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शहरी केंद्रों से ग्रामीण क्षेत्रों तक
शैक्षिक समानता को बढ़ावा देते केवीएस और एनवीएस
Posted On:
10 NOV 2025 2:12PM by PIB Delhi
- 1 अक्टूबर 2025 तक, देश भर में 1290 केंद्रीय विद्यालय (केवी) कार्यरत हैं।
- भारत सरकार ने 2026-2027 से नौ वर्षों की अवधि के लिए, करीब 5862.55 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ सिविल क्षेत्र के अंतर्गत 57 नए केंद्रीय विद्यालय (केवी) खोलने के लिए मंज़ूरी दी है।
- अक्टूबर 2025 तक कुल 662 नवोदय विद्यालय देश भर में संचालित हैं।
- 2024-25 के लिए, नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) स्कूलों को अनुदान सहायता के रूप में 5370.79 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- पीएम श्री योजना के अंतर्गत, 913 केवीएस और 620 एनवीएस स्कूलों को आदर्श संस्थानों के रूप में उन्नत किया गया है।
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प्रस्तावना
भारतीय शिक्षा प्रणाली देश के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाती है। यह लाखों छात्रों में ज्ञान, कौशल और मूल्यों को बढ़ावा देती है और सामाजिक तथा आर्थिक विकास की आधारशिला का काम करती है। इसी ढाँचे के अंतर्गत, केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) और जवाहर नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन स्वायत्त निकायों के रूप में कार्य करते हैं। दोनों ही देश भर में उच्च-गुणवत्तापूर्ण, समान शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।
केवीएस राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप राष्ट्रीय एकीकरण और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देते हुए, मुख्य रूप से केंद्र सरकार के स्थानांतरणीय कर्मचारियों, जिनमें रक्षा और अर्धसैनिक बल के कर्मचारी, राज्य सरकार के कर्मचारी और अन्य सार्वजनिक श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं, और इसके अलावा एकल बालिकाओं को[1] समान तथा तनाव-मुक्त शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित है।
इसके उलट, एनवीएस, योग्यता-आधारित चयन के ज़रिए प्रतिभाशाली ग्रामीण बच्चों को मुफ्त आवासीय शिक्षा प्रदान करता है, जिसका मकसद शहरी-ग्रामीण शैक्षिक अंतर को पाटना और समग्र विकास को बढ़ावा देना है, जो कि एनईपी 2020 के अनुरूप भी है। सामूहिक रूप से, ये संस्थान विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के 15 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं, और भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में समावेशी विकास और समानता में योगदान करते हैं।
ऐतिहासिक अवलोकन
केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्कूल, जिन्हें व्यापक रूप से केंद्रीय विद्यालय (केवी) कहा जाता है, अपनी स्थापना के बाद से ही सरकारी कर्मचारियों के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। दूसरी ओर, नवोदय विद्यालय समिति के अंतर्गत आने वाले स्कूल, जिन्हें व्यापक रूप से नवोदय विद्यालय (एनवी) कहा जाता है, निःशुल्क आवासीय शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण प्रतिभाओं को सशक्त बनाने का कार्य करते हैं। दोनों ही सीबीएसई का पालन करते हैं, जिससे समग्र शिक्षा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस)
नवंबर 1963 में स्थापित (2025 में अपनी स्थापना के 62 वर्ष पूरे होने पर), केवीएस की स्थापना 1962 में केंद्रीय विद्यालय संगठन (सीएसओ) से हुई थी। केवी स्कूलों का मकसद स्थानांतरणीय और गैर-स्थानांतरणीय सरकारी कर्मचारियों के बच्चों की शैक्षिक ज़रुरतों को पूरा करना है, और इसके लिए उन्हें बार-बार स्थानांतरण के बीच एक समान शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करना है।
हाल के वर्षों में, केवीएस एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के रूप में विकसित हुआ है, जिसका निरंतर विस्तार मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों द्वारा संचालित है, जिसमें वंचित क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।
