आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

विश्व शौचालय दिवस 2025


स्वच्छता: गरिमा और ग्रह के लिए सामूहिक जिम्मेदारी

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जिम्मेदार शौचालय उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'शौचालय पास है' और 'मैं साफ ही अच्छा हूं' अभियान शुरू किया

सुलभ इंटरनेशनल और विश्व शौचालय संगठन ने एमओएचयूए और डीडीडब्ल्यूएस के सहयोग से तीन दिवसीय विश्व शौचालय शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य स्थायी स्वच्छता एवं चक्रीय अर्थव्यवस्था प्रथाओं में तेजी लाना है

प्रविष्टि तिथि: 19 NOV 2025 5:41PM by PIB Delhi

विश्व शौचालय दिवस 2025 का विषय स्वच्छता: गरिमा और ग्रह के लिए सामूहिक जिम्मेदारी” है जो भारत के समग्र दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है, जिसमें स्वच्छता, गरिमा एवं पर्यावरण संरक्षण एकीकृत है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत ने इन आवश्यक सेवाओं तक सार्वभौमिक एवं सतत पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर, सुलभ इंटरनेशनल और विश्व शौचालय संगठन ने वैश्विक हितधारकों के साथ सतत स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए तीन दिवसीय विश्व शौचालय शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया है, जिसमें केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल उपस्थित हुए। इस शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका के उप मंत्री (जल एवं स्वच्छता) डेविड महलोबो, श्रीलंका और भूटान के राजदूत तथा 25 देशों के प्रतिनिधि और एचयूएल, बीएमजीएफ, विश्व बैंक जैसे प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 2014 में माननीय प्रधानमंत्री के स्वच्छता आह्वान के अनुरूप, भारत पांच वर्षों के अंदर 2019 में खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया जो कि एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। हर घर में शौचालयों का निर्माण होने से न केवल स्वच्छता एवं सुरक्षा सुनिश्चित हुई है बल्कि महिलाओं और छात्राओं की गरिमा, शिक्षा एवं समाज में उनकी ज्यादा भागीदारी भी सुनिश्चित हुई है।

तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण एवं बढ़ते प्रवासन के कारण शहरों में स्वच्छता संबंधी चुनौतियां और भी गंभीर होती जा रही हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले शौचालयों की मांग बढ़ रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक वाश प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगा है जिससे जलवायु-अनुकूल एवं चिरस्थायी स्वच्छता समाधान बहुत आवश्यक हो गया है। संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-6) स्वच्छ जल एवं स्वच्छता को एक मौलिक मानव अधिकार मानता है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) 2.0 के शुभारंभ के साथ, भारत शहरी स्वच्छता के एक नए चरण में पहुंच चुका है जिसमें खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ)++ और सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षित स्वच्छता की यात्रा शामिल हैं। जैसे-जैसे शहरों की आबादी बढ़ रही है वैसे-वैसे सार्वजनिक शौचालयों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। ठोस एवं तरल दोनों प्रकार के कचरे का डिज़ाइन एवं सतत प्रबंधन को मज़बूत करना आवश्यक हो गया है। ओडीएफ और ओडीएफ+ की उपलब्धियों के बाद, सभी शहरों को ओडीएफ++ का दर्जा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिसमें सुरक्षित स्वच्छता एवं व्यापक मल कीचड़ प्रबंधन अनिवार्य है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं यूनिसेफ की संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (जेएमपी) 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 5.5 करोड़ शहरी निवासियों को पिछले दो वर्षों में सुरक्षित रूप से प्रबंधित, बेहतर स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त हुई है। यह जनसंख्या लगभग फ्रांस या इटली की जनसंख्या के बराबर है। इन उन्नत स्वच्छता सेवाओं ने नवजात और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत की विविध एवं चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, स्वच्छता एवं शौचालय सुविधाओं को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया गया है। इस संदर्भ में, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने अमृत और नमामि गंगे जैसी मिशनों के साथ घनिष्ठ समन्वय में स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाया है। इसमें तटीय एवं नदी क्षेत्रों के साथ सीवेज उपचार सुविधाओं की स्थापना जैसी कई पहलों को लागू करना शामिल है।

शहरी स्वच्छता को बेहतर बनाने के लिए, कई स्टार्टअप्स को शहरों में अभिनव समाधान प्रस्तुत करने के लिए शामिल किया गया है। ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए, प्रौद्योगिकी एवं वास्तुशिल्प डिज़ाइन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, 'स्वच्छता स्टार्टअप चैलेंज' के साथ-साथ एक समर्पित 'टॉयलेट डिज़ाइन चैलेंज' भी शुरू किया गया है।

संस्थागत क्षमता को मज़बूत करना भी एक प्रमुख प्राथमिकता है और 2024 में, स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम-यू) 2.0 के अंतर्गत, महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया गया। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सामुदायिक शौचालयों के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल विकसित करने के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। मंत्रालय ने उच्च आवाजाही वाले क्षेत्रों में शौचालयों के निर्माण एवं कुशल रखरखाव में सहायता के लिए सुलभ इंटरनेशनल के साथ भी भागीदारी की।

एसबीएम-यू 2.0 अब सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को बढ़ती स्वच्छता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्यटन स्थलों, ज्यादा भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों एवं धार्मिक स्थलों पर सार्वजनिक शौचालय अवसंरचना का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। यह भी सिफारिश की गई है कि इन सुविधाओं को आकांक्षी शौचालय के रूप में वर्गीकृत किया जाए। इस मिशन का उद्देश्य सार्वजनिक शौचालय सेवाओं के उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाना है और इसके लिए नवीन मॉडलों एवं समाधानों का उपयोग किया जाएगा जिससे उनकी दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। अब तक, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत 29,000 महत्वाकांक्षी शौचालय सीटों को मंज़ूरी प्रदान की जा चुकी है। ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए यहां क्लिक करें.

