आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
भारत से बेलेम तक: दिल्ली घोषणापत्र ने विकासशील देशों के शहरी क्षेत्रों की आवाज़ बुलंद करते हुए तीसवें सयुंक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप30 के लिए एजेंडा प्रदान किया
Posted On:
10 OCT 2025 1:58PM by PIB Delhi
जलवायु परिवर्तन पर आगामी संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन कॉप 30 के लिए एजेंडा प्रदान करते हुए, 8 और 9 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित पहला एराइज सिटीज़ फ़ोरम 2025 का दिल्ली घोषणापत्र वैश्विक जलवायु लक्ष्यों पर स्थानीय कार्रवाई करने संबंधी प्रमुख परिणाम बनकर उभरा है। यह घोषणापत्र, मज़बूत बहुस्तरीय सहयोग और त्वरित शहरी जलवायु कार्रवाई के साझा आह्वान द्वारा विभिन्न विकासशील देशों की आवाज़ बुलंद करता है। इस फ़ोरम की सह-मेज़बानी आईसीएलईआई- दक्षिण एशिया और राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान - एनआईयूए ने की। अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन- आईसीएलईआई- स्थानीय सरकारों की संवहनीयता के लिए काम करती है।
सम्मेलन में स्थानीय, उप-राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सरकारों, निजी क्षेत्र और अन्य प्रमुख हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 देशों के 60 शहरों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने शहरी आवाज़ बुलंद करने और शहरों, क्षेत्रों और सीमाओं के पार सहयोग मज़बूत करने का संकल्प व्यक्त किया ताकि यह सुनिश्चित हो कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अनुकूलन बढ़ाने, समानता और संवहनीयता की प्राथमिकताएं वैश्विक जलवायु परिणामों में परिलक्षित हों।

एराइज़ सिटीज़ फ़ोरम 2025 भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू के संबोधन के साथ आरंभ हुआ। सम्मेलन के विशिष्ट वक्ताओं में आईसीएलईआई के महासचिव श्री गिनो वैन बेगिन; एनआईयूए की निदेशक डॉ. देबोलिना कुंडू; एशियाई विकास बैंक के शहरी विकास एवं जल प्रभाग के निदेशक श्री नोरियो सैतो; भारत में संयुक्त राष्ट्र के स्थानिक समन्वयक श्री शोम्बी शार्प और आईसीएलईआई दक्षिण एशिया के उप महासचिव श्री इमानी कुमार शामिल रहे।
दो दिवसीय सम्मेलन के समापन पर स्वीकृत, दिल्ली घोषणापत्र को शहरी महत्वाकांक्षा के सामूहिक वक्तव्य के रूप में ब्राजील के बेलेम में होने वाले तीसवें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के अध्यक्ष को सौंपा जाएगा, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के अनुकूल, न्यायसंगत और संधारणीय जलवायु कार्रवाई आगे बढ़ाने में शहरों के नेतृत्व को रेखांकित करेगा।
दिल्ली घोषणापत्र, इंदौर के सांसद और भारत के जलवायु संरक्षक श्री शंकर लालवानी द्वारा आईसीएलईआई दक्षिण अमरीका के उप कार्यकारी सचिव और निदेशक श्री रोड्रिगो डी सूजा कोराडी को सौंपा गया।

दिल्ली घोषणापत्र, वैश्विक जलवायु शासन में अपरिहार्य कर्ता के रूप में शहरों और स्थानीय सरकारों की भूमिका की समग्रता से पुष्टि करता है। यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन प्रक्रिया के अंतर्गत विकासशील देशों की सामूहिक आवाज़ सशक्त बनाता है, और जलवायु कार्रवाई में बहुस्तरीय सहयोग और शहरीकरण के लिए स्थानीय सरकार और नगर प्रशासन क्षेत्रों के दृष्टिकोण को एक ठोस, शहर-संचालित प्रतिबद्धता में बदलता है। 30वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन- कॉप 30 के कार्य एजेंडे के साथ संरेखित होकर और वैश्विक समीक्षा के परिणामों को प्रतिध्वनित करके यह संकेत देता है कि शहरी नेतृत्व पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सबसे अहम है। यह घोषणापत्र जलवायु परिवर्तन से निपटने में उत्सर्जन कटौती के राष्ट्रीय स्तर पर संशोधित योगदान – एनडीसी 3.0, जलवायु वित्त समानता और वैश्विक नीति में स्थानीय प्राथमिकताओं के व्यवस्थित समावेश द्वारा उप-राष्ट्रीय योगदानों को मान्यता देने के लिए स्थानीय सरकार और नगरपालिका प्रशासन -एलजीएमए की दीर्घकालिक वकालत मज़बूत करता है। इस घोषणापत्र के दिल्ली से बेलेम तक पहुंचने के साथ ही यह शहरों की एकीकृत आवाज़ को साथ लेकर चलता है - जो कॉप 30 के लिए ही नहीं बल्कि हमारे साझा जलवायु भविष्य को परिभाषित करने वाले निर्णयों, संसाधनों और स्थिति अनुरूप ढलने की रूपरेखा को आकार देने वाले भागीदारों की पहचान के लिए भी आवश्यक है।
