संतोष दावखर को 'गोंधळ' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का 'रजत मयूर' पुरस्कार दिया गया
निर्णायक मंडल ने परंपरा, रूप और सटीक कथात्मक के लिए फिल्म को सराहा
एक सिनेमाई कृति जिसे वास्तविक दुनिया में शेक्सपियर की कथा के रूप में प्रस्तुत किया गया
संतोष दावखर को उनकी मराठी फिल्म 'गोंधळ' के लिए 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (इफ्फी) में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का रजत मयूर पुरस्कार प्रदान किया गया। इस पुरस्कार में रजत मयूर ट्रॉफी, योग्यता प्रमाण पत्र, और 15,00,000 रूपए नकद दिए जाते हैं। यह पुरस्कार निर्देशन में उस उत्कृष्ट कला का सम्मान करता है जो कहानी को अनुभव में और सांस्कृतिक स्मृति को चलचित्र में बदल देती है। यह पुरस्कार गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत और सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री संजय जाजू, इफ्फी जूरी अध्यक्ष श्री राकेश ओमप्रकाश मेहरा और महोत्सव के निदेशक श्री शेखर कपूर भी उपस्थित थे।

निर्णायक मंडल ने कहा "निर्देशक ने समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की पृष्ठभूमि पर स्थापित एक सिनेमाई रत्न का सृजन किया है। यह एक मनमोहक कथा है जो हमें बांधे रखती है और हमारी कल्पना से भी परे जाकर हमें आश्चर्यचकित कर देती है। 'गोंधळ' वास्तविक दुनिया में शेक्सपियर की कथा जैसी है।"
यह पुरस्कार 'गोंधळ' को 56वें इफ्फी के परिभाषित कलात्मक कृतियों में से एक के रूप में स्थापित करता है। यह फिल्म संतोष दावखर को एक ऐसे फिल्म निर्माता के रूप में प्रस्तुत करता है जो परम्परा और कल्पना दोनों का बखूबी इस्तेमाल करता है—एक ऐसा सिनेमा जो स्मृति से जन्मा है, शिल्प से निखरा है और कल्पना की उड़ान भर कर आगे बढ़ता है।

यह फिल्म ग्रामीण महाराष्ट्र में आनुष्ठानिक गोंधळ नृत्य संगीत के आधी रात के समारोह की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह फ़िल्म सुमन की ज़िंदगी को दिखाती है, जो अमीर व्यक्ति आनंद के साथ एक चकाचौंध वाली शादी में बंधी हुई है। साहिबा, जो एक करिश्माई गोंधळी कलाकार है, उसके लिए अपने वर्जित प्रेम से प्रेरित होकर वह एक खतरनाक योजना बनाती है। जैसे-जैसे यह अनुष्ठान अपनी चरम सीमा पर पहुँचता है, वह बड़ी चतुराई से आनंद के चचेरे भाई, सरजेराव को ऐसा ऐसा काम करने के लिए फँसा लेती है जिसे वह स्वयं नहीं कर सकती। तेज़ ढोल और पुरखों के आह्नान के बीच, सुमन आज़ाद होने की कोशिश करती है, उसकी किस्मत साहेबा की किस्मत से जुड़ जाती है। इस जोश भरी रात में, भक्ति और धूर्तता दोनों मिल जाते हैं और मुक्ति और बंधन धुंधले हो जाते हैं, जिससे पूरे शहर में आग, खून और खौफ़ का माहौल फ़ैल जाता है।
इफ्फी के बारे में
1952 में शुरू हुआ, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया (इफ्फी) दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फिल्म समारोह है। इसे राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम, सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार और एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ़ गोवा, गोवा सरकार द्वारा सयुंक्त रूप से आयोजित किया जाता है। यह समारोह सिनेमा के शक्तिशाली मंच के तौर पर उभरा है जिसमें साहसिक प्रयोग मिलते हैं और प्रसिद्ध फिल्मकार शामिल होते हैं। इफ्फी को वास्तव में आकर्षक बनाने वाली चीज़ है इसका रोमांचक मिश्रण जिसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाएँ, सांस्कृतिक प्रदर्शन, मास्टरक्लासेस, श्रद्धांजलियां और ऊर्जा से भरपूर ‘वेव्स’ का फिल्म बाज़ार शामिल हैं और विचारों और सहयोगों को उड़ान मिलती है। गोवा के लुभावने तटों में 20 से 28 नवंबर तक आयोजित होने वाला 56वाँ संस्करण भाषाओं, शैलियों, नवोन्मेष और आवाज़ों का एक शानदार समारोह है। यह विश्व मंच पर भारत की रचनात्मक प्रतिभा का एक गहन उत्सव है।
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