सभी केंद्रीय विद्यालय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध हैं और बालवाटिका I, II और III तथा कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के पाठ्यक्रम का पालन करते हैं, जो राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 और नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुरूप है। पाठ्यक्रम में समग्र विकास पर ज़ोर दिया जाता है, जिसमें शैक्षणिक, पाठ्येतर गतिविधियों और कौशल-आधारित शिक्षा पर खास ध्यान दिया जाता है।
नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के तहत वर्ष 1986 में शुरू किए गए, जेएनवी ने सीबीएसई से संबद्ध आवासीय, सह-शिक्षा सुविधाओं के ज़रिए ग्रामीण प्रतिभाओं को पोषित करने के लिए 2 पायलट स्कूलों के साथ शुरुआत की। इसका मकसद ग्रामीण पृष्ठभूमि के प्रतिभाशाली बच्चों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बगैर मुफ्त, उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।
अक्टूबर 2025 तक, देश भर में वर्तमान में 662 नवोदय विद्यालय कार्यरत हैं।
सभी एनवीएस स्कूल कक्षा VI से XII तक सीबीएसई पाठ्यक्रम का पालन करते हैं, और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, बहुभाषावाद और सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए तीन भाषा सूत्र (क्षेत्रीय भाषा, हिंदी/अंग्रेजी, और छात्र प्रवास से जुड़ी एक तीसरी आधुनिक भारतीय भाषा) को लागू करते हैं।
शहरी बढ़त बनाम ग्रामीण सशक्तिकरण: केवीएस और एनवीएस की बुनियादी ढांचागत वास्तविकताएँ
केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति दोनों ही विज्ञान प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और खेल मैदानों जैसी सुविधाओं के लिए सीबीएसई मानदंडों का पालन करते हैं। उनके संबंधित बुनियादी ढाँचे उनकी परिचालन प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं, उदाहरण के लिए केवीएस उन्नत तकनीक एकीकरण के लिए शहरी पहुँच का लाभ उठाता है और जेएनवी आत्मनिर्भरता के लिए ग्रामीण व्यवस्थाओं को मज़बूत बनाता है।
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स्वरूप
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केवी (केंद्रीय विद्यालय)
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एनवी (नवोदय विद्यालय)
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स्कूलों की संख्या
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1290[2]
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689 स्वीकृत (प्रति ज़िला एक, पूर्णतः आवासीय)
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छात्र क्षमता
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13,71,306[3]
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3,10,517 (30.09.2025 तक)
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सुविधाओँ पर फोंकस:
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डिजिटल भाषा प्रयोगशालाएँ, ई-कक्षाएं[4]
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डिजिटल ब्रिजिंग के लिए स्मार्ट क्लासरूम; डिजिटल भाषा प्रयोगशाला
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भौगोलिक विस्तार
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शहरी/अर्ध-शहरी[5]
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ग्रामीण आंतरिक क्षेत्र (दूरस्थ ज़िलों का कवरेज)[6]
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वित्त पोषण आधार: रणनीतिक आवंटन के ज़रिए विकास की रफ्तार बनाए रखना


केंद्र सरकार से मिलने वाली बजटीय सहायता से केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्कूलों के संचालन की निरंतरता और विस्तार सुनिश्चित होता है।
नवोदय विद्यालय के लिए, आवासीय कार्यों और ग्रामीण निर्माण को प्राथमिकता देते हुए, वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान सहायता के रूप में 5370.79 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 1 अप्रैल 2024 तक प्रारंभिक शेष राशि 585.34 करोड़ रुपये को भी वर्ष 2024-25 के दौरान उपयोग करने की अनुमति दी गई है, साथ ही वर्ष के दौरान 44.70 करोड़ रुपये की आंतरिक प्राप्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं। इस प्रकार, वर्ष 2024-25 के दौरान नवोदय विद्यालय के पास उपलब्ध कुल राशि 6000.83 करोड़ रुपये थी।
