वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
जनजातीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में बढ़ावा देगी सरकार: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
श्री पीयूष गोयल ने जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने एवं उनकी शिल्पकला को विश्वस्तर पर प्रदर्शित करने के लिए एकजुट प्रयासों का किया आह्वान
गोयल ने “वन धन से व्यापार धन,” में परिवर्तन लाने का किया आह्वान
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12 NOV 2025 7:25PM by PIB Delhi
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि निर्यात की क्षमता वाले सभी जनजातीय उत्पादों को वाणिज्य विभाग द्वारा विभिन्न माध्यमों से पूर्ण समर्थन दिया जाएगा, जिनमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, उत्पादों के प्रदर्शन और बिक्री के लिए अंतर्राष्ट्रीय गोदाम व साथ ही थोक और खुदरा व्यापार नेटवर्क शामिल हैं। श्री गोयल ने यह बात आज नई दिल्ली में जनजातीय व्यापार कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित करते हुए कही, जिसमें केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम भी उपस्थित थे।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा जनजातीय कार्य मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस कॉन्क्लेव ने बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे जनजातीय गौरव वर्ष के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित किया।
वाणिज्य मंत्री ने कॉन्क्लेव को सूचित किया कि वर्तमान में एक योजना विकसित की जा रही है, जिसका उद्देश्य निर्यात प्रोत्साहन प्रयासों को मज़बूत करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनजातीय उत्पादों को घरेलू और वैश्विक दोनों बाज़ारों में वह दृश्यता और बाज़ार तक पहुँच मिल सके जिसके वे वास्तव में हकदार हैं।
श्री गोयल ने कहा कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ार जनजातीय वस्तुओं और शिल्पों के लिए अपार अवसर प्रदान करते हैं, और सरकार आने वाले वर्षों में इस क्षमता का उपयोग करने के लिए आवश्यक उपाय कर रही है।
मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री का विश्वास है कि राष्ट्र तभी सही मायने में समृद्ध हो सकता है जब स्वदेशी लोग समृद्ध हों। उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि और विकास इस बात पर निर्भर करता है कि प्रगति हर घर तक पहुँचे, विशेषकर उन घरों तक जो जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित हैं। श्री गोयल ने दोहराया कि जनजातीय और स्वदेशी समुदायों का उत्थान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है, जो समावेशी और टिकाऊ विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
श्री गोयल ने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने जनजातीय समुदाय को दिशा और नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने कहा कि देश को बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और जनजातीय समुदाय के उत्थान, आजीविका को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर जनजातीय घर खुशी और समृद्धि से भरा हो, उनके नक्शेकदम पर चलना चाहिए। श्री गोयल ने बिरसा मुंडा के शब्दों – “हमारी धरती, हमारा राज” – को याद करते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय ने ऐतिहासिक रूप से भारी वंचना और कठिनाइयों का सामना किया है।
मंत्री ने असंख्य चुनौतियों के बावजूद अपने मूल्यों, हस्तशिल्प और पारंपरिक कौशल को संरक्षित रखने के लिए जनजातीय समुदाय की सराहना की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से जनजातीय समुदायों ने धैर्य और समर्पण के माध्यम से अपने इतिहास और विरासत को जीवित रखा है, वह वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने जनजातीय समुदाय की शक्ति और दृढ़ संकल्प के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया और कहा कि भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने में उनका योगदान अमूल्य है।
