मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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मत्स्य पालन विभाग 21 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में विश्व मत्स्य दिवस मनाएगा


भारत की जलजनित अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव, सतत मत्स्य आपूर्ति की नई पहल और समुद्र से प्राप्त होने वाले उच्च मूल्य खाद्य वस्तुओं का निर्यात दर्शाया जाएगा

Posted On: 19 NOV 2025 3:28PM by PIB Delhi

मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत संचालित मत्स्य पालन विभाग 21 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में विश्व मत्स्य दिवस 2025 मनाएगा। इस वर्ष का ध्येय वाक्य है "भारत की जलजनित अर्थव्यवस्था में बदलाव: समुद्री खाद्य वस्तुओं के निर्यात में मूल्यवर्धन"। यह देश के समुद्री और प्रवाहित जलीय स्रोतों के जलीय उत्पादों को उच्च मूल्य वैश्विक प्रतिस्पर्धी उत्पादों में समुन्नत करने के संकल्प को रेखांकित करता है। आयोजन के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएचएंडडी) और पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह आभासी तौर पर उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में, नई दिल्ली में मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और एमओएफएएचएंडडी और अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन शामिल होंगे। इस वृहद अयोजन में बड़ी संख्या में भारत और विदेशों से प्रतिनिधि भाग लेंगे।

इस दौरान, मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य और जलीय कृषि में ट्रेसिबिलिटी पर राष्ट्रीय रूपरेखा जारी करेगा। इसका उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने, खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने, संधारणीयता बढ़ाना और बाजार तक पहुंच बढ़ाने में सुधार के लिए मत्स्य प्राप्त करने और जलीय कृषि के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल ट्रेसिबिलिटी (उत्पाद का स्रोत, संसाधित स्थल और ब्रिक्री का स्थान) प्रणाली स्थापित करना है। इसके अतिरिक्त, संधारणीय मत्स्य प्राप्ति और जलीय कृषि के लिए कई प्रमुख पहल भी आरंभ की जाएंगी, जिनमें समुद्री कृषि (समुद्री जल में या खारे पानी में मछलियों, झींगों, शंखों और समुद्री शैवाल जैसे समुद्री जीवों की खेती करना) के लिए मानक संचालन प्रक्रिया, स्मार्ट और एकीकृत बंदरगाहों के लिए दिशानिर्देश, फिश लैंडिंग सेंटर (पकड़ी गई मछली उतारने और संभालने के केंद्र) संबंधी दिशानिर्देश, जलाशय मत्स्य प्रबंधन संबंधी दिशानिर्देश और तटीय जलीय कृषि दिशानिर्देश शामिल हैं। यह समग्र रूप में भारत में जलीय परिदृश्य में विकास का व्यापक खाका प्रदान करता है।

कार्यक्रम में दो तकनीकी सत्र भी आयोजित होंगे जिनमें नीति निर्माता, समुद्री खाद्य वस्तु निर्यातक, औद्योगिक उद्यमी, स्टार्ट-अप और अन्य हितधारक भाग लेंगे। पहला तकनीकी सत्र "मत्स्य पालन और प्राप्ति तथा मूल्य संवर्धन द्वारा जलीय कृषि के विकास को बढ़ावा देने" पर केंद्रित होगा, जिसमें मूल्यवर्धित समुद्री खाद्य उत्पादों के विविधीकरण और नवोन्मेष का पता लगाने, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मानकों और प्रमाणन प्रक्रिया में सुधार तथा अवसंरचनात्मक ढांचे सुदृढ़ करने पर चर्चा होगी। इसके उपरांत अन्य सत्र में विशेषज्ञ और वक्ता "नदी, झीलों, तालाबों और अन्य मीठे जल प्रवाह स्रोत की मत्स्य प्रजातियों पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की भारतीय अंतर्देशीय निर्यात क्षमता उपयोग" पर विमर्श करेंगे।

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पीके/केसी/एकेवी/एसके


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