आकांक्षी शौचालय: आधुनिक, समावेशी एवं पर्यावरण के दृष्टिकोण से चिरस्थायी

आकांक्षी शौचालयों में निम्नलिखित शामिल होंगे:

• स्मार्ट सुविधाएं तथा उपयोगकर्ता के अनुकूल डिज़ाइन,

• सुलभ एवं समावेशी अवसंरचना,

लैंगिक रूप से तटस्थ एवं बच्चों के अनुकूल सुविधाएं,

• पर्यावरण के दृष्टिकोण से दीर्घकालिक प्रौद्योगिकियां।

आज पूरे देश में महत्वाकांक्षी शौचालयों का उद्घाटन किया गया। इंदौर नगर निगम ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त दिलीप कुमार यादव के नेतृत्व में नेहरू पार्क में एक नवनिर्मित सार्वजनिक शौचालय का उद्घाटन किया। लखनऊ की महापौर श्रीमती सुषमा खरकवाल ने चौक स्टेडियम के पास नवनिर्मित सार्वजनिक शौचालय का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में पार्षदों, अधिकारियों और नागरिकों की उपस्थिति देखी गयी। 

विश्व शौचालय शिखर सम्मेलन 2025 में, केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने स्वच्छता एवं स्थिरता पर वैश्विक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "भारत एवं विश्व में बेहतर और स्वच्छ शौचालय व्यवस्थाएं लागू की जा रही हैं। हमारे देश में भी लोगों की मानसिकताएं बदल रही हैं और बदलनी ही चाहिए। आखिरकार, स्वच्छता का आकलन साफ़-सुथरे घर या शयनकक्ष से नहीं  बल्कि शौचालय की स्थिति से होता है।" उन्होंने अपशिष्ट जल के उपचार, पुन: उपयोग, स्वच्छ शौचालयों और व्यवहार में तीव्र बदलाव की आवश्यकता पर बव दिया। उन्होंने बच्चों में स्वच्छता की आदतों को जल्दी विकसित करने एवं स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत अपशिष्ट से धन और चक्रीयता के महत्व पर भी बल दिया।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री सी.आर. पाटिल ने महिलाओं के जीवन में शौचालयों के परिवर्तनकारी प्रभाव की बात की और कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण ने उनकी गरिमा, सुरक्षा, गौरव एवं सम्मान को मज़बूत किया है। उन्होंने आगे कहा, "सुरक्षित स्वच्छता और सुरक्षित जल आवश्यक है और यह सब शौचालय तक पहुंच से शुरू होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण हो चुका है। स्वच्छ एवं सुरक्षित शौचालयों तक पहुँच के कारण, दस्त से होने वाली वार्षिक मौतों को रोका गया है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 3 लाख बच्चों की जान बच रही है।"

विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने 'शौचालय पास है' और 'मैं साफ़ ही अच्छा हूं' अभियान शुरू किया है, जो ज़िम्मेदारी से शौचालय के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक वर्ष तक चलने वाला अभियान है। इसका उद्देश्य समुदायों में ज़िम्मेदारी से शौचालय के उपयोग एवं स्वच्छता की आदतों को बढ़ावा देना है। शहरी स्वच्छता प्रयासों को मजबूत करने के लिए कई प्रकार के परामर्श एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं, जिनमें विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल, सीटी एवं पीटी गाइड: सार्वजनिक शौचालयों के डिजाइन के लिए सामान्य रूप से होने वाली कमियां एवं समाधान, एचयूएल-सुविधा केंद्रों के लिए शहरों का उद्देश्य, ‘स्वच्छ आदतें बच्चों में प्रारंभिक स्तर पर अच्छी स्वच्छता की आदतें विकसित करने के लिए व्यवहार परिवर्तन संचार को शामिल करना, 21 दिनों का स्वच्छ आदत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आदि शामिल हैं।

विश्व शौचालय दिवस शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सरकार, उद्योग जगत, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, शिक्षाविदों, नवप्रवर्तकों एवं उद्यमियों की भागीदारी देखी गई, जो एक स्थायी स्वच्छता भविष्य के लिए रोडमैप तैयार करने में सहायक होंगे। अगले दो दिनों में चक्रीय अर्थव्यवस्था एवं जलवायु-सकारात्मक स्वच्छता, वित्तपोषण मॉडल एवं नवीन साझेदारियां, समावेशी डिजाइन, निर्माण और संचालन एवं रखरखाव, प्रौद्योगिकी समाधान एवं शहरी स्थानीय निकायों के लिए क्षमता निर्माण तथा सफाई मित्रों की सुरक्षा एवं सम्मान बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

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पीके/केसी/एके /डीए


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