वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने जिनेवा में अंकटाड के सोलहवें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया
Posted On:
22 OCT 2025 6:11PM by PIB Delhi
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) के सोलहवें सत्र में भाग लिया। वहां उन्होंने भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत किया और प्रमुख चर्चाओं में भाग लिया। 1964 में स्थापित यूएनसीटीएडी व्यापार, निवेश और सतत विकास नीतियों के माध्यम से विकासशील देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी-XVI) के 16वें सत्र में अपने संबोधन में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री गोयल ने भारत के विश्व की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर ध्यान दिलाया। पिछले तीन वर्षों में 7 प्रतिशत से अधिक की औसत वार्षिक वृद्धि के साथ भारत सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था रहा है। देश हर आठ साल में अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना कर रहा है। श्री गोयल ने पिछले दशक में लाखों लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये लोग फिर मध्यम वर्ग में शामिल हो जाते हैं। ये बढ़ती आय और मांग को बढ़ावा देते हैं।
श्री गोयल ने भारत के सतत विकास नेतृत्व को सराहा। इसकी आधी स्थापित बिजली क्षमता अक्षय ऊर्जा से आती है। वर्तमान स्वच्छ ऊर्जा 250 गीगावाट है और 2030 तक 500 गीगावाट स्थापित करने का लक्ष्य है। भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए कदम उठा रहा है। फिर भी, दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी के बावजूद, भारत वैश्विक उत्सर्जन में केवल 3.5 प्रतिशत का योगदान देता है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया है, जिसमें 100 अरब डॉलर की कम लागत वाली, दीर्घकालिक वित्तीय सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल हैं। उन्होंने बोझ-स्थानांतरण या पर्यावरणीय व्यापार बाधाओं को अस्वीकार किया। श्री गोयल ने सतत विकास के लिए एक समर्पित दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया। इसमें अनुकूलित, कार्यान्वयन योग्य समाधान शामिल हैं। प्रमुख वैश्विक पहलों में आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शामिल हैं, जो साझेदारी का निर्माण कर रहे हैं।
श्री गोयल ने वास्तविक समाधानों के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच, उर्वरक और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में ये शामिल हो सकते हैं। भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से तकनीकी अंतर को पाट रहा है जो लाखों लोगों को सशक्त बनाता है। देश में एक अरब इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। चैटजीपीटी उपयोगकर्ताओं में यह विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है। युवा जनसंख्या की औसत आयु 28.5 वर्ष है। लोकतंत्र और कानून का शासन विकास को गति प्रदान करते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने भारत में समावेशी विकास का उल्लेख किया, जिसके लिए उन्होंने 14 प्रतिशत महिला उद्यमियों और एमएसएमई निर्माण के जरिए लाखों नौकरियों के सृजन का उदाहरण दिया। सेवा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतिशत का योगदान देता है। इसने दशक भर से दोहरे अंकों की निर्यात वृद्धि दिखाई है। यह समान कार्यबल गतिशीलता का समर्थन करता है। यह भागीदारों की प्रतिस्पर्धात्मकता और वैश्विक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां बहुपक्षीय संस्थानों और नियम-आधारित व्यापार प्रणाली में भरोसे को कम करती हैं। मुद्दों में गैर-बाज़ार प्रथाएं, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं, स्रोत और मांग पक्षों पर आपूर्ति श्रृंखलाओं का अत्यधिक संकेन्द्रण शामिल हैं। अन्य चुनौतियों में प्रतिबंधात्मक नियंत्रणों के साथ तकनीकी विभाजन के अलावा विशेष और विभेदक उपचार और एकतरफा पर्यावरण उपायों का कमजोर होना शामिल है। प्रतिबंधात्मक नियंत्रण से सेवा क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। इससे विकासशील देशों को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) से एक सुर में बोलने की जरूरत पर जोर दिया।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत अपनी स्वतंत्र नीतियों, विकास और प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता के लिए अग्रणी है और विकासशील तथा विकसित देशों, दोनों का ही उस पर भरोसा है। यूएनसीटीएडी न्यायसंगत, समावेशी और सतत विकास के लिए व्यापार का दोहन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी, सहयोग और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में सहायता की पेशकश की। व्यापार एक विकास उपकरण के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि ये सभी देश मिलकर सभी के लिए एक भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। इसमें "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" यानी विश्वास और प्रयास के साथ सभी का विकास - समाहित है। भारत "वसुधैव कुटुम्बकम" में विश्वास करता है, अर्थात विश्व को एक परिवार मानता है।
केंद्रीय मंत्री श्री गोयल ने "सुदृढ़, टिकाऊ और समावेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार लॉजिस्टिक्स की ओर" विषय पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में भारत की आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, विशेष रूप से दवाओं और कोविड टीकों में, साथ ही विश्वास और विश्वसनीयता पर आधारित व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा दिया। उन्होंने ट्रिलियन डॉलर के मास्टर प्लान पर प्रकाश डाला, जिसमें घरेलू बुनियादी ढांचे में लगभग 130 अरब डॉलर का वार्षिक निवेश शामिल है। प्रमुख प्रगति में हवाई अड्डे की क्षमता को 74 से बढ़ाकर 158 करना, एक मजबूत आंतरिक परिवहन नेटवर्क के लिए रेल, सड़क और अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाना, विनिर्माण प्रणाली को मजबूत करना और आने वाले दशकों में निरंतर सबसे तेज विकास के अनुमानों के साथ भारत को वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करना शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने विकासशील दुनिया के बड़े हिस्से में भुगतान प्रणाली, लेनदेन, परिवहन साझाकरण और बंदरगाह समय को कम करने जैसी पेशकशों को साझा करने के लिए बातचीत की वकालत की। उन्होंने विकासशील देशों से एक-दूसरे के हित में आपस में मिलकर काम करने का आग्रह किया।
इस सत्र से इतर, श्री गोयल ने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को मज़बूत करने के लिए द्विपक्षीय बैठकें कीं। स्वच्छ, न्यायसंगत और प्रतिस्पर्धी परिवर्तन के लिए यूरोपीय आयोग की कार्यकारी उपाध्यक्ष महामहिम सुश्री टेरेसा रिबेरा रोड्रिग्ज के साथ उन्होंने भारतीय निर्यात, विशेष रूप से इस्पात क्षेत्र पर कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के प्रभाव पर चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर भी चर्चा की कि स्वच्छ परिवर्तन के कारण निर्भरताएं पैदा न हों। यूएनसीटीएडी की महासचिव सुश्री रेबेका ग्रिनस्पैन के साथ बैठक में उन्होंने समान आर्थिक परिवर्तन में यूएनसीटीएडी की भूमिका को आगे बढ़ाने, विकसित देशों की ओर से पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में कमी, अनुचित एकतरफा उपायों और दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर ज़ोर दिया।
केंद्रीय मंत्री श्री गोयल की यह यात्रा वैश्विक व्यापार और विकास में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। यह यूएनसीटीएडी XVI के "भविष्य को आकार देना: समतामूलक, समावेशी और सतत विकास के लिए आर्थिक परिवर्तन को गति देना" विषय के अनुरूप है। श्री गोयल की यह यात्रा भारत के एक नियम-आधारित बहुपक्षीय प्रणाली के दृष्टिकोण दर्शाती है जो सभी देशों के लिए पारस्परिक समृद्धि, लचीलापन और समावेशी विकास को बढ़ावा देती है।
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