इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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भारत को समावेशी और परिवर्तनकारी विकास को बढ़ावा देने में सामाजिक हित के लिए एआई का इस्तेमाल करना चाहिए: श्री एस. कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय


इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 4 नवंबर को उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन 2025 में 'सामाजिक प्रभाव के लिए एआई' विषय पर सत्र की मेजबानी करेगा, जिसमें भारत के जिम्मेदार, स्केलेबल और विकसित भारत 2047 को आगे बढ़ाते जन-केंद्रित एआई को दर्शाया जाएगा

सरकार, शिक्षा, उद्योग और डीप-टेक अग्रणी ईएसटीआईसी 2025 में भारत के एआई इको-सिस्टम को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ईएसटीआईसी 2025 से पहले कर्टेन रेजर की मेजबानी की, सामाजिक प्रभाव के लिए एआई सत्र भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 के अपने दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेगा

Posted On: 23 OCT 2025 7:26PM by PIB Delhi

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) 2025 में अपनी भागीदारी के लिए गति बनाने हेतु 23 अक्टूबर, 2025 को एक पूर्वावलोकन कार्यक्रम का आयोजन किया।

कर्टेन रेजर कार्यक्रम की अध्यक्षता इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस कृष्णन ने की, जिसमें आईआईटी बॉम्बे के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के इंस्टीट्यूट चेयर प्रोफेसर डॉ. गणेश रामकृष्णन और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एआई और ईटी प्रभाग की समूह समन्वयक, वैज्ञानिक जी और सुश्री कविता भाटिया भी उपस्थित थीं।

कर्टेन रेजर में बोलते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने कहा, "अगर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो हमें तकनीक की लहर पर सवार होना होगा, और एआई शायद इस बदलाव को गति देने वाली सबसे महत्वपूर्ण तकनीक है। इसे हासिल करने के लिए, हमें ऐसे समावेशी तंत्रों की आवश्यकता है जो यह सुनिश्चित करें कि लोग एआई तक सार्थक तरीके से पहुंच सकें और उसका लाभ उठा सकें। इस संदर्भ में, यह आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और इसका विषय, 'सामाजिक प्रभाव के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता', बिल्कुल उपयुक्त चुना गया है। यह इस बात पर हमारे ध्यान को दर्शाता है कि कैसे एआई समाज में वास्तविक बदलाव ला सकता है और तकनीक को समझने और उसका उपयोग करने के हमारे तरीके को प्रभावित कर सकता है। भारत का इरादा स्पष्ट है - हमें एआई को एक भलाई की शक्ति के रूप में देखना चाहिए और इसे सकारात्मक, परिवर्तनकारी तरीके से अपनाना चाहिए।"

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में एआई एवं ईटी प्रभाग की समूह समन्वयक एवं वैज्ञानिक 'जी' सुश्री कविता भाटिया ने कहा, "एआई एक गतिशील प्रवर्तक है, जो हमें पारंपरिक विकास बाधाओं को पार करने और बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को गति देने में सक्षम बनाता है। हमारा दृष्टिकोण माननीय प्रधानमंत्री के समावेशी विकास दर्शन द्वारा निर्देशित है, जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मूल सिद्धांतों में गहराई से निहित है, और 'सभी के लिए एआई' को अपने मूल में रखता है।"

आईआईटी बॉम्बे के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग के इंस्टीट्यूट चेयर प्रोफेसर डॉ. गणेश रामकृष्णन ने कहा, "अपनी विविधता और मज़बूत डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण भारत को एक अनूठा लाभ प्राप्त है। आधार, यूपीआई और अन्य प्लेटफॉर्म ने स्केलेबल एआई समाधानों के लिए आधार प्रदान किया है। भाषिणी और राष्ट्रीय संप्रभु एआई इको-सिस्टम, भारतजेन जैसी उल्लेखनीय पहल, भारत में निहित संदर्भ-जागरूक, बहुभाषी और बहुविध एआई के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि ये तकनीकें वंचितों तक अंतिम छोर तक पहुंच प्रदान करें और भारतीय उद्योग और स्टार्टअप को एआई की क्षमता का दोहन करने के लिए सशक्त बनाएं।"

ईएसटीआईसी 2025 के बारे में

3 से 5 नवंबर, 2025 को भारत मंडपम में आयोजित होने वाले ईएसटीआईसी 2025 का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इसमें अत्याधुनिक विकास को प्रदर्शित किया जाएगा जो भारत के नवाचार-आधारित विकास को आकार देगा और विकसित भारत 2047 के विजन को आगे बढ़ाएगा। कार्यक्रम का विवरण आधिकारिक वेबसाइट: https://estic.dst.gov.in/index.html पर उपलब्ध है।

ईएसटीआईसी 2025 में 'सामाजिक प्रभाव के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता' सत्र के बारे में

ईएसटीआईसी 2025 के एक भाग के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 4 नवंबर, 2025 को सामाजिक प्रभाव हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक समर्पित सत्र आयोजित करेगा, जिसमें एक ज़िम्मेदार, समावेशी और परिवर्तनकारी एआई इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला जाएगा। यह सत्र भारत-केंद्रित, संसाधन-कुशल एआई समाधान विकसित करने पर केंद्रित होगा जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करें और मापनीय सामाजिक प्रभाव प्रदान करें। यह सरकार, शिक्षा जगत, अनुसंधान और उद्योगजगत के प्रमुख हतधारकों को एक साथ लाएगा, और भारत के एआई और उभरते प्रौद्योगिकी इको-सिस्टम को आगे बढ़ाने में तालमेल के महत्व पर जोर देगा।

कार्यक्रम में मुख्य भाषण ज़ोहो के संस्थापक और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. श्रीधर वेम्बू द्वारा दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में श्री अभिषेक सिंह, अपर सचिव, एमईआईटीवाई सहित प्रमुख वक्ता; डॉ. श्रीराम राघवन, उपाध्यक्ष, आईबीएम रिसर्च फॉर एआई; डॉ. गीता मंजूनाथ, संस्थापक और सीईओ, निरमई; श्री अमित शेठ, संस्थापक निदेशक, एआई संस्थान, दक्षिण कैरोलिना विश्वविद्यालय; श्री शशि शेखर वेम्पति, सह-संस्थापक, डीपटेक फॉर भारत फाउंडेशन और पूर्व सीईओ, प्रसार भारती; डॉ. हैरिक मयंक विन, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज; प्रोफेसर बलरामन रवींद्रन, प्रमुख, डीएसएआई विभाग, आईआईटी मद्रास; सुश्री देबजानी घोष, प्रतिष्ठित फेलो, नीति आयोग; डॉ. रिमझिम अग्रवाल, सह-संस्थापक और सीटीओ, ब्रेनसाइटएआई; डॉ. पी. वेंकट रंगन, कुलपति, अमृता विश्वविद्यालय; और श्री अल्पन रावल, मुख्य वैज्ञानिक, एआई/एमएल, वाधवानी एआई भी शामिल होंगे।

ईएसटीआईसी 2025 में प्रदर्शित विजन के आधार पर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 19-20 फरवरी, 2026 को नई दिल्ली में भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 की मेजबानी करेगा। यह शिखर सम्मेलन समावेशी विकास, स्थिरता और समान वृद्धि को गति देने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डालेगा, जो तीन मुख्य सूत्रों- लोग, पृथ्वी और प्रगति पर आधारित होगा।

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पीके/केसी/एसकेएस/एचबी


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