श्री गोयल ने उल्लेख किया कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय और वाणिज्य विभाग ने जनजातीय और स्वदेशी उत्पादों के व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, व्यापारिक निकायों और सरकारी संस्थानों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि देश के दूरदराज के कोनों से गुणवत्तापूर्ण जनजातीय उत्पाद पूरे भारत के बाज़ारों और उपभोक्ताओं तक पहुँचें।
मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने जनजातीय समुदायों के कल्याण में सुधार लाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं और पहलों को लागू किया है। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, राष्ट्र और जनजातीय समुदाय दोनों की एक गर्व के प्रतीक एवं सक्षम प्रतिनिधि के रूप में खड़ी हैं। उन्होंने बताया कि 3,900 वन धन केंद्र जनजातीय समुदाय के 12 लाख सदस्यों के उत्थान के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रहे हैं।
श्री गोयल ने सूचित किया कि इस वर्ष जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए बजट आवंटन में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। उन्होंने आगे कहा कि पीएम-जनमन योजना के तहत, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों से संबंधित लगभग 50 लाख परिवारों को लाभ मिला है, जिसमें उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए 24,000 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत का जनजातीय समुदाय अपनी जड़ों, संस्कृति और परंपराओं पर गहरा गर्व करता है। उन्होंने बताया कि अधिक से अधिक जनजातीय उत्पादों को पंजीकृत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके शिल्प और विरासत के माध्यम से भारत के इतिहास और परंपराओं को संरक्षित किया जाए, भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त करने का शुल्क 80 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है—यानी 5,000 रुपये से घटाकर 1,000 रुपये कर दिया गया है।
अपने संबोधन के समापन में श्री गोयल ने "वन धन से व्यापार धन" में परिवर्तन लाने का आह्वान किया, जिसमें उन्होंने यह परिकल्पना की कि जनजातीय और स्वदेशी उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुँचें, जिससे वास्तव में “लोकल गोज ग्लोबल” का सपना साकार हो सके। उन्होंने सभी हितधारकों से जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने और उनकी शिल्प कला को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के इस साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
फिक्की और प्रयोगी ने भी क्रमशः इंडस्ट्री पार्टनर और नॉलेज पार्टनर के रूप में कॉन्क्लेव का समर्थन किया। इस कार्यक्रम ने जनजातीय लचीलेपन और रचनात्मकता का जश्न मनाया, साथ ही विकसित भारत @2047 के लिए भारत के विकास एजेंडे के केंद्र में जनजातीय उद्यम को स्थापित किया।
इस कार्यक्रम में 250 से अधिक जनजातीय उद्यमों ने भाग लिया, जिसमें 150 प्रदर्शकों और 100 से अधिक जनजातीय स्टार्ट-अप्स ने “रूट्स टू राइज़” पिचिंग प्लेटफॉर्म पर अपने नवाचारों का प्रदर्शन किया। इस पहल ने उद्यमियों, निवेशकों, कॉर्पोरेट्स और सरकारी खरीदारों के बीच सीधा संपर्क स्थापित किया, जिससे सहयोग और विकास के लिए एक जीवंत इकोसिस्टम का निर्माण हुआ।
कॉन्क्लेव में छह उच्च-प्रभाव वाले पैनल चर्चाएँ और चार मास्टरक्लास शामिल थे, जिन्होंने सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग के 50 से अधिक प्रतिष्ठित व्यक्तियों को एक साथ जोड़ा। सत्रों का मुख्य केंद्र निवेश और साझेदारी, कौशल और सशक्तिकरण, स्थिरता और भौगोलिक पहचान, तथा ब्रांडिंग और बाज़ार नवाचार जैसे विषयों पर रहा।
बाज़ार तक पहुँच, कौशल विकास और गाँवों से लेकर वैश्विक बाज़ारों तक जनजातीय मूल्य श्रृंखलाओं को मज़बूत करने के उद्देश्य से नीतिगत सिफारिशों के लिए कार्रवाई योग्य मार्ग बनाने हेतु बॉयर-सेलर मीट भी आयोजित की गईं।
