वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
प्रधानमंत्री गतिशक्ति के अंतर्गत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की 101वीं बैठक में प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया
एनपीजी ने सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) और रेल मंत्रालय (एमओआर) की परियोजनाओं का मूल्यांकन किया
Posted On:
07 NOV 2025 4:41PM by PIB Delhi
सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, तथा रेलवे से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के मूल्यांकन के लिए आज नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 101वीं बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (पीएमजीएस एनएमपी) के अनुसार मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को मजबूत करने और लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार पर ध्यान दिया गया।
एनपीजी ने एकीकृत मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्थिक और सामाजिक केंद्रों तक अंतिम-मील कनेक्टिविटी और 'संपूर्ण सरकार' दृष्टिकोण के पीएम गतिशक्ति सिद्धांतों के अनुरूप होने के लिए सड़क/ राजमार्ग और रेल परियोजनाओं का मूल्यांकन किया। इन पहलों से लॉजिस्टिक्स दक्षता में बढ़ोतरी, यात्रा में लगने वाले समय को कम करना और परियोजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। इन परियोजनाओं का मूल्यांकन और अनुमानित प्रभाव नीचे दिए गए हैं:
सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच)
- घोटी से पालघर (महाराष्ट्र) तक राष्ट्रीय राजमार्ग-160ए का पुनर्वास एवं अपग्रेडेशन
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने महाराष्ट्र राज्य में घोटी से पालघर तक 154.635 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग 160ए (एनएच-160ए) के पुनर्वास और अपग्रेडेशन का प्रस्ताव दिया है। एनएच-160ए गलियारा नासिक और आसपास के एमआईडीसी क्षेत्रों (अंबड और सतपुर) के औद्योगिक समूहों को पश्चिमी तटीय बंदरगाहों से जोड़ने वाले एक रणनीतिक वैकल्पिक माल मार्ग के तौर पर काम करता है, जो नासिक शहर से गुजरने वाले मौजूदा मार्गों पर निर्भरता को कम करता है। प्रस्तावित अपग्रेडेशेन से बंदरगाह तक अच्छी पहुंच हो सकेगी, शहरी गलियारों में भीड़भाड़ कम होगी और औद्योगिक और वाणिज्यिक यातायात के लिए माल ढुलाई करने की गतिशीलता बढ़ेगी। यह परियोजना आस-पास के रेलवे स्टेशनों (नासिक, पालघर और दहानू रेलवे लाइन) और एनएच-60, एनएच-48 और एनएच-848 के साथ-साथ प्रमुख राजमार्गों के साथ संपर्क में सुधार करके इंटरमॉडल कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी।
एनएच-160ए के अपग्रेडेशन से कई लाभ होने की उम्मीद है, जिनमें शामिल हैं:
- नासिक के औद्योगिक केंद्रों को पश्चिमी बंदरगाहों और पालघर के बाजारों से जोड़ने वाले एक उच्च क्षमता वाले वैकल्पिक माल ढुलाई गलियारे का विकास।
- नासिक मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) और अन्य बंदरगाह से जुड़े आर्थिक गलियारों तक बेहतर पहुंच।
- कोल्ड-चेन और कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को सहयोग देते हुए, जल्दी खराब होने वाले सामानों का तेज परिवहन।
- त्र्यंबक, जौहर, मनोर और पालघर जैसे क्षेत्रीय केंद्रों में पर्यटन और एमएसएमई विकास को प्रोत्साहन।
कुल मिलाकर, यह परियोजना क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाएगी, औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में सुधार लाएगी और उत्तरी एवं पश्चिमी महाराष्ट्र में संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देगी, साथ ही प्रमुख व्यापार और बंदरगाह केंद्रों से संपर्क को भी मजबूत करेगी।
- हिवरखेड़ी से बसिंडा-रोशनी (बैतूल-खंडवा) तक पक्के शोल्डर के साथ 2-लेन का विकास
आशापुर से रूढ़ी (बैतूल-खंडवा) (मध्य प्रदेश) तक पक्के शोल्डर सहित 2/ 4 लेन का विकास
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने मध्य प्रदेश राज्य में हिवरखेड़ी से बसिंडा-रोशनी तक पक्के आधार के साथ 2-लेन के कैरिजवे के विकास और देशगांव से जुलवानिया तक मौजूदा 2-लेन सड़क को पक्के आधार के साथ 4-लेन के अलग कैरिजवे में चौड़ा करने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्तावित कॉरिडोर की कुल लंबाई करीब 300 किलोमीटर है। परियोजना कॉरिडोर एक रणनीतिक धमनी मार्ग के रूप में कार्य करता है, जो अंतरराज्यीय संपर्क को बेहतर करता है और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में राष्ट्रीय महत्व के शहरों को जोड़ता है। इससे उदयपुर, झालावाड़ (राजस्थान); अहमदाबाद, वडोदरा, भरूच (गुजरात); नासिक, धुले, औरंगाबाद, अमरावती, अकोला (महाराष्ट्र); जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों के साथ क्षेत्रीय संपर्क में सुधार होगा।
यह गलियारा नागपुर और वडोदरा के बीच एक वैकल्पिक और छोटा रास्ता प्रदान करेगा, जिससे मध्य और पश्चिमी भारत में माल और यात्री यातायात का आवागमन सरल होगा। परियोजना मार्ग के अपग्रेडेशन से बड़वानी, अंजड़, खरगोन और भीकनगांव में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र, साथ ही खरगोन के सेल्दा में एनटीपीसी सुपर थर्मल पावर स्टेशन सहित प्रमुख औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्रों तक पहुंच में भी सुधार होगा।
