सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) का सिल्वर पीकॉक पुरस्कार 'लिटिल ट्रबल गर्ल्स' के लिए जारा सोफिया ओस्तान को दिया गया
निर्णायक मंडल ने अभिव्यक्ति और भावनात्मक सत्य पर आधारित एक असाधारण अभिनय की सराहना की
सूक्ष्मता, हावभाव और जागृति के ज़रिए चित्रित की गई एक यात्रा
56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान जारा सोफिया ओस्तान को स्लोवेनियाई फिल्म "लिटिल ट्रबल गर्ल्स" में उनके अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) का सिल्वर पीकॉक पुरस्कार दिया गया। इस सम्मान में सिल्वर पीकॉक ट्रॉफी, योग्यता प्रमाणपत्र और 10,00,000 रुपए का नकद पुरस्कार शामिल है। यह पुरस्कार गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत और सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री संजय जाजू, इफ्फी के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष श्री राकेश ओमप्रकाश मेहरा और महोत्सव निदेशक श्री शेखर कपूर की मौजूदगी में प्रदान किया। निर्णायक मंडल ने कहा कि ओस्तान के अभिनय ने छोटी से छोटी, सबसे नाजुक हावभावों के ज़रिए भावनाओं को एक ऐसे चेहरे से व्यक्त किया, जिसे "एक किताब की तरह पढ़ा जा सकता था।"

'लिटिल ट्रबल गर्ल्स' के निर्माता मिहेक चेर्नेक, जारा सोफिया ओस्तान की ओर से पुरस्कार ग्रहण करते हुए
निर्णायक मंडल ने कहा: "उनके अद्भुत सूक्ष्म और गहन भावपूर्ण अभिनय के लिए, हमें लगा कि हम उनके चेहरे को किसी किताब की तरह पढ़ सकते हैं। फिल्ममें बहुत कुछ सरल, सबसे सच्चे, सूक्ष्मतम हाव भावों के ज़रिए कह दिया गया, जो कई उन बातों को भी कह देता है, जिन्हें शब्दों में नहीं कहा जाता। कई मायनों में, हम ही मुख्य पात्र बन जाते हैं, उसकी भावनाओं, विचारों और संवेदनाओं का अनुभव करते हैं, उसके भीतर से जागृति का अनुभव करते हैं। यह हमें एक छोटी सी यात्रा पर ले जाती है, जो आगे जाकर विशाल हो जाती है- एक युवा लड़की, जो इच्छा, साहस और आखिरकरा खुद को खोज लेती है। इस असाधारण सटीकता और भावनात्मक सत्य के लिए, हम जारा सोफिया ओस्तान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्रदान करते हैं।"
इस सम्मान के साथ, लिटिल ट्रबल गर्ल्स 56वें इफ्फी में सम्मानित सबसे खामोश और प्रभावशाली प्रस्तुतियों में से एक बन गई है, जिसकी भूमिका महज़ उसकी लंबाई से नहीं, बल्कि गहराई, स्थिरता और आंतरिक गतिशीलता से परिभाषित होती है।

लिटिल ट्रबल गर्ल्स का सारांश
स्लोवेनिया के एक कैथोलिक स्कूल की 16 वर्षीय शांत छात्रा लुसिया, अपनी माँ की इच्छा पूरी करने के लिए अपने स्कूल की लड़कियों की कॉयर ग्रुप में शामिल होती है। वह जल्द ही एक जीवंत और आत्मविश्वासी सीनियर छात्रा एना-मारिजा के साथ घुल-मिल जाती है और एक घनिष्ठ मित्रता बनाती है, जो लुसिया को नई भावनाओं और अनुभवों से परिचित कराती है। एक दूरस्थ कॉन्वेंट में वसंत ऋतु में एकांतवास के दौरान, लुसिया एक युवा रिस्टोरेशन कार्यकर्ता में रुचि लेने लगती है, जिससे एना-मारिजा के साथ उसका मनमुटाव हो जाता है और कॉयर ग्रुप की समीकरणें बिगड़ने लगती हैं। इस कठोर धार्मिक वातावरण में अपनी लैंगिकता की खोज करते हुए, लुसिया शर्म, भ्रम और अपराधबोध से जूझती है, जिससे उसके मन में अपनी मान्यताओं और अपने साथियों के बीच अपनी जगह को लेकर सवाल उठने लगते हैं।
इफ्फी के बारे में
1952 में शुरू हुआ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) दक्षिण एशिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े सिनेमा उत्सव के रूप में आज भी प्रतिष्ठित स्थान रखता है। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार और गोवा मनोरंजन सोसायटी (ईएसजी), गोवा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, यह महोत्सव एक वैश्विक सिनेमाई शक्ति के रूप में विकसित हुआ है, जहाँ पुनर्स्थापित क्लासिक फ़िल्मों का साहसिक प्रयोगों के साथ मिलना होता है, और दिग्गज कलाकार, पहली बार आने वाले हुनरमंद कलाकारों के साथ मंच साझा करते हैं। इफ्फी को वास्तव में शानदार बनाने वाला इसका शानदार सिनेमा की विधाओं का सम्मिश्रण है- अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ, सांस्कृतिक प्रदर्शनियाँ, मास्टरक्लास, श्रद्धांजलि और ऊर्जावान वेव्स फिल्म बाज़ार, जहाँ विचार, सौदे और सहयोग उड़ान भरते हैं। 20 से 28 नवंबर तक गोवा की शानदार झिलमिलाते तटीय इलाके में आयोजित, 56वाँ संस्करण भाषाओं, शैलियों, नवाचारों और आवाज़ों की एक चकाचौंध भरी श्रृंखला का वादा करता है, जहां विश्व मंच पर भारत की रचनात्मक प्रतिभा का एक गहन उत्सव देखने को मिलता है।
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