मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
सहकारिता पर आधारित ब्लू इकोनॉमी को गति मिली; केंद्रीय मत्स्य सचिव ने महाराष्ट्र के रायगढ़ क्लस्टर की समीक्षा की
इंफ्रास्ट्रक्चर और बाजार संपर्कों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित होकर रायगढ़ मत्स्य क्लस्टर एकीकृत वैल्यू चेन के विकास के लिए एक आदर्श मॉडल के तौर पर उभर रहा है
Posted On:
28 OCT 2025 4:29PM by PIB Delhi
मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) में केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने आज रायगढ़ जिले में मत्स्यपालन सहकारी क्लस्टर का दौरा किया और इसकी प्रगति की समीक्षा की तथा सहकारी हितधारकों से सीधे चर्चा की। इस क्लस्टर को एकीकृत मत्स्यपालन वैल्यू चेन विकास के एक मॉडल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इस दौरे का उद्देश्य जमीनी स्तर की चुनौतियों का आकलन करना और सहकारी नेतृत्व वाले दृष्टिकोण के जरिए मत्स्यपालन-आधारित आजीविका को मजबूत करने के मौकों की पहचान करना था। बातचीत के दौरान, डॉ. लिखी ने रायगढ़, महाराष्ट्र की 156 प्राथमिक मत्स्यपालन सहकारी समितियों और 9 मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) का प्रतिनिधित्व करने वाले 251 सदस्यों से मुलाकात की।

सहकारिता के नेतृत्व वाले विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने मत्स्य पालन क्लस्टर गतिविधियों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी प्रमुख राष्ट्रीय पहलों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग और सहकारिता मंत्रालय के बीच एक संयुक्त कार्य बल देश भर में मत्स्य सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। केंद्रीय गृह मामलों एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की ओर से एक दिन पहले आयोजित गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज के उद्घाटन की भावना को दोहराते करते हुए, डॉ. लिखी ने भारत के मछुआरा समुदाय की प्रगति और समृद्धि के लिए सरकार के दृष्टिकोण की आधारशिला के रूप में मत्स्य सहकारी समितियों पर प्रकाश डाला।
रायगढ़ में मत्स्य सहकारी क्लस्टर के अपने दौरे के दौरान, डॉ. लिखी ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) को जिले की सभी तालुकाओं में जागरूकता, प्रशिक्षण और शिकायत निवारण शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया ताकि योजना की दूर तक पहुंच और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने मत्स्य मूल्य श्रृंखला में एकीकृत विकास प्राप्त करने में क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया और हितधारकों को निर्यात को प्रोत्साहन देने, इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने, वित्तीय पहुंच में सुधार और बाजार संबंधों को मजबूत करने के लिए नई रणनीतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. लिखी ने कहा कि इस बातचीत ने एक परामर्शदात्री योजना प्रक्रिया की शुरुआत को चिह्नित किया जिसमें सहकारी प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बातचीत शामिल थी, जिससे कमियों की पहचान की जा सके और समग्र, जरूरत के मुताबिक बदलावों को तैयार किया जा सके। उन्होंने भरोसा दिया कि हितधारकों की ओर से उठाई गई बुनियादी ढाँचे के विकास की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस कार्यक्रम में वर्चुअल तरीके से शामिल होते हुए, मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन) श्री सागर मेहरा ने समग्र और सतत मत्स्य विकास सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और योजनाओं में समन्वय की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित, समन्वय-आधारित परियोजना दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध किया।
संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्य पालन) सुश्री नीतू कुमारी ने बंदरगाह प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के विकास पर प्रकाश डाला, जिसमें मत्स्य सहकारी समितियों को बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि इन पहलों को सहकारिता मंत्रालय, एनसीडीसी और अन्य सहयोगी संस्थानों के साथ घनिष्ठ समन्वय में क्रियान्वित किया जा रहा है, जो एक समग्र सरकारी दृष्टिकोण को दर्शाता है।