“जनजातीय भारत @2047: संस्कृति को बनाए रखना, वाणिज्य का विस्तार” विषय के तहत एक थीमैटिक पवेलियन और पारंपरिक प्रदर्शनों की विशेषता वाले सांस्कृतिक प्रदर्शन ने जनजातीय विरासत का जश्न मनाया।
कॉन्क्लेव में प्रमुख घोषणाएं
1. ग्राम्य युवा अर्थ नीति (ज्ञान) लैब का शुभारंभ: यह एक सार्वजनिक नीति इंटरैक्टिव लैब है जिसे आईआईटी बॉम्बे के आशंक देसाई स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी और प्रयोगी फाउंडेशन द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के समर्थन से विकसित किया गया है। ज्ञान लैब जनजातीय और ग्रामीण उद्यमों के लिए नए मॉडल डिज़ाइन और परीक्षण करने हेतु ज़मीनी अनुभव, प्रौद्योगिकी और नीति को एक साथ लाएगा। रियल-टाइम पायलट, नीतिगत फ्रेमवर्क, डिजिटल नवाचार और क्षमता निर्माण के माध्यम से, यह समावेशी और टिकाऊ उद्यम विकास के लिए मापने योग्य समाधान तैयार करेगा। आगामी वर्ष में, यह लैब जनजातीय उद्यमिता सूचकांक और माइक्रो-इक्विटी आधारित इन्क्यूबेशन मॉडल जैसे पायलट शुरू करेगी, जो ज़मीनी सीख को नीतिगत कार्रवाई में बदलेगा। सरकार, शिक्षाविदों और उद्योग के बीच यह सहयोग उद्यम और नवाचार ग्राम्य युवा अर्थ नीति-ज्ञान की शुरूआत के माध्यम से भारत के जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
2. जनजातीय कार्य ग्रैंड चैलेंज: जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्टार्टअप इंडिया और डीपीआईआईटी के सहयोग से इसकी घोषणा की गई। यह पहल स्टार्टअप्स और उद्यमों को जनजातीय समुदायों के लिए उच्च-प्रभाव वाले समाधान डिज़ाइन करने हेतु आमंत्रित करती है, जिसमें उन्हें दृश्यता, मेंटरशिप और फंडिंग सहायता की पेशकश की जाएगी।
3. रूट्स टू राइज: पिचिंग सत्र के नतीजे
दो दौर की स्क्रीनिंग के बाद, 115 उद्यमों का चयन किया गया, जिनमें से 43 के पास डीपीआईआईटी पंजीकरण संख्या है। 10 इन्क्यूबेटरों ने चयनित उद्यमों को इन्क्यूबेशन सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की। 50 से अधिक वीसी और निवेशकों, जिनमें एआईएफ, वीसी और एंजेल निवेशक शामिल थे, की ओर से 57 उद्यमों को निवेश में रुचि मिली, जिन्होंने कुल ₹10 करोड़ से अधिक की प्रतिबद्धता के साथ भाग लिया।
आईएफसीआई वेंचर कैपिटल फंड्स लिमिटेड और अरोड़ा वेंचर पार्टनर्स जैसे संगठनों से 33 उद्यमों ने निवेश आकर्षित किया।
इन स्टार्टअप्स और उद्यमों ने लगभग 1,500 प्रत्यक्ष रोज़गार और 10,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित किए हैं, जो सामूहिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों में 20,000 से अधिक जनजातीय लोगों को सेवा प्रदान कर रहे हैं।
4. एक और उल्लेखनीय परिणाम सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर उच्च सहभागिता रही, जिसके परिणामस्वरूप 60 से अधिक पंजीकरण हुए और टीबीसी उत्पादों के लिए 50 से अधिक सकारात्मक पूछताछ दर्ज की गई।
5. जीआई प्रमाणपत्रों का वितरण: इस कार्यक्रम में भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणपत्रों का वितरण भी हुआ, जिसने पूरे भारत के जनजातीय कारीगरों की कला का सम्मान किया। केरल की कन्नादिप्पया (बाँस की चटाई), अरुणाचल प्रदेश का अपातानी वस्त्र, तमिलनाडु का मारथंडम शहद, सिक्किम का लेपचा तुंगबुक, असम का बोडो आरोनाई, गुजरात का अंबाजी सफेद संगमरमर, और उत्तराखंड का बेदू और बद्री गाय का घी जैसे शिल्पों और उत्पादों को उनकी विशिष्टता तथा सांस्कृतिक विरासत के लिए उचित मान्यता मिली। यह मान्यता जनजातीय उत्पादों के लिए बाज़ार तक पहुँच, ब्रांड मूल्य और राष्ट्रीय दृश्यता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कारीगरों को सशक्त बनाता है और भारत की समृद्ध स्वदेशी विरासत को संरक्षित करता है।
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पीके/केसी/एसके
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