2025 की उपलब्धियां: विस्तार और डिजिटल रुचि को बढ़ावा देना
2025 में, केवीएस और एनवीएस, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की नींव पर आधारित अपनी नीति-संचालित वृद्धि और तकनीकी समावेशन जारी रखे हुए हैं। ये विकास न केवल शारीरिक क्षमता में बढ़ोत्तरी करेंगे, बल्कि छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए नई शिक्षण पद्धतियाँ भी पेश करेंगे।
1 अक्टूबर 2025 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर में 57 नए सिविल क्षेत्र के केवी की स्थापना को मंजूरी दी, जिसका कुल परिव्यय 2026-27 से नौ वर्षों की अवधि में करीब 5,862.55 करोड़ रुपये है। कुल निधि में पूंजीगत व्यय (भूमि, भवन, उपकरण) के लिए आवंटित 2,585.52 करोड़ रुपये और परिचालन व्यय के लिए 3,277.03 करोड़ रुपये शामिल हैं।[7] यह पहल वंचित जिलों को लक्षित करती है, छात्रों के लिए पहुँच बढ़ाती है और बहुभाषावाद और कौशल एकीकरण जैसे एनईपी लक्ष्यों को मजबूत करती है। इसी पहल को और आगे बढ़ाते हुए, 913 केवी को पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) [8] योजना[9] के तहत अपग्रेड किया गया है।
नवोदय विद्यालयों के लिए, 6 दिसंबर, 2024 को सरकार ने 28 नए नवोदय विद्यालयों की स्थापना को मंज़ूरी दी। 2024-2025 से 2028-2029 तक, पाँच वर्षों में 2,359.82 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है। इसमें 1944.19 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय और 415.63 करोड़ रुपये का परिचालन व्यय शामिल है।[10] [11]
डिजिटल युग की शुरूआत: प्रौद्योगिकी के ज़रिए कक्षाओं का सशक्तिकरण
केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति, दोनों ने वर्ष 2025 में अत्याधुनिक डिजिटल पहल शुरू की हैं, जिसके तहत शिक्षा तक समान पहुंच के लिए पीएम श्री से सहयोग का लाभ भी उठाया जा रहा है। अक्टूबर 2025 में अपडेट किए गए केवीएस के व्यापक आईसीटी ढांचे के मुताबिक 90% स्कूलों को स्मार्ट कक्षाओं, एआई-संचालित अनुकूल शिक्षण उपकरणों और वर्चुअल लैब से सुसज्जित किया जाएगा, जिससे व्यक्तिगत एनईपी- के अनुसार सामग्री के लिए दीक्षा प्लेटफॉर्म के ज़रिए हाइब्रिड सत्र सक्षम होंगे।[12]

नवोदय विद्यालय स्मार्ट कक्षाओं के माध्यम से इस प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है। अब तक, सभी नवोदय विद्यालयों में प्रयोगशालाओं सहित कुल 9,417 स्मार्ट कक्षाएँ स्थापित की जा चुकी हैं। 311 नवोदय विद्यालयों में समर्पित लीज्ड लाइन इंटरनेट कनेक्शन है और शेष नवोदय विद्यालयों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी है। इसके अलावा, स्थायी परिसरों में स्थित सभी नवोदय विद्यालयों में एक समर्पित कंप्यूटर प्रयोगशाला है। आईटी अवसंरचना को मजबूत करने के लिए, नवोदय विद्यालय प्रत्येक नवोदय विद्यालय की आवश्यकताओं के अनुसार डेस्कटॉप/लैपटॉप प्रदान करने के लिए कार्य कर रहा है। वर्तमान में, प्रत्येक नवोदय विद्यालय में लगभग 40 डेस्कटॉप हैं, इस प्रकार सभी नवोदय विद्यालयों में लगभग 26,118 डेस्कटॉप हैं। पीएम श्री परियोजना के अंतर्गत 312 डिजिटल भाषा प्रयोगशालाएँ भी स्थापित की गई हैं, साथ ही सीबीएसई सीएसआर परियोजना के अंतर्गत 100 अंग्रेजी और 100 हिंदी भाषा प्रयोगशालाएँ भी स्थापित की गई हैं।
पीएम श्री योजना: केवीएस और एनवीएस को एनईपी उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करती योजना
2025 के विस्तार और डिजिटल एकीकरण की गति पर निर्माण करते हुए, प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइज़िंग इंडिया (पीएम श्री) योजना एक बदलावकारी स्तंभ के रूप में खड़ी है, जो चुनिंदा केवीएस और जेएनवी संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के आदर्श उदाहरणों में उन्नत कर रही है। 2022 में 100 करोड़ रुपये के साथ शुरू किया गया। पाँच वर्षों (2022-2027)[13] [14] में 27,360 करोड़ रुपये की लागत से, इस पहल का लक्ष्य 2027 तक 14,500 से ज़्यादा स्कूलों को समग्र शिक्षण केंद्रों में बदलना है। ये स्कूल आस-पास के संस्थानों को मार्गदर्शन देते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की समता, गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ावा देंगे। बहु-विषयक पाठ्यक्रम, अनुभवात्मक शिक्षा और स्थायी प्रथाओं को शामिल करके, पीएम श्री योजना बुनियादी ढाँचे और शैक्षणिक कमियों को पाटती है, जिससे केवीएस की शहर-केंद्रित स्थिरता और एनवी का ग्रामीण सशक्तिकरण समावेशी शिक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ सहज रूप से संरेखित होता है।
