रक्षा मंत्रालय
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रक्षा मंत्री के नेतृत्व में रक्षा सलाहकार समिति ने पुणे स्थित डीआरडीओ की प्रमुख प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) का दौरा किया


समिति ने आयुध एवं लड़ाकू इंजीनियरिंग प्रणाली क्लस्टर की प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित अत्याधुनिक उत्पादों का अवलोकन और मूल्यांकन किया

उभरती हुई तकनीक आज के समय की मांग है और सरकार इसे देश की सुरक्षा व्यवस्था में समेकित करने के लिए प्रतिबद्ध है: श्री राजनाथ सिंह

"हमें न केवल प्रौद्योगिकी का उपयोगकर्ता होना चाहिए; बल्कि हमें इसका निर्माता भी होना चाहिए"

“रक्षा में आत्मनिर्भरता केवल एक लक्ष्य नहीं है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे मजबूत कवच भी है”

प्रविष्टि तिथि: 16 OCT 2025 5:28PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति ने 16 अक्टूबर, 2025 को आयुध एवं लड़ाकू इंजीनियरिंग प्रणाली (एसीई) क्लस्टर के तत्वावधान में स्थापित डीआरडीओ की एक प्रमुख प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई), पुणे का दौरा किया। इस दौरान समिति ने क्लस्टर की विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों और उपकरणों का अवलोकन व निरीक्षण किया। प्रदर्शित की गई प्रमुख प्रणालियों में उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, पिनाका रॉकेट सिस्टम, लाइट टैंक ‘जोरावर’, पहिएदार बख्तरबंद प्लेटफार्म और आकाश-नई पीढ़ी की मिसाइल शामिल थीं।

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समिति को रोबोटिक्स, रेल गन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम, हाई-एनर्जी प्रोपल्शन मैटेरियल्स सहित विभिन्न उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति से भी अवगत कराया गया। साथ ही, क्लस्टर की भावी योजनाओं और नवाचारों को रेखांकित करता विस्तृत रोडमैप भी प्रस्तुत किया गया।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ‘उभरती प्रौद्योगिकियां और डीआरडीओ’ विषय पर आयोजित बैठक को संबोधित किया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में हो रहे तीव्र परिवर्तन और युद्ध की बदलती प्रकृति को समझने तथा उसके अनुरूप स्वयं को ढालने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री सिंह ने कहा कि तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों में उन्नत प्रौद्योगिकियां अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन गई हैं और सरकार इन प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र में समेकित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।

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श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का युग तकनीकी प्रभुत्व का है, जो राष्ट्र विज्ञान, अनुसंधान एवं नवाचार को प्राथमिकता देगा, वही देश आने वाले भविष्य का नेतृत्व करेगा। उन्होंने कहा कि तकनीक अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रही है, बल्कि यह हमारे रणनीतिक निर्णयों, रक्षा संरचना और नीतिगत दिशा का आधार बन चुकी है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य केवल इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि एक ऐसी नवाचार-संस्कृति विकसित करना है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करे और भारत को वैश्विक रक्षा नवाचार के अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करे।”

रक्षा मंत्री ने भविष्य के परिवर्तनों को एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इन्हें केवल तकनीकी उन्नयन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें केवल तकनीक का उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि उसका निर्माता बनना होगा। इसे साकार करने के लिए आत्मनिर्भरता के प्रयासों को और तेज करना आवश्यक है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे सशक्त कवच है।”

श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के अटूट संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए प्रौद्योगिकियों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने बताया कि अत्याधुनिक तकनीकों का दायरा सीमित होता है और कई बार कुछ देश विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में संरक्षणवादी रवैया अपनाते हैं तथा अन्य देशों के साथ जानकारी साझा करने से कतराते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने इन सीमाओं को चुनौती दी है। हमने सिद्ध किया है कि यदि हमारी नीयत स्पष्ट हो और नीतियां दृढ़ हों, तो हम किसी भी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है, बल्कि विश्व के लिए एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार के रूप में भी उभर रहा है।

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रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ द्वारा उन प्रौद्योगिकियों के विकास की सराहना की, जो पहले आयात पर निर्भर थीं। उन्होंने भविष्य के उन्नत उत्पादों के निर्माण में भी डीआरडीओ की भूमिका की प्रशंसा की, जिनकी चर्चा अब वैश्विक स्तर पर होने लगी है। देश में अनुसंधान एवं विकास के लिए बनाए जा रहे अनुकूल माहौल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने उद्योग, शिक्षा जगत और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर एक नया वैज्ञानिक एवं तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह प्रयास अब केवल सरकारी पहल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय मिशन बन गया है, जिसमें सभी हितधारक साझा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, निजी उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत मिलकर रक्षा नवाचार के नए मानक स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे युवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, क्वांटम संचार और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में लगातार सफलता प्राप्त कर रहे हैं। उनके अथक प्रयास और प्रतिभा के कारण भारत प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी बनता जा रहा है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “उभरती प्रौद्योगिकियां केवल सेनाओं के आधुनिकीकरण का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह युवाओं के लिए नए अवसर व उज्जवल भविष्य के द्वार भी खोलती हैं।”

समिति के अन्य सदस्यों ने एसीई क्लस्टर द्वारा हासिल की जा रही उपलब्धियों एवं चल रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त किया और भविष्य की नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। समिति ने अधिकारियों से राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए अपनी योजनाओं को तेजी और व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाने का आग्रह भी किया। रक्षा मंत्री ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि उनके सुझावों पर गहन विचार किया जाएगा और उन्हें लागू करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

बैठक में रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत तथा रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त, महानिदेशक (एसीई) और क्लस्टर के निदेशक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भी बैठक में भाग लिया।

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पीके/केसी/एनके/डीए


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