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बी. के. बेहरा ने रायगढ़ के मत्स्य पालन परिदृश्य का अवलोकन प्रस्तुत किया और अगले पांच वर्ष में नियोजित प्रमुख हस्तक्षेपों की रूपरेखा प्रस्तुत की। इनमें इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, कोल्ड चेन और प्रसंस्करण विकास, बाजार संपर्क और महाराष्ट्र के मत्स्य विकास लक्ष्यों के अनुरूप कल्याणकारी पहलों के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत परियोजनाएं शामिल हैं।
मत्स्य सहकारी समितियों के साथ चर्चा में समुद्री, मीठे पानी और खारे पानी के क्षेत्रों के हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिन्होंने सफलता की कहानियां साझा कीं और रायगढ़ में मछली पकड़ने के घाटों, बर्फ संयंत्रों, शीत भंडारण और ड्रेजिंग सुविधाओं की जरूरत सहित प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला। प्रतिभागियों ने स्वास्थ्य शिविरों और स्वच्छता सुविधाओं जैसे महिला-केंद्रित हस्तक्षेपों के महत्व पर जोर दिया, और सबसे बेहतर तरीकों से सीखने और मछुआरों के लिए क्रेडिट लिंकेज में सुधार के लिए आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों का दौरा करने का सुझाव दिया। वित्तीय संस्थानों ने सहकारी प्रयासों को मजबूत करने के लिए लगातार सहयोग का भरोसा दिया। चर्चा में सहकारी संरचनाओं को मजबूत करने और पीएमएमएसवाई चरण 2 में स्थानीय अंतर्दृष्टि को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे सहकार से समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक लचीला, समावेशी और आत्मनिर्भर मत्स्य पालन क्षेत्र का निर्माण किया जा सके।
बैठक में रायगढ़ के जिला कलेक्टर श्री किशन राव जावले और महाराष्ट्र के मत्स्य पालन आयुक्त श्री किशोर तावड़े के साथ-साथ रायगढ़, मुरुद, करंजा, उरण, श्रीवर्धन, रोहा, पेन और अन्य क्षेत्रों की मच्छीमार सहकारी संस्थाओं की मत्स्य सहकारी समितियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार, मत्स्य पालन विभाग, महाराष्ट्र सरकार, सहकारिता मंत्रालय, एनसीडीसी, एनएफडीबी के वरिष्ठ अधिकारी, एमपीईडीए, नाबार्ड, आईसीएआर संस्थानों, अधीनस्थ कार्यालयों और विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के हितधारकों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हुए।

मत्स्य पालन क्लस्टर विकसित करने का उद्देश्य
पीएमएमएसवाई के अंतर्गत अधिसूचित अन्य 34 क्लस्टरों की तरह, रायगढ़ में मत्स्य सहकारी क्लस्टर को जलीय कृषि, समुद्री कृषि और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की गतिविधियों को एकीकृत करके सामूहिक मत्स्य पालन-आधारित उद्यमों को मज़बूत करने के लिए तैयार किया गया था। इन 34 क्लस्टरों का व्यापक उद्देश्य संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में एकीकृत विकास को प्रोत्साहन देकर एक अधिक प्रतिस्पर्धी, संगठित और संपोषित मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देना है। इन क्लस्टरों को विकास के इंजन के तौर पर देखा जाता है, जो बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्थाओं को सक्षम करेंगे, वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार करेंगे, और उत्पादन और कटाई से लेकर प्रसंस्करण, मार्केटिंग और निर्यात तक के पिछड़े और आगे के संबंधों को मज़बूत करेंगे। मछुआरों, मत्स्य कृषकों, सहकारी समितियों, एफएफपीओ, सेल्फ हेल्प ग्रुप, उद्यमों और स्टार्ट-अप को एक साथ लाकर, इन क्लस्टरों का उद्देश्य रोजगार निर्माण, आय में बढ़ोतरी और स्थायी आजीविका के मौके पैदा करना है। इन्हें नवाचार, उद्यमशीलता और आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए भी तैयार किया गया है, जिससे भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को नीली अर्थव्यवस्था के एक जीवंत और लचीले स्तंभ में बदलने में तेजी आएगी।
चिन्हित मत्स्य पालन समूहों को सुदृढ़ करने के लिए, मत्स्य पालन विभाग खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, नाबार्ड और एमएसएमई मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस सहयोग का उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना, वित्तीय पहुंच का विस्तार करना, मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन देना और कुशल कार्यबल का निर्माण करना है, जिससे उद्यमिता को बढ़ावा मिले, निवेश आकर्षित हो और मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत विकास के लिए एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहन मिले।
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