शक्तियों का समन्वय: केवीएस और एनवीएस पर पीएम श्री योजना का सकारात्मक प्रभाव
केवीएस में, पीएम श्री योजना के अपडेट से 913 स्कूलों में उन्नत शिक्षाशास्त्र को शामिल करके स्थानांतरणीय और गैर-हस्तांतरणीय सरकारी परिवारों की सेवा में संगठन की भूमिका का विस्तार होता है।[15] इससे, गतिविधि-आधारित निर्देश, डिजिटल संसाधनों और नेतृत्व विकास के अवसरों से समृद्ध गतिशील शिक्षण वातावरण का निर्माण होता है। इको-क्लब और व्यावसायिक प्रयोगशालाओं सहित ये संवर्द्धन, बुनियादी संख्यात्मकता और साक्षरता पर एनईपी के जोर का सीधे तौर पर समर्थन करते हैं। इसका सकारात्मक असर इससे दिखता है कि अधिकांश पीएम श्री केवी में अब पर्सनलाइज़्ड शिक्षा के लिए स्मार्ट कक्षाएं और एआई उपकरण हैं, जिससे शहरी केंद्रों में लगभग 10 लाख छात्र लाभान्वित हो रहे हैं।[16]
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, लगभग सभी नवोदय विद्यालयों को पीएम श्री स्कूलों के रूप में मान्यता दी गई है, जिनकी वर्तमान संख्या 620 है[17], जो आदर्श संस्थानों के रूप में कार्य करते हैं और अन्य स्कूलों के लिए एक मानक स्थापित करते हैं।[18] यह योजना ग्रामीण प्रतिभाओं के पोषण को एनईपी के समान फोकस के साथ एकीकृत करती है, जिसमें स्कूलों को डिजिटल कौशल केंद्रों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों से सुसज्जित नवाचार केंद्रों के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इस सहयोग से शैक्षणिक परिणामों में सुधार देखने को मिलता है और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा भी मिलता है, जिससे केवीएस और एनवीएस एक कुशल, एकजुट भारत के निर्माण में अग्रणी बनते हैं।
मज़बूत नींव सबसे ज़रुरी: प्रारंभिक शिक्षा को केवीएस, एनवीएस और बालवाटिका के ढांचे में समाहित करता ईसीसीई
जैसे-जैसे डिजिटल और ढ़ांचागत विकास, उच्च-स्तरीय शिक्षा को मजबूत कर रहा है, प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) भी आधारशिला के रूप में उभर कर सामने आ रही है। यह केवीएस को संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 3-8 वर्ष की आयु से, समग्र विकास के एनईपी 2020 के दृष्टिकोण के साथ संरेखित करता है। एनईपी प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या और शैक्षणिक ढांचे (एनसीपीएफईसीसीई) के ज़रिए एक खेल-आधारित, बहुभाषी ईसीसीई पाठ्यक्रम को अनिवार्य बनाता है, जो ग्रेड 3 तक बुनियादी साक्षरता और बेहतर संख्या हासिल करने के लिए आनंद के साथ शिक्षा हासिल करने पर जोर देता है, जिसका लक्ष्य 2030 तक सार्वभौमिक पहुंच कायम करना है। यह आधारभूत चरण केंद्रीय विद्यालय व्यवस्था में सहजता से एकीकृत होता है, जो युवा शिक्षार्थियों को सरल बदलाव के लिए तैयार करता है, जबकि वंचित क्षेत्रों में समानता पर भी काम करता है।
युवा मस्तिष्कों का पोषण: केवीएस में बालवाटिका की भूमिका और एनवीएस के साथ व्यापक ईसीसीई तालमेल
केवीएस अपने बालवाटिका कार्यक्रम के माध्यम से ईसीसीई में अग्रणी है, जो 505 स्कूलों में संचालित है, जो गतिविधि-उन्मुख मॉड्यूल के माध्यम से प्रारंभिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है जिसमें खेल, कला और बुनियादी साक्षरता का मिश्रण होता है, जिससे औपचारिक स्कूली शिक्षा के लिए तनाव मुक्त प्रस्तावना में हजारों लोगों का नामांकन होता है।[19] [20] 2025 में स्वीकृत 57 नए केवी सहित हालिया विस्तार, प्रारंभिक चरण से बालवाटिका को शामिल करते हैं, संभावित रूप से 13,680 बालवाटिका I, II और III छात्रों (240 प्रति स्कूल मानदंड) की क्षमता जोड़ते हैं, एनईपी की 5 + 3 + 3 + 4 संरचना और समावेशिता को अलग-अलग बच्चों के लिए 3% आरक्षण के साथ मजबूत करते हैं।[21] [22]
हांलाकि एनवीएस मुख्य रूप से कक्षा VI-XII तक की शिक्षा प्रदान करता है, यह प्रवेश स्तर के पाठ्यक्रम में आधारभूत सुधार को शामिल करके ईसीसीई का पूरक है। यह एनईपी के उस फोकस क्षेत्र के अनुरूप है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त कमियों को व्यावसायिक और डिजिटल माध्यमों से पाटने पर ज़ोर दिया गया है, जो प्रारंभिक कौशलों पर आधारित हैं। यह बदले में एक ऐसा दायरा बनाता है, जहाँ बालवाटिका के स्नातक निरंतर समग्र विकास के लिए योग्यता-आधारित जेएनवी प्रवेश में योगदान करते हैं। यह एकीकृत दृष्टिकोण समान प्रारंभिक नींव सुनिश्चित करता है, जिससे दोनों प्रणालियों के 15 लाख से अधिक छात्र ज्ञान-संचालित भविष्य में फलने-फूलने के लिए सशक्त होते हैं।
निष्कर्ष: भारत के भविष्य के लिए एक एकीकृत शैक्षिक विरासत का निर्माण
संक्षेप में, केवीएस और एनवीएस, समान, परिवर्तनकारी शिक्षा के प्रति भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं, जो 2025 तक 16.5 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए शहरी पहुँच को ग्रामीण सशक्तिकरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं। केवीएस की स्थापना 1963 में निर्बाध शैक्षिक निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए की गई थी, जबकि जेएनवी की शुरुआत 1986 में ग्रामीण भारत में योग्यता-आधारित अवसरों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। मजबूत बुनियादी ढाँचे, रणनीतिक वित्त पोषण और 2025 तक 57 नए केवी और 28 एनवी सहित नियोजित विस्तार के साथ, दोनों संस्थान एनईपी 2020 के समग्र, कौशल-केंद्रित शिक्षा के दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रहे हैं। 1,213 स्कूलों में पीएम श्री योजना के तहत उन्नयन और बालवाटिका के ज़रिए ईसीसीई एकीकरण से प्रेरित होकर, ये संस्थान डिजिटल विभाजन को पाटते हैं, राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देते हैं और भविष्य के नेताओं को तैयार करते हैं, ताकि प्रत्येक बच्चा एक जीवंत, समावेशी भारत में योगदान दे सके।
संदर्भ:
प्रेस सूचना ब्यूरो:
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2173548
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2081688
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2091737
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1857410
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2173548#:~:text=State/UTs/Ministries/Departments,13.62%20lakh%20(approx.)
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2081688#:~:text=As%20on%20date%2C%20there%20are,education%20is%20accessible%20to%20all
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1857409
केंद्रीय विद्यालय संगठन:
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नवोदय विद्यालय समिति:
https://navodaya.gov.in/nvs/nvs-school/GODDA/en/academics/Computer-education-ICT/
https://navodaya.gov.in/nvs/en/About-Us/Establishment-of-JNVs/
https://navodaya.gov.in/nvs/en/Academic/Student-Profile/
https://navodaya.gov.in/nvs/nvs-school/DHANBAD/en/academics/Computer-education-ICT/
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https://navodaya.gov.in/nvs/en/About-Us/Vision-Mission/#:~:text=Navodaya%20Vidyalaya%20Scheme,the%20best%20of%20rural%20talent
पीएम श्री:
https://pmshrischools.education.gov.in/
शिक्षा मंत्रालय:
https://dsel.education.gov.in/en/pm-shri-schools
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड:
https://cbseacademic.nic.in/web_material/Curriculum16/SrSecondary/Initial%20pages.pdf
अन्य:
https://news.samsung.com/in/samsung-smart-school-to-take-digital-education-to-less-privileged-students-in-remotest-parts-of-india-with-smart-classes-at-80-more-navodaya-schools#:~:text=JNV%20schools%20are%20run%20by,digital%20literacy%20to%20rural%20India.%E2%80%9D
शहरी केंद्रों से ग्रामीण क्षेत्रों तक
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