इस परियोजना से क्षेत्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलने, लॉजिस्टिक्स दक्षता में बढ़ोतरी होने और उत्पादन केंद्रों, बाज़ारों और बंदरगाहों के बीच संपर्क को मजबूत करके औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे यात्रा समय कम होने, परिवहन लागत में कमी और प्रमुख आर्थिक एवं प्रशासनिक केंद्रों तक बेहतर पहुंच में भी मदद मिलेगी। कुल मिलाकर, प्रस्तावित विकास आर्थिक विकास के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा, संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देगा और मध्य प्रदेश तथा नजदीकी राज्यों में क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करेगा।
रेल मंत्रालय (एमओआर)
- गम्हरिया से चांडिल (झारखंड) तक तीसरी और चौथी लाइन
रेल मंत्रालय ने झारखंड राज्य में गम्हरिया और चांडिल के बीच कुल 56 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी रेलवे लाइन के निर्माण का प्रस्ताव रखा है।
इस परियोजना का लक्ष्य मौजूदा कांद्रा-चांडिल खंड में गंभीर भीड़भाड़ की समस्या का समाधान करना है, जो वर्तमान में रखरखाव ब्लॉकों सहित 130% लाइन क्षमता उपयोग पर संचालित हो रहा है। पूर्वानुमान दर्शाते हैं कि निकट भविष्य में क्षमता उपयोग 141% तक पहुंच सकता है, जो सुचारू और अधिक कुशल ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए क्षमता बढ़ोतरी की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है। गम्हरिया-चांडिल कॉरिडोर एक महत्वपूर्ण माल ढुलाई मार्ग है, जो चक्रधरपुर डिवीजन से बर्नपुर और दुर्गापुर के स्टील प्लांटों के साथ-साथ आसनसोल क्षेत्र के स्पंज आयरन उद्योगों तक लौह अयस्क और कच्चे माल की आवाजाही को सुगम बनाता है। यह खंड पूर्वी भारत में औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला और खनिज लॉजिस्टिक्स को सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौजूदा लाइन पर 130 किलोमीटर/ घंटा की अधिकतम उचित गति के साथ, प्रस्तावित विस्तार परिचालन दक्षता और थ्रूपुट क्षमता को और बढ़ाएगा।
पूरा होने पर, इस परियोजना से लाइन क्षमता में विशेष बढ़ोतरी होगी, भीड़भाड़ कम होगी और माल ढुलाई की दक्षता में बढ़ोतरी होगी। यह औद्योगिक और खनिज-आधारित माल ढुलाई गलियारों के लिए कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगा, लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार करेगा और पूर्वी भारत के आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देगा।
- सैंथिया-पाकुड़ (पश्चिम बंगाल और झारखंड) से चौथी लाइन
रेल मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्यों में लगभग 81.20 किलोमीटर की कुल लंबाई को कवर करते हुए सैंथिया और पाकुड़ के बीच चौथी रेलवे लाइन के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। इस परियोजना का उद्देश्य लाइन की क्षमता को बढ़ाना और मौजूदा व्यस्त गलियारे पर भीड़ कम करना है, जिससे माल और यात्री यातायात दोनों का बेहतर आवागमन सुनिश्चित हो सके। इस खंड को "ऊर्जा गलियारा" के रूप में नामित किया गया है, जो पूर्वी भारत में औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं और बिजली क्षेत्र के लॉजिस्टिक्स को सहयोग देने में इसकी रणनीतिक भूमिका को उजागर करता है। यह गलियारा पर्याप्त अप्रयुक्त माल ढुलाई क्षमता वाले क्षेत्र से होकर गुजरता है, विशेष रूप से औद्योगिक समूहों से जो वर्तमान में सड़क परिवहन पर निर्भर हैं। चौथी लाइन की शुरुआत से सड़क से रेल की ओर एक मॉडल बदलाव की सुविधा होगी, जिससे माल ढुलाई में लागत दक्षता, विश्वसनीयता और स्थिरता बढ़ेगी।
इस परियोजना का कई प्रमुख उद्योगों और सुविधाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं:
- डब्ल्यूबीपीडीसीएल की ओर से संचालित विद्युत संयंत्र - संथालडीह, बकरेश्वर और सागरदीघी ताप विद्युत संयंत्र;
- सीमेंट संयंत्र - अंबुजा सीमेंट (तिलडांगा) और अल्ट्राटेक सीमेंट (सोनार बांग्ला इकाई);
- खनन कार्य - पत्थर खदानें, राजमहल कोयला क्षेत्र और पचवारा कोयला ब्लॉक।
इसके अतिरिक्त, यह परियोजना लौह एवं इस्पात उद्योगों, रासायनिक संयंत्रों, ताप विद्युत संयंत्रों और खनन कार्यों के लिए रेल-आधारित लॉजिस्टिक्स व्यवस्था को मजबूत करेगी, जिससे क्षेत्र के औद्योगिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स दक्षता में योगदान मिलेगा।
पूरा होने पर, सैंथिया-पाकुड़ चौथी लाइन परियोजना माल ढुलाई गतिशीलता को बढ़ाने, औद्योगिक विस्तार को प्रोत्साहन देने और पूर्वी भारत में आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। बैठक की अध्यक्षता उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के लॉजिस्टिक्स विभाग के संयुक्त सचिव श्री पंकज कुमार ने की।
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पीके/केसी/एमएम/डीए
(Release ID: 2187572)
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