घोषणापत्र में विकासशील देशों में स्थानीय और उप-राष्ट्रीय शासन के मार्गदर्शन के लिए साझा प्रतिबद्धताओं की रूपरेखा दी गई है:
· अनुकूलन, चक्रीयता और प्रकृति-आधारित समाधानों को समेकित कर समावेशी शहरी स्थिति अनुकूलता को बढ़ावा देना;
· वातावरण में छोड़ी गई ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा वायुमंडल से हटाकर या अवशोषित कर शून्य उत्सर्जन हासिल करना ओर न्यायसंगत और सहभागी हरित परिवर्तनों को बढ़ावा देना;
· जलवायु शासन में नागरिकों, महिलाओं, युवाओं और समुदायों को सशक्त बनाना;
· बहुस्तरीय शासन और पारदर्शी डेटा प्रणालियों को मज़बूत करना;
· जलवायु वित्तीय संसाधन जुटाना और शहरों के लिए सीधी पहुंच विस्तारित करना;
फ़ोरम के सत्रों और पूर्ण सत्रों में राष्ट्रीय जलवायु महत्वाकांक्षा और स्थानीय स्तर के प्रयास के अंतर; अपशिष्ट और जल चक्रीयता; समावेशी और संवहनीय शहरी खाद्य प्रणालियों; जलवायु-अनुकूल विकास में प्रकृति-आधारित समाधानों की भूमिका; और शहरी ताप से निपटने के प्रणालीगत उपायो पर प्रकाश डाला गया। अन्य विषयों में शहरों में नवीन जलवायु पहल, स्थानीय स्तर पर संचालित शासन, शहरी आपदा प्रबंधन, जलवायु वित्त साधन और नीतियां, स्वच्छ वाहन ईंधन परिवर्तन, संवहनीय ऊर्जा नियोजन के लिए डिजिटल समाधान और परिवहन संबधित विकास शामिल रहे। दक्षिण एशिया के प्रमुख शहरी अनुकूलन मंच के रूप में, एराइज़ सिटीज़ फ़ोरम समावेशी, बहुस्तरीय और स्थानीय स्तर पर संचालित जलवायु कार्रवाई पर एक नई पहल उत्प्रेरित करने के लिए तत्पर है, जो इस संदेश को पुष्ट करता है कि सतत शहरी विकास शहरों से आरंभ होता है। भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने अपने संबोधन में कहा कि शहर महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे आर्थिक विकास के केंद्र में हैं, पर वे बढ़ती जनसंख्या, जल और वायु प्रदूषण के कारण दबाव में हैं। श्री साहू ने कहा कि जहां चुनौतियां हैं, वहां समाधान भी हैं, इसी दृष्टिगत एराइज़ महत्वपूर्ण है क्योंकि चुनौतियों के बावजूद यहां समाधान खोजे जा रहे हैं। श्री साहू ने आईसीएलईआई- दक्षिण एशिया को सतत शहरी विकास के क्षेत्र में 20 वर्षों से कार्य करने और एराइज़ सिटीज़ फ़ोरम के आयोजन के लिए बधाई दी।
स्थायित्व के लिए स्थानीय सरकारें -आईसीएलईआई की उप महासचिव और आईसीएलईआई दक्षिण एशिया की कार्यकारी निदेशक, इमानी कुमार ने कहा कि एराइज़ एक स्थिति अनुकूलन भविष्य के सामूहिक विचार और साथ मिलकर कार्य करने का दृढ़ संकल्प है। यह भारत को बेलेम तक, विचारों को नवाचार तक ले जाने का सामूहिक प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह साथ मिलकर काम करने का समय है, ताकि यह केवल राष्ट्रीय विकास परिषदों के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर निर्धारित योगदानों के लिए भी मह्त्वपूर्ण बने।
आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन, दिल्ली के महानिदेशक, अमित प्रोथी ने कहा कि अभी हम शहरीकरण में एक साथ इतनी तेज़ गति और व्यापकता देख रहे हैं, जो हाल के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि अब जिन प्रमुख बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, वे हैं कि हम जोखिम को बेहतर ढंग से कैसे समझ सकते हैं? बुनियादी ढांचे को कैसे अलग ढंग से समझ और कल्पना कर सकते हैं? और कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि परिवर्तन के कारक केवल सरकारी संस्थाएं ही न हों बल्कि सबका योगदान हो।
राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान एनआईयूए की निदेशक डॉ. देबोलीना कुंडू ने कहा कि दिल्ली घोषणापत्र इस बात का एक सशक्त प्रमाण है कि शहरों को जलवायु चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, पर इनसे निपटने के सुदृढ़ सहयोग से परिवर्तनकारी बदलाव आ सकते हैं। उन्होंने एराइज़ की भावना को अपने शहरों में लेकर चलने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया जलवायु समाधान व्यावहारिक, अनुकूल और समावेशी हों।
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