारत-केन्द्रित डेटा, मॉडल और भाषाई प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर बल दिया - जो समावेशी विकास एवं प्रौद्योगिकी-संचालित विकास पर प्रधानमंत्री के फोकस को दर्शाता है।
पैनल चर्चा: एआई और एजीआई - अगला मोर्चा
मुख्य भाषणों के बाद जेवियर कुरियन (नेयसा), गणेश गोपालन (जीएनएएनआई.एआई) और डॉ. मनीष मोदानी (एनवीडिया) के एक आकर्षक पैनल ने चर्चा की। जेवियर कुरियन ने कहा कि भारत में उद्यम एआई को अपनाना अब एक प्रयोग नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, क्योंकि बीएफएसआई, मैन्यूफैक्चरिंग, स्वास्थ्य सेवा और नागरिक सेवाएं एआई-संचालित समाधानों का तेजी से विस्तार कर रही हैं। उन्होंने नवाचार-संचालित सोच के महत्व पर जोर दिया और इंडियाएआई मिशन के माध्यम से सरकार के सक्रिय सहयोग की सराहना की।
गणेश गोपालन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की स्पष्ट दिशा को रेखांकित किया और विकसित भारत के निर्माण हेतु एआई को एक राष्ट्रीय विभेदक कारक के रूप में मान्यता दी। उन्होंने बताया कि कैसे इंडियाएआई मिशन के तहत संप्रभु डेटासेट, आधारभूत मॉडल और नवाचार इकोसिस्टम, जीएनएएनआई.एआई जैसी कंपनियों को विशिष्ट भारतीय मॉडल बनाने में सक्षम बना रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर विस्तार कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी विभाग अभूतपूर्व पैमाने पर एआई को अपना रहे हैं, बहुभाषी वॉयस ऑटोमेशन प्रतिदिन अरबों टोकन को संभाल रहा है - जिससे भारत एआई के उपयोग में कई विकसित देशों से आगे है।
डॉ. मनीष मोदानी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत का तेजी से विस्तारित हो रही एचपीसी और जीपीयू-समर्थित अवसंरचना जलवायु मॉडलिंग से लेकर भाषा प्रौद्योगिकियों तक के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान उत्पादन को कई गुना बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि भारत का डेटा पैमाना, भाषाई विविधता और वैज्ञानिक प्रतिभा देश को एआई से लेकर एजीआई तक के क्षेत्र में वैश्विक बदलाव का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट रूप से सक्षम बनाती है।
सभी चर्चाओं में, वक्ताओं ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि भारत की जनसांख्यिकीय ताकत माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार के मजबूत नीतिगत समर्थन के साथ मिलकर राष्ट्र को एआई और एजीआई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर एक निर्णायक मार्ग पर अग्रसर कर रही है।
विद्यार्थियों को एआई उपकरणों को अपनाने, डीप-टेक से जुड़े क्षेत्रों में आगे बढ़ने और 2047 तक ज्ञान-संचालित एवं नवाचार-आधारित विकसित भारत बनने के देश के सपने में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
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पीके/केसी / आर / डीए
(रिलीज़ आईडी